BIN MAUSAM BARSAT ( vichar )

    बिन मौसम बरसात 

मेरी विरान सी ज़िंदगी में
बिन मौसम बरसात बनकर आए और
हवा के झोंकों की तरह चले गए, 
तुम से अब क्या करे सिकवा गिला,  
ऐ बेवफा सनम, कि 
उन्होंने हमें अपनाकर छोड़ दिया और
आपने हमें अपना बनाकर छोड़ दिया,
इसलिए हमारी फ़िक्र मत करना क्योंकि 
अब तो इस दिल को जैसे
आदत सी हो गई है, 
बिन मौसम बरसात में भीग जाने की,
फिर भी आज भी ये दिल यहीं कहता है,
मेरी विरान सी ज़िंदगी में 
आकर चले जाने के लिए शुक्रिया आपका, 
आप जहाँ भी रहो, 
जिस के भी साथ रहो,
खुश रहो, 
हमारा क्या है,
हम को तो अब आदत सी हो गई है, 
बिन मौसम बरसात में भीग जाने की। 

स्व-रचित 
Bela... 
  

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