शरारत
माया और मयंक की अभी कुछ दिनों पहले ही शादी हुई थी, दोनों हनीमून जाकर वापस घर आ गए थे, आज कल मौसम भी बारिश वाला था, तो उन दोनों को एक दूसरे को छेड़ने में भी बड़ा मज़ा आता था।
माया किचन में सुबह-सुबह मयंक के लिए टिफ़िन बना रही थी, तभी मयंक ने अपने कमरें में से उसे आवाज़ लगाई, " माया ज़रा इधर तो आना, इन पेपर्स पर तुम्हारे दस्तख़त चाहिए। "
माया ने किचन में से ही जवाब दिया, " कुछ देर रुकिए, ये आखिरी पराठा बाकि है, बस हो ही गया, आपका टिफ़िन भी तैयार ही है। "
मयंक से जैसे के पल का भी इंतज़ार नहीं हो रहा था उसने फ़िर से आवाज़ लगाते हुए कहा, " जल्दी करो, बाबा, मुझे ऑफिस जाने में देरी हो रही है। "
अच्छा बाबा, रुको आई, कहते हुए माया अपना साड़ी का पल्लू अपने कंधे से लगाकर पीछे की और से अपनी कमरियाँ में लगाते हुए, अपने दोनों हाथों से अपने बालों का जुड़ा बनाते हुए मयंक के सामने आती है, उसकी पतली कमर और चेहरे पर बिखरे बाल देख कर मयंक का मन एक पल के लिए ललचा जाता है, वह उसकी और जैसे खींचा चला जाता है, मगर ऑफिस जाने का वक़्त था, तो उसने अपने आप पे कण्ट्रोल कर लिया और माया से नज़रें चुराते हुए फ़िर से कहा, " अरे, जल्दी करो बाबा, मुझे ऑफिस के लिए अभी निकलना है, तुम्हारी बजह से मैं रोज़ लेट हो जाता हूँ। "
माया का मिज़ाज़ भी थोड़ा आशिक़ाना हो रहा था, तो माया ने मयंक के करीब जाते हुए उसे कमर से पकड़ लिया और उसकी आँखों में आँख डालते हुए कहा, " ऐसे कोई दस्तख़त नहीं मिलेंगे, पहले मुझे आज सुबक की ढ़ेर सारी पप्पियाँ चाहिए। " कहते हुए माया खुद ही मयंक को प्यार करने लगी, मयंक मुस्कुराया भी और नाराज़ भी हुआ और कहने लगा, " अरे माया, छोडोना, अभी सुबह-सुबह क्या तुम भी, दस्तख़त कर दो ना, प्लीज, मुझे जाना है, ( अपने आपको कण्ट्रोल करते हुए कहा ) माया फिर भी नहीं रूकती और कहती है, " नहीं पहले मुझे पप्पी चाहिए, बाद में तुम जहाँ बोलो वहांँ पर दस्तख़त। "
" अच्छा बाबा, तुम भी बड़ी ज़िद्दी हो " कहते हुए मुस्कुराते हुए मयंक ने भी माया को आखिर पप्पी दे ही दी और मुस्कुराते हुए कहा, " चलो प्लीज अब दस्तख़त कर लो। "
" अच्छा बाबा, अभी करती हूँ " कहते हुए माया ने मुस्कुराते हुए दस्तख़त कर दिए और कहा, कि " अब से अगर मेरे दस्तख़त चाहिए तो पहले पप्पियाँ देनी होगी, बाद में ही दस्तखत मिलेंगे। "
मयंक मुस्कुराते हुए अपने माथे पर हाथ फेरते हुए फाइल और टिफ़िन लेकर ऑफिस के लिए चला जाता है, इस तरफ मयंक के जाने के बाद माया भी अपने आप को आईने में देख कर शर्मा रही थी और अपनी आँखों पर हाथ रखकर, ज़रा हाथ हटाते हुए चुपके से आईने में अपने चेहरे को देख रही थी।
तो दोस्तों, शादी के बाद कभी-कभी ऐसे मीठे पल और यादें ही ज़िंदगी जीने का सहारा या कहुँ तो ज़िंदगी जीने की उम्मीद बन जाती है, इसलिए शादी के बाद ज़िंदगी में कुछ शरारत भी बहुत ज़रूरी है।
स्व-रचित
#शरारत ( हास्य-रोमांस )
Bela...
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