कल आज और कल

                              कल आज और कल

 दोस्तों, 

      कल आज और कल के दायरे में सब फसे हुए है, क्या सही क्या ग़लत और कौन सही, कौन ग़लत कुछ समज ना आए, 

                                  confusion ?

       एक तरफ कल के संस्कार, रीतरस्म अपनी जग़ह सही,

       दूसरी तरफ़ आनेवाले कल  के teenagers के तर्क - वितर्क उनकी जग़ह सही।

                और बिच में फसा लग रहा है आज, यानी हम। 

                                    confusion ?

            दोस्तों, शायद  ये सब के लिए बहोत बड़ी confusion है, हम अपने पुरानेवाले कल और आनेवाले कल के बिच में फस चुके है, जैसे की शायद सब के घर में कल, आज और कल साथ में रहते है। सास - ससुर,  माँ - पापा  हमें संस्कार और रीत रस्म समजाते और सिखाते है। अपने future के बारे में भी बहोत कुछ सोच रखा होता है, gold और property में भी investement किया करते है, ताकि आगे जाके कोई परेशांनी ना हो, और इन्हीं चक्कर में वो अपने आज  को जीना भूल जाते है, वह tantion में ज़्यादा रहते है, की आनेवाला कल कैसा होगा ? हम उनकी उम्मीदों पे खरे उतरेंगे भी या नहीं ? एक तरफ़ से देखो तो उनकी ये सोच भी सही है। 

            तो, दूसरी तरफ़ आज के  Teengers  जो उनकी हर बात पे तर्क - वितर्क करते रहते है, कभी कभी  जिनका हमारे पास कोई जवाब नहीं होता, फिर भी उल्टा - सुलटा कुछ बोलके उन्हें चुप करा दिया जाता है, दोनों पीढ़ीओ का खाना - पीना, रेहन - सेहन एक दम अलग है, वह आज में जीना चाहते है, वो सोचते है, की अगर ज़िंदगी ही नहीं रही, तो gold और property का क्या करेंगे ? इस लिए पहले ज़िंदगी जी लो, बाद में थोड़ा थोड़ा investement करेंगे। वह tantion लेने में नहीं देने में मानते है, कल के बारे में सोचकर ज़्यादा परेशान नहीं होते, वह आज में जीते है। उनका ज़िंदगी को देखने और जीने का तरीका एकदम अलग है। एक तरफ़ देखो तो इनकी ये बात भी सही लगती है। 

            " how to handle them ? confusion !"  


           हमारे Teeangers  कहते है, की "अगर प्राथँना करने से सब मिल जाता तो कोई काम नहीं करता, भगवान की भक्ति करने से और उपवास करने  से ही सब मिल जाता तो हो चूका! हम भगवान को मानते ज़रूर है, मगर हम रोज़ रोज़ उनकी पूजा नहीं कर सकते, हमारे लिए भगवान आप ही हो, पर हम ये रोज़ रोज़ आपसे जता भी तो नहीं सकते। 

           और दूसरी तरफ़  माँ और पापा अपने रूढ़िवादी रिवाज़ो को जकड़े हुए है, उनके ज़िंदगी जीने के बहोत सारे rules and ragulations है, जिन्हे वह छोड़ नहीं सकते, और Teengers  की  ज़िंदगी बड़ी सरल है,  "There is no more rules, regulations and  disciplines of them. " फ़िर भी उनका सब काम आसानी से हो जाता है। 

 वे  सोचते है, की " सफलता मिले ना मिले ये तो बाद  की बात है, पर हम कोशिश ही ना करे ये तो ग़लत बात है। " चाहे कुछ भी हो जाए वे अपनी मंज़िल पाके ही रहते है। और अपनी ज़िंदगी के लिए अपने हिसाब से  कुछ ना कुछ तो वे कर ही लेंगे। 

           Teenagers में आसमान को छुलेने की चाह है, हमें दोनों की बात सही लगती है, और भी बहोत कुछ जो शायद सब के घर में चल रहा हो, सब से बड़ी confusion  ये है की हम किसे माने, हमारे पुरानेवाले कल को या  आनेवाले कल को ? कभी हमें अपने बड़ो को समजाना पड़ता है, तो कभी हमें अपने बच्चों को, लेकिन इन सब में लगता है की जैसे हार तो हमारी ही हुइ हो,  हम अपने आप को समजा देते है की अच्छा चलो सब सही सिर्फ हम ग़लत, हमें ही शायद बदलने की ज़रूरत है, मगर बदलाव कैसा होना चाहिए?  

          हम हमारा पुरानावाला कल बने या हमारा आनेवाला कल ? कभी कभी लगता है की हम हमी में खो गए है, ज़िंदगी की तेज़ रफ़्तार बड़ी तेज़ी से चल रही है, कदम आगे बढ़ते है, फिर से रुक जाते है, कही हम गलत तो नहीं ? कदम पीछे की और ले तो हम अपनी ही नज़रो में अपने आप को कमज़ोर पाते है, फिर से कदम रुक जाते है। 

            तो दोस्तों, क्या आप हमें बता सकते है ? की हमें किस की सुननी चाहिए ? हमारे पुरानेवाले कल की या हमारे आनेवाले कल की ? कौन सही ? कौन ग़लत ? या फिर दोनों अपनी अपनी जग़ह सही है ? अगर दोनों अपनी अपनी जग़ह सही है, तो हमारा आनेवाला  कल कैसा होना चाहिए ? 

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                                                                                     Bela... 

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