एक अधूरा सपना

                     एक अधूरा सपना

         आज सुबह अभी तो प्रिया की आँखें ही खुली थी, कि उसने क्या देखा, उसका पति परिमल चाय और कॉफी की ट्रे लेकर सामने खड़े थे और  मुस्कुराकर उन्होंने कहा, " very good morning Priya darling, यह बंदा आज आपकी खिदमद में हाज़िर है, आज आपके लिए एक बहुत बड़ा सरप्राईज प्लान किया है मैंने, आज हमारी शादी की 25वी सालगिरह जो है, इसलिए जल्दी से यह आपकी काफी पिलो, आपके लिए यह नया ड्रेस और तैयार हो जाओ, हम दोनों आज कहीं जा रहे हैं।
       प्रिया ने कहा, " पहले यह तो बताइए, कहाँ ?  फिर अभी तो मुझे सोनू और मोनू का लंच भी बनाना है, वह लोग क्या खाएँगे ? मैं पहले उनके लिए जल्दी से कुछ बना लेती हूं, बाद में हम बाहर जाएंगे। " 
         परिमल ने कहा, " उन दोनों की तुम फिक्र मत करो, मैने दोनों का टिफिन रेडी कर दीया है, और कुछ पैसे भी दे दिए है, तो वह लोग रास्ते में  जो भी मन करे वह खा लेंगे। "
        प्रिया को तो अपने आप पर यकीन ही नहीं हो रहा था, कि यह सब परिमल कर रहा है, इतने सालों में जो कभी नहीं हुआ, वह आज कैसे ? उनका ऑफिस, उनका काम, उनके उसूल, आज यह सब परिमल से कैसे दूर हुए, प्रिया को तो कुछ भी समझ नही आ रहा था। रोज़ घर में मुंह फुलाके बैठने वाला इंसान आज मुस्कुरा रहा है !
         फिर प्रिया ने सोचा,  " चलो छोड़ो, देखते है, क्या सरप्राईज प्लान किया है, हर बार की तरह सिर्फ मंदिर लेके जाएंगे और एक ice cream या faluda साथ में पी लेंगे, और तो क्या ? "                 सोचते हुए प्रिया ने ड्रेस पहन ली, जो आज पहली बार परिमल उसके लिए लाया था। फिर वह दोनों साथ में चले, सब से पहले परिमल ने प्रिया को heavy brunch करवाया, वह भी अच्छे से अच्छी रेस्टोरेंट में,  फिर मूवी देखने गए, वह भी मेरे मनपसंद हीरो, hrithik Roshan कि मुझे तो बड़ा मजा आया, फिर मॉल में लेकर गए, और परिमल ने कहां कि " आज तुम्हें जो भी पसंद आए, वह शॉपिंग कर लो, आज का दिन तुम्हारा हुआ।"
       यह सुनते मेरे तो होश ही उड़ गए, मैंने मन ही मन सोचा, " आज यह कंजूस को आखिर हुआ क्या है ? यह परिमल ही है या और कोई ? जो पैसा तो अच्छा कमा लेते है, मगर ज्यादातर पैसे invetment करने में ही मानते है, कहते है, जरूरत के वक्त यही पैसे तुम्हारे और बच्चों के काम आएंगे।" 
         चलो छोड़ो, आज शॉपिंग का मौका मिला है, तो हाथ से नहीं जाने देते, ऐसा सोचते सोचते प्रिया ने अपनी पसंद के कुछ कपड़े और ज्वैलरी ले ही ली। परिमल ने दुकानदार को शॉपिंग की सारी बैग रात को घर पर डिलीवरी करने को कह दिया। फिर परिमल प्रिया को लेकर बीच पर जाते है, आराम से बैठकर बातें करते, जैसे की दरिया की आती जाति लहरों के साथ अपने मन में उठ रही लहरों को दरिया में बहा जाने देते, एक दूजे संग हाथ पकड़कर, चलते जाते, रास्ते में थोड़ा पानीपुरी या चाट का नाश्ता करते, कुछ सेल्फी खींच के उन पल को अपने मोबाइल में कैद कर लिया, फिर किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में डिनर के लिए लेकर गए, तब प्रिया को खयाल आया, कि " हर रोज़ घर का बना खाना खानेवाला, मेरे हाथ की डाल रोटी भी खुशी खुशी खानेवाला इंसान आज सुबह से लेकर रात तक मुझे बाहर का खाना खिला रहे है, और वह खुद भी खा रहे है, जरूर कुछ तो बात है, यह कहीं आखिर में मुझे छोड़ने देने के बारे में तो नहीं कहेंगे, इनको मेरे अलावा कहीं और कोई लडकी पसंद तो नही आ गई ? फिर सोचा परिमल को मेरे लिए ही वक्त नहीं मिलता और मेरे साथ भी ज्यादा बातें नही करते तो किसी और लड़की के साथ क्या करेंगे, मैं भी ना क्या सोच रही हूं ? " 
        अपने आप को संभालते हुए प्रिया रेस्टोरेंट को देखें लगी, जहाँ सब कुछ पहले से ही प्लान किया हुआ था, एक प्यारा सा दिखने वाला लड़का हाथ में गिटार लेकर गाना गा रहा था, चारों और फ्लावर्स से रेस्टोरेंट सजाया गया था, टेबल पर मोमबत्ती रखी हुई थी, आराम से बैठकर अपनी अपनी पसंद का खाना खाया और आख़िर में ice cream । फिर अच्छी सी five star होटल में रूम बुक कराया था, वहां नाइट बिताएंगे, ऐसा परिमल ने प्रिया से कहा, जो रूम फूलों से सजाया गया था और जिसकी गैलरी में एक स्लीपिंग चेयर पर दोनों साथ में बैठ कर आसमान की ओर तारों को देख रहे थे, साथ में मोबाइल में स्पोटिफाई पर किशोर कुमार के गाने बज रहे थे, प्रिया का तो जैसे आज दिन ही बन गया था, वह एक नज़र अपने पति परिमल को देखे जा रही थी।
