डर भाग-16
तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि माया कल रात की बात भूल गई थी, शर्मीला के कहने पे अजय ने पुलिस वालो से उसके पति को अच्छे से मार खिला के सिर्फ़ धमकाया, उसे एक रात के लिए जेल में भी बंद करा दिया। दूसरी तरफ़ अजय नाबालिक लड़की का विवाह कानून जुल्म है, कहते हुए वहांँ हल्ला मचाए रखा था, रमेश उसे समजा रहा था, मगर फ़िर भी, अब आगे...
अजय ने शादी में,
अजय : ये शादी नहीं हो सकती।
( कह कर हल्ला मचा रखा था, प्रिया ने पीछे से दूल्हे का सेहरा भी हटा दिया, तो दूल्हा ६० साल के बुज़ुर्ग थे, अब तो कहाँ किसी के रुकने पे अजय रुकने वाला था। ये देख अजय ने दुल्हन को अपनी और खींचते हुए कहा, की)
अजय : क्या सच में आप सब को लगता है, की इस छोटी सी लड़की की शादी एक ६० साल के लड़के से या कहुँ, तो बूढ़े से होनी चाहिए ? चाहे कुछ भी हो जाए मेरे होते ऐसा कभी नहीं हो सकता। आप सब को पता नहीं, कि मैं कौन हूँ ? आप सब को एक नाबालिक लड़की की शादी एक ६० साल के बुज़ुर्ग के साथ करने के जुल्म में जेल भी भेज सकता हूँ। में अभी पुलिस को बुलाता हूँ। अपना फ़ोन उठाकर अजय पुलिस को फ़ोन लगाने लगता है।
( तभी लड़की की माँ आकर अजय के पैरो में पड जाती है, और कहती है )
लड़की की माँ : ऐसा गज़ब मत कीजिऐ साहब। अगर ऐसा हुआ तो मेरी लड़की की शादी कभी नहीं होगी, वह सारी उम्र घर में रह जाएगी, अब उसके साथ कोई शादी नहीं करेगा। मंडप से उठी लड़की को कोई बिहाटा नहीं, आप इस गांँव में नए है और यहाँ के रीती-रिवाज नहीं जानते।
अजय : अगर यहाँ के रीती-रिवाज ऐसे है, तो मुझे नहीं जानने है ऐसे रीती रिवाज़। मैं नहीं मानता ऐसे रीती-रिवाज़ को, जहाँ छोटी सी उम्र में लड़की की शादी कर देते है।
( अजय किसी की भी बात नहीं सुनता है, पुलिस आ जाती है। पुलिस शादी रुकवा देती है। नाबालिक लड़की की शादी के जुल्म में पुलिस उस ६० साल के दूल्हे को और उसके घरवालों को गिरफ्तार कर के ले जाती है। बाकि सब लोग भी बाते करते हुए चले जाते है। शादी का माहौल मातम में बदल जाता है। दुल्हन के माँ और बाबा माथे पे हाथ रखकर रोते रह जाते है, अजय उनको समजाने की कोशिश करता है।
अजय : आप ही सोचिऐ, क्या आपकी लड़की खुश रह पाती उस ६० साल के बूढ़े के साथ ? क्या सोच के आपने उसकी शादी पढ़ने की उम्र में उसकी शादी करवाने का सोचा ? अभी तो इसके खेलने-कूदने के दिन है, शादी के लिए तो अभी सारी उम्र पड़ी है, आप की लड़की को शादी का मतलब भी नहीं पता होगा, उसके लिए तो ये सिर्फ़ गुड्डे-गुड्डी का खेल ही होगा। इसलिए शादी के बारे में ना सोच आज के बाद उसकी पढाई के बारे में सोचिऐ, उसे अपने पैरो पे खड़ी होने का मौका दीजिऐ, उसकी आँखों में एक नया सपना दीजिए। नाही उसके नाज़ुक से कंधो पे ससुराल के ताने और ज़िम्मेदारियों का बोज दीजिए, की जिसके बारे में वो कुछ जानती ही ना हो।
( अजय की बात लड़की के माँ-बाबा के गले उतर जाती है और लड़की की माँ अपनी बेटी को प्यार करने लगती है। )
लड़की अपनी माँ से पूछती है,
लड़की : माँ, क्या अब मेरी शादी नहीं होगी ? सब लोग चले क्यों गए ?
माँ : ऐसा मत कहो, मेरी बिटियाँ, तुम्हारी शादी होगी और ज़रूर होगी, मगर किसी ६०- साल के बूढ़े से नहीं बल्कि किसी राजकुमार से जो घोड़ी पे बैठ के तुझे लेने आएगा, मगर उस से पहले तुझे बहुत पढ़ना है। बड़ा आदमी बनना है, अपने पैरो पे खड़े होना है, ताकि कल को किसी के सहारे की तुझे ज़रूर ना पड़े, क्यों ठीक कहा ना, मुन्नी के बाबा ?
लड़की के पिता : बिलकुल सही कहा।
( दोनों अपनी बेटी को प्यार करने लगे। अजय, रमेश, प्रिया और माया सब खुश होते हुए वहांँ से जाने लगे। इन्हीं सब चक्कर में रात होने को थी, किसी ने कुछ खाया भी नहीं था। सब को भूख लगी थी, घर जाकर देखा तो शर्मीलाने खाना बनाके रखा था।
शर्मीला : आइऐ साहब, आप ठक गए होंगे, खाना खा लीजिए।
अजय : तुमको कैसे पता ? हम सब खाना खाऐ बगैर ही आऐ है।
शर्मीला : जी गांँव में जो हुआ, मुझे सब पता है, यहाँ बात हवा की तरह फ़ैल जाती है, आपने जो किया, बहुत अच्छा किया साहब, यहाँ पे सब लोग ऐसे ही है, छोटी उम्र में लड़की की शादी करवा देते है, फ़िर लड़की के साथ क्या-क्या होता है, देखते भी नहीं। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था। जो आज तक झेल रही हूँ। अब यहाँ से जाऐ भी तो कहा ?
