BAARAT PRATHA

                                बारात प्रथा 

      दोस्तों, आज मैं आप से एक बात कहना चाहती हूँ, जो शायद ही किसी ने देखि और सुनी होगी, क्योंकि मैंने अभी-अभी  एक किताब में पढ़ा था, तो मुझे लगा, कि आप सब के साथ भी क्यों ना शेयर करू ? तो बात ये है, कि " विवाह में बारात का प्रचलन कैसे शुरू हुआ ? "

     ये सवाल मेरे भी मन में कई बार उढ़ा। मगर इसका जवाब कहीं नहीं मिला, आज जाकर इसका जवाब मिला, वो ये , कि 

         ये शादी में वरराजा का बारात ले जाने का प्रचलन राजा लोगों से शुरू हुआ। वे लड़के के विवाह में सेना लेकर जाते थे, रास्ते में राजा की सुरक्षा के लिए सेना जाती थी। जिसका सब खर्च लड़कीवाला राजा वहन करता था। शेठ-साहूकार दहेज में अधिक आभूषण देते थे। वे गांव के अन्य गरीब व्यक्तिओ को दिहाड़ी पर ले जाते थे, जो सुरक्षा  के लिए होते थे। उनको पहले दिन लड़केवाले अपने घर पर मिठाई खिलाता था। लड़केवालों से प्रत्येक रक्षक को एक चांदी का रुपया और एक पीतल का गिलास दिलाया जाता था। जो गरीब वर्ग अपनी गाड़ी और बैल ले जाते थे, उनको कुछ अधिक राशि का प्रलोभन दिया जाता था। पहले के ज़माने में जंगल अधिक होते थे।  आनेजाने के लिए और कोई साधन नहीं थे, इसलिए यह एक परंपरा बन गई। उस समय अकाल गिरते थे। ज़्यादातर लोग निर्धन होते थे। कोई धनि यदि अकेला मिल जाता था, तो उसको लूटना आम बात थी।  इस वजह से बारात रूपी सेना का प्रचलन हुआ।  फ़िर धीरे-धीरे यह एक दिखावे की परंपरा बन गई, जिसकी अब बिलकुल आवश्यकता नहीं है। 

           तो दोस्तों, इस तरह शायद विवाह में वरराजा प्रथा शुरू हुई होगी। 

                         


                                  Bela...     

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