मान सम्मान ( कहानी घर घर की, कहानी हर घर की )

                     मान सम्मान 
       हनुमान जन्मोत्सव के दिन पूजा और परेश मंदिर जाने के लिए तैयार हो रहे थे, आरती के लिए सुबह जल्दी घर से निकलना था, इसलिए पूजा ने सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम निपटाया, खाना बनाया, बच्चों के कॉलेज का समय दोपहर का था, इसलिए उनको जाने में अभी देर थी और परेश को हर बार की तरह घर से निकलने की जल्दी लगी रहती, पूजा तैयार हो ही गई थी, तभी ज़रा सी देर होने पर परेश ने दरवाज़े पर जाकर पूजा को बड़ी ज़ोर से आवाज़ लगाई, " पूजा चलो "। परेश इतनी ज़ोर से चिल्लाए की एक पल के लिए तो पूजा डर ही गई, फिर भी वह परेश की एक आवाज सुनकर जैसी भी थी, वैसी कमरें से बाहर चली आई, पूजा को भी उस वक्त बहुत बुरा लगा, उसने पूरे रास्ते परेश से बात नहीं की, मगर इस बात का ज़रा सा भी एहसास शायद परेश को नहीं हुआ, की पूजा चूप हैं। फिर शाम होते होते पहले की तरह सब ठीक हो गया, पूजा हस्ते हुए परेश से बात करने लगी, मगर उसके दिल पर तो चौट लग ही गई थी, कि " उसने घर का पूरा काम निपटाया, तो उस में थोड़ी देर लग ही जाति हैं ना, उसमें इतना जोर से क्यों चिल्लाना ? दूसरी बार अगर ऐसा हुआ तो, वह तैयार होते हुए भी उनके साथ नहीं जाएगी, परेश से नाराज़ हो जाएगी। " मगर पूजा ऐसा करने का सिर्फ सोच सकती है, लेकिन शायद वह ऐसा कभी नहीं करेगी, क्योंकि उस में परेश से लड़ने की ताक़त ही नहीं और वह ज़्यादा दिनों तक परेश से बोले बिना भी रह नही सकती। 
          पूजा के दोनों बच्चों ने भी यह देखा, कि उनके पापा बड़े ज़ोर से और थोड़े गुस्से से उनकी मम्मी पर चिल्लाए। वह भी उस वक्त तो चूप रह गए और यह सिर्फ़ आज की बात नहीं थी, बच्चों ने ऐसा कई बार देखा और सुना था। परेश के ऐसे बर्ताव करने पर बच्चों के मन में अपने पापा के लिए प्यार और respect कम हो जाता, बच्चें जो अब बड़े होते जा रहे थे, वह सब कुछ देखते रहते और सोचते, कि " मम्मी रोज़ पूरे घर का और सब का कितना खयाल रखती, पूरा दिन कितना काम करती है, फिर भी पापा मम्मी पर ऐसे कैसे चिल्लाते हैं ? " फिर कभी परेश कहते, कि " बच्चें तेरी सभी बातें सुनते हैं, मुझ से पहले वह तुमको सारी बातें बतलाते हैं, मेरी तो कभी कुछ सुनते ही नहीं।" 
      तो दोस्तों, अब आप ही बताओ, अगर आप खुद ही अपनी पत्नी को मान और सम्मान नहीं देंगे, तो बच्चें कैसे आपको मान और सम्मान देंगे ? शायद इसी वजह से बच्चें अपने पापा से ज़्यादा अपनी माँ को प्यार करते हैं और घर में पापा इस बात से चिढ़ते हैं, कि घर में बच्चें उस से ज़्यादा अपनी मम्मी को प्यार करते हैं।

स्वरचित
मान सम्मान
Bela...

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