तनाव

            #तनाव
           
           इशिका अपने पति ईशान और अपनी बेटी आर्या के साथ रेस्टोरेंट में आई हुई थी और रोनित भी अपनी फैमिली के साथ आया हुआ था, इशिका और रोनित किसी ज़माने में अच्छे दोस्त हुआ करते थे, इसलिए रोनित ने जैसे ही इशिका को देखा, वह सामने से उसे मिलने गया, फिर सब ने साथ में ही खाना खाया, बहुत सारी बातें की, जैसे बरसों पुरानी यादें भी ताजा हो गई। रोनित ने बताया कि " वह चाइल्ड स्पेशलिस्ट हैं, अगर कभी जरूरत हो तो जरूर फोन करना " कहते हुए, रोनित ने अपना कार्ड इशिका को दिया। 
         वैसे इशिका का पति ईशान ज्यादातर काम के सिलसिले में शहर से बाहर ही रहता था, कभी तो वह काम में इतना उलझा रहता की कई दिनों तक इशिका के साथ बात भी नही होती, फिर भी इशिका कभी शिकयत नहीं करती ।
        लेकिन एक दिन इशिका को ईशान की बैग में किसी लड़की का ड्रेस दिखा, फिर भी इशिका ने इस बात को भी नजरंदाज किया, मगर तब से इशिका के मन में अपने पति ईशान के लिए जो प्यार था, उसके लिए जो मान था, वह अब नही रह था, रिश्तों में थोड़ी सी दूरियां तभी से आने लगी थी, इशिका जैसे अपने आप को अकेली महसूस करने लगी थी, बस चुप सी रहने लगी थी।
        एक बार की बात हैं, दो तीन दिनों से आर्या का बुखार कम ही नहीं हो रहा था, इशिका डर गई थी, उसने ईशान को बहुत बार कॉल किया, मगर उसका फोन बिजी ही आता, फिर उसने रोनित को फोन किया, वह तुरंत ही उसके घर आर्या को देखने आ गया, रोनित ने आर्या को दवाई और इंजेक्शन दिया और बातों बातों में उसे सुला भी दिया, फिर इशिका ने दोनों के लिए काफी बनाई, रोनित और इशिका देर तक बातें करते रहे, बातों बातों में रोनित और इशिका कब एक दूसरे के करीब आने लगे, पता ही नहीं चला, मगर कुछ ही देर में रोनित ने इशिका को संभाल लिया और कहा, कि " यह गलत हैं, अब मुझे यहां से जाना चाहिए, मेरी पत्नी रीता मेरा इंतजार करती होगी, मैं जा रहा हूं, अपना और आर्या का खयाल रखना, आर्या को वक्त पर दवाई दे देना,  कुछ भी जरूर लगे तो मुझे फोन करना। "
        रोनित दरवाज़े की तरफ जा ही रहा था, कि सामने से इशिका का पति दुबई से दो दिन पहले ही लौट आया, अपने ही घर में सुबह सुबह इशिका को रोनित के साथ देखकर वह खुद ही सरप्राईज हो गया, यह सच हैं, कि इशिका ने अपने पति ईशान को रोनित के बारे में बताया तो था, कि वह उसका बहुत ही अच्छा दोस्त हैं, मगर वह दोस्त उसकी गैरमौजूदगी में उसके घर भी आता हैं, यह ईशान को पता नहीं था।
           ईशान का चेहरा देखकर रोनित ने अंदाज़ा लगा दिया कि, ईशान कुछ गलत ही सोच रहा हैं, इसलिए बात को संभालने के लिए रोनित ने सामने से आकर जो सच था, वह बता दिया, कि " मैंने तो  आर्या को अस्पताल में भर्ती करने को बोला था, मगर इशिका अस्पताल के नाम से बहुत डरती हैं, यह बात तो आप भी जानते ही हैं, इसलिए इशिका ने मुझे बुला लिया, मैंने आपकी बेटी को दवाई और इंजेक्शन दे दिया हैं, इसलिए अब वह आराम से सो रही हैं, उसकी तबियत चार दिन से कुछ ठीक नहीं हैं, तो मैंने इशिका को कुछ टेस्ट करवाने के लिए बोला हैं, वैसे तो वह भी मैं ही लेकर जाने वाला था, मगर अब आप आ गए हो तो, आप ही ब्लड टेस्ट करवा लीजिएगा, अपनी बेटी का ख्याल रखिए, उसे आपकी भी उतनी ही जरूरत हैं, जितनी इशिका को आपकी, काम तो चलता ही रहेगा, अच्छा तो अब मैं चलता हुं। "
       कहते हुए, रोनित वहां से चला जाता हैं, कुछ दिनों बाद आर्या की तबियत भी ठीक हो गई, रोनित एक समझदार लड़का था, उसे पता था, कि ऐसे रिश्तों का अंजाम आखिर में ठीक नही होता, ऐसे रिश्ते आखिर में दोनों फैमिली को तनाव के अलावा और कुछ नहीं दे सकते, वह यह बात इशिका को भी समझा देता।
        तो दोस्तों, कुछ सालों बाद ईशान अब अपने शहर में ही ज्यादा काम करता हैं, इशिका और आर्या का भी अच्छे से खयाल रखता हैं, शायद उसे अपनी गलती का एहसास हो गया हैं और रोनित की तरह हर लड़का अगर समझदारी दिखाए, तो कई रिश्ते तनाव से दूर रहेंगे, कई घर टूटने से बच भी जाएंगे ।

स्वरचित
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Bela...

 
    

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