Holi ke rang

      #समयचक्र
     #होली के रंग 

          रोहित अपनी पत्नी रीता से बहुत प्यार करता था, आज होली के दिन वह रीता को एक बहुत बड़ी खुशखर देने वाला था, वह रीता से कुछ कहे उस से पहले ही रीता ने उसे बहुत बड़ा झटका दे दिया, वैसे रोहित और रीता के बीच आए दिन पैसों की वजह से छोटे मोटे झगड़े होते रहते थे, मगर वह रीता को कैसे भी कर के मना लेता था, मगर फिर भी रीता की मांगे दिन ब दिन बढ़ती ही जाति थी, जो वह पूरी नहीं कर पाता था, लेकिन रोहित को इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था, की बात यहां तक पहुंच जाएगी, रोहित के लिए आज होली के रंग और सफेद रंग एक समान हो गए थे, उसका सब से प्यारा होली का त्यौहार, उसके लिए जैसे बेरंग सा फीका हो गया था, समय का चक्र इतनी जल्दी बदल जाएगा, रोहित को इस बात का अंदाज़ा ही नही था।
        जब रीता ने होली के दिन सुबह ही होली के रंगों की बजह डाइवोर्स पेपर्स उसके हाथ में थमा दिए, एक पल के लिए तो रोहित की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, रोहितने सीधे ही रीता को पूछ लिया, " यह सब क्या हैं, रीता ? कहीं तुम आज के दिन मज़ाक तो नही कर रही ? अगर यह मज़ाक हैं, तो मुझे ऐसा मज़ाक बिलकुल पसंद नहीं ? तुम जानती हो, मैं तुम से कितना प्यार करता हूं, तुम्हें याद तो होगा ही, कि आज से पांच साल पहले आज ही के दिन मैंने तुमसे प्यार का इज़हार किया था और होली के दिन से ही हमारे प्यार की शुरुआत हुई थी। "
       रीता चिढ़ते हुए गुस्से से रोहित से कहती हैं, कि " हा, मुझे बहुत अच्छे से वह दिन याद हैं, भला वह दिन मैं कैसे भूल सकती हूं, कि आज ही के दिन मैंने तुम्हारी बातों में आकर शादी के लिए हा कह दी थी और उस दिन से लेकर आज तक में पछता रही हूं, सोचती हूं की शायद मैंने तुम से शादी न कर के अपने दोस्त मुकेश से शादी की होती तो, आज मेरे पास मोटर, गाड़ी, बंगला, बैंक बैलेंस, i phone, ढेर सारे ज़ेवर और कपड़े होते, घर में नौकर चाकर होते, मगर मेरा ऐसा नसीब कहां ? उस वक्त मेरी अक्कल पर तो जैसे पर्दे पड़े हुए थे, जो मैंने बिना सोचे समझे तुम से शादी की। और उसके बाद मुझे मिला क्या ? दिन भर घर का काम और सास ससुर की सेवा करो, उनकी बेमतलब की बातें सुनो । लेकिन बस अब और नहीं, अब मैं इन सब से तंग आ चुकी हूं, मुकेश आज भी मेरा इंतजार कर रहा हैं, मुझे वह आज भी अपनाने के लिए तैयार हैं, वह आज भी मुझ से बहुत प्यार करता हैं और मुकेश ने मुझ से कहा हैं, " वह मुझे वह सब कुछ है, जो मुझे  चाहिए था, इसलिए अब मैं मुकेश के साथ रहना चाहती हूं, तुम्हारे साथ डाइवर्स के बाद हम दोनों शादी करने वाले हैं।" 
     रोहित ने कहा, " मुकेश, वहीं ना जो कॉलेज में कम और कॉलेज के बाहर ज़्यादा दिखता था, हर वक्त कैंटीन में सिगरेट का धुंआ आती जाती लड़कियों पर उड़ाया करता था, हर कोई उस से परेशान रहता था, उसे पढ़ाई की तो जरूरत ही नही थी, क्योंकि उसके पापा के पैसों पर ही वह ऐश करता था, शायद आज कल तो मैंने सुना हैं, कि उसके पापा के जाने के बाद उसने अपने पापा के बिजनेस में ध्यान नहीं दिया, बिज़नेस में घाटा होने की वजह से उसने अपने पापा का सब कुछ बेचकर कुछ ब्रोकरेज का काम कर रहा हैं, वह तुम्हें ऐशो आराम की जिंदगी देगा ? ऐसा तुमने सोच भी कैसे लिया ? उस आवारा लड़के के साथ तुम रहना चाहती हो ? वह भी सिर्फ पैसों की वजह से ? 
