APNAPAN

  #१०० शब्दों की कहानी 

#अपनापन   

                आज से 5 साल पहले मेरे बेटे और बहु की एक्सीडेंट में हुई मौत के बाद उनके बेटे अथर्व की ज़िम्मेदारी हम पे आ गई । मेरी पेंशन से घर का ख़र्चा निकल जाता, मगर जैसे अर्थव बड़ा होने लगा, वैसे पैसो की कमी महसूस होने लगी । तब हमने अपने घर का ऊपर का माला भाड़े पे दे दिया ताकि अथर्व की पढाई चल सके। 

      किरायेदार के रुप में भगवान् ने रवि और रीता को हम से मिला दिया कयोंकि एक बेटे और बहु की तरह दोनों ने हमारे टूटते परिवार को और अथर्व को सँभाल लिया। रवि और रीता से अब तो इतना अपनापन हो गया, कि अगर एक दो दिन वे दोनों कहीं बाहर जाए तो भी हमारा घर सुना-सुना लगने लगता। 

     वो कहते है ना, कि कभी-कभी कुछ पराये भी अपनेपन का फ़र्ज़ निभा जाते है। 

स्व-रचित एवम मौलिक  

#अपनापन 

Bela... 

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