कहानी घर घर की

    कहानी घर घर की
      
       सुनील ने अपने बच्चों के सामने ही अपनी पत्नी सुनीता को ज़ोर से आवाज लगाई, " सुनीता जल्दी चलो, तुम्हें हर बार देर कर देती हो। " सुनीता के बच्चें जो पढ़ रहे थे, वह भी एक पल के लिए तो अपने पापा की आवाज़ सुनकर डर गए और फिर मम्मी की तरफ़ देखते हैं, सुनीता ने ऊंगली के इशारे से बच्चों को चुप करा देती, फिर कभी खाने में अगर कुछ गलती से नमक कम या ज़्यादा हो जाए, बैंक का दिया काम करना अगर वह भूल जाए, इलेक्ट्रीशियन को बुलाना भूल जाए, कोई जरूरी बात सुनील को बताना भूल जाए, तब तब, हर छोटी छोटी बात पर सुनील बच्चों के सामने सुनीता पर ज़ोर से चिल्लाते फिर दूसरे ही पल जैसे कुछ हुआ ही न हो, ऐसे बर्ताव करते, उस तरफ़ सुनीता सुनील के जाने के बाद चुपके से रो दिया करती, बच्चें अपनी मां को चुपके से रोता हुआ देख लेते और मन ही मन सोचते, कि " पापा बार बार मम्मी पर गुस्सा हो जाते हैं और मम्मी को रूला दिया करते हैं।"
   सुनील का हर बार बच्चों के सामने सुनीता पर चिल्लाना और सुनील का गुस्सा बर्दास्त करना, अब सुनीता की आदत बन गई, मगर बच्चों के दिल पर यह एक गहरा असर छोड़ जाती हैं, बच्चें सोचते हैं, कि " पापा मम्मी के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते, उनका अपमान करते हैं, मम्मी को रुलाते हैं।" यह सोचकर बच्चों के मन में अपने पापा के लिए respect कम हो जाती हैं, वही बच्चें अपने पापा से ज़्यादा अपनी मम्मी से प्यार करने लगते हैं, और तो और वैसे भी बच्चें अपने पापा से ज़्यादा अपनी मां के साथ रहते हैं, मम्मी घर पर होती हैं, तो अपनी मम्मी के साथ ज़्यादा वक्त बिताते हैं, अपनी मम्मी से ही सारी बातें share करते हैं। 
       फिर अगर सुनील कहे, कि " बच्चें मुझ से ज़्यादा तुम्हारी सुनते हैं, बच्चें मुझ से ज़्यादा तुम से बातें करते हैं, बच्चें मुझ से ज़्यादा तुम से प्यार करते हैं, तो उस में गलत क्या हैं ? 
        तो दोस्तों, अगर आप बच्चों के सामने ही उसकी मम्मी के साथ गलत बर्ताव करोगे, तो बच्चों को तो बुरा लगेगा ही ना ! 

 स्वरचित 
कहानी घर घर की
Bela...

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