आज फिर से दिल में एक बात आ रही है, सोचा बता ही दूँ।
जब से आप के साथ हूँ, तब से आप को जाना, पहचाना, आपकी मर्ज़ी, ना मर्ज़ी, आप का इकरार, आपका इंकार, आप का गुस्सा, आपका प्यार सब से मैंने प्यार किया, स्वीकार करती गई, अपने अंदर दबाती चली गई, बस एक शायद यही बात मुझ में अच्छी है, कि मैं जो चाहु, जितना चाहु, हर बात को स्वीकार करती हूँ। आपको मैंने बहुत प्यार किया और करती रहूंँगी, आप के आगे मुझे और कुछ दीखता ही नहीं है। मेरे सांँसो का संगीत आप हो, मेरे दिल की धड़कन आप हो, आज भी आप मेरे सामने ना होकर भी आपका चेहरा और आप खुद हर पल मेरे अगल-बगल रहते हो, मेरी आँखों के सामने ही रहते हो, चाहे आप मुंबई में हो, बैंक में हो, शूटिंग पे हो, बरोडा हो या कहीं और। आप के होने का एहसास मुझे हर पल होता है। मेरी ज़िंदगी में आप के आगे कुछ भी नहीं।
लेकिन आज भी कई बार बात यहाँ आकर हर बार मुझे तकलीफ दे जाती है, कि मैं चाहे जितनी भी कोशिश कर लू, लेकिन आप के जैसी नहीं बन सकती, आप की तरह सोच नहीं सकती, आप की तरह लगातार ४८ घंटे काम नहीं कर सकती, आप की तरह किसी से अपनी बात मनवा नहीं सकती और समजा भी नहीं सकती, आप के साथ कभी-कभी कदम से कदम मिलाकर चल भी नहीं सकती, उस वक़्त मुझ पे घर के काम का बोझ होता है, माँ होने की बजह से बच्चों की हर पल परवाह रहती है, अपने से पहले में उनके बारे में सोचती हूँ, क्या हर माँ ऐसी होती है ? या फिर मैं ही ऐसा महसूस करती हूँ। दिखने में बातें करने में भी आप स्मार्ट, हैंडसम, मेरी हर सवाल का जवाब आप, मेरी हर प्रॉब्लम का सोलुशन आप, आप के आगे कुछ भी नहीं, मेरी ज़िंदगी में कोई भी नहीं, मुझे ज़्यादातर अकेले रहना अच्छा लगता, आप को सब के साथ अच्छा लगता, आप के ज़िंदगी जीने के सलीके अलग, मेरे अलग, मैं फिर भी अपने आप को बदलने की बहुत कोशिश करती हूँ, आप के सलीके से जीने की कोशिश करती हूँ, पर कभी-कभी नहीं हो पाता, पता नहीं क्यों ? आप जितने हर बात और काम में फ़ास्ट, उतनी ही में स्लो। क्योंकि शायद आप अपनी ममा जैसे हो, और मैं अपनी ममा जैसी। सोच भी वही। ज़िंदगी जीने का सलीका भी वही।
बस इन्हीं सब बातों को लेकर हर पल डर लगा रहता है, कि आप मुझ से दूर ना हो जाए ? मैं आज भी इतनी समझदार नहीं, जितना की इस उम्र में एक औरत होती है, क्योंकि शायद मैं हर पल अपने ख्यालों में अपनी ही दुनिया में ज़्यादातर खोई रहती हूँ, कभी-कभी कोई मेरे सामने कुछ बात करता है, तो वह बात सुनते-सुनते भी मैं कहीं और चली जाती हूँ, या वह बात सुन नहीं पाती हूँ। बाहर क्या चल रहा है, इस से मुझे कोई लेना-देना नहीं होता, कभी-कभी आप के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता और सच कहूं, तो कभी-कभी रोने का भी बहुत मन करता है, खासतौर पर जब मैं कुछ लिखती हूँ। कभी-कभी मुझे आप से बहुत सी बातें करनी होती है, मगर खुल कर कह नहीं पाती। शब्द गले तक आकर लौट जाते है, या तो बात करने से डर लगता है, कहीं मेरी कहीं किसी बात पे आप को बुरा ना लगे, या तो कोई गलत बात ना कह दूँ, इसलिए कभी-कभी ज़्यादातर मैं चुप रहती हूँ।
और मेरी बेटी के लिए मुझे ऐसे लड़के की तलाश है, जो दिखने में स्मार्ट हो, आप की तरह हर बात में परफेक्ट हो, जो हमारा जमाई नहीं, हमारा बेटा बने और उसे प्यार से बढ़कर प्यार करे, उसकी हर खवाइश पूरी करे, क्योंकि एक लड़की सिर्फ यही चाहती है, कि जिस से उसकी शादी हो वह उसे सब से ज़्यादा समझे, उसकी बात सुने, उसकी बात भी माने, उसे प्यार करे। सच कहुँ तो हर लड़के की तस्वीर में मैं पता नहीं क्यों, लेकिन आप जैसे लड़के को ढूँढती हूँ। ये तलाश ख़तम ज़रूर होगी, मुझे पता है, लेकिन थोड़ा वक़्त लगेगा।
ये मैंने आपके लिए लिखा है, मगर फिर भी सोचती हूँ, आप को पढ़ने के लिए दूँ या नहीं ?
आपकी और सिर्फ आपकी दीवानी, " मैं "
Bela...
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