ANCHAHA RISHTA PART-3

                         अनचाहा रिश्ता भाग -३ 

         तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि मुन्ने ने बड़ी आसानी से अपने पापा निशांत को भावेश अंकल के बारे में सब बताया, कि वह कैसे हमारे इतने अच्छे दोस्त बने और  हमारी मदद करते रहे। निशांत को भी लगने लगा, कि नियति इतनी अच्छी है, उसने आज तक किसी लड़के को आँख उठाकर भी नहीं देखा और अचानक किसी और के साथ, कुछ समझ नहीं आ रहा। अब आगे... 

        दो दिन दिन बाद निशांत कॉफ़ी शॉप में बैठा हुआ था, तब वहां निशांत से मिलने एक लड़की आई, जिसका नाम मोना था, दिखने में बोल्ड एंड ब्यूटीफुल थी, नए ज़माने की लग रही थी, छोटा मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था और पैर में बड़ा सा सैंडल, हाथ में एक पर्स और महंगा वाला मोबाइल भी था। निशांत ने उसके ऊपर ध्यान न देते हुए कहाँ, कि " सॉरी, मगर मैं आपको पहचानता नहीं हूँ, क्या हम पहले भी कहीं मिले है ? " 

     मोना ने कहाँ, " जी नहीं, आप सही कह रहे है, हम पहले कभी कहीं नहीं मिले, मगर मैं आपको अच्छे से पहचानती हूँ, वैसे मैं नियति की योगा क्लास की दोस्त हूँ और काफी वक़्त से हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी, इसलिए उसने मुझे आपके बारे में सब बताया था।"

      निशांत ने कहाँ, " ओह्ह! ऐसी बात है, तो नियति ने मेरे बारे में आप को क्या बताया ? "

       मोना ने कहा, " बहुत कुछ, जो शायद आप, अपने बारे में भी नहीं जानते। "

      निशांत ने मोना की और देखते हुए कहा, " अच्छा ! हांँ, तो अब मुझे अपने बारे में आप बताएगी, मगर पहले मुझे ये जानना है, कि " आप मुझ से मिलने क्यों आई हो ? और आप को मुझ से क्या चाहिए ? "

      मोना ने कहा, " मुझे आप से कुछ नहीं चाहिए, मैं यहाँ सिर्फ और सिर्फ आपकी और नियति के बीच जो भी ग़लतफ़हमी चल रही है, बस उसी को दूर करने आई हूँ।"

     निशांत ने कहाँ, " ओह्ह, तो नियति ने आप को शायद सब सच बता दिया, भावेश के बारे में। मुझे उन दोनों के बारे में कोई बात करनी भी नहीं और सुननी भी नहीं है, इसलिए अब आप जा सकती हो। "

      मोना ने कहा, " ज़िंदगी में एक मौका हर किसी को देना चाहिए, खासतौर पर अपनी शादी सुदा ज़िंदगी को बचाने के लिए तो ज़रूर। क्योंकि फिर कुछ सालों बाद जब वक़्त हाथ से निकल जाता है, तब पछताने के अलावा ज़िंदगी में ओर कुछ भी रह नहीं जाता, ये मैं अपने तजुर्बे से ही बता रही हूँ। इसलिए अपने लिए ना सही. लेकिन अपने मुन्ने के लिए अपने आप को और नियति को एक मौका दे दीजिए । 

       निशांत ने कहा, " ओह्ह, तो आप मुझे समझाने आई हो, कि मैं नियति को माफ़ कर दूँ और उसकी गलतियांँ भूलकर उसके साथ एक नई ज़िंदगी शुरू कर दूँ, ये जानने के बावजूद भी की वह अब पहले जैसी नियति नहीं रही, अब वह बदल गई है।   

