आज बेटियांँ मंच की पाँचवी सालगिरह मनाई जा रही है। मगर मैं बेटियाँ मंच से शायद १ साल से जुडी हुई हूँ और इस मंच से जुड़ने के बाद ही मुझे अपने आप पे और अपनी लेखनी पर भरोसा और बढ़ गया, क्योंकि मेरी हर कहानी को बेटियांँ मंच पर बहुत मान-सम्मान मिला है और मुझे कई बार विजेता भी घोषित किया गया है, जो इस से पहले मुझे कहीं नहीं मिला, इसलिए मैं बेटियांँ मंच की पूरी टीम, मुकेश कुमार, गोविन्द गुप्ता और सभी लेखक और लेखिकाओं की बहुत-बहुत आभारी हूँ, जिसने हर वक़्त मेरा हौसला बनाए रखा, सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि बेटियांँ मंच पर काफी लोगों को मान-सम्मान मिला और काफी विजेता भी घोषित किए गए। ये एक ऐसा मंच है, जहाँ हर किसी को आगे बढ़ने का मौका मिला, हर लेखक-लेखिका को अपनी एक नई पहचान मिली। बेटियाँ मंच और " साहित्य जो दिल को छू जाए " का यह परिवार यूँही आगे बढ़ता रहे। मुझे ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है, कि मैं इस परिवार का हिस्सा हूँ, जहाँ पर सब को अपनी लेखनी प्रस्तुत करने का मौका मिल रहा है।
स्व-रचित
Bela...
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