        तभी प्रिया के मोबाइल की घंटी बजती है, जपक कर प्रिया अपने बिस्तर पर से उठ खड़ी होती है, देखा तो परिमल का ही फोन था, प्रिया ने आधी खुली नींद में से ही फोन उठाया, सामने से परिमल ने कहा, " प्रिया, क्या हुआ ? आज अब तक तुम सोई हुई हो क्या ? मैं कब से तुम्हें फोन लगा रहा हूं और सुनो मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है, तुम सुबह बहुत गहरी नींद में थी, इसलिए तुम्हें नहीं जगाया, मैं अभी जरूरी काम से दिल्ली जा रहा हूं, दो या तीन दिन बाद घर आ जाऊंगा, तुम अपना और बच्चों का खयाल रखना ठीक है ? और हां, आज हमारी शादी की सालगिरह है, मुझे याद था, मगर आज मुझे बहुत बड़ा प्रोजेक्ट मिलने वाला है, इसलिए जाना जरूरी है, सालगिरह तो हम कभी भी मना सकते है, तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा ना ? " 
        प्रिया मन ही मन थोड़ी चिढ़ सी गई, फिर अपने आप को संभालते हुए प्रिया ने कहा, " अरे आप भी क्या, उस में क्या हो गया, जो इस बार हम साथ नही होंगे, सालगिरह तो हम कभी भी मना सकते है, आप अपना काम देखिए, मैं यहां बच्चों को संभाल लूंगी,  आप जब भी घर आओ तब आपकी पसंद का अच्छा सा डिनर बनाके रखती हूं, मुझे बता दीजिएगा, कि कितने बजे और कब आप घर आने वाले हो ? " 
          परिमल ने कहा, " ok, बाबा जैसा तुम कहो, शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई। कहते हुए परिमल ने फोन रख दिया। और इस तरफ प्रिया ने सपने में जो अपनी शादी की सालगिरह बिताई थी, उसे याद करते करते मन ही मन मुस्कुरा रही थी, फिर प्रिया को थोड़ा गुस्सा परिमल पर आया, कि हर बार की तरह आज के ही दिन, उसको जान था, ना जाने मेरा यह सपना कभी सच होगा भी या नहीं ? कब परिमल अपने काम से ज़्यादा मेरे बारे में भी सोचेंगे ? कब काम से ज्यादा मुझे एहमियत देंगे ? कब तक मैं यूहीं सपने ही देखती रहूँगी ? कब मेरे सपने सच होंगे ? सोचते सोचते प्रिया अपने रोज़ के काम में लग जाती है। 
           तो दोस्तों, जहां तक मैं औरत को जानती और समझती हूं, वहां तक कई औरत को अपनी जिंदगी में अपने पति के दिल में और उनकी जिंदगी में सिर्फ एक जगह चाहिए, उसे सिर्फ और सिर्फ प्यार चाहिए, अपने पति का थोड़ा सा वक्त और attention चाहिए, जिस से उसे लगे कि जितना प्यार वह अपने पति से करती है, उसका पति भी उसको उतना ही प्यार करता है और हां यह भी सही है, कि पति के ऊपर घर की सारी जिम्मेदारी होती है, उनका आधा दिन महीने के खर्चे और इन्वेस्टमेंट की गिनती में ही जाता होगा, लेकिन औरत भी तो अपना सब कुछ अपने घर के लिए अपने बच्चों के लिए ही तो करती हैं, जितनी जिम्मेदारी पति की होती है, उतनी ही पत्नी की भी होती है, कोई अपने काम में कम या ज्यादा नहीं, दोनों बराबर के हिस्सेदार है और एक बात, ऐसा जिंदगी में क्यों होता हैं, कि आप जिसके साथ प्यार करते हो, जिसके साथ आपने अपनी जिंदगी के २५ साल बिता दिए हो, उसी से आप अपने मन की बात कहने में अब भी हिचकिचाते हो, जैसे कि रात को आपको अपने पति के साथ सोने का मन हो, उस से थोड़ा प्यार करने का मन हो, मगर पति तो बिस्तर पर आते ही सीधे आँख बंद कर के सो जाते हैं, जैसे, कि वह पूरा दिन काम कर के थक गए हो और कुछ बोलो तो नींद में ही जैसे हा, हा कहते हो, ऐसा लगता है, उनका थका हरा, मासूम सा चेहरा देखकर पत्नी को उसे छेड़ने का मन भी नही करता और वह भी अपनी इच्छाओं को अपने अंदर समेत कर सिर्फ अपने पति को गले लगकर सो जाती है, या फिर डर और शर्म की वजह से कभी कभी तो कह भी नही पाते। आखिर यह दुरियां कब और कैसे दूर होगी ? यह सवाल सिर्फ प्रिया का नहीं लेकिन ऐसी कई प्रिया होगी, जो आज भी अपने अंदर कई सवाल और कई बातों को दबाए हुए अपने परिवार और अपने पति के लिए ही अपनी जिंदगी गुज़ार देती है, बिना किसी शर्त या बिना किसी स्वार्थ के। हर प्रिया के चेहरे पर तो हर वक्त मुस्कान होती ही है, मगर उसके दिल के अंदर कभी किसी ने झांक कर देखने की कोशिश नहीं कि, आख़िर वह खुद क्या चाहती है, उसके क्या अरमान है ? उसके क्या सपने हैं, वह सपने जो कभी पूरे होंगे भी या नहीं ? 

Bela...
स्वरचित
एक अधूरा सपना 

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