     मोना ने कहा, " आप मेरी बात समझ नहीं रहे है, मेरे कहने का मतलब ये नहीं, कि उसकी गलती नहीं, गलती है, नियति से गलती हुई है और अब वह अपनी उस गलती पे पछता भी रही है, मगर एक और बात सच कहुँ तो गलती नियति के साथ-साथ मेरी भी है, क्योंकि जहाँ तक मैं नियति को जानती हूँ, वहांँ तक नियति बहुत ही सीधी-साधी लड़की है, उसका मन बहुत ही साफ है, नाहीं कहीं आना-जाना, नाहीं किसी से ज़्यादा बातें करना, बस अपने काम से काम ऱखना, पता है वह ऐसा क्यों करती थी ? क्योंकि वह एक शादी सुदा औरत थी, जिसका पति ज़्यादातर बाहर रहता था, उसे अपनी मर्यादा में रहना था, अपना पति-व्रता धर्म निभाना था, अगर वह किसी से बात करेगी तो कोई क्या कहेगा, उसके बारे में क्या सोचेगा, बस वही सब.. दूसरों के बारे में सोचकर नियति ने अपने आप को एक पिंजरे में बांध के जैसे रख दिया था। नियति आप से बहुत-बहुत प्यार करती थी और आज भी आप से ही वह प्यार करती है, बस गलती मेरी थी, वह मेरी बातों में बहक गई, मैंने ही नियति को भावेश से दोस्ती आगे बढ़ाने को कहा था और मैंने ही उसकी आँखों में सपने दिए, मैंने ही उसे आसमान में उड़ने के लिए पंख दिए, बस गलती उसकी इतनी थी, कि वह आसमान में उड़ते वक़्त नीचे देख नहीं पाई और बादलों के पास इतने करीब चली गई, कि उसे इस बात का पता ही नहीं चला। बस जो भी था, वह सच कहुँ तो सिर्फ एक पागलपन था, एक जुनून था, जो नियति इतने सालो से आप में ढूँढ रही थी, जो उसे भावेश में दिख गया। माना की उसके लिए आप परफेक्ट हो, मगर उसकी सोच के हिसाब से उसकी ज़िंदगी जीने के तरीके से, उसके सपनों का राज कुमार आप नहीं बल्कि भावेश था। ऐसा नियति ने सिर्फ और सिर्फ महसूस किया। नियति को वह प्यार, या कहूँ तो वह एहसास कुछ पल के लिए नसीब हुआ, जो शायद ज़िंदगी में किसी-किसी लड़की को ही, वह प्यार, वह एहसास, वह लगाव, वह अपनापन मिला हो। वह अधूरी सी  बातें, यादें, फरियादें, जो भी था, वह प्यार नहीं समझ लो सिर्फ एक एहसास था और उस एहसास की उसे इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, यह उसे पता भी नहीं था। नियति अब आप से तो क्या अपने आप से भी नज़रें नहीं मिला पा रही, उसे ये लगता है, कि उसने बहुत बड़ी गलती की है, मैं मानती हूँ, कि गलती हुई है, एक शादी सुदा औरत को वह भी एक बच्चे की माँ को ये सब शोभा नहीं देता। एक तरफ़ दिमाग हर पल कहता है, कि ये गलत है, मगर दिल है, कि मानता नहीं। वह तो कुछ और ही सोच रहा होता है। आप भी तो इतने साल नियति से दूर रहे हो, तब आप को भी तो वहांँ कोई ना कोई मिला होगा, जिसके साथ आप को बात करना अच्छा लगे, जिसके साथ वक़्त बिताना आपको अच्छा लगा हो, जिसका इंतज़ार करना आपको अच्छा लगा हो , शायद... कोई ना कोई, कहीं तो, इस ज़िंदगी में, कभी ना कभी, कुछ तो हुआ होगा, ज़रा याद कीजिए और हाँ, नियति आज भी पहले की तरह पवित्र है, आप मानो या ना मानो, ये आप पर निर्भर करता है और उसे आज सिर्फ और सिर्फ आप की ज़रूरत है, वार्ना वह ज़िंदगी भर अपने आप को इस गलती के लिए कोसती रहेगी और अपने आप को दोषी ठहराती रहेगी, इसलिए उसे एक बार माफ़ कर दो, उसे अपने पास बुला लो, उसे इतना प्यार दो, कि फिर कभी कोई भावेश की उसकी ज़िंदगी में आने की जगह या बजह ना रहे।  क्योंकि जहाँ तक मैं जानती हूँ, वहांँ तक औरत सिर्फ और सिर्फ प्यार की भूखी है, जिसके लिए वह कभी-कभी अपने आप को भूल जाती है, हर सीमा, हर बंधन को तोड़ जाती है। बस उसे अपने पास और अपने साथ रख लो। "  

     निशांत मोना की बात सुनकर एक पल के लिए सोच में पड़ गया, जैसे निशांत को एक पल के लिए कुछ याद आ गया हो, फिर निशांत ने अपने आप को सँभालते हुए कहाँ, " ओह्ह, ये सब बात को टालने के बहाने है, अब आप को जो कहना था, कह दिया, मैंने सुन लिया, अब मुझे जो करना है, वह मैं करूंँगा, आप जा सकते हो। " 

     मोना ने कहा, " हाँ, मैं जा रही हूँ, मुझे जो कहना था, मैंने कह दिया, अब आप को सोचना है, पंछी को खुले आसमान में उड़ने देना है या उसे पिंजरे में बंद कर के रखना है। " कहते हुए मोना वहां से चली जाती है। 

      तो दोस्तों,  निशांत का क्या फैसला होगा ? वह उसे माफ़ कर पाएगा या नहीं ? आप के जवाब का मुझे इंतज़ार रहेगा। 

                         अब आगे क्रमशः। 

स्व-रचित 

#अनचाहा रिश्ता भाग -३  

Bela...  

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