        रीता ने कहा, " हा, क्योंकि अब फिर से उसका समय का चक्र बदलने वाला हैं, एक बहुत बड़ी कंपनी से उसकी डील होने वाली हैं, ऐसा उसने मुझे कहा हैं। " 
       रोहित ने कहा, " तुम्हें उसकी कही बातों पर इतना यकीन हैं ? और मेरे हालात के बारे में मैंने तुमको सब कुछ पहले ही बता दिया था, तो फिर तब तुमने मुझ से शादी ही क्यों की ? "
     रीटा ने कहा, " उस वक्त मैंने सोचा था, कि हालात बदल भी सकते हैं, मैं तुम्हारी प्यार भरी बातों में फस चुकी थी, मगर अब नहीं, अब मेरा तुम्हारे साथ रहना नामुमकिन हैं, इसलिए जितना जल्दी हो सके, हम दोनों अलग हो जाते हैं, अब इतनी मेहरबानी मुझ पर कर लो। " 
      रोहित आज होली के दिन रीता को बताना चाहता था, कि " उसे उसकी कंपनी में ceo की जॉब मिल गई हैं और कंपनी वालों ने उसे नया घर और नई कार की चाबी भी दे दी हैं, वह बस अच्छा दिन और अच्छे मौके के इंतजार में था, मगर रीता का आज यह नया रूप देखकर रोहित का दिल टूट गया, इसलिए रोहित रीता को डाइवोर्स देने के लिए मान गया। रोहित ने डाइवोर्स पेपर्स पर साइन कर लिए और कहा, की " आज के बाद तुम्हारा मुझ पर या मेरी किसी भी चीज पर कोई अधिकार ना रहेगा। "
     घमंड में आकर रीता ने भी कह दिया, कि " तुम्हारे पास था ही क्या, जो मैं तुम से मांगू, मुझे कुछ नही चाहिए, मुझे जो कुछ भी चाहिए, मुकेश मुझे दे देगा।" कहते हुए रीता डाइवोर्स पेपर्स अपने हाथ में लेकर जाने लगी।
       तभी रोहित के ऑफिस के कुछ दोस्त रोहित से मिलने आते हैं और रोहित को होली के रंग लगाते हुए कहते हैं, कि " यार बहुत बहुत बधाई हो, अब अगली होली तुम्हारे नए घर में ही होगी और हम सब तुम्हारी नई कार में घूमने साथ में जाएंगे, पार्टी तो बनती हैं, मेरे दोस्त आख़िर अपनी लगन और मेहनत से तुम ceo बन ही गए, तुम्हारा बरसों पुराना सपना आज सच जो हो गया। "
      पीछे कमरें से बाहर निकलते वक्त रीता ने यह सब बातें सुनली, उसकी आंखें बड़ी ही रह गई, उसने अपने हाथ में डाइवर्स पेपर्स देखे और अपने सिर पर पटके और रीता को याद आया, जो रोहित ने आखिर में उस से कहा था, कि " आज के बाद उस पर या उसकी किसी भी चीज़ पर मेरा अब कोई अधिकार नहीं रहेगा। " रोहित के दोस्तों की बातें सुनकर रीता को एक बार फिर से यह खयाल आया, कि " उसने  रोहित से  डाइवोर्स लेके सही किया या गलत ? "
       तो दोस्तों, कभी कभी जल्दबाजी में लिए हुए फ़ैसले सही नही होते और उन फैसलों पर हमें जीवन भर पछताना पड़ता हैं। जिंदगी में वक्त बदलते देर नहीं लगती, समय का चक्र कब और कैसे बदल जाता हैं, यह कोई नहीं जानता। 

 स्वरचित
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Bela...

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