पसंद नापसंद

                    पसंद नापसंद 
          आज राजेश और रानी की शादी की 25 वी सालगिरह थी, वह दोनों ने बाहर जाने का प्लान बनाया था, दोनों बाहर जाने के लिए तैयार हो रहे थे, तभी रानी ने आज अपनी पसंद का अच्छा सा रेड फ्रॉक पहना। राजेश ने देखा तो तुरंत ही रानी से कहा, कि " ये क्या पहना ? साड़ी पहनो ना, तुम साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो।" और इस तरफ़ रानी को साड़ी पहनना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था, वह साड़ी में एक घुटन सा महसूस करती और अपने आप को uncomfortable भी महसूस करती, मगर फिर भी राजेश की खुशी के लिए वह कभी कभी साड़ी पहन लिया करती। मगर आज तो रानी को साड़ी पहनने का बिलकुल मन नहीं था, इसलिए उसने भी राजेश से कहा, कि " आप भी आज कुर्ते की जगह जीन्स और टी शर्ट पहन लो, आप उसमें काफ़ी young और handsome लगते हो।"
        तभी राजेश ने कहा, कि " तुम तो जानती ही हो कि मुझे जीन्स और टी शर्ट में बड़ी घुटन महसूस होती हैं, वह तो ठीक हैं, कभी कभी पहन लिया करता हूँ, मगर आज नहीं। 
      तभी रानी ने मौके का फ़ायदा उठाकर कहा, कि " बस उसी तरह जिस तरह मुझे साड़ी में अच्छा नहीं लगता, फिर भी मैं आपकी खुशी के लिए पहनती हूँ ना, तो आज आप भी मेरी खुशी के लिए जीन्स और टी शर्ट ही पहनो, जो मैं आज आपके लिए नए लेकर आई हूँ।" 
        रानी ने बड़े प्यार से यह बात कहीं, इसलिए रानी का मन रखने के लिए राजेश ने जीन्स और टी शर्ट पहन लिए, फिर रानी ने कहा, कि " तो चलो आज हम मेरी पसंद का खाना भी खाएंगे, जैसे आपको पनीर की सब्जी, रोटी और बिरयानी पसंद हैं, वैसे ही मुझे चाट पूरी और चाईनीज खाना है क्योंकि आपकी पनीर की सब्जी, रोटी खाकर में बोर हो गई हूँ।" आज खुलकर पहली बार रानी ने अपने मन की बात कह दी थी, इसलिए यह सुनकर पहले तो राजेश ने थोड़ा मुँह बनाया, लेकिन फिर उसने बात मान ली। राजेश और रानी ने आज पहली बार शादी की सालगिरह रानी की पसंद से मनाई।
          घर आकर राजेश ने रात को बिस्तर पर लेटते हुए रानी से कहा, कि " इतने साल से तुम मेरा मन रखने के लिए, मुझे खुश करने के लिए, अपने मन को मारकर मेरे मुताबिक ज़िंदगी जीती आई हो, मुझे अच्छा लगे इसलिए मेरी खुशी के लिए साड़ी पहन लेती हो, जो की वह तुम्हें uncomfortable फील करवाता हैं, मेरी पसंद की पनीर की सब्जी हस्ते हुए हर बार खा लिया करती हो, मगर आज मुझे एहसास हुआ कि " जैसे मेरी पसंद नापसंद होती है, वैसे ही तुम्हारी भी पसंद नापसंद होती है, इसलिए अब से तुम्हें जो भी पहनना हो, तुम वहीं पहनना, तुम्हें जो भी खाना हो, तुम वहीं खाना, क्योंकि आज पहली बार मुझे लगा, कि अपने तरीके से अगर हम कपड़े ना पहने, अपनी पसंद का खाना ना खाए, अपनी पसंद से ज़िंदगी ना जी पाए, तो कैसा लगता हैं।" 
        राजेश की बात सुनकर रानी ने खुश होकर राजेश को गले लगा लिया और अपनी बात और उसे समझने के लिए उसका शुक्रियादा किया।
          तो दोस्तों, कभी कभी हमें सिर्फ़ अपनी पसंद नापसंद अपने जीवन साथी पर नहीं थोपनी चाहिए, उनकी भी अपनी पसंद ना पसंद होती हैं, उनकी भी अपनी ज़िंदगी होती हैं, उनको भी अपने तरीके से ज़िंदगी जीने का हक़ हैं और वह हक़ हम सभी को एक दूसरे को देना चाहिए और जहाँ तक मुझे पता है, यह अलग बात है, कि कई बार ऐसा भी होता है, कि हम अपने मन की ही बात अपने जीवन साथी से बरसों तक नहीं कह पाते, जो हमें पहले ही खुलकर बता देनी चाहिए।
 
Bela...

Comments