इम्तिहान PART - 10

                   इम्तिहान भाग - १० 

         तो दोस्तों, तो अब तक आप सब ने पढ़ा, कि रिया ऑफिस में रूद्र को एक बार मिलती है और उस से कहती है, कि " अब वह उनकी ज़िंदगी से दूर बहुत दूर जा रही है, रिया ने बहाने के तौर पर रूद्र को बताया, कि उसकी मम्मी और भाभी को उसकी ज़रूरत है और अब वह कब लौट के वापस आएगी, यह वो बता नहीं सकती या फ़िर कभी वापस आएगी भी या नहीं, यह उसे खुद पता नहीं। " मगर सच बात तो यह थी, कि अब रिया रूद्र का सामना बार-बार नहीं कर पाएगी, अब रूद्र की नज़रें उसके दिल को और भी दर्द पहुँचाती है, रिया के पास रुद्र के किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं था, या फ़िर वह जवाब देना नहीं चाहती थी, इसलिए वह यह शहर छोड़ के जा रही है, जाते-जाते रिया ने रूद्र के हाथों एक चिठ्ठी रूही और रुद्र दोनों के लिए भेजी, क्योंकि रिया आख़री बार रूही को नहीं मिल सकेगी, अगर वह उसे बता कर जाती तो रूही उसे अपने से दूर कभी नहीं जाने देती, यह बात वह पक्के से जानती थी। दूसरे दिन रूद्र खुद उसे छोड़ने स्टेशन गया था, रिया के जाने के बाद ऐसा लगा, जैसे उसकी दुनिया ही रूठ गई हो। रूद्र रिया की दी गई चिठ्ठी लेकर घर जाता है, रूही को वह चिठ्ठी पढ़ के सुनाता है। रिया की चिठ्ठी पढ़कर रूही और रूद्र दोनों की आँखें भर आती है, दूसरे दिन रूही रिया के घर जाती है, वहां रियाने उसके बच्चों के लिए बहुत सारे गिफ्ट्स रखे हुए थे, रूही को कुछ देर रिया के घर में रुकने का मन हुआ, वह घर की हर एक चीज़ को गौर से देख़ रही थी और महसूस कर रही थी, तभी रूही के हाथों रिया की लिखी हुई चिठ्ठी आ जाती है और रूही चिठ्ठी पढ़कर सब समझ जाती है, कि रिया क्यों ये घर, ये शहर और हम सब को छोड़कर चली गई। घर जाकर रूही ने रिया के दिए हुए गिफ्ट्स बच्चों को दिए। बच्चों ने भी अपनी रिया मौसी को मिस किया, तब रूद्र ने एक आसमान से आई परी की कहानी सुनाते हुए कहा, कि आसमान से एक परी आई थी और हम सब को खुशियांँ देकर चली गई। कहानी सुनकर बच्चे तो सो गए मगर उस रात रूही और रूद्र ना सो पाए।  अब आगे... 

             रिया की भाभी के आख़िरी महीने चल रहे थे, कुछ ही दिनों के बाद रिया की भाभीने भी एक नन्हे-मुन्ने, गोल-मटोल और बहुत ही प्यारे से बच्चे को जन्म दिया। रिया और उसके घर वाले सभी बच्चे के आने से घर में बहुत ख़ुश थे। रिया ने पूरे दिल से अपनी भाभी की और बच्चे की सेवा की,  इस से उसकी भाभी उससे बहुत खुश थी, कुछ महीनों बाद एक दिन उसकी भाभी ( जिसका नाम शीला था। ) ने रिया को कहा, कि "आजकल तुम फ़िर से जॉब ढूँढ रही हो ना ? तो मेरे ध्यान में तुम्हारे लिए एक बड़ी अच्छी जॉब है।"

      रिया ने कहा, " अच्छा, कौन सी जॉब ? कहाँ पर जाना होगा ? क्या करना होगा ? प्लीज बताइए ना, भाभी। "

     शीला ने कहा, " अरे बाबा, ज़रा साँस तो लेले, एक साथ कितने सवाल, बताती हूँ। मेरा भाई रितेश जो दुबई में रहता है और वहां उसका बहुत बड़ा बिज़नेस है, मगर बिज़नेस को सँभालने वाