इम्तिहान PART - 8

                        इम्तिहान भाग - ८ 

          तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि जल्दी जल्दी में सीढ़ियों से उतरने की बजह से रूही का पाँव सीढ़ियों से फिसल जाता है और वह सीढ़ियों से गिर जाती है, उसके पाँव में फ्रैक्चर हो जाता है और डॉक्टर रूही को तीन महीने  के लिए कम्प्लीटली बेड रेस्ट करने को कहते है, ताकि वह जल्द से जल्द पहले की तरह ठीक हो जाए। रूद्र अस्पताल में रूही को मिलने जाता है, तब रूही रोने लगती है, कि अब क्या होगा ? कितने दिनों बाद तो उसने ऑफिस जाना शुरू किया था और तभी यह विपदा आन पड़ी ? रूद्र रूही को समझाता है, कि वह और रिया उसके साथ है, तो उसे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं, सब ठीक हो जाएगा। अब आगे... 

       दो दिन बाद रूही को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, रिया और रूद्र रूही को कार में घर ले आते है। घर आते ही रूही के दोनों बच्चे मम्मी-मम्मी करते हुए रूही से लिपट जाते है, रूही भी कुछ पल के लिए भावुक होकर बच्चों को प्यार करने लगती है, फिर रूही को उसके बेड रूम में ले जाते है, अब उसे कुछ दिन आराम ही तो करना है, इसलिए रिया ने रूही के घर लौटने से पहले ही उसके कमरे में ज़रूरी सारी चीज़ें रख दी, जैसे की, उसके कपडें, दवाइयांँ, कुछ किताबें पढ़ने के लिए, उसके मन-पसंद  फ्रूट्स और ड्राई-फ्रूट्स, उसका मोबाइल-चार्जर-हेड-फ़ोन, उसका लैपटॉप, पानी, कागज़ और पेन। 

      आप सोच रहे होंगे दोस्तों, इस दुनिया में इतना तो कोई अपना भी अपनों के लिए नहीं करता, जितना रिया अपनी दोस्त रूही के लिए करती है, हां, लेकिन दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो बिना किसी स्वार्थ के अपना सब कुछ दूसरों के लिए न्योछावर कर देते है, ऐसे लोग दुनिया में बहुत कम मिलते है और उन में से एक है, हमारी कहानी की रिया। जिसने बिना किसी स्वार्थ के अपनी पूरी ज़िंदगी रूही और रूद्र के नाम कर दी, रूही और रूद्र की ख़ुशी में ही रिया की ख़ुशी है, जैसे की रूही और रूद्र ही रिया की ज़िंदगी है और कोई नहीं। 

         रूही को अपने कमरे में सारी चीज़ें अपनी जगह देख उसे भी बहुत अच्छा लगा। रिया ने रूही को खुश होते हुए कहा, कि " मैंने तुम्हारे लिए ऐसा कुछ सोचा है, कि तुम अपने कमरे में बैठे-बैठे भी बहुत कुछ कर सकती हो। ताकि तुम बोर ना हो और तुम्हें अकेलेपन का एहसास ही ना हो, जब भी तुम बैठे-बैठे बोर हो जाओ या तुम्हें कुछ करने का मन हो, तब तुम ऐसा करना, यहाँ से ही अपना ऑफिस का काम जितना हो सके उतना करते जाना, मैं और रूद्र तुम्हें बताते रहेंगे, कि तुम्हें क्या-क्या करना है और अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बता देना, मैं सब कुछ तुम्हें लाके  दूंँगी, तुम बस खुश रहा करो। "

      अस्पताल से आने से पहले रूही ने एक पल के लिए भी सोचा नहीं था, कि रिया ने उसके कमरे में उसके लिए इतना सारा इंतेज़ाम कर रखा होगा, ताकि वह कभी बोर ना हो और उसे कभी अकेलेपन का एहसास भी ना हो।


        रूही ने कहा, " मैं तुम्हें बता नहीं सकती रिया कि मैं तुम्हारा शुक्रियादा कैसे करू ? अगर तुम मेरे साथ नहीं होती, तो यह सब मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाता मगर तुम साथ हो तो सब कुछ कितना आसान हो जाता है, तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी ज़िंदगी में आने के लिए, मुझ से दोस्ती करने के लिए, मुझ से दोस्ती निभाने के लिए और उन सब के लिए जो तुमने आज तक मेरे लिए किया, हमारे लिए किया। "

    रिया ने कहा, " चल पगली,  रुलाएगी क्या ? "

      फ़िर कुछ पल के लिए रिया और रूही एकदूसरे की आँखों में देखते रहे, फ़िर मुस्कुराते हुए गले मिल गए, दरवाजे के बाहर खड़ा रूद्र  दोनों की बातें देख सुन रहा था, दोनों की दोस्ती देख आज रूद्र की आंँखें भी ख़ुशी से भर आई। 

     बस दिन बीतते गए, इन दिनों रिया का काम दो गुना बढ़ गया था, ऑफिस संँभालना, रिया को संँभालना, उसके बच्चों को संँभालना, उसके घर को संँभालना, जैसे वह खुद उस घर का हिस्सा हो, उसने जैसे अपनी ज़िंदगी रूद्र और रिया को समर्पित कर दी हो। मगर फ़िर भी रिया खुश थी, वह नाहीं कभी थकती थी और नाहीं कभी हारती थी, बस वह अपना प्यार और दोस्ती निभाती थी, चाहे कितना भी इम्तिहान की वक्त आए, रिया को तो बस सारे इम्तिहान से जैसे गुजरना था। रूद्र के दिल में भी रिया के लिए बहुत सम्मान था, क्योंकि वह जानता था, कि अगर रिया ना होती, तो उसके अकेले के लिए इतना कुछ करना बहुत-बहुत मुश्किल हो जाता। ज़िंदगी के हर मुश्किल काम और वक़्त को रिया ने आसान बना दिया था।  

          दो महीने बाद रूही को डॉक्टर ने थोड़ी-थोड़ी देर चलने को कहा था, तो अब रूही अच्छा भी महसूस कर रही थी, घर का थोड़ा बहुत काम और बच्चों को सँभाल भी लेती और दोपहर में वक़्त मिलने पर लैपटॉप पर ऑफिस का काम भी कर लेती, इस से रिया का काम भी कुछ हल्का हो जाता। अगले हफ्ते रिया का जन्म दिन आ रहा है, तो रिया के माँ-पापा, भैया-भाभी सब उसे मिलने उसके घर आनेवाले है, रिया के घर में पार्टी रखी गई, रूद्र भी इस बार बहुत ख़ुश है, कि चलो इस बार रिया की बर्थडे बड़े अच्छे से मनाएंँगे। रिया कुछ दिनों से रूद्र के घर ही रुकी थी, तो उसके घर काम भी बहुत बढ़ गया था, उसका सारा घर उलट-सुलट हो गया था, तो रूही ने कहा, " कुछ दिन चलो,  मैं तेरे घर आकर रह जाती हूँ, तेरी हेल्प भी हो जाएगी और मुझे थोड़ा अच्छा लगेगा, कितने दिनों से मैं कही बाहर गई भी नहीं हूँ। "

        रूद्र को भी यह बात सही लगी, सुबह रिया, रूही और उसके बच्चे सब रिया के घर रहने आ गए। रूद्र खुद सब को छोड़ने आया और उसने ये भी कहा, कि " वह रोज़ रात को तुम दोनों के साथ ही खाना खाएगा, रूही और बच्चों से मिल भी लूँगा, रिया को अगर मेरी मदद की ज़रूरत होगी, तो वह भी हो जाएगा। "

       दूसरे दिन रिया रोज़ की तरह सुबह जल्दी उठकर वॉक करने के लिए चली गई, घर पर रूही और उसके बच्चे आराम से सो रहे थे, तभी सुबह-सुबह रूद्र का फ़ोन रिया के मोबाइल पर आता है।   

        रूद्र ने कहा, " हेलो रिया, कहां हो तुम ? "

रिया ने कहा, " बस रोज़ की तरह थोड़ा वॉक करने गार्डन में आई हूँ, लेकिन इतनी सुबह सुबह तुमने मुझे क्यों फोन किया, कुछ काम है क्या ? " 

रुद्र ने कहा, " हां, ज़रूरी काम है तभी तो फोन  किया, मुझे एक ज़रूरी फाइल नहीं मिल रही है, क्या वह फाइल तुम्हारे घर तो नहीं रह गई। " 

        रिया ने कहा, " मुझे तो कुछ याद नहीं है,  हो सकता है, कि मेरी अलमारी में ही वह फाइल रखी होगी, मैं घर जाकर देखती हूँ और तुमको  फ़ोन करके बता दूंँगी, तुम चाहो तो, तुम भी यहाँ आ जाना, ब्रेकफास्ट साथ में कर लेंगे, बाद में यही से ऑफिस चले जाएंगे, वैसे भी आज मैं तुम्हारी पसंद की सैंडविच और उपमा बनाने वाली हूँ। 

