मन के विचार
जिस पल, जिस एहसास को अक्सर हम कभी भूल जाना चाहते है, या ज़िंदगी की राह पर चलते-चलते भूल गए होते है। वह पल, वह एहसास हमारे ना चाहने पर भी आँखें बंद करने पर अक्सर हमारे सामने आ ही जाते है, और हमारी पलकें फिर से एक बार भीग जाती है, दिल फिर से एक बार. एक पल के लिए ही सही साँस लेना भूल जाता है और ये दिल फिर से एक बार लम्बी आहें भरता है और अपने आप को समझाता है, कि " जो हो गया सो हो गया और जो चला गया उसे भूल जा "।
स्व-रचित
Bela...
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