डर के साथ ख़ुशी का पल

                     डर के साथ ख़ुशी का पल 

        आज सुबह से लेकर शाम होने को आई, लेकिन पुरे दिन में नाहीं उनका कोई फ़ोन आया और नाहीं कोई मैसेज, जितनी भी बार मेरे मोबाइल की रिंग बजी, मुझे ऐसा ही लगा, कि उनका ही जैसे फ़ोन आया हो, मगर देखा तो कोई और ही था, फ़िर आज मेरा किसी से बात करने का मन भी नहीं था, थोड़ी बात कर के फ़ोन रख देती, जब भी मैसेज की तूण बजती तो भी लगता, कि जैसे उनका ही मैसेज आया होगा, मगर वह भी नहीं, अपने मोबाइल में उनके wats up पर जाकर फिर भी बार-बार चेक किया करती, कि मैसेज आया या नहीं, अब तो इंतज़ार की हद हो गई, मुझ से तो अब रहा भी नहीं जाता था, मन बहुत बैचेन सा लगने लगा था, दिल बैठा जा रहा था, अपने आप को मन ही मन कोश रही थी, कि हसी मज़ाक में भी मैंने उनसे ऐसा कहा ही क्यों ? मैंने उल्टा-सुलटा बोल दिया, तभी तो उनको बुरा लगा ना ! बगैर नास्ता किए, बगैर टिफ़िन लिए ऐसे ही घर से चल पड़े, अब क्या करू, कुछ समझ नहीं आ रहा था, वैसे भी ऑफिस जाकर रोज़ मैसेज कर दिया करते थे, कि " मैं ऑफिस पहुँच गया हूँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, अपना ख्याल रखना, किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो कॉल करना, दवाई वक़्त पर ले लेना। " फिर वह दिल और किसी वाला इमोजीस भी भेजते, उफ्फ्फ! और आज कुछ भी नहीं और देखो आज तो ऐसा कोई मैसेज भी नहीं आया, इसलिए दिल और भी ज़ोर से धड़क रहा था। नई नई शादी जो हुई थी, ऊपर से सब घरवालों को छोड़कर बंगलोर आकर उनके साथ अकेले रहना था, इसलिए वह मेरा बहुत ख़याल रखते थे, हर एक-दो घंटे में फ़ोन कर के पूछ लिया करते, कि " मैं क्या कर रही हूँ, मुझे कुछ चाहिए तो वह ऑनलाइन ऑर्डर कर के मंगवा भी लेते, इसी बहाने मुझ से बात भी कर लिया करते।" मैं पूरा दिन इसी कश्मकश में लगी रही।  

            तभी मोबाइल में फ़िर से मैसेज आया, मैंने तुरंत खोल के देखा, तो उनका ही मैसेज था। लिखा था, कि " जल्दी से तैयार हो जाओ, पार्टी में जाना है, तुम वह रेड साड़ी पहन  लेना, जो मैंने तुम्हें तुम्हारी सालगिरह पर दी थी। " पढ़कर मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ना रहा, वह तो मुझ से नाराज़ थे ही नहीं, मैं ही पागल, उल्टा, सुलटा उनके बारे में सोच रही थी. फिर मैंने भी मैसेज कर के पूछ ही लिया, कि " आपने दोपहर का खाना खाया क्या ? टिफ़िन लेकर क्यों नहीं गए ? और ऑफिस जाकर नाहीं कोई मैसेज और नाहीं कोई कॉल ?" उनका तुरंत ही जवाब आया, कि सुबह मुझे एक अर्जेंट मीटिंग में जाना था और टिफ़िन का इंतज़ार करता तो, लेट हो जाता। बहुत बड़ी कंपनी के साथ आज डील होने वाली थी, जो हो भी गई, बस सुबह से आज यहीं सब मेरे दिमाग में चल रहा था, इसलिए मैं बिना कुछ बताए जल्दी में घर से निकल गया. पूरा दिन इसी में गया, मुझे तुम्हें फ़ोन या मैसेज करने का भी वक़्त न मिला। लेकिंन आज तुम यह सब क्यों पूछ रही हो ? "

        अब जाके मेरा डर कुछ कम हुआ, मैंने कहा, ' बस ऐसे ही, अचानक से पार्टी में जाने के लिए कहा इसलिए।"

         तो उन्होंने कहा, " हां, आज जो कंपनी के साथ डील हो गई, उन्ही के साथ पार्टी है, बाकि बातें बाद में घर आकर बतलाता हूँ, तुम अब जल्दी से तैयार हो जाओ, मैं भी अभी ऑफिस से निकलता हूँ, आधे घंटे में घर पहुँच जाऊंगा।    

      मैंने मुस्कुराते हुए प्यार वाला इमोजी भेज दिया और फ़ोन रखकर तैयार होने के लिए चली गई, तैयार होते-होते यही सोच कर मुस्कुराती रही कि मैं भी कितनी पागल हूँ, बिना कुछ सोचे समजे युहीं डरती रही, वह रूठ तो नहीं गए, मगर शायद उन्होंने तो मेरी बात सुनी भी नहीं, क्योंकि उस वक़्त तो वह अपने क्लायंट से फ़ोन पर बात कर रहे थे। 😆😐 कुछ ही देर में वह आ गए और उन्होंने खुश होते हुए मुझे गले लगा लिया और कहा, कि आज मैं बहुत खुश हूँ, हमारी कंपनी को बहुत बड़ा प्रोजेक्ट मिला है। मैंने भी उनको चूमते हुए बहुत-बहुत बधाई दी। फ़िर हम दोनों तैयार होकर पार्टी के लिए निकल पड़े। 😀😀

            इस बात को बीते ५ साल हो गए, लेकिन आज भी मुझे वह ख़ुशी के पल याद आते, तब मन ही मन बहुत हसी आती और यह बात शायद मैं कभी ना भूल पाऊ। आज तक मैंने यह बात उनको बताई नहीं. कि उस वक़्त मेरा पूरा दिन कैसा गुज़रा था। अब सोचती हूँ, कि बता ही दूँ। 😄😄    

         तो दोस्तों, इस बारे में आपका क्या कहना है ?


स्वरचित 

Bela... 

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