      रूद्र ने कहा, " ठीक है, मैं एक घंटे में तुम से मिलता हूँ, मगर हो सके तो वह फाइल ज़रा ढूँढ के रखना। मुझे कुछ ज़रूरी काम याद आया है, जो मुझे आज के आज ही निपटाना होगा। "

      रिया ने कहा, " o.k. बाबा। घर जाकर देखती हूँ, वैसे भी तुम्हें हर ज़रूरी काम आज के आज ही निपटाना होता है, यह तो मैं अच्छे से जानती हूँ। "

     रुद्र ने कहा, " हां, वहीं तो, एक तुम ही हो जो मुझे अच्छे से जानती हो। " कहते हुए दोनों हंसने लगते है और एकदूसरे को byy कहते हुए फोन रख देते है। "

       रिया अपना वॉक ख़तम करके घर आकर फ्रेश होकर नास्ते की तैयारी करने में लग जाती है, रूही ने रात को देर तक काम किया था, इसलिए रिया उसे आज डिस्टर्ब करना नहीं चाहती थी। बच्चे भी उसके साथ आराम से सोए हुए थे क्योंकि आज वैसे भी संडे था। रिया मन ही मन सोचती है, रूही और बच्चे सोते हुए भी कितने प्यारे लगते है। वह सब आराम से सो सके इसलिए रिया ने धीरे से उसके कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया, फिर रिया ब्रेकफास्ट की तैयारी में लग गई, बस उसके बाद थोड़ी ही देर में रूद्र भी आ गया, रूद्र ने आते ही रूही के नाम की आवाज़ लगानी शुरू कर दी। 

        रूद्र चिल्लाते हुए " रूही, रूही " पुकारता जाता है।

      रिया ने रुद्र को चुप कराते हुए कहा, "  देखो रूद्र, कल रात को रूही बहुत देर से सोइ है, इसलिए मैं आज उसे परेशान करना नहीं चाहती, उसे सोने देते है, हम दोनों पहले ब्रेकफास्ट कर लेते है, मुझे बहुत भूख लगी है। उपमा और चाय तैयार है तुम बैठो, मैं अभी सैंडविच भी बना देती हूँ। "

      रूद्र ने कहा, " जी, जरूर, लेकिन तुमने वह फाइल ढूँढी, जो मैंने तुमसे सुबह ही कहा था ? मुझे कैसे भी कर के आज के आज वह फाइल चाहिए, मैंने अपने घर और ऑफिस में सब जगह ढूँढा, मगर मुझे वह फाइल कहीं नहीं मिली, इसलिए मुझे लगता है शायद गलती से तुम वह फाइल यहाँ लेके तो नहीं चली आई ? "

      रिया ने कहा, " हो सकता है, क्योंकि अगर मेरा ऑफिस में कोई काम रह जाए तो, कभी-कभी ऑफिस से कुछ फाइल मैं घर पर भी लाती हूँ, तुम मेरे कमरे में जो स्टडी टेबल है, उसके निचे drawer में मैंने बहुत सी फाइल रखी है, तुम वहां देख लो, शायद तुम्हें मिल जाए और हां कुछ फाइल मेरी अलमारी में भी रहती है, तो वहां भी देख लेना।  

        रूद्र ने कहा, " o.k, मैं खुद ही जाके देख लेता हूँ। "

      रिया के कमरे में रूद्र फाइल ढूंँढने के लिए जाता है, रिया का कमरा देखने से पता चलता था, कि वह हर चीज़ से कितना प्यार करती है, अपने  कमरें में उसने हर चीज़ बड़ी अच्छे से सजाकर रखी थी, स्टडी टेबल के ऊपर निचे दोनों तरफ बड़े drawers थे, जिस में बहुत सी फाइल, किताब, नोवेल्स थी, रूद्र तो देखता ही रह गया।रूद्र न रिया को आवाज़ लगते हुए कहा, कि " क्या तुम्हें इतना पढ़ने का शौक है ? मुझे तो यह पता ही नहीं था, कितनी सारी नोवेल्स है, तुम्हारे पास तो, आख़िर तुम्हें इन सब के लिए वक़्त कैसे मिलता है ? "

        रिया बाहर से ही रूद्र से कहती है, " वक़्त होता नहीं, वक्त निकालना पड़ता है और वैसे भी अपनी मर्ज़ी से और अपना मन पसंद कुछ करने का सोचो तो, तो उस में कोई वक़्त देखा नहीं जाता। "

      रूद्र ने कहा, " हां, शायद तुम सही कह रही हो। "

