इम्तिहान भाग - ९
तो दोस्तों, अब तक आप सबने पढ़ा, कि रूही अपने बच्चों के साथ कुछ दिनों के लिए रिया के घर रहने आई है, क्योंकि दो दिन बाद रिया की बर्थडे है और रिया के मम्मी-पापा रिया के घर आनेवाले है, रिया कुछ दिनों से रूही और रूद्र के घर रुकी हुई थी, तो उसका पूरा घर अस्तव्यस्त था, रिया के मम्मी-पापा के आने से पहले वह सब ठीक भी तो करना था और घर में कोई ज़रूरी सामान भी नहीं था, तो वह भी मंगवाना था, पार्टी की तैयारियाँ भी तो करनी थी, रूही रात को देर तक ऑफिस का काम करती रही, इसलिए सुबह देर तक वह सोई रही, वैसे भी आज संडे ही था, तो बच्चों की भी स्कूल की छुट्टी थी, लेकिन रिया सुबह जल्दी उठकर वॉक पे चली गई, वहां पर रूद्र का फ़ोन आता है, उसे कोई ज़रूरी फाइल नहीं मिल रही थी, तो रूद्र को लगा शायद वह फाइल रिया के घर होगी, इसलिए रूद्र ने रिया को वह फाइल ढूँढने को कहा, रिया ने ब्रेकफास्ट के लिए रूद्र को अपने घर बुला लिया, रूद्र रिया के घर जाकर फाइल ढूँढने लगा, तभी रूद्र के हाथों रिया की डायरी और वह चिठ्ठी लगी, जो रियाने रूद्र के लिए लिखी थी, चिठ्ठी पढ़कर रूद्र को बहुत बड़ा झटका लगा, क्योंकि रूद्र को इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था, कि रिया उसे कॉलेज के ज़माने से इतना प्यार करती आई है और उसने आज तक यह बात उस से छुपाके रखी और शायद इसी बजह से रियाने आज तक शादी भी नहीं की। रिया ने ऐसा क्यों किया, इस बात का जवाब रूद्र रिया से ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला के मांगने लगा, मगर रिया उस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ चूप रही, उसे इस बात का बिलकुल अंदाज़ा ही नहीं था, कि किसी न किसी दिन रूद्र के सामने यह बात आ ही जाएगी। रूद्र के ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की बजह से रूही की आँख भी खुल गई, उसने बाहर आकर देखा तो रूद्र रिया पर चिल्ला रहा था, रूही को देखते ही रूद्र वहां से गुस्से में निकल गया। रूद्र का ऐसा रूप आज तक किसी ने नहीं देखा, रूही रिया से पूछती रही, क्या बात हुई, जो रूद्र इतना गुस्सा हो गया ? पहले तो रिया सिर्फ़ रोती ही रही, फ़िर कुछ देर बाद अपने आप को सँभालते हुए रिया ने रूही से कोई ज़रूरी फ़ाइल नहीं मिल रही, इसी बात का गुस्सा उसे आया होगा, ऐसा कहते हुए बात ताल दी और अपने काम में लग गई। अब आगे...
रूही की समझ में अब भी कुछ नहीं आ रहा था, कि इतनी छोटी सी बात के लिए रूद्र इतना गुस्सा हो जाए ? ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता। थोड़ी देर बाद रिया एक तरफ़ अपने दिल पर पथ्थर रख के पार्टी में क्या करना है और कौन सी चीज़ो की ज़रूरत होगी ? उस की लिस्ट बनाने में लग गई, क्योंकि इस वक़्त रूही उसके साथ थी, तो ना तो वह रूही को इस बारे में कुछ बता सकती थी और नाहीं उसके सामने वह रो सकती थी। उस तरफ़ रूद्रने अपने आप को कमरे में बंद कर दिया था, वह लगातार सोचता रहा, कि ऐसा कब और कैसे हुआ ? रूद्र की आँखों के सामने हर वो लम्हा आने लगा, जो उसने रूही और रिया के साथ बिताया था। एक तरफ़ से तो जैसे वह रिया के एहसान तले दबा हुआ था, ऐसा उसे लग रहा था, क्योंकि अगर रिया उसकी ज़िंदगी में ना होती, तो उसके अकेले के लिए रूही और बच्चों को संँभालना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन था। उसकी भी समझ में नहीं आ रहा था, कि अब आगे क्या ? तभी उसके मोबाइल में मैसेज की रिंग बजी, रुद्रने मोबाइल में देखा, तो रिया का ही मैसेज था, रिया ने रूद्र से इस बारे में रूही को कुछ भी पता ना चले, ऐसा लिखा था और सॉरी भी कहा। मगर इस वक़्त रूद्र भी ख़ामोश हो गया, उसने रिया के किसी भी बात का जवाब देना ज़रूरी नहीं समझा, या तो उसका जवाब देने का भी मन नहीं किया, जैसे कि वो रिया से बहुत-बहुत नाराज़ हो। इस तरफ़ रूद्र का कोई मैसेज ना आने पर रिया थोड़ी परेशान सी रहने लगी, कि रूद्र उसके बारे में क्या सोच रहा होगा ? और एक तरफ़ घर में पार्टी की तैयारियाँ होने लगी। रिया का बिलकुल भी मन नहीं था, कोई पार्टी करने का, मगर पार्टी कैंसल करने की कोई बजह भी तो नहीं थी। रूही ने भी रूद्र से फ़ोन कर के उसकी नाराज़गी की बजह पूछी, मगर तब भी रुद्रने उसकी बात का।कोई ज़वाब नहीं दिया।
