इम्तिहान PART - 6

                      इम्तिहान भाग - 6 

           तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि रूही ने दो जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया, वो भी एक लड़का और एक लड़की। दो बच्चों के आने से घर में सब लोग बहुत ख़ुश थे। रिया के तो पैर ही ज़मीन पे नहीं टिकते थे। ख़ुशी के मारे रिया इधर-उधर भागे जा रही थी। रूद्र को जब पता चला, तो वह भी ख़ुशी से झूम उठा। कुछ ही दिनों में रूही को अस्पताल से घर जाने की अनुमति मिल गई। रूही अपने दोनों बच्चों को लेकर घर पहुँचती हैं, तब रिया और रूद्र ने रूही के लिए पहले से ही सरप्राइज प्लान कर रखा था। रूही और रूद्र के बहुत सारे गेस्ट और दोस्त भी आए हुए थे और साथ में रूद्र भी आ गया था। बहुत दिनों के बाद रूद्र को देख कर रूही भी बहुत खुश हो गई थी, चारों और ख़ुशी का माहौल सजा हुआ था। लग रहा था, जैसे ये पल, पल दो पल के लिए यही थम जाए। अब आगे... 

           रूद्र ने रूही की मनपसंद केक भी मंगवाई थी, पहले केक कटिंग किया, सब दोस्तों ने रूही और रूद्र को ढेर सारी बधाइयाँ और गिफ़्ट दीए। उस के बाद में सभी दोस्त और रिश्तेदार खाना खाकर अपने-अपने घर चले गए। रूही बहुत थक चुकी थी, इसलिए वह जल्दी ही अपने बच्चों को लेकर अपने कमरे में आराम करने चली गई, रिया रूद्र और उसकी बहनने मिलकर घर की साफ-सफाई की। सब काम ख़तम होने के बाद रूद्र ने रिया को कहा, कि  " चलो अब सब काम ख़तम हुआ, आज तो मैं भी  बहुत थक चूका हूँ। एक तो आज का मेरा लम्बा सफ़र  और ऊपर से घर में पार्टी। लेकिन एक बात तो हैं, कि बच्चों को देखकर सारी थकान चली जाती हैं, मन खुशियों से भर जाता हैं, दिल करता हैं, उनको एक नज़र देखते ही रहे, बच्चे कितने मासूम होते हैं ना ! अच्छा चलो, ऐसा करते हैं, तुम आइस-क्रीम लेकर आओ, हम आराम से कुछ देर बालकनी में बैठ के बातें करते हैं, रूही भी थक गई होगी, तो उसे आराम करने देते हैं। "

रिया ने कहा, " हाँ, सच आज तो मैं भी बहुत थक चुकी हूँ, रूही के कमरे से कोई आवाज़ नहीं आ रही, लगता हैं दोनों बच्चे भी सो रहे हैं, तुम बैठो, मैं अभी आइस-क्रीम लेकर आती हूँ। "

     कहते हुए रिया किचन की ओर चली जाती हैं, रूद्र एक नज़र रिया को जाते हुए देखता रहता हैं और फ़िर एक नज़र ऊपर अपने कमरे की तरफ़ भी करता हैं, जहाँ रूही अपने बच्चों को लेकर आराम कर रही थी। रूद्र लम्बी गहरी साँस लेता हैं और वहीं कुर्सी पर आराम से अपने पाँव लम्बे कर बैठ जाता हैं, जैसे कि बड़े दिनों के बाद अपने घर आकर कोई आराम की साँस लेता हो। रिया रूद्र को आइस-क्रीम देती हैं, तभी 

रूद्र ने कहा, " ( एक बार फ़िर से ) Thank You So Much Riya  तुमने आज तक रूही और मेरे लिए जो कुछ भी किया, उसका शुक्रिया अदा मैं कैसे करू ? क्योंकि तुमने आज तक जो कुछ भी हम दोनों के लिया किया, वह सब मुझे याद हैं। अगर तुम्हारी जग़ह कोई और होता, तो भी इतना ना कर पाता और अगर तुम ना होती तो, ये सब मुमकिन ही नहीं था। तुम तो रूही को अच्छे से जानती ही हो। उसे तो ये सब बिलकुल पसंद ही नहीं था, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे समझाने पर वह ये बच्चा रखने के लिए राज़ी हुई वार्ना उस वक़्त तो वह अपनी जॉब छोड़ने के लिए बिलकुल राज़ी ही नहीं थी मगर जैसे-तैसे कर के दिन गुज़र ही गए और आज मुझे मेरी सब से बड़ी ख़ुशी भी मिल ही गई। मेरे एक नहीं बल्कि दो बच्चें, जो मुझे अपनी जान से भी प्यारे हैं, उनके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। उनकी हर ज़रूरत का अच्छे से ख़याल रखूँगा और रूही को भी ख़ुश रखूँगा। "


रिया ने कहा, " रूद्र, उस में शुक्रिया अदा करने की कोई ज़रूरत नहीं, ये तो मेरा प्यार और दोस्ती थी, जो मुझे निभानी थी और मुझे ये भी अच्छे से पता हैं, कि तुम रूही और दोनों बच्चों का बहुत अच्छे से ख्याल रखोगे, शायद मुझ से भी ज़्यादा। तुम सब खुश रहो, मुझे इस से ज़्यादा और क्या चाहिए ? और आगे भी कभी भी मेरी ज़रूरत पड़े, तो बिना सोचे तुम मुझे बता सकते हो, तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ। "

