इम्तिहान ( Description)

                   इम्तिहान ( सार )

             इम्तिहान,  वैसे देखा जाए तो यह " इम्तिहान " शब्द सिर्फ एक शब्द ही नहीं, मगर ज़िंदगी का एक ऐसा दौर है, जिस में से हर एक को आज नहीं तो कल, गुज़रना ही पड़ता है। इम्तिहान की घड़ी सब की ज़िंदगी में आती ही है, बचपन से लेके जवानी तक और जवानी से लेकर बुढ़ापे तक, ज़िंदगी एक इम्तिहान ही तो है। जैसे कि स्कूल से लेकर कॉलेज तक, कॉलेज से लेकर नौकरी तक, नौकरी से लेकर शादी तक, शादी से लेकर बहुत सारी जिम्मेदारियों तक, जिम्मेदारियों से लेकर रिश्तों तक, बस इम्तिहान का वक्त चलता ही रहता है, जैसे कि " यह ज़िंदगी का कभी भी ना ख़तम होनेवाला सफ़र। " लेकिन यह भी सही है, कि " किसी की ज़िंदगी में इम्तिहान की घड़ी थोड़े वक्त के लिए ही होती है, तो किसी की ज़िंदगी ही इम्तिहान सी बन जाती है और उसे एक आदत सी हो जाती है, उस इम्तिहान के साथ जीने की। "
          बस ऐसा ही कुछ मेरी इस कहानी की रिया के साथ उसकी ज़िंदगी में हुआ है, सभी का अच्छे से ख़्याल रखते रखते, सभी की ज़िंदगी में खुशियाँ देते देते, वह अपने बारे में सोचना ही भूल जाती है, अपनी ज़िंदगी को जैसे रिया ने दूसरों के हवाले कर दिया हो, वह बस अपने और अपनों की ख़ुशी ही तो चाहती थी और तो कुछ भी नहीं, उसके बदले में उसको क्या मिलता है ? ज़िंदगी भर की घुटन और अकेलापन ? फ़िर भी रिया ने कभी हार नहीं मानी और नाहीं उसने कभी अपनी ज़िंदगी से कोई शिकायत की और ना तो किसी और से। बस जैसे रिया एक जादुई परी थी, जो जादू की छड़ी चलाकर सब की ज़िंदगी में खुशियाँ भर देती और चली जाती कहीं दूर। लेकिन उसकी ज़िंदगी में कोई तो होगा, कहीं तो होगा, जो उसकी भी थोड़ी सी परवाह करता हो, मगर वह कौन होगा, कैसा होगा और कहाँ होगा और जब वह रिया की ज़िंदगी में आएगा, तब क्या रिया उसे पहचान पाएगी ? क्या रिया उस लड़के को अपना पाएगी ? रिया तो उस लड़के की ज़िंदगी खुशियों से भर देगी, मगर क्या रिया उस लड़के को दिल से अपना सकेगी ? क्या वह लड़का, रिया की खाली ज़िंदगी में बहार ला सकेगा ? रिया की ज़िंदगी का इम्तिहान कभी ख़त्म होगा भी या नहीं ? बस इन्हीं सवालों के जवाब पाने के लिए आप सब को मेरी यह कहानी " इम्तिहान " पढ़नी होगी। 
Bela...

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