दूसरे दिन सुबह रिया के मम्मी-पापा आनेवाले थे, तो रूद्र ही अपनी कार में उनको स्टेशन लेने चला गया, क्योंकि यह बात पहले से तै हो चुकी थी, कि उनको लेने रूद्र ही जाएगा। मम्मी-पापा के घर आने से रिया बहुत ख़ुश हो गई, शायद वो १ साल के बाद मिले थे। रिया अपनी मम्मी को देखते ही गले लग के रोने लगी, सब को लगा, कि रिया ख़ुशी के मारे रो रही है, मगर सिर्फ़ वहीं जानती थी, कि वह ख़ुशी के मारे नहीं, मगर किसी और बजह से रो रही थी। रूद्र रिया की आँखों के आँसू अब पहचानने लगा था। रूद्र को अब रिया की आँखों में अपने लिए प्यार दिखने लगा, मगर क्या करता ? रिया की मम्मीने रिया को चुप कराया और कहा, कि अगर माँ-पापा की इतनी ही याद आ रही थी, तो घर क्यों नहीं चली आती, हमारे साथ रहने ? कितनी बार तुम्हें बताया, घर आ जाओ, साथ में रहेंगे, मगर तुम सुनती कहाँ हो किसी की ? बस अपने मन की ही करनी है तुम्हें। कितनी बार कहा, शादी कर दो, आज भी अच्छे लड़के की बात आ रही है, तुम्हारे लिए। मगर हमारी सुने तब ना ? रूही, रूद्र अब तुम दोनों ही इस को समझाओ, हम तो समझा-समझा के थक गए।
रिया ने कहा, " ( रूढ़ते हुए ) जब भी आती हो, एक ही बात करती हो, इसीलिए मैं घर आना नहीं चाहती, जिसे देखो सब मेरी शादी के पीछे पड़े हुए है, मैंने कितनी बार कहा, मुझे नहीं करनी शादी, मैं यहाँ अकेले खुश हूँ। "
रूद्र ने कहा, " मम्मीजी ठीक ही तो कह रही है, रिया, अब तक तूने शादी क्यों नहीं की ? कर लेती तो हमारी तरह तुम्हारे भी बच्चे हो जाते, मगर तुम कहाँ किसी की सुनती हो ? मैंने ठीक कहा ना रूही। "
( ऐसा कहते हुए रूद्र जैसे रिया को सुना रहा था, रिया उसका इशारा समझ गई। )
रूही ने भी रुद्र की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, " हां,हां, बिलकुल सही कहा, ज़िंदगी में कोई हमसफ़र तो चाहिए ही, जिसे हम अपना कह सके, अपना समझ सके, मैंने भी कई बार रिया को शादी के बारे में सोचने के लिए कहा, मगर हर बार या तो रिया मना कर देती या तो मेरी बात टाल देती। "
रिया ने कहा, " अपना कहने के लिए तुम सब तो हो ना मेरे पास, और मुझे क्या चाहिए ? और बस अब इस बात पर कोई कुछ नहीं कहेगा। घर में बहुत से काम है, पार्टी आज शाम को ही है, कल नहीं। "
ऐसा कहते हुए रिया ने बात फ़िर से ताल दी, सब पार्टी की तैयारी में लग गए, मम्मी-पापा थके हुए थे, तो उनको आराम करने के लिए बैडरूम में नास्ता कराने के बाद सुला दिया। आज पहली बार रिया और रूद्र एक दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे, एकदूसरे के सामने होकर भी नज़रें चुरा रहे थे जैसे, जैसे कि दोनों को लग रहा हो, यहाँ से दूर चले जाए, मगर आज तो घर में पार्टी है, सो सब के सामने पहले की तरह अच्चे दोस्त बनकर रहना था।
देखते-देखते शाम हो गई, रिया अपने नए red gawn में पार्टी में आई, रिया आज सच में बहुत खूबसूरत लग रही थी, रूद्र की नज़र उसको देखती ही रह गई, आज रिया पता नहीं क्यों, लेकिन रूद्र को बहुत ही खूबसूरत लगने लगी, उसके ऊपर रेड कलर जैसे बहुत जच रहा था, ऊपर से उसके खुले हुए रेशमी से बाल, जो हवा के झोंकों से उसके चेहरे को छू रहे थे, कानों में बड़ी सी इयररिंग्स, हाथों में ब्रेस्लेट, कम्मर पर पत्ता, रूद्र के दिल की धड़कन जैसे उसे कुछ कह रही हो, कि मैंने रिया की इस खूबसूरती को क्यों नहीं पहचाना ? क्यों नहीं जान पाया ? और आज अचानक से मेरे दिल में ये कैसी हलचल हो रही है ? उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। तभी रूही रूद्र के करीब आई,
रूही ने कहा, " आज हमारी रिया कितनी सुंदर लग रही हैं ना ?"