   फाइल ढूंँढते-ढूँढ़ते रूद्र के हाथों एक डायरी लगी और उस डायरी में रखी चिठ्ठी हाथ लगी, जो कॉलेज के ज़माने में कभी रिया ने रूद्र के लिए लिखी थी, मगर वह उसे ना तो कभी दे पाई और नाहीं कभी कह पाई, रूद्र को लगा, यह कोई ऑफिस के ज़रूरी पेपर्स होंगे, इसलिए रुद्र चिठ्ठी खोलकर पढ़ने लगा, रूद्र को उस वक़्त इस बात का बिलकुल अंदाज़ा नहीं था, कि रिया उसे इस हद तक प्यार करती है, रूद्र के हाथ वह डायरी भी लगी, जिस में रिया ने रूद्र के लिए अपने प्यार के बारे में सब कुछ साफ-साफ  लिखा था, बाहर रिया इस बात से बेखबर रूद्र को आवाज़ लगा रही थी, कि " क्या उसे वह फाइल मिली की नहीं, जिसे वह कब से ढूंँढ़ रहा था ?  कहते कहते वह अपने कमरे में आती है और रूद्र के हाथ में वह डायरी और चिठ्ठी देखकर रिया दो पल के लिए डर जाती है, रिया दौड़ के रूद्र के हाथ से अपनी डायरी और चिठ्ठी छीन लेती है। "

  मगर तब तक रुद्र चिठ्ठी में लिखी बात पढ़ चुका था।

      रिया ने ( चिढ़ते हुए ) कहा, " ऐसे ही चोरी छुपे किसी की डायरी पढ़ना,  क्या सही है ? वह भी उसे पूछे बिना, ये अच्छी बात नहीं। "

     रूद्र ने कहा, "  किसी को बिना बताए उसे इतने साल तक इस कदर बेसुमार प्यार करते रहना और उस इंसान को इस बात का पता भी ना चले, यह भी तो क्या अच्छी बात है ?"

      रिया की नज़रें शर्म के मारे झुक जाती है। 

     रूद्र ने कहा, " तुम कॉलेज के ज़माने से मुझ से प्यार करती आई हो, मैं बेवकूफ तुम्हारे इस प्यार को दोस्ती का नाम देता रह गया ! और दोस्ती की आड़ में तुम से क्या-क्या नहीं करवाया।"

       ( अब रूद्र के सामने एक के बाद एक वह हर लम्हा आने लगा, जो रिया ने रूद्र और रूही के लिए आज तक किया था। )

      तुमने बिना किसी मतलब, बिना किसी शर्त, बिना किसी स्वार्थ के मेरी और रूही की इतनी  मदद की, मैं कितना पागल की मैं तुम्हारी आँखों में, बातों में अपने लिए वह प्यार देख ना पाया। मुझे अपने आप पर शर्म आ रही है, मैं तुम्हारे घर ये फाइल ढूँढ ने नहीं आया होता, तो मुझे शायद आज भी इस बात का पता नहीं चलता। क्यों रिया क्यों ? आखिर तुमने यह सब क्यों किया ? यह जानते हुए की मैं रूही से प्यार करता हूँ, तुम हमारी ज़िंदगी से दूर क्यों नहीं चली गई ? क्यों तुम हर पल हमारे साथ रहती हो ? क्यों तुमने हम दोनों की इतनी मदद की ? तुम चाहती तो मेरा और रूही का रिश्ता एक पल में ख़तम करवा सकती थी, क्योंकि तुम अच्छे से जानती हो, रूही का ऐटिटूड कैसा है ? फ़िर भी तुम चुप रही, हर पल बस यही कोशिश में रही, कि हम दोनों साथ रहे, क्या एक पल के लिए भी तुम्हें, ऐसा ख्याल नहीं आया, कि रूही को रूद्र से अलग कर दूँ और उसकी जगह खुद ले लूँ ? मेरी तो समझ में नहीं आ रहा, आख़िर तुमने यह सब कर कैसे लिया ? आख़िर तुम्हारे अंदर दिल है या पथ्थर ? तुम्हारी जगह कोई और होता तो हमें अपने हाल पर छोड़ दिया होता या तो मुझे और रूही को जुड़ा कर दिया होता, तुमने इतने सालों में एक बार भी मुझे यह बताना ज़रूरी नहीं समझा ? क्यों रिया क्यों ? आखिर क्यों तुमने ऐसा किया ? कोई इतना अच्छा कैसे हो सकता है ? "

         रूद्र रिया की सच्चाई जानकार अपने आपे में नहीं था, वह  बिना कुछ सोचे समझे ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहा था।