     तभी रूद्र रिया की आँखों में आँखें दाल के देख़ रहा था, वह कुछ-कुछ रिया की बातों को अब समझने की कोशिश में लगा था, जो वह बिच-बिच में कह दिया करती थी। फ़िर मज़ाक करते हुए,

रूद्र ने कहा, " अच्छा, मेरे लिए कुछ भी कर सकती हो, ( अपने आप पर इतराते हुए ) बहुत खूब कहा।" 

                  थोड़ा हिचकिचाते हुए 

रिया ने कहा, " मेरा मतलब की रूही और बच्चों के लिए कभी कोई ज़रूरत हो, तो मुझे याद कर लेना, तुम भी ना ! अच्छा ठीक हैं, चलो बताओ, बच्चों का नाम क्या सोचा हैं ? कुछ सोचा भी हैं, या वह भी मुझे ही सोचना पड़ेगा। "

रूद्र ने कहा, " अभी इतना सब तुम ही सँभाल रही हो तो, बच्चों का नाम भी तुम ही ऱख लो, अब हमारी क्या तमन्ना और क्या नहीं ? "

      रिया और रूद्र दोनों ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगते हैं, तभी ऊपर के कमरे से बच्चों के रोने की आवाज़ आती हैं, और साथ में शायद रूही भी रिया और रूद्र को आवाज़ लगाती हो, ऐसा दोनों को सुनाई पड़ता हैं, आवाज़ सुनते ही दोनों के दोनों भागे-भागे से रूही के कमरे की ओर जाते हैं, कमरे में जाके देखा तो, दोनों बच्चे रो रहे थे, रूही दोनों बच्चों को चुप कराने में लगी हुई थी, ये देख़ ख़ुशी से ही एक बार फ़िर से रिया और रूद्र एक दूसरे की ओर देखते हुए हंसने लगते हैं।"

रूही ने कहा, "तुम दोनों को हंसी आ रही हैं ? यहाँ मेरी जान पर बनी हुई हैं। दोनों के दोनों बड़े शैतान हैं, साथ में सो जाते हैं, तो साथ में ही जगते हैं और रोते भी हैं। मेरी समझ में नहीं आ रहा, पहले किस को सँभालु। लो रूद्र, अब तुम ही सँभालो अपने बच्चों को, तुम्हें ही तो बच्चे चाहिए थे ना ! "

रिया ने कहा, "( बच्चों को सँभालते हुए ) अरे बाबा ! ऐसा क्यों कहती हो ? हम भी तो हैं ना, तुम्हारे साथ।"

       रूद्र भी आगे आके एक बच्चे को अपनी गोदी में उठा लेता हैं और उसे प्यार करने लगता हैं, दूसरी और रूही मुँह पलटकर सो जाती हैं। रिया दोनों बच्चों के डाइपर बदलाकर उसे फ़िर से झूले में सुला देती हैं, रूद्र भी बड़े प्यार से रिया की मदद करता हैं। 

       देखते ही देखते दिन बीतते जाते हैं, बच्चे बड़े होने लगते हैं। लड़के का नाम राज और लड़की नाम राजवी रखा गया। नामकरण विधि भी अच्छे से संपन्न हुई। राज और राजवी अब दो महीने के हो गए थे। रिया को भी अब अपनी जॉब सँभालनी थी, तो अब रिया भी अपने घर फ़िर से चली गई और उसने फ़िर से जॉब पर जाना शुरू कर दिया। उस तरफ़ रूद्र को भी एक के बाद एक प्रोजेक्ट मिलता गया और वह भी अपनी ज़िंदगी में कामियाबी की सीढ़ी चढ़ता गया। बच्चों के आने के बाद दो ही महीनो में रूद्र ने एक बड़ी सी कार ले ली थी और साथ में एक नया बंगला भी बुक करा लिया था। कुछ ही महीनों के बाद रूद्र और उसका परिवार वहीं रहने चले जाने वाले थे। इतफ़ाक़ से रूद्र ने जहाँ नया घर लिया था, वह घर रिया के घर के बिलकुल क़रीब था। इसलिए रूही भी खुश थी, की चलो जरूर पड़ने पर रिया कभी भी आ जा सकेगी। अब आगे... 

             रिया ने अपनी जॉब शुरू कर दी थी, मगर रूही का क्या ? उसे भी मन करता था, फ़िर से जॉब पर जाने का, मगर दो बच्चों के रहते अभी रूही जॉब पर नहीं जा सकती थी, इसलिए कभी-कभी रूही चिडचिड़ा जाती थी, तब रिया आके उसे सँभाल लिया करती, मगर कब तक रिया और रूद्र रूही को मनाते रहते ? आखिर दो बच्चों को सँभालना, साथ में घर को सँभालना और साथ में अपना सपना भी पूरा करना, जॉब करने जाना, ये सब कुछ साथ में किसी के लिए भी मुश्किल हो जाता। तो फ़िर रूही तो कुछ अलग ही मिट्टी की बनी हुई थी, उसके लिए तो ये सब एक साथ एक चुनौती से कम नहीं था, इन सब में से किसी एक को तो उसे छोड़ना ही था, चाहे वह घर हो या उसका सपना, या उसके बच्चे ? अब देखना ये हैं, कि रूही कैसे और क्या करती हैं ? अब आगे... 


                                                                                                                          Bela... 

                  


         

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