रूद्र ने कहा," हां, सच में, हमारी रिया... "
( कहते हुए रूद्र एक पल के लिए चुप हो गया। )
सब ने तालियों से रिया का स्वागत किया और सब रिया को जन्मदिन की बधाइयाँ देने लगे, दूर खड़ा रूद्र कुछ देर तो मुँह पलटकर खड़ा रहा, तभी रूही उसके पास आई और रूही ने रुद्र से कहा, " रूद्र, तुम कब से यहाँ खड़े हो ? सब रिया को जन्मदिन की बधाइयाँ दे रहे है, मैं कब से तुम्हें इधर-उधर ढूँढ रही हूँ। चलो अब रिया के लिए जो गिफ्ट लाए है, वह भी तो देना है उसे, बाद में खाने का इंतज़ाम कैसा है ? वह मैं देख लुंँगी।"
रूद्र ने कहा, " रूही, आजकल तुम भी बिलकुल रिया की तरह समझदारी की बात करने लगी हो। "
रूही ने कहा, " जिसके साथ रहेंगे, उसका असर तो आएगा ना ! अब चलो तुम भी। "
रूद्र और रूही रिया के करीब जाते है, उसे जन्मदिन की बधाइयाँ देते है और गिफ्ट देते है, रूद्र रिया के और करीब जाकर रिया के कानो में कहता है, looking very beautiful ...
रिया यह सुनते ही चौक जाती है, क्योंकि आज तक रूद्र ने कभी ऐसा नहीं कहा था। रिया थोड़ी शर्मा जाती है। केक कटिंग के बाद सब ने डांस किया, गेम्स भी खेली बाद में खाना खा के सब घर चले गए। रिया और रूही ने सब के जाने के बाद फ्रेश हुए और गिफ़्ट देखने बैठ गए। रूद्र जो हर बार रात को यहीं रुक जाता था, वह आज पार्टी ख़तम होने के बाद तुरंत कुछ ज़रूरी काम याद आया, कहते हुए, घर चला गया। रूही ने कहा, वह भी अब दो दिन बाद घर आ जाएगी और अब वह ऑफिस भी आना शुरू कर देगी। रिया को गिफ्ट देखने का बिलकुल मन नहीं था, मगर मम्मी-पापा साथ में थे, तो सबने कहा, गिफ़्ट खोल के देख़ ही लेते है, कहते हुए बातें करते-करते सब ने सारे गिफ़्ट खोल कर देखें, जो सच में बहुत ही अच्छे थे। रिया की मम्मीने सोते वक़्त फ़िर से एकबार कहा, कि " अगर तेरा मन करे तो इस बार हमारे साथ घर चलो। कुछ दिनों के लिए हमें भी अच्छा लगेगा। रूही और रूद्र के अलावा तुम्हारी अपनी भी तो ज़िंदगी है, तुम्हारे भैया-भाभी भी तुम्हें बहुत याद करते है, तुम्हारी भाभी तो कभी-कभी मुझे सुनाती भी है, कि रिया दीदी के लिए हम तो कुछ है ही नहीं, जब देखो तब रूही और रूद्र के इर्द-गिर्द ही रहती है, क्या मुझे कभी मदद करने यहां नहीं आ सकती ? क्या उसे हमारी याद कभी नहीं आती ? क्या मैं उसके लिए इतनी बुरी भाभी हूँ ? पहला बच्चा तो मानो मायके में हो गया, मगर अब मेरा दूसरी बार का आखिरी महीना चल रहा है, मेरी तबियत भी कुछ ठीक नहीं रहती, डॉक्टरने आराम करने को कहा है। अब इस उम्र में आप कितना काम करोगे ? इसलिए इस बार जाओ तो रिया को साथ लेकर ही आना, वर्ना उसे कह देना, हम उनसे कभी बात नहीं करेंगें। "
वैसे तो रिया की भाभी मन की बहुत अच्छी है, वह रिया को भी बहुत प्यार करती है, एक सहेली, एक बहन की तरह, दोनों में अच्छी बनती है, मगर शायद इस बार वह भी काम के बोज से थक गई होगी, इसीलिए मम्मी के साथ कहलवाया घर आने को।
रूही दो दिन बाद अपने घर लौट गई और वह फ़िर से ऑफिस भी जाने लगी। अब रूही थोड़ी समझदार हो गई है, अब पहले की तरह वह बार-बार रूठती नहीं। घर, बच्चे और ऑफिस सब कुछ मैनेज कर लेती है। अब तो उन्होंने घर में काम के लिए ३ बाई रख ली है। एक झाड़ू -पोछा, डस्टिंग और बर्तन के लिए, एक खाना बनाने के लिए और तीसरी बच्चों के लिए। तो सब मैनेज हो जाता है। सब साथ मिलके काम करते है, तो कमाई भी अच्छी खासी होती है। मगर अब भी रिया और रूद्र एकदूसरे से खफा-खफा जैसे रहते है। एकदूसरे से नज़रें चुराते रहते है, जैसे एकदूसरे से दूर भाग रहे हो, जैसे की लुका-छुपी खेल रहे हो, रूद्र की आँखों में एक ही सवाल आज भी है, उसे आज तक रिया ने यह बात बताई क्यों नहीं ? और कैसे रिया हमारे साथ रहकर हमारी मदद करती रही ? मगर रिया अब भी सिर्फ़ और सिर्फ़ चुप ही रहती है।
