अनजाना रिश्ता

        मेरे पति और मैं एक बार शिमला मनाली घूमने गए थे, वहाँ हमारी दोस्ती हमारे जैसे एक और कपल से हो गई, हम सब अच्छे से साथ में घूमे, फिरे, बड़े मजे किए, फिर हम सब अपने अपने घर वापस आ गए। घर आकर वह अपने काम में लग गए और हम अपने काम में। वैसे तो कुछ दिनों के बाद एक दूसरे को जैसे भूल ही गए थे। 
       फिर 6 साल बाद जब मेरी पोस्ट fb देखकर उन्होंने हम को फिर से कॉन्टैक्ट किया, उसके बाद हम फिर से फोन पर उनसे बातें करने लगे, मुश्किल सिर्फ़ इतनी थी, कि वह अहमदाबाद रहते थे और हम मुंबई, इसलिए मिलना बहुत ही कम होता था। मगर बातों बातों में दोस्ती इतनी पक्की हो गई, कि मत पूछो बात और अब उस अनजान दोस्त से रिश्ता इतना गहरा हो गया, कि बिना मिले, बिना कहे, हम दोनों एक दूसरे का दर्द समझ जाया करते है।
       हमने मुंबई में अपना नया घर लिया था, तब हमारे वहीं दोस्त सारे रिश्तेंदारों से सब से पहले आ गए थे और उन्होंने हमारा सारा काम संभाल लिया था, और तो और उन्होंने हमारा घर शिफ्ट करने में भी हमारी बहुत मदद की थी, वह दिन कहां और कैसे बीत गए पता ही नही चला । जब उनके घर जाने का वक्त आया, तब हम दोनों एक दूसरे के गले लगकर इतना रोए, कि जैसे अब पता नहीं कब कैसे और कहां फिर से ऐसे मिलना हो। आजकल इतना तो कोई अपनों के लिए भी नहीं करता, जितना उन्होंने आकर हमारे लिए किया।
        उसके बाद कभी साथ में बाहर घूमने साथ चले जाते तो कभी किसी को शादी में मिल जाते, अब जैसे साथ साथ हो गए है, इसलिए हमें साथ देखकर रिश्तेदार जलने लगे है, कहते है, कि " हम तो कुछ खास नहीं। " 
          इस बार हम ने साथ मिलकर गंगा सागर और मायापुरी जाने का प्लान बनाया, हम सब की टिकट भी आ गई थी, मेरी दोस्त के पति को उसी वक्त ऑफिस से जरूर काम आ गया, इसलिए  उन्होंने अपनी टिकट कैंसल करवा दी, अब हम अकेले ही जा रहे है, लेकिन उनकी अब बहुत याद आ रही है, वह साथ में होते तो ट्रेन में भी साथ मिलकर खाना खाते, बातें करते, हसी मज़ाक करते, साथ में सो जाते, कितना मज़ा आता, मगर खैर वह नहीं तो उनकी याद ही सही, रोज़ वीडियो कॉल पर बात कर लेते है। उनसे रिश्ता ही कुछ अपनों सा बन गया है।
         अब हम भी क्या करे, "जहां अपने काम नही आते, वहीं अगर दोस्त काम आ जाए तो सब जलने लगते है, अब तो उनके साथ रिश्ता दिल से दिल का हो गया है, एक अजनबी, एक अनजाना रिश्ता, इतना अपना हो जाएगा सोचा नहीं था। कभी कभी लगता है, कि किसी जन्म का कोई अधूरा रिश्ता उनके साथ हमारा रह गया होगा, इसलिए अब इस जन्म में शायद वह पूरा हो जाएगा, या कहूं तो अगले जन्म में भी यही रिश्ता, यही लोग हमारे साथ होंगे, किसी अलग नाम से, अलग रिश्ते से, किसी अलग पहचान के साथ।

स्वरचित
अनजाना रिश्ता
Bela...

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