MEHNAT

                      मेहनत

       जब सुरेश अपनी ही कमाई से खरीदी हुई कार में उसी चौराहे से गुज़र रहा था, तब सुरेश को वो पल याद आने लगे, जब चौराहे के बिच में खड़ा बिजली का खम्भा  उसने देखा, तब  सुरेशने अपनी कार को तभी ब्रेक लगाकर रोक दिया, और उसकी नज़र उसी बीजली के खम्भे पे रुक गई, और.... 
           आज से तक़रीबन १५ साल पहले का सुरेश, जो उसी चैराहे पे बिजली के खम्भे के निचे बैठ रोज़ देर रात तक पढाई करता रहता, कयोंकि उसी चौराहे की गली में सबसे आख़री झोपड़ी में सुरेश अपने पियक्क्ड़ बाबा, बीमार माँ और बड़ी दीदी जो दिनभर दूसरे के घर में झाड़ू, बर्तन करके थक के सो रही होती है, उन्हें परेशानी ना हो इसलिए सुरेश  यहाँ आकर पढाई करता था। 

          उसका बस एक ही सपना था की उसे भी एक दिन बड़ा आदमी बनना है, इसलिए वो सुबह ५ से ७ अख़बार बेचने जाता, ७ से १२ सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता और दोपहर में खाना खाकर पासवाले होटल में सफाई का काम करता और रात को ऐसे  बिजली के खम्भे के निचे आकर पढाई करता। इससे घर में बिजली भी बच जाती। उसे अपनी बीमार माँ को अच्छा करना था और अपनी बड़ी दीदी का बोज़ कुछ कम हो इसलिए वो भी दिनरात काम करता था, 
            वो कहते है ना, की " मेहनत करनेवालों की कभी हार नहीं होती। " बस इसी तरह सुरेश की मेहनत और  लगन से उसने ज़िंदगी का और स्कूल का हर इम्तिहान पास कर लिया था, और आज वही सुरेश  सरकारी अफसर बन गया है। और अपनी ही कार में वहांँ से गुज़र रहा है, तो उसे अपनी ज़िंदगी का वो कड़वा सच उसकी आँखों के सामने से ऐसे गुज़रता दिखाई दे रहा है, जिसे उसने कभी खुद जिया है। आज उसे खुद पर ही यकींन नहीं हो रहा था, की उसने इतना सब कुछ कैसे कर लिया ? 
        वही झोपड़ी में रहने वाला सुरेश आज बड़े से मकान में अपनी माँ और बीवी के साथ मज़े से रहता है, और उसकी बड़ी दीदी की शादी भी उसी के दोस्त जो खुद भी सरकारी अफसर है, उसी से करवा दी है, और उसके पापा जो पियक्क्ड़ थे वो सालो पहले ही गुज़र चुके थे, 
        और वो सोचता है, कि सही समय पे की हुई  मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। अगर आपके मन में सच में कुछ करने का जुनून हो, तो रास्ते में चाहे कितनी भी तकलीफ़े या मुसीबते आ जाऐ लेकिन आप को आपकी मंज़िल एक ना एक दिन मिल ही जाती है। 

           तो दोस्तों, अगर एक मामूली सा लड़का जो सरकारी स्कूल में पढता हो और रात को चौराहे पे बिजली के खम्भे के नीचे बैठकर जो पढाई करता हो, अगर वो एक दिन सरकारी अफसर बन सकता है, तो आप और मैं क्यों नहीं ? आप क्यों नहीं अपना सपना पूरा कर सकते हो ? आप सभी अपना सपना पूरा कर सकते हो, लेकिन जेसै, की रोटी को पकने के लिए  आग में  जलना पड़ता है, उसी तरह आप को भी कड़ी मेहनत तो करनी ही होगी, तो ही आपका सपना पूरा हो सकता है। 
                                                                 Bela... 

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