रिया के लिए अब दिन ब दिन रूद्र का सामना करना मुश्किल होता जाता था और उस पर बार-बार मम्मी और भाभी का घर लौट आने को कहते रहना। इसलिए आख़िर रियाने अपनी मम्मी के साथ घर जाने का decision ले ही लिया। रियाने सब से पहले ये बात रूद्र को बताई,
रिया ने कहा, " रूद्र, मम्मी और भाभी मुझे बहुत दिनों से घर बुला रहे है, उनको मेरी ज़रूरत है, तो कल मैं मम्मी और पापा के साथ घर जा रही हूँ और शायद ही अब वापस लौट के आऊँ। "
रिया की बात सुनते ही रूद्र के होश उड गए।
रूद्र ने कहा, "अचानक से इतना बड़ा decision अकेले ही ले लिया ! हम से पूछा भी नहीं। मम्मी बुला रहे है, इसलिए वापस घर जा रही हो या मुझ से दूर जा रही हो ? सच- सच बताना। "
रिया ने कहा, " मेरे पास तुम्हारे कोई सवाल का कोई जवाब नहीं है, मुझे अब बस जाना ही है और मैं जा रही हूँ, वैसे भी रूही अब समझदार हो गई है, वह सब कुछ अकेले ही सँभाल लेगी, इसलिए उसे अब मेरी कोई ज़रूरत नहीं है। "
रूद्र ने कहा, " मगर मुझे तो है ना ! मुझे बहुत सी बातें करनी है तुमसे, कुछ सवाल के जवाब मुझे चाहिए, मुझे अब तुम्हारे साथ की आदत हो गई है, मेरी ज़िंदगी को उलझा कर, तुम ऐसे नहीं जा सकती, मैं तुम्हें कहीं जाने ही नही दूंगा। "
रिया ने कहा, "तुम्हारे हर सवाल का जवाब अब सिर्फ़ और सिर्फ़ रूही ही है और तुम्हें जितनी भी बातें करनी है, तुम रूही से करना, भूल जाना की तुम्हारी ज़िन्दी में रिया नाम की कोई लड़की भी थी। "
रूद्र ने कहा, " भूल जाऊ ? क्या रूही भूल पाएगी तुम्हें ? क्या तुम ने रूही को अपने घर जाने के बारे में बताया ? क्या वो तुझे यूँ अचानक जाने देगी ? क्या तुम हम सब को भूल पाओगी ?"
रिया ने रुद्र से कहा, " हां, शायद कभी नहीं, मगर भूलने की कोशिश तो कर ही सकती हूँ, तभी तो दूसरे लड़के से शादी कर पाऊँगी। मेरी मम्मी ने कहाँ है, मेरे लिए बहुत अच्छा रिश्ता आया है, लड़का भी बहुत अच्छा है, शायद बात बन जाए, तो शादी में ज़रूर आना। "
रूद्र आगे और कुछ कहे उस से पहले ही रिया रूद्र के हाथों में चिठ्ठी रखकर चली गई और कहा, कि " ये तुम्हारे और रूही के लिए, मेरे जाने के बाद रूही को पढ़ के सुनाना। "
रूद्र रिया की दी हुई चिठ्ठी और रिया को जाते हुए देखता रहा, एक तरफ रुद्र रिया को रोकना चाहता था, उस से बहुत सारी बातें करना चाहता था, रुद्र एक बार फिर से अपने सवालों के कठहरों में खड़ा रह गया।
रिया ने अकेले ही पूरी रात में मम्मी-पापा के साथ जाने की तैयारियाँ कर ली थी। सुबह होते ही वह सब निकल भी गए, रूद्र उसे स्टेशन पर छोड़ने भी आया था, ट्रैन आई और रिया चली गई, जाते जाते रुद्र ने रिया का हाथ पकड़कर एक बार फिर से उसे मनाने की कोशिश करते हुए कहा, कि " रिया हो सके तो रुक जाओ, मुझे तुम्हारी जरूरत है, तुम मेरी आदत बन चुकी हो, तुम्हारे बिना मैं और रूही दोनों अधूरे है, तुम से हम सब जुड़े हुए थे, मगर अब तुम्हारे जाने के बाद कहीं सब कुछ बिखर ना जाए, हो सके तो अब भी वक्त है रुक जाओ, मैं वादा करता हूँ, पहले हम जैसे रहते थे, वैसे ही अब भी रहेंगे, हम सब साथ मिल जुल के काम कर लेंगे, हो सके तो प्लीज रुक जाओ, मेरे लिए नहीं तो रूही के लिए, बच्चों के लिए। "
