ज़िंदगी के दो पेहलु भाग -२
तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि रागिनी और आकाश एक ही कंपनी में काम करते थे। पहले रागिनी और आकाश दोनों अच्छे दोस्त बन गए, बाद में प्यार हुआ, इक़रार हुआ, फ़िर शादी भी हो गई। दोनों बहुत खुश थे, मगर शादी के कुछ वक़्त बाद ही दोनों के बिच छोटी-छोटी बात को लेकर झगड़ा होने लगा। दोनों ने एकदूसरे को डिवोर्स भी दे दिया। रागिनी अपने काम में आगे बढ़ती रही, आकाश को भी दूसरी कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई। अब दोनोंने कामियाबी तो हासिल कर ली, मगर आज भी अकेले ही है। ये मेरी कहानी का पहला पेहलु था, अब मेरी कहानी के दूसरे पेहलु जिस में रागिनी और आकाश अपनी ज़िंदगी कैसे जीते है, ये जानिए। कौन सा पेहलु आप को अच्छा लगा ये ज़रूर बताना। अब आगे...
रागिनी और आकाश की शादी के कुछ वक़्त बाद ही रागिनी को अपनी ही ऑफिस में ऊँची पोस्ट पे रखा गया। पहले रागिनी और आकाश ऑफिस में साथ में बैठ के काम किया करते थे। अब रागिनी उसी ऑफिस में अपने अलग से केबिन में बैठती है। अब ऑफिस में पोस्ट अगर ऊँची होगी, तो उतना काम और ज़िम्मेदारी भी तो बढ़ेगी ना ! हाँ, तो इसी काम और ज़िम्मेदारी की वजह से रागिनी पे घर का और ऑफिस का काम दोनों का बोझ बढ़ने लगा। वो चिड़चिड़ी रहने लगी। सुबह घर का काम करो, बाद में ऑफिस का काम सँभालो, फ़िर से घर जाके रात को घर का काम और रसोई, रागिनी थक जाती। रागिनी के पास आकाश के साथ बैठ के बातें करने का वक़्त भी नहीं बचता था। इसी वजह से रागिनी और आकाश के बिच छोटी-छोटी बात को लेकर झगड़ा होने लगा। ऊपर से अपनी पत्नी को ऊँची पोस्ट पे बैठा देख आकाश का ईगो भी हर्ट होने लगा।
एक दिन गुस्से में आकर आकश ने रागिनी से कहा, कि " घर और ऑफिस साथ में नहीं सँभाल सकती हो तो जॉब छोड़ क्यों नहीं देती ? तुम सिर्फ़ घर सँभालो, मुझ से जितना हो सके मैं सब मैनेज कर लूँगा, लेकिन रोज़-रोज़ के झगड़े से में तंग आ गया हूँ। "
रागिनी ने कहा, " मैंने तुमसे पहले ही कहा था, चाहे कुछ भी जाए, मैं अपना काम कभी नहीं छोडूँगी। ये बात तुम्हें पहले से पता है और वो मैं पूरा कर के ही रहूंँगी। तुम्हें जो करना हो कर लो। "
रागिनी और आकाश की ऐसी बातें कमरे के बाहर से गुज़र रही आकाश की माँ ने सुन ली। दूसरे दिन सुबह आकाश की माँ ने आकाश को समझाया, कि " कल रात को मैंने तुम दोनों की बातें सुन ली थी। ऐसे गुस्से से काम मत ले। बहु बेचारी पूरा दिन काम करके थक जाती है। तू ऐसा कर खाना बनाने के लिए कामवाली बाई का इंतेज़ाम कर ले। मैं तो घुटनों के दर्द की वजह से अब इस उम्र में घर का सारा काम नहीं कर सकती, मगर मुझ से जितना बन पड़े उतनी मदद तो मैं ज़रूर करुँगी और घर का सामान ऑनलाइन मंगवा दिया कर, मेरी सहेली की बहु भी वैसा ही करती है। इस से बहु पे काम का बोझ भी कम हो जाएगा। इतना अच्छा काम करती है वो, तो उसे करने दे, बाकी सब थोड़ा बहुत मैं सँभाल लुंँगी। एक लड़की का सपना उसके लिए क्या होता है ? ये तू नहीं समझ सकता। मैं भी अपने जीवन में कुछ करना चाहती थी, मगर तुम्हारे नानाजी ने मेरी पढ़ाई छुडवाके भी शादी करवा दी और तुम्हारे पापा को तो तुम जानते ही हो। उसके सामने मैं भला कैसे कुछ कह पाती ? वैसे भी हमारे ज़माने में कोई औरत की सुनता ही नहीं था। मगर आज कल ज़माना बदल गया है, औरत अब सिर्फ़ घर सँभाले ऐसा नहीं हो सकता, उसे भी सपने देखने का और आसमान में उडने का हक़ है। बस उनको सिर्फ़ समझने की और थोड़ी सी मदद की ज़रूरत है। फ़िर देखना, वो तुम्हें पहले से भी ज़्यादा प्यार करेगी और वैसे भी मैं पूरा दिन घर पे बैठ के क्या करुँगी भला ? मैं भी थोड़ा बहुत काम करुँगी, तो मन भी लगा रहेगा, तबियत भी ठीक रहेगी और बहु की हेल्प भी हो जाएगी। " माँ की बात सुनकर आकाश रागिनी की परेशानी समझ जाता है। उसे लगा, शायद माँ ठीक ही कह रही है, पहले रागिनी ऐसी तो ना थी, सिर्फ़ काम के बोझ की वजह से वो चिड़चिड़ी हो गई है, मुझे कुछ तो सोचना चाहिए।
