KHAMOSH PYAR

                                       ख़ामोश प्यार                  

           नीलिमा की शादी हुए २ महीने ही हुए थे, नीलिमा के पति निशांत जॉब करते थे, नीलिमा के ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे, शादी के बाद निशांत की जॉब पुणे लग गई, तो घरवालों ने नीलिमा को भी निशांत के साथ पूना भेज दिया। पूना में दो बैडरूम, हॉल, किचन का बड़ा सा फ्लैट था। 

      निशांत वैसे तो बड़े अच्छे थे, मगर बातें बहुत कम करते थे। वक़्त के वे बहुत ही पाबंद थे, वक़्त पे उठना, एक्सरसाइज करना, ब्रेक फ़ास्ट, लंच, डिनर, सोना सब कुछ वे वक़्त पे ही करते थे, कभी-कभी नीलिमा इस वजह से चिढ जाती, फ़िर बाद में सोचती, कि " औरों के पति से तो निशांत बेहतर ही है, नाही कभी मेरे से ऊँची आवाज़ में बात करते और नाही कभी मुझ से रूढ़ जाते, खाने में भी उनकी कोई बड़ी डिमान्ड नहीं रहती। घर में भी उनको हर चीज़ अपनी जगह चाहिए, उनका शर्ट, टी-शर्ट, जीन्स हो या पैंट बिना प्रेस किए कभी नहीं पहनते। "

      नीलिमा दिन भर घर का काम करती और उनके आने का इंतज़ार करती। उनके घर आने के बाद खाना खा के निशांत और नीलिमा दोनों आराम से टी.वी देखते या बातें करते-करते सो जाते। ज़्यादातर शाम को घर आकर भी कभी-कभी तो लैपटॉप पे देर रात तक अपने ऑफिस का काम किया करते, नीलिमा किताब पढ़ते-पढ़ते उनको चुपके से देखा करती और सो जाती। दिन में निशांत जितना शांत थे, रात को उतने ही रंगीन, नीलिमा कभी जल्दी सो जाती, तब भी उसे जगा कर परेशान किया करते। उस पल नीलिमा अपने आपको भूल के उनमें ही समां जाती। उस पल नीलिमा को ऐसा लगता, कि इस से ज़्यादा प्यार और ख़ुशी उसे कोई दे हि नहीं सकता। उसके बाद निशांत आराम से सो जाते और नीलिमा निशांत से लिपट के उन्हें देखा करती। 

      निशांत दिखने में भी बहुत हैंडसम थे, एक्सरसाइज की वजह से अच्छी बॉडी बनाई थी उसने, बस यही एक शौक था उनका, कभी-कभी नीलिमा को भी सीखा दिया करते, घर में ही एक्सरसाइज के सारे सामन लाके रख दिए थे, नीलिमा निशांत को कभी-कभी एक्सरसाइज करते हुए चोरी-चोरी देख लिया करती। निशांत अपनी और नीलिमा दोनों की हेल्थ का भी बहुत ख्याल रखते थे, इसलिए ज़्यादातर खाने में सूप, सलाद, खिचड़ी, दाल-चावल, सब्जी-रोटी पसंद करते थे, मीठा और तला हुआ तो बिलकुल नहीं खाते और नाहीं नीलिमा को खाने देते। हाँ, लेकिन कभी-कभी अगर नीलिमा का बहुत मन किया तो मना भी नहीं करते। 

       वह नीलिमा से शायद बहुत प्यार करते थे, मगर कभी कहाँ नहीं, उनकी आँखों से नीलिमा हर बात समझ लिया करती, मगर कभी-कभी उनकी ख़ामोशी नीलिमा को अंदर से हिला देती, शादी से पहले नीलिमा बहुत बातें किया करती, उस से चुप नहीं रहा जाता, इसलिए निशांत की ख़ामोशी उसके दिल को चिर जाती, वह कुछ भी कहते नहीं, बस देखते रहते है, उनकी ख़ामोशी कभी-कभी नीलिमा की समझ के बाहर हो जाती थी, इसलिए नीलिमा कभी-कभी सोचती रहती, कि " शायद मुझ से कोई गलती तो नहीं हुई होगी या फ़िर मेरी कहीं कोई बात उन्हें बुरी तो नहीं लगी होगी ? "  ये सोच, 

    आज तो नीलिमा ने हिम्मत कर के निशांत से कह दिया, कि " आपके आधे-अधूरे शब्द, आपकी सवाल करती हुई आँखें, मेरे दिल को और भी चौट पहुँचाती है, जब आप मुझ से कुछ कहते नहीं, लड़ते नहीं, झगड़ते नहीं, कभी किसी बात पे नाराज़ नहीं होते तब मुझे और भी बुरा लगता है। मुझे सुननी है आपकी फ़रियाद, मुझे सुननी है आपके दिल की बात, मुझे महसूस करना है आपका प्यार, आपकी नफरत, आपकी नाराज़गी, आपकी उल्फत.... बस आप हर वक़्त युहीं चुप मत रहा करो, क्योंकि क्या पता कल आपकी बातें सुनने के लिए मैं रहूंँ या ना रहूंँ। क्या पता कल क्या हो ? क्या पता कल हम रहे ना रहे ? " 

     नीलिमा की बात सुनकर निशांत ने अपना हाथ नीलिमा के होठों पे रखते हुए उसे और आगे कहने से रोक दिया और बड़ी ज़ोरों से नीलिमा को अपने बाहुपाश में जकड़ लिया और कहा, " कभी भूल कर भी मुझ से दूर जाने के बारे में सोचना भी नहीं, वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा। तुम जैसी हो, वैसी ही रहना। बस मुझे और कुछ नहीं कहना। "  

       तो दोस्तों, अब आप ही बताओ, इस बात का नीलिमा क्या मतलब समझे ? क्या निलिमा को अपने हर सवाल का जवाब मिल गया ? क्या नीलिमा निशांत की ऐसी ख़ामोशी के साथ अपनी पूरी ज़िंदगी जी सकेगी ? और अगर दोस्तों, अगर आपको ऐसा पति मिले तो आप क्या करेंगे ?



                                                               Bela...   

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