रूद्र का ऐसा रूप रिया ने भी पहली बार देखा था। रिया डरी हुई, अपने सिर को झुकाए, अपनी डायरी को अपने हाथों में दबाए, दरवाज़े के पास खड़ी बस रोए जा रही थी। रुद्र गुस्से में रिया के करीब आकर उसके सवाल का ज़वाब माँग रहा था, मगर आज, इस पल तो रिया के पास उसके किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं था, रिया ने कभी भी सोचा नहीं था, कि रूद्र को जब इस बात का पता चलेगा, तब वह उसे क्या कहेगी ? रूद्र के ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की बजह से रूही की आँख भी खुल जाती है, वह उठ के रिया के कमरे की ओर आती है, उसे रूद्र के चिल्लाने की ऐसी आवाज़ सुनाई देती है, जो शायद आज तक किसी ने नहीं सुनी, रूही ने देखा की रूद्र रिया से गुस्से में कुछ सवाल कर रहा है और रिया दरवाज़े के पास चुप-चाप खड़ी थी। रूही ने धीरे से आवाज़ लगाई, " क्या बात है रूद्र ? सुबह सुबह इतना चिल्ला क्यों रहे हो ? " 

       रूद्र ने कहा, " कुछ नहीं, अपनी प्यारी सहेली से पूछो और उस से कहो, कि आज के आज मुझे वह फाइल ढूँढ के देदे, वार्ना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा। "

     रूद्र गुस्से में कहते हुए वहां से चला गया। रूही रूद्र को जाते हुए देखती ही रह गई, क्योंकि रूद्र को इतना नाराज़ और इतने गुस्से में कभी किसी ने नहीं देखा था, तो आज ऐसी क्या बात हो गई ? रूही ने रूद्र के जाने के बाद रिया से पूछा।

      रूही ने कहा, " क्या बात है ? रूद्र इतना गुस्से में क्यों था ? ऐसा और इतना गुस्सा तो आज तक उसने मुझ पर भी नही किया ? उसकी आवाज सुनकर ऐसा लगा, कि वह किसी दर्द में चिल्ला रहा था।" 

      लेकिन अब रिया रूही को क्या कहती ? रिया रूही के गले लग कर बस रोए जा रही थी। रूही की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, कि आख़िर बात क्या है ? उस तरफ रूद्र नाराज़ होकर वहां से चला गया, इस तरफ रूही रिया को चुप रहने के लिए समझा रही थी, थोड़ी देर बाद रिया ने अपने आप को सँभाला और रूही से कहा, " रूद्र की ज़रूरी फाइल शायद मुझ से घूम हो गई है, इसीलिए वह गुस्सा होकर चला गया।"         मगर रूही को रिया की बात पर यकींन नहीं हुआ, क्योंकि आज तक ऐसा हुआ ही नहीं, कि इतनी सी बात के लिए रूद्र इतना गुस्सा हुआ हो।      रूही ने कहा, " अच्छा, ऐसी बात है, तो फ़िर मैं आज रूद्र की ख़बर लेती हूँ, इतनी सी बात के लिए मेरी प्यारी सहेली को इतना रुला दिया। "

      रिया ने कहा, " नहीं, तुम रूद्र से कुछ भी नहीं कहोगी, गलती उसकी नहीं, गलती मेरी ही है, तो गुस्सा होना तो बनता है ना ! मैं ही उसे मना लूँगी, चलो अब घर में बहुत सारा काम बाकी है, दो दिन के बाद मेरे मम्मी-पापा आनेवाले है, पार्टी की सब तैयारी हमें ही तो करनी है, रूद्र की फाइल भी मैं ढूँढ लूँगी, कहते हुए रिया अपनी डायरी और वह चिठ्ठी अपनी अलमारी में कपड़ो के बिच छुपा दी, रिया नहीं चाहती थी, कि यह बात अब रूही को भी पता चले, वार्ना रिया प्यार के साथ-साथ दोस्ती भी खो देती। इसी डर से वह पहले की तरह नॉर्मल होने की कोशिश करने लगी और रूही का ध्यान दूसरी ओर बताने लगी। 

         तो दोस्तों, लगता है जैसे रूही के दूसरे इम्तिहान का वक्त तो अब शुरू हो चुका है, अब रिया रूद्र का सामना कैसे करेगी ? और रूद्र रिया का सामना कैसे करेगा ? क्या कभी रूही को रिया के प्यार के बारे में पता चलेगा ? अगर हां, तो वह कब और कैसे ?

                       अब, आगे क्रमशः 


                                                        

                

                       

     

                                                               

   

    





                                                      

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