रुद्र की बात सुनकर एक बार तो रिया का मन किया, कि सब कुछ भूल कर रुक जाऊं और रुद्र का हाथ पकड़कर उसके साथ चली जाऊं, मगर अब मौसम बदल चुका था, हवाओं ने जैसे अपना रुख मोड़ लिया हो, रिया को जैसे पता चल गया था, कि बस अब एक बड़ा सा तूफान आने की तैयारी है, मगर रिया उस तूफान को रोकना चाहती थी, क्योंकि रिया बहुत ही समझदार लड़की थी, रिया को पता था, कि अगर अब की बार वह रुक गई, तो वह रूद्र और रूही की ज़िंदगी में तूफान ला देगी और रिया, रूद्र और रूही के बीच की दीवार बनना नहीं चाहती थी, रिया ने इन दिनों में रूद्र की आंखों में अपने लिए प्यार देख लिया था, रुद्र आगे बढ़े, उस से पहले ही रिया अपने आप को रुद्र से दूर कर देना चाहती थी, इसलिए अपना हाथ रुद्र के हाथ से छुड़ाते हुए रिया ने रुद्र से कहा, कि " रुद्र, अब मौसम बदल चुका है, पहले सा अब कुछ भी तो नहीं रहा और यह बात तुम भी अच्छे से जानते हो, मैं तुम्हारी दोस्त हूँ और रहूंगी, मैं रूही से आज भी बहुत बहुत प्यार करती हूँ, उसे मैं अब ओर धोका नहीं दे सकती, मेरा इम्तिहान बस अब यहीं खत्म हुआ, मेरा और इम्तिहान मत लो, मुझ से अब यह और नहीं होगा, मेरी ज़िंदगी यूंही इतनी उलझी हुई है, उसे अब और उलझन में मत डालो, सच कहूँ तो मैं खुद भी अब थक चुकी हूँ, बात समझने की कोशीश करो, तुम जो चाहते हो, वह कभी नहीं हो सकता, मुझे जाने दो, अब मुझे अकेले रहना है, कुछ दिनों के लिए अब मुझे अकेला छोड़ दो, मैं नहीं जानती की अब मैं फिर से वापस लौट के आऊंगी भी या नहीं, मैं तुम सब से इस ज़िंदगी में दूसरी बार मिलने आऊंगी भी या नहीं, इस वक्त मैं कुछ भी नही जानती, इस वक्त मुझे सिर्फ और सिर्फ जाना ही है, प्लीज रूद्र, मेरा हाथ, मेरा साथ, मेरी आदत छोड़ दो, मुझे जाने दो। "
रिया की बात सुनते ही इस बार रूद्र ने उसका हाथ छोड़ दिया और रूद्र रिया को जाते हुए बस देखता ही रह गया, उस पल रिया को जाते हुए देख रुद्र को ऐसा लगा जैसे, " एक सपना जो उसके साथ था, मगर आज वह हवा के झोकों की तरह उड गया और मुझे ज़िंदगी भर के लिए मीठा सा दर्द दे गया। "
रूद्र का आज मन भी न किया घर जाने का, इसलिए रूद्र स्टेशन से सीधा समंदर किनारे गया और वहां बैठ कर समंदर की लहरों को घंटो तक आते-जाते देखता रहा, सोचता रहा रिया के बारे में। मैंने रूही से प्यार किया और रिया ने मुझ से। फ़र्क सिर्फ़ इतना है, कि " मुझे मेरा प्यार तो मिल गया मगर रिया ने अपनी ज़िंदगी दोस्ती के नाम कुर्बान कर दी, अगर वो चाहती तो कभी भी रूही की जगह वह ले सकती थी मगर उसने ऐसा नहीं किया। बहुत कम लोग ऐसे होते है दुनिया में, जो दूसरों की ख़ुशी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर देते है, वह भी बिना किसी स्वार्थ और बिना किसी उम्मीद के, भला कोई किसी को इतना प्यार कैसे कर सकता है ? रिया ने अपने प्यार और दोस्त की खुशी के लिए आज तक जो भी किया वह एक इम्तिहान से कम भी तो नहीं है। मेरी नज़र से आज देखो तो रिया, तुम इस इम्तिहान में पास हो गई, वाह रिया वाह, आज मेरे दिल में तुम्हारे लिए जो मान था, जो प्यार था, वह और भी गहरा हो गया है, मैं तुम्हें कभी नहीं भुला पाऊंगा, तुम हमेशा मेरे साथ थी और रहोगी।" तभी रुद्र के मोबाइल पर रिंग बजती है, मगर अब भी रुद्र रिया के बारे में ही सोचता रहता है, उसे फोन उठाने का भी मन नहीं किया, मगर जब रुद्र ने रूही के इतने सारे missed call देखे, तो फोन उठा लिया। जैसे ही रुद्र ने फोन उठाया,
रूही ने सामने से ही कहना शुरू कर दिया, " कहाँ हो रूद्र, तुम ? सवेरे से कितने फ़ोन किए तुम्हें ? और वह रिया की बच्ची भी फ़ोन नहीं उठा रही, क्या तुम और रिया साथ हो ? "
( अपने हाथों में रिया की चिठ्ठी देखते हुए )
