SAMZOTA APNE AAP SE YAA ZINDGI SE PART - 2

            समझोता अपने आप से या ज़िंदगी से भाग -२ 

         तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि सुषमा की शादी सुमीत नाम के लड़के से होती है और सुषमा को उसकी शादी के बाद पता चलता है, कि सुमीत की शादी पहले से ही हो चुकी है और वह अपनी पहली पत्नी से बहुत प्यार करता है, सुषमा को सुमीत अपने साथ अपने घर में तो रखेगा मगर सुषमा को वह अपने दिल में कभी जगह नहीं दे पाएगा, ये सुमीतने पहले से ही बता दिया, ये  सुनते ही सुषमा के पैरो के नीचे से जैसे ज़मीन ही ख़िसक जाती है और सुषमा अपने उन बीते दिनों को याद करने लगती है, जिसे वह भूल जाना चाहती थी। सुषमा शादी से पहले सुरेश नाम के लड़के से प्यार करती थी, अब आगे... 

           सुषमा रोज़ सुबह शिवजी के मंदिर जाती थी और उसी वक़्त सुमीत की माँ, जिसका नाम शारदा देवी थी, वह भी रोज़ मंदिर जाती थी। सुषमा मंदिर की साफ-सफाई और पूजा में और भगवान् जी के प्रसाद बनाने में पुजारी जी का हाथ बटाया करती थी, ये सब शारदा देवी रोज़-रोज़ देखा करती थी और शारदा देवी को सुषमा बहुत पसंद आ गई थी, उन्होंने सोचा की सच में सुषमा बड़ी संस्कारी लड़की है, ये सोचकर शारदा देवी ने सुषमा के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया, शारदा देवी को जब पता चला कि सुषमा तो बस्ती में रहती है और उसका बाप शराबी है, जो रोज़ घर में झगड़ा करता रहता है और अपनी बीवी को मारता भी है। ऐसा सुनकर शारदा देवी का पहले तो मन बदल गया, मगर कुछ दिनों बाद शारदा देवी को पता चला, कि सुषमा अपने बाप जैसी नहीं है और पढाई भी करती है और सच में वह संस्कारी समझदार लड़की है और सुषमा की माँ ने सुषमा को बड़े अच्छे से संस्कार दिए थे। ये सुनकर शारदा देवी ने सोचा, कि हमें तो लड़की अपने घर लानी है, हमें थोड़े उनके घर रहना है। ये सोचकर शारदा देवी ने बिना अपने बेटे से पूछे, रिश्तें की बात सुषमा के घर भेज दी। साथ में उन्होंने एक थाल में ढेर सारे चांदी के सिक्के और कुछ गहने भी भेज दिए। सुषमा को इस बात का पता चला तो पहले तो सुषमा ने शादी के लिए साफ़ इनकार कर दिया। तब सुषमा के बाबा ने भी अच्छा घर है, पैसा बटोर सकते है, ये सोच पहले मना कर दिया, तब शारदा देवी ने सुषमा के बाप को घर बुलाया और उसे कहा, कि अगर आप अपनी बेटी सुषमा की शादी हमारे बेटे सुमीत से करवा देंगे, तो हम आपको एक अच्छा सा रहने के लिए घर, आपकी दूसरी लड़की को अच्छी स्कूल में दाखिला करवा देंगे और उसकी पढाई के ज़िम्मेदारी भी हमारी, आप के नाकारा बेटे को भी कहीं काम पे लगा देंगे और साथ में 50 लाख रुपए भी देंगे। 

        ऐसा सुनते ही सुषमा का बाप शादी के लिए मान गया और तभी शारदा देवी को उन्होंने कह दिया, कि " यदि ऐसी बात है, तो आज से मेरी सुषमा आपकी हुई, सुषमा को शादी के लिए मनाना ज़रा मुश्किल तो है, मगर आप फ़िक्र मत कीजिए, उसे शादी के लिए कैसे मनाना है, ये आप मुझ पे छोड़ दीजिए। " कहते हुए, शारदा देवी को प्रणाम करते हुए सुषमा का बाप वहां से चला जाता है। 

