ए अजनबी
तुम थे तो सब कुछ था, तुम नहीं तो ये फूल भी बेजान से लगने लगे है, किस से बातें करु ? अब तो जिन पंछी, परबत और हवाओं से मैं बातें करती थी, उन से अब कहने को मेरे पास कुछ भी नहीं, मुझे आज भी तेरा इंतज़ार है, ए अजनबी, एक मीठा सा सपना इन ऑंखों को देकर पंछी बनकर एक दिन उड़ मत जाना, अब तेरा साथ मुझे अच्छा लगने लगा हैं।
स्वरचित
Bela...
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