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#D/3 अक्टूबर
तेरी माँ
ज़िंदगी में कई रिश्तें ऐसे होते हैं, जिनके अचानक से यूँही दूर चले जाने के बाद भी, जैसे हम हर पल उन्हीं के साथ रहते हैं और फ़िर ज़िंदगी जीने के लिए उनकी प्यार भरी यादें ही हमारे पास रह जाती हैं और बस अब उन्हीं यादों के सहारे जिंदगी गुज़ार देनी पड़ती हैं।
( रमा का २१ साल का बेटा, जो अचानक से एक कार एक्सीडेंट में गुजर जाता है, उसको गुज़रे हुए आज 5 साल बीत गए, मगर उस लड़के की माँ को आज भी उसके आने का इंतजार है, ज़िंदगी तो चल रही है, मगर उसकी माँ का वक्त आज भी वहीं थम सा गया है। उस माँ की आँखों में जैसे आज भी फरियाद है।)
अगर तू आज भी मेरे पास होता, मेरे साथ होता, तो ज़िंदगी कुछ और ही होती, मगर खैर, तू नहीं तेरी यादें ही सही, इस बार तेरी माँ ने तुझे आज़ाद किया हर बंधन से, इस जन्म नहीं तो अगले जन्म, ये सवाल मेरा रहेगा, " आखिर तू मुझे छोड़कर गया ही क्यों ? "
वैसे तो तेरे साथ मेरा रिश्ता कुछ भी नहीं, मगर तेरी माँ के लिए एक बार आजा, जिसकी आँखें आज भी तुझे ही ढूँढ रही, अपने घर के दरवाजे पर, जैसे तू अभी घर आएगा और अपनी माँ को आवाज़ लगाएगा, " माँ मुझे बहुत भूख लगी है, खाने में क्या बनाया है ? " क्योंकि घर में जब भी कुछ अच्छा बनता था, तब सब से पहले वह तू ही चख कर बतलाता था, " माँ, क्या गज़ब खाना बनाती हो आप, आप के हाथों में तो जादू है जादू। " फ़िर तेरे कपड़े इधर उधर बिखरे पड़े होते हैं, उसे समेटते जाना और बड़बड़ाना, " अपनी चीज़ें कब तू संभाल कर रखना सीखेगा, घर पर आते ही सारा घर उलट सुलट कर देता है, फ़िर आवाज लगाता रहता है, माँ मेरा चश्मा कहां है, मेरे जूते कहां है, मेरा हेडफोन कहां है ? " अब तो वह आवाज़ लगाने वाला भी कोई नहीं, तेरी ही आवाज मेरे कानों में जैसे गूंजती रहती हैं। प्यार से जब तू अपनी माँ को लगे लगाता है, अपनी माँ को परेशान करता है, अपनी माँ के लिए पापा से भी लड़ जाता है, अपनी बहन को चिढ़ाता रहता है, कहते हुए कि " माँ तुझ से ज़्यादा मुझ से प्यार करती है, तुझे तो एक दिन अपने ससुराल भेज देगी, मगर मैं तो माँ के पास और माँ के साथ ही रहूँगा, तुझे तो एक दिन जाना ही है, फ़िर तू क्यों चला गया मुझे छोड़कर? "
होली, दिवाली, गणपति या नवरात्रि सब त्योहार हम आज भी मनाते हैं और हाँ हर त्योहार में घर का सारा सामान लाना, सारा काम तू ही तो संभालता था, अब वह सब भी मुझ अकेली को ही करना पड़ता है, तुम्हारे पापा तो पहले से ही कम बातें करते थे, अब तो तेरे जाने के बाद और भी ज़्यादा कम बोलते है, जब भी वक्त मिले कोई नॉवेल पढ़ने बैठ जाते है और ऊपर से कह देते है, " जब मैं नॉवेल पढ़ने बैठु, मुझे डिस्टर्ब मत किया करो। " और तो और कहीं पर जाना हो, तो क्या पहनू और क्या नहीं ? वह भी तू ही तो बतलाता था। तेरे पापा की समझ में कुछ आता नहीं और वह कुछ बतलाते भी नहीं, ऐसे में अब तू ही बता, किस से पूछूं और किस से में अपने मन की बात कहूँ ? तेरी बहन ने जैसे तैसे अपने आप को संभाले रखा है, अब तो वह ही मेरी हिम्मत बनकर मुझे संभाल लेती है, मेरी हर तरफ़ बस तू ही तू था, मेरी जिंदगी भर की पूंजी भी तू ही था, मेरे जीने का सहारा भी तू ही था, " मेरी जिंदगी के दो किरण, तू और तेरी बहन, जैसे एक मेरा दिल और एक धड़कन, जिस के लिए था जीना, मगर लगता है अब तो जैसे दिल से धड़कन जुड़ा हो गई है, बस जीने के लिए जी रहे हैं। कभी आँखों में सजाए थे ढ़ेर सारे सपने मगर अब तो इन पलकों में तेरे बिना नींद ही कहाँ ? तब रात को अकेले में तेरी तस्वीर से लड़ लेती हूं। इसलिए तेरे बगैर सब त्योहार फीके से लगते हैं रंगों से भरी हमारी ज़िंदगी तेरे जाने के बाद बेरंग सी हो गई है, सब कुछ है जिंदगी में बस एक तू ही नहीं, ऐसा क्यों ? दुनिया का हर ग़म में सह जाऊँ, मगर बस एक यही मेरी बर्दास्त के बाहर है, कुछ भी छीन ले भगवान, तेरी माँ कोई शिकायत नहीं करती, सब चुपचाप सह जाती, मगर, खैर की भगवान के आगे किस की चलती है ? तेरा मेरा साथ इस जन्म में इतना ही होगा, मगर अब भी जो आधी बात या मुलाकात रह गई, वह हम पूरी करेंगे जरूर, इस जन्म नहीं तो कोई और जन्म, मुझे पक्का यकीन है, हम मिलेंगे जरूर, कहीं किसी रोज़, कहीं किसी डगर, राह चलते। इस बार मुझे तुम्हारी गोदी में सिर रख कर सोना है, एक बार गले लगाना है, तुझ से शिकायत करनी है, कि आख़िर " एक बार भी तूने हमारे बारे में नहीं सोचा बेटा, कि तेरे जाने के बाद हमारा क्या होगा ? बिन तेरे हम कैसे जिंदगी जिएँगे ? तेरे लिए मैं भगवान से भी इस बार लड़ जाती, मगर तूने तो मेरे आने का इंतजार भी नहीं किया और मुझ से बिना मिले, बिना बातें किए चला गया और तू तो कहता था, हर पल मेरे साथ रहेगा, तो अब क्या हुआ ? "
माना कि बरसात के मौसम में छाते के बिना घर से निकलेंगे तो भीगना तो पड़ेगा ही, मगर मेरा मन तो तेरी यादों की बारिश में हर पल भीगा रहता है, उसका मैं क्या करूँ ?
फिर भी तेरी माँ दिल से आज भी तेरे लिए यही प्रार्थना करती है, " तू जहाँ भी रहे खुश रहे। "
तेरी माँ जो आज भी तेरे इंतजार में आरती की थाली लिए, आँखों में ढेर सारे सपने सजाए, घर के दरवाज़े पर खड़ी है, कि शायद आज तू आ जाए। इसलिए लोग मुझे कई बार कहते हैं पागल ! मगर इस पगली माँ को तेरे लिए पगली बनना भी मंजूर है, अगर तू एक बार आ जाए।
स्वरचित एवं
मौलिक
तेरी माँ
Bela...
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