रूद्र ने कहा, " हां, मैं और रिया साथ ही है और घर आ रहे है, मैं रिया को लेकर घर आ ही रहा हूँ। "
कहते हुए रूद्र ने फ़ोन ऱख दिया।
रूही को रूद्र की आवाज़ कुछ रूठी-रूठी सी लगी, रूद्र रूही के पास वापस घर लौटता है।
रूही ने कहा, " आ गए तूम दोनों।
( इधर-उधर नज़र करते हुए ) रिया कहा हैं ? तुमने तो कहाँ था, तुम दोनों साथ में हो और उसे लेकर आ रहे हो। "
रूद्र ने रूही को सोफे पर बैठाया और रिया की दी हुई चिठ्ठी रूही के हाथों में रखते हुए रूद्र ने रूही से कहा, कि " आज यही है तुम्हारी रिया, रिया ने यह आख़री चिठ्ठी हम दोनों के लिए दी है और वह अपने मम्मी-पापा के साथ अपने घर चली गई, शायद अब वो कभी वापस लौट के ना भी आए, ऐसा उसने मुझसे कहा। "
रूही को यह सुनते ही बहुत बड़ा झटका लगा, क्योंकि उसने सपने भी नहीं सोचा था, कि रिया कभी ऐसे हमेशां के लिए उन सब को छोड़ के चली जाएगी, वह भी हमेशा-हमेशा के लिए।
रूही ने अपने आप को संभालते हुए कहा, कि " देखो तुम और रिया मुझ से ऐसे मज़ाक मत किया करो, बताओ, तुम दोनों आज पूरे दिन कहां थे, और क्या कर रहे रहे थे ? "
रुद्र ने रूही का हाथ पकड़ते हुए कहा, कि " आज कोई मज़ाक नहीं, मैं सच कह रहा हूं, यह चिठ्ठी पढ़ लो। "
रूही की समझ में एक पल के लिए कुछ भी नहीं आता है, इसलिए रूही ने चिठ्ठी फ़िर से रूद्र को दी और उसे ही पढ़ के सुनाने को कहा।
चिठ्ठी में लिखा था,
रिया मैं तुम्हें बिना कुछ बताए जा रही हूँ, दूर बहुत दूर, तुम सब की ज़िंदगी से। मैं नाही तो तुम दोनों से नाराज़ हूँ और नाहीं कभी नाराज़ हो सकती हूँ, क्योंकि तुम दोनों ने मुझे इतने सालों में जो भी दिया है, वो शायद ही मुझे मेरे अपने दे सकते। रूही तुम मुझ से ज़रूर नाराज़ होगी, कि मैं यूँ बिना बताए तुम से दूर जा रही हूँ, एक आख़िरी बार तुमसे मिलना भी ज़रूरी नहीं समझा, लेकिन आखिरी बार मिलने की मुझ में ही शायद अब हिम्मत नहीं है, शायद तुम से मिलने के बाद मैं अपना decision बदल दूँ, या तो तुम मुझे जाने से रोक लेती और शायद मैं तुम्हें मना न कर पाती, इसीलिए मैं बिना बताए, बिना मिले जा रही हूँ। मैं तुम सब से दूर सही मगर तुम्हारे दिल में हमेशां रहूंगी। बच्चों को मेरा बहुत-बहुत प्यार देना, उनके लिए मैंने कुछ गिफ्ट्स घर पर छोड़े है, राम काका के पास घर की चाबी है, तुम उनसे चाबी लेकर उनके साथ जाकर वह गिफ्ट्स ले लेना। बच्चों पर गुस्सा कभी मत करना, उनको हर बात प्यार से समझाना, बच्चों को हमारी दोस्ती की कहानी ज़रूर सुनाना, अपना और रुद्र दोनों का ख्याल रखना, रूद्र बहुत अच्छा लड़का है, जो हर एक के नसीब में नहीं होता, वही भगवान ने तुझे दिया है, तो उसकी कदर करना, उसकी सब बातें सुनना, उससे नाराज़ ना होना, लेकिन वह मनाए, तब मान भी जाना, क्योंकि तुम्हें मनाने के लिए अब मैं तुम्हारे पास नहीं रहूंगी और रूद्र तुम वक़्त पर घर आ जाना और वक्त पर खाना खा लेना, वक़्त पर एक्सरसाइज करना, क्योंकि तुम काम में इतने खो जाते हो, कि तुम्हें वक़्त का कुछ होश ही नहीं रहता, रूही और बच्चों के साथ हो सके उतना वक़्त बिताने की कोशिश करना, काम तो ज़िंदगी भर का है, लेकिन वक़्त और अपने ही हमारे है, इसलिए रूही की कदर करना, मेरी रूही को ज़्यादा परेशान मत करना और हाँ, तुम्हारी ज़रूरी फाइल मैंने ऑफिस में टेबल पर ऱख दी है, जो तुम उस दिन ढूँढ रहे थे, वह ऑफिस में ही थी और तुम मेरे घर ढूँढ रहे थे, खैर फाइल मिल तो गई। मुझ से कोई गलती से भी गलती हो गई हो तो मुझे माफ़ कर देना और तुम दोनों खुश रहना और एकदूसरे का ख़्याल रखना, मेरी मम्मी और मेरे घरवालों को भी मेरी ज़रूरत है, मुझे जाना ही होगा, हो सके तो मुझे समझने की कोशिश करना, अब मैं वापस लौट के आऊंगी भी या नहीं, यह तो मुझे खुद को भी नहीं पता, मगर मेरा प्यार तुम सब के साथ ही है और रहेगा।