आकाश ने रागिनी को बिना बताए बाई को खाना बनाने और घर का काम करने के लिए रख लिया। उस दिन रागिनी ने ख़ुश होकर आकाश को Thank you भी कहा। इससे रागिनी की थोड़ी परेशानी कम हो गई, अब रागिनी थोड़ी खुश भी रहने लगी। मगर कुछ दिनों के बाद आकाश के माँ-पापा को बाई का खाना पसंद नहीं आया। इसलिए आकश ने अपनी माँ को कहा, कि आप बाई को सीखा दिया करो, कि हमारे यहाँ खाना कैसे बनता है, तो वो उसी के हिसाब से खाना बनाएगी। ये बात रागिनी ने जो घर के दरवाज़े पे खड़ी थी, उसने सुन ली। तब रागिनी ने खुद ही बाई को कब और कैसे कितना खाना बनाना है, इस की लिस्ट बना कर देदी और कभी-कभी रागिनी सुबह जल्दी उठ के खुद बाई को खाना कैसे बनाना है, सीखा देती थी। घर में सुबह वॉशिंग मशीन में रागिनी कपडे धोने को डाल देती और आकाश की माँ उसके जाने के बाद कपड़े सूखा देती। रागिनी घर की सारी चीज़ की लिस्ट बना देती और आकाश ऑनलाइन सब कुछ मंगवा लेता। बैंक का सारा काम तो आकाश ही कर लेता, तो इस तरह घर का सारा काम भी आसानी से हो जाता, रागिनी के पास आकाश के साथ बैठ के बातें करने का भी वक़्त मिल जाता। अब रागिनी को ऑफिस का और घर का काम बोझ नहीं लगता था, उल्टा वो खुश होके ऑफिस जाती और रात को हस्ते-हस्ते घर आती, सब साथ में खाना खाकर आराम से बातें करने भी बैठते।
रागिनी को लगा, कि अपनी ऑफिस में उसकी ऊँची पोस्ट की वजह से आकाश का ईगो हर्ट होता है।
क्यों ना हो ? चाहे कोई भी हो अपनी पत्नी को आगे बढ़ता देख़ किसी भी पति का ईगो हर्ट होगा ही। भले ही वो कुछ बताए नहीं, मगर मेरे मुताबिक कई घरो में ऐसा ही होता है। अब आगे...
रागिनी ने ऐसा सोच के अपने बॉस से गुज़ारिश कर के आकाश को भी दूसरी कंपनी में ऊँची पोस्ट पे काम दिला दिया। अब आकाश भी खुश रहने लगा। रागिनी और आकाश अलग-अलग ऑफिस में जाते, मगर wats up पे दोनों की बातें होती रहती। अब नाहीं रागिनी का ईगो हर्ट होता और नाहीं आकाश का। काम भले ही बँट गया हो, लेकिन समझदारी से काम लेने से आखिर रिश्ता तो बच गया ना ! अब वो दोनों एकदूसरे से और भी ज़्यादा प्यार करते है और एक दूसरे के काम का सम्मान भी करते है।
इस तरह अपने-अपने ईगो साइड पे ऱख हर पति-पत्नी थोड़ी सी समझदारी से काम ले तो प्यार भी बना रहेगा और रिश्ता भी। काम और प्यार बाँटने से ज़िंदगी आसान हो जाती है। शायद सब की समझ में ये बात आ जाए। हर बार गलती औरत की ही हो या मर्द की ही हो , ये जरूरी नहीं। गलती चाहे किसी की भी हो मगर समझदारी से लिया जानेवाला फ़ैसला ही सही फ़ैसला होता है।
मेरी इस कहानी के पहलेवाले पेहलु में आकाश ने गुस्से में आकर डिवोर्स के पेपर्स रागिनी को नहीं दिए होते तो बात कुछ और होती और भले ही आकश ने डिवोर्स पेपर्स रागिनी को दिए फ़िर भी रागिनी को भी जल्दबाजी में आकर उस पे sign नहीं करना चाहिए था, अपनी शादी को बचाने की कोशिश करनी चाहिए थी।
तो दोस्तों, ज़िंदगी में हर इंसान और हर रिश्ता एक जैसा नहीं होता। किसी ने सच ही कहा है," रिश्ते बनाने आसान है मगर रिश्ते को निभाना और भी मुश्किल।" आप सब को मेरी कहानी में से कौन सा पेहलु पसंद आया। ज़रूर बताना।
Bela...https://www.instagram.com/bela.puniwala/
रिश्तों को जिसने हंस के निभाया
ReplyDeleteवही जिन्दगी का राज समझ पाया