         घर जाते ही सुषमा के बाप ने सुषमा से शादी की बात कर ली, मगर सुषमा ने ये कहते हुए इंकार कर दिया, कि वह सुरेश से प्यार करती है और सुरेश से ही शादी करेगी। सुषमा के बाप ने सोचा, ये ऐसे सीधे-सीधे नहीं मानेगी।  इसलिए सुषमा के बाप ने उसे मारना शुरू कर दिया। सुषमा के चीख की आवाज़ सुनकर उसकी माँ और उसकी बहन भी सुषमा को बचाने के लिए अपने पति को धक्का देकर गिरा देती है। सुषमा का बाप बिना कुछ सोचे-समझे अपनी पत्नी को भी मारने लगता है। अब सुषमा अपनी माँ को बचाने लगती है, सुषमा का बाप रसोई में से जलती हुई लकड़ी लेकर आता है और सुषमा को कहता है, कि " जहाँ मैं कहूँगा, वहांँ शादी कर ले वरना तेरी माँ को भी इसी जलती हुई लकड़ी से जला दूँगा और तुम्हारी बहन को भी जला दूँगा। " सुषमा बेचारी क्या कहती ? अपनी माँ बहन और भाई की ख़ातिर सुषमा शादी के लिए हां कर देती है।  उसकी शादी के लिए उसके बाप को बहुत ज़्यादा पैसे मिलने वाला था। शारदा देवी के साथ हुई बात भी सुषमा के बाप ने उसे बताई थी। तो बस ऐसे ही सुषमा ने अपनों की ख़ातिर अपने आप से समझोता कर लिया। सुषमा की शादी की बात पूरी बस्ती में फ़ैल गई, सुरेश को भी सुषमा की शादी की बात का पता चला तो, उसे भी बहुत बुरा लगा, सुरेश ने सुषमा पे बेवफ़ा होने का इलज़ाम लगाया, कि " पैसो की ख़ातिर तुमने मेरा प्यार ठुकराया। " मगर सुरेश को सुषमा की मज़बूरी के बारे में क्या पता ? सुषमा ने सुरेश को अपनी मज़बूरी के बारे में कुछ नहीं बताया, सुरेश उसे बेवफ़ा समझे उसी में उसकी भलाई है, क्योंकि अगर सुरेश को पता चलता, कि उसके बाप ने उसे मारा और धमकाया है और सुषमा मज़बूरी में इस शादी के लिए राज़ी हुई है, तो सुरेश ज़रूर उसके बाप से लड़ता-झगड़ता। उसकी वज़ह से दोनों के बीच में मारा-मारी हो,  सुषमा ऐसा कुछ नहीं चाहती थी और " उसकी शादी से शायद घर में खुशियाँ तो आएगी, उसकी बहन की पढाई नहीं रुकेगी, उसकी माँ के घुटनों का ऑपरेशन हो जाएगा, उसके भाई को नौकरी मिल जाएगी, रहने के लिए अच्छा घर भी मिल जाएगा, " मेरा क्या है ? जो होगा, देखा जाएगा। " ये सोच सुषमा दुल्हन बन के शादी के मंडप में बैठ जाती है। 

       उस तरफ़ सुमीत भी इस शादी के लिए राज़ी नहीं था, मगर शारदा देवी ने भी अपने बेटे सुमीत को अपनी कसम देकर शादी के लिए राज़ी किया था, इसलिए सुमीत भी दूल्हा बनकर शादी के मंडप में बैठ गया और दोनों की शादी हो जाती है।

      तो दोस्तों, इस कहानी में सुमीत अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और सुषमा अपने दोस्त सुरेश से बहुत प्यार करती थी, अब ऐसे में ये शादी कब तक, कैसे और कितने दिनों तक टिकेगी, ये तो आनेवाला वक़्त ही बताएगा।  

                       अब आगे क्रमशः।  



                                                                Bela... 

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