तुम्हारी दोस्त, रिया
रिया की चिठ्ठी पढ़ते-पढ़ते रूही और रूद्र की आँखों में आँसू आने लगे, दोनों एकदूसरे के गले मिल के रोने लगे, रूद्र और रूही को एक पल ऐसा लगा, जैसे दोनों की ज़िंदगी उनसे रूठ के कहीं चली गई हो।
रूद्र ने ऑफिस जाकर देखा तो, सच में वहीं फाइल टेबल पर थी, जो वह बहुत दिनों से ढूँढ रहा था, शाम को रूही राम काका के साथ रिया के घर जाती है, वहां टेबल पर बड़ी सी मोटर कार और वीडियो गेम्स, ड्राइंग बुक्स और कलर्स थे, जो उसके बच्चे कुछ दिनों से माँग रहे थे। रिया ने फ़िर उसके पूरे घर को देखा, रिया वहां से अपना सारा सामान ले गई थी, रिया के घर को देखकर एसा लगा की जैसे अब वह कभी वापस लौट के नहीं आएगी, राम काका ने बताया कि, " रिया मेडम ने आपको यह बताने के लिए कहा है, कि इस घर की चाबी अब आप रखो और यह घर बेच देना और इस घर को बेचकर जो भी पैसे आएँगे उन पैसों को आपके दोनों बच्चों के नाम कर दे। मेरी तरफ से उनका शाद्दी का तोहफा ही समझ लेना। " घर की चाबी राम काका से लेकर रूही ने राम काका को गिफ्ट्स लेकर घर जाने को कहा, रूही कुछ देर वहीं रुकना चाहती थी, रूही रिया के घर में जैसे उसे महसूस कर रही थी, हर चीज़ को वह छू के देख रही थी, जिस घर में उसने कितनी रातें बिताई है, सब ने साथ मिलकर कितनी मस्ती की है, उसका दिल और आँखें दोनों रो रहे थे। रिया के स्टडी टेबल पर रूही कुछ देर के लिए अपना सिर रख कर बैठी रही, तभी कुछ देर बाद उसकी नज़र टेबल के निचे गिरे कागज़ पर गई, यह वहीं चिठ्ठी थी जो रियाने रूद्र के लिए लिखी थी। रूही ने वह चिठ्ठी उठा के पढ़ी, तब रूही की समझ में सारी बातें आ गई, कि उस दिन रूद्र को भी शायद फाइल ढूंँढने के वक़्त वह चिठ्ठी हाथ लग गई होगी और इसी बजह से दोनों कुछ दिनों से उखड़े-उखड़े रहते थे और शायद रूद्र को इस बात का पता चल गया होगा, कि रिया उस से प्यार करती है, इसी बजह से अब वह हम सब को हमेशां के लिए छोड़ के चली गई। रूही ने भी यही सोचा, कि अगर वह रूद्र से प्यार करती थी, तब उसने इतने साल हमारे साथ कैसे बिताए ? वह क्यों हर वक़्त मुझे और रूद्र को मनाने की कोशिश में लगी रही, वह चाहती तो, वह मेरी जगह आराम से ले सकती थी, मगर उसने ऐसा नहीं किया, रियाने प्यार और दोस्ती में से दोस्ती का रिश्ता बनाए रखा और प्यार को अपने अंदर छुपाए रखा। वाह, रिया वाह सलाम हैं तेरी दोस्ती और तेरे प्यार को, रूही वह चिठ्ठी लेकर सीधे रूद्र के पास जाती है और रूद्र के हाथों में उसने रिया की चिठ्ठी पकड़ा दी।
रूही ने रुद्र से कहा, " तुम्हें पता था ना, कि रिया तुमसे बहुत प्यार करती है ? ( कहते हुए रूही रूद्र के गले लग जाती है। ) रिया जैसी दोस्त ना कहीं है और ना कहीं होगी, वह हमारे बिच नहीं लेकिन दिल में हमेंशा रहेगी। "
उस तरफ़ रिया अपने घर अपने मम्मी-पापा के साथ रहने लगी, उसको कई लड़के देखने आते थे, लड़के तो उसे पसंद कर ही लेते थे, क्योंकि रिया थी ही बहुत अच्छी, लेकिन उसको कोई लड़का पसंद ही नहीं आता था, या तो वह जान बूझकर सब को मना कर देती थी, उसे लगता था कि प्यार किसी एक से और एक ही बार किया जाता है और अगर वो ना मिले तब भी उसकी यादों के सहारे ज़िंदगी बीत ही जाती है।
रूद्र और रूही शाम को साथ में अपने घर जाते है, बच्चों को रिया के दिए हुए गिफ्ट्स देते है, बच्चों ने कहा, इतने सारे गिफ्ट्स हमारे लिए कौन लाया ?