अजय : ह्ह्हम्म्म, हम फ्रेश होके आते है, तुम खाना लगा लो।
( सब फ्रेश होक खाना खाने बैठते है। )
रमेश : अजय भैया, आपने आज जो भी किया, बहुत ही अच्छा किया, बड़े अच्छे से लड़की के माँ-बाबा को भी समजा दिया। आप काबीले तारीफ़ हो, अगर मैं या कोई ओर होता तो ये नहीं कर पाता। आप सच में ग्रेट हो। इन सब के लिए भी हिम्मत चाहिए।
अजय : मैं क्या करू ? मुझ से गलत बात होती देख या सुनी नहीं जाती। अंदर से मेरा खून खोल उठता है, इतनी सी बात लोगों की समज में पहले क्यों नहीं आती ?
शर्मीला : ( बिच में ही ) साहब, मेरे पति का क्या हुआ ? मैंने रपट लिखवा दी थी।
अजय : मेरी पुलिस से बात हो गई है, आज रात वो वही रहेगा, कल सुबह पुलिस उसे छोड़ देगी, अब देखना वो सुधर जाऐगा, आज के बाद वो तुम्हें कभी नहीं मारेगा, नाहीं तेरी मर्ज़ी बिना तुझे छुएगा। तू फिक्र मत कर। कुछ भी हो मुझे फ़ोन कर देना, ये मेरा नंबर रख अपने पास।
( अजय अपना कार्ड शर्मीला को देते हुए )
शर्मीला : जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया साहब !!!
( माया अपने भाई अजय को गले मिलते हुए )
माया : You are my super hero, you are great, Always proud of you, I love you so much bhaiya.
अजय : ( मुस्कुराते हुए )
चल, अब सब हो गया हो तो कल हम अपने शहर चले क्या ? मुझे वहांँ और भी काम है। कुछ और नासमज को ठिकाने लगाना है।
( सब बोल उठे, जो हुकुम आपका सरकार !!!
सब साथ में हस पड़ते है और दूसरे दिन यहाँ से जाने की तैयारी में लग जाते है। सुबह होते ही वहाँ से निकलते वक़्त रमेश अपने घुटनों के बल अजय के सामने बैठ के )
रमेश : अगर आपको मंज़ूर हो तो क्या मैं आप से माया का हाथ मांँग सकता हूँ ? मैं माया से शादी करना चाहता हूँ। में उसे बहुत प्यार करता हूँ और उसे उम्र भर खुश रखूँगा।
( अजय थोड़ी देर सोचने के बाद )
अजय : माया को तुझे खुश तो रखना ही होगा, वार्ना तूने मेरा गुस्सा तो देख ही लिया है।
( माया और प्रिया भी वहीं पीछे खड़े थे। )
माया : Thank you bhaiya.
( कहते हुए अजय से शर्मा के पीछे से लिपट जाती है। )
( शर्मीला अपने पति को लेकर अजय से मिलवाने आती है, उसका पति अजय से और शर्मीला से माफ़ी मांँगता है और आगे से कभी ऐसा नहीं करेगा, शर्मीला को खुश रखेगा और अपनी बेटी को पढ़ाएँगा। ऐसा वादा करता है। )
( सब ख़ुशी-ख़ुशी वहांँ से शहर की ओर जाते है। कुछ ही दिनों में अजय ने माया की शादी रमेश से करवा दी। अजयने रोते हुए नहीं, बल्कि हस्ते हुए अपनी प्यारी बहन को बीड़ा किया, क्योंकि उसे पता था, कि रमेश उसे बहुत प्यार करता है, उसे बहुत खुश भी रखेगा और उसका अच्छे से ख्याल भी रखेगा। अजय के लिए माया की ख़ुशी से बढ़कर और कुछ नहीं था।
अजय के साथ रहकर रमेश में भी अब हिम्मत आने लगी थी, रमेश भी अब अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने लगा था, अब रमेश इतना डरपोक नहीं रहा, जितना वह पहले हुआ करता था। ये देख अजय को भी ख़ुशी होती थी। रोज़ रात को अजय से मिलने रमेश, माया और प्रिया उसके घर आ जाते थे और साथ मिलके सब बड़ी मस्ती भी करते थे। इसलिए कभी अजय को अकेलेपन का एहसास नहीं होता। )
फ़िर एक दिन अजय की ऑफिस में एक लड़का आता है, जिसको देख लगता था, की उसे किसी ने बहुत मारा है... ( अजय फ़िर से अपने काम में लग जाता है। )
तो दोस्तों, अगर अजय की तरह दुनिया में सब लोग सच का साथ दे और गलत होता हुआ रोकने में आवाज़ उठाऐ तो दुनिया में कोई दुखी नहीं रहेगा। ज़ुल्म करनेवाले की तरह ज़ुल्म सहनेवाला भी उतना ही गुनेगार कहलाता है, जितना की ज़ुल्म करने वाला। क्योंकि हम ज़ुल्म सहते रहेंगे, तब तक ज़ुल्म करनेवालों की हिम्मत बढ़ती ही जाएगी।
मेरी ये कहानी यहीं ख़तम हुई, लेकिन ज़िंदगी नहीं...
( प्रिया और माया अभी भी नर्सिंग स्कूल चला रहे है, रमेश अपना बिज़नेस चला रहा है और अजय जुल्म को रोक रहा है, हर गुनेगार को सजा दिला रहा है। )
Bela...
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