आज की जनरेशन
आज की जनरेशन, जो " मैं " बनना चाहती हूँ, उनके जैसी ज़िंदगी जो " मैं " भी एक बार जीना चाहती हूँ।
आज की जनरेशन, वो जो अपनी मर्ज़ी से जीते है, घुट-घुट के नहीं। समझदार बच्चे अपने दिल की बात, दिल में नहीं रखते, जहाँ तक हो सके झूठ नहीं बोलते, किसी के पीछे बात नहीं करते, किसी के बारे में सोचते नहीं, बड़ो का मान भी करते हैं, उन्हें समझ भी सकते है और उन्हें समझा भी सकते हैं,
मेरे मुताबिक़ आज की जनरेशन जिसे ना कोई रोक सके, ना कोई टोक सके, जो किसी के रोके रुकते नहीं, जो किसी के झुकाए झुकते नहीं, जो झुकना नहीं झुकाना जानते है, जो हारना नहीं, जितना जानते है और अगर वो कोई बात मन में ठान ले तो कुछ भी कर सकते है, आख़िर वह भी तो एक अतुल्य शक्ति है, उन में एक जोश है, वो खुला आसमान है, जिसे वह छूना भी चाहते है, और छू भी सकते है, वो चाहे तो बादलों को चीर के बिन मौसम बरसात भी ला सकते हैं, वो चाहे तो रूठे रब को भी मना ले, इंसान तो क्या है ? मेरे मुताबिक़ आज की जनरेशन सब कुछ कर सकती है।
अगर खुदा ने इंसान बनाया तो, इंसान ने कंप्यूटर बनाया और अगर आज की जनरेशन कंप्यूटर और बहुत सारी app बना सकते हैं, तो वो कुछ भी कर सकते हैं, जहाँ तक हमारी सोच पहँच ही नहीं सकती, वे उस से भी आगे जाके वो सब करते हैं, उनके लिए ये सब बाएँ हाथ का खेल है। जैसे की वे कोई जादू करना जानते हो। वैसे कंप्यूटर पे सब कुछ बड़ी आसानी से कर जाते है।
शायद मेरी ऐसी बातें किसी को अजीब लगे, मगर मेरे मुताबिक यही सच है। पहले हम बच्चो को सिखाते थे, अब बच्चे हमें सिखाएँगे। जैसे कि किसी और से पहले अपने बारे में सोचना सिखाएंँगे, रिटायरमेंट के बाद ज़िंदगी को कैसे जीना है ? कोई चाहे जो भी कहे हमें वही करना है, जो हम चाहते है और जो हमें अच्छा लगता है। पहले वे हमारी ऊँगली पकड़कर चलते थे, अब वहीं समझदार बच्चे हमारा हाथ थाम के चलेंगे।
दुसरो की बड़ी-बड़ी इमारत देखकर दुखी होने से अच्छा है, की हम हमारे घर की इमारत कैसे बड़ी बनाए ? ये सोचे, तो ज़्यादा बेहतर होगा। दूसरों की खिड़की में से झाँकने से पहले हमारे खुद के घर में क्या हो रहा है, ये देखे तो ज़्यादा बेहतर होगा।"
आज की जनरेशन जो अपने में ही मस्त रहते है, वो अगर अपने मम्मी-पापा का दील दुःखाते भी है, तो उनको मनाना भी अच्छे से जानते है, कभी कभी उनकी माँगे और ख्वाहिशें भले ही बड़ी हो मगर समझदार बच्चें समझाने पर वो समझ भी जाते है। बुरे वक़्त में अपने दोस्तों को साथ देना भी जानते है, और अगर उन्हीं का दोस्त गलत राह पे जा रहा हो, तो उसे एक बार रोकने की कोशिश जरूर करेंगे। समझदार बच्चे जो पॉकेट मनी में दिए गए २०० या २० में भी खुश रहते है, वे एक जीन्स और दो टी-शर्ट में भी खुश है। वे एक वेफर्स के पैकेट या एक वड़ा-पाव, या एक सैंडविच में भी खुश है, पूरी रात पढ़ाई करके सुबह कॉलेज जाना भी जानते है, ऑनलाइन शॉपिंग करके अपना पैसा और वक़्त बचाना भी जानते है, अपने हिस्से की रोटी या कपड़े किसी गरीब को देने के लिए वो पल भर भी नहीं सोचते, अपनी health के लिए वे jogging, running और daiting करना भी जानते है, ज़रूर पड़े तो gym भी करते है। और अगर किसी दिन उनका कहीं कुछ करने का मन ना हो तो पूरा दिन सोएँगे या तो पूरा दिन घर पे खाके आराम भी करते है, और अगर किसी दिन ज़रूरी प्रोजेक्ट की वजह से पूरी रात जगना पड़े, तो वो भी कर जाते है, बस उन्हें रोको नहीं, उन्हें जो करना है, कर लेने दो।
आज की जनरेशन जो हमारे साथ बातें कम करती है, क्योंकि वो हमें परेशान नहीं करना चाहते, हमारे काम में या हमारी ज़िंदगी में दखलअंदाज़ी करना नहीं चाहते, और उन्हें ये भी पसंद नहीं की कोई उनकी ज़िंदगी में दखलअंदाज़ी करें। इसलिए वे किसी के भी साथ ज़्यादा बातों में भी उलझते नहीं। जो समझदार बच्चे होते है, उनका ध्यान दूसरों से ज़्यादा अपने पे होता है, दुसरों की गलती नहीं मगर अपनी गलती के बारे में सोचते है, उनका बस एक ही लक्ष्य है, कि चाहे कुछ भी हो जाए, हमें आसमान को छूना ही है, मतलब अपनी ज़िंदगी में वो बनना ही है, जो वो चाहते है, कामयाबी का सफर चाहे कितना भी कठिन हो, मगर वो उसे पाके ही रहते है। बस अपने में ही मस्त रहते है। जो हम कभी भी नहीं कर पाए या अपने बड़ो से नहीं कह पाए, वो वे बड़ी आसानी से कह दिया करते है। उनका मन बड़ा साफ होता है। उनके मन में किसी के भी लिए बैर नहीं, वे सब दोस्ती बड़ी अच्छी तरह से निभाते है, मगर दुश्मनी किसी से नहीं रखते, शायद वे सब को बड़ी आसानी से माफ़ कर दिया करते है, जो हम बड़े नहीं कर पाते। वे सब को एक समान दृष्टि से देखते है, और अपनी ही धुन में रहते है। अपने कानो में वो headphone पूरा दिन इसीलिए लगाए रखते है, क्योंकि शायद बेफिज़ूल की बातें वो सुनना ही नहीं चाहते। इस से अच्छा उनको music या अपनी मनपसंद की talk सुनना या game खेलना अच्छा लगता है। जिस से वे कुछ सिख सके। समझदार बच्चें बेफिज़ूल के ख़र्च भी नहीं करते, उनके लिए क्या अच्छा और क्या बुरा वो खुद decide करते है, वो हमें पूछते ज़रूर है, मगर कभी कभी वो अपने मन की ही करते है।
" आज के जनरेशन " की ऐसी सब बातें और आदतें मुझे बहोत पसंद है, उनका खुले मन से ज़िंदगी को जीना और उनका ज़िंदगी जीने का अंदाज़ मुझे बहुत पसंद है, शायद इसीलिए उनको देखकर मुझे भी ऐसा लगता है, कि मैं भी उनकी तरह ही अपनी ज़िंदगी जी लूँ ।
तो दोस्तों, आप को भी अगर ऐसा लगता हो, की मैंने जो कहा वो सब सच है, तो
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