रूही ने कहा, " आपकी रिया मौसी ने आप दोनों के लिए गिफ्ट्स भेजे है और कहा है, कि अपने मम्मी-पापा को अब तंग मत करना। "
दोनों बच्चे ख़ुश होते हुए " बहुत सुंदर, मौसी की तरह उनके गिफ्ट्स भी बहुत प्यारे है, मौसी को हमें कौन से वक्त क्या चाहिए, सब कुछ पता है, इसलिए तो उन्होंने यह गिफ्ट्स भेजे है। मगर आज रिया मौसी खुद कहाँ है ? रिया मौसी ने हम को कहा था, कि आज रात वो हमारे साथ सोएगी और हम को परियों की कहानी सुनाएगी। रिया मौसी कब आएगी ममा ? उनको फ़ोन कर के बुला लो ना ! हम को उनके बिना अच्छा नहीं लगता। "
बच्चों के सवाल से रूही की आँखें भर आती है, रूही बच्चों से नज़रें चुराने की कोशिश करती है, रूद्र रूही के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे सँभाल लेता है, रूद्र बच्चों को समझाते हुए कहता है, " देखो बच्चों, आज मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ। ( कहानी सुनाते-सुनाते रूद्र बच्चों को उनके बेड पर सुलाने लगा।) एक परी की कहानी, आज से बहुत साल पहले हमारी ज़िंदगी में एक परी आई थी, वह बहुत सुंदर, जैसे कोई राजकुमारी सी थी, वह सब को खुशियाँ देती थी, जिसका दिल बहुत बड़ा था। जो सब के हिस्से का ग़म और तकलीफ अपने हिस्से ले लेती थी। उसके जैसी परी ना तो कहीं इस दुनिया में है और नाही कभी होगी। वह सब से बहुत प्यार करती थी और पता है वह परी सब से ज़्यादा किस से प्यार करती थी ?"
बच्चे : " किस को पापा ? "
( बच्चों को हँसाते हुए )
रूद्र ने कहा, " आप दोनों से और आपके लिए वह परी ने ढ़ेर सारा प्यार इन गिफ्ट्स के ज़रिए भेजा है। "
रुद्र की बात सुनकर बच्चों ने कहा, " सच पापा ? उस परी का नाम रिया मौसी था ना ? "
( बच्चों को गले लगाते हुए )
रूद्र ने कहा, " हां, बेटा ! आसमान से परियों के शहर में से एक परी हमारे घर आई थी, जो बहुत सारा प्यार, खुशियाँ और गिफ्ट्स देकर फ़िर से चली गई उनके मम्मी-पापा के पास, जिसका नाम रिया मौसी था। "
बच्चों ने कहा, " तो, क्या अब वह परी हम से मिलने कभी नहीं आएगी ?"
रूद्र ने कुछ सोचते हुए, एक गहरी सांस लेते हुए बच्चों से कहा, " आएगी ना, मगर तब जब तुम दोनों अच्छे से पढाई करोगे, अपनी मम्मी और दादी को परेशान नहीं करोगे और उनका हर कहा मानोगे, बड़े आदमी बनोगे और अपने मम्मी-पापा का और अपनी रिया मौसी का नाम रोशन करोगे, तब वह परी शायद तुम से मिलने ज़रूर आएगी, एक दिन, मगर तब तक तुम दोनों को हमारा कहा मानना होगा और अच्छे से रहना होगा। "
रुद्र की बात सुनकर बच्चों ने कहा, " जी पापा, क्यों नहीं ? आपने जैसा कहा, अब हम वैसा ही करेंगे, कभी भी ममा और दादी को तंग नहीं करेंगे और उनकी हर बात मानेंगे। "
रूही और रूद्र दोनों बच्चों को गले लगाकर रो पड़ते है, बच्चे तो उस रात उस परी की कहानी सुनकर सो जाते है, मगर रूही और रूद्र दोनों ही उस परी की याद में पूरी रात जगते रहे और सोचते रहे, कि क्या वह आसमान की परी फ़िर से कभी हमें मिलने आएगी या नहीं ? क्या हम उसे कभी मिल पाएँगे भी या नहीं ? "
तो दोस्तों, वैसे तो ये मेरी इस कहानी का आख़री भाग था मगर फ़िर भी दोस्तों, क्या आप बता सकते है, कि रिया अब फ़िर कभी रूही, रूद्र और उनके बच्चों से मिलने आएगी या नहीं ? क्या उसे कभी रूद्र जैसा लड़का कहीं मिलेगा या नहीं ? क्या रिया किसी और से शादी करेगी या नहीं ?
" कभी-कभी ज़िंदगी में लोग मिलते है, बिछड़ जाने को, उसके बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ यादें ही रह जाती है। "
रुकिए दोस्तों, कहीं जाना मत, क्योंकि यह तो मेरी कहानी का अंत हो ही नही सकता, कहानी अभी बाकी है।
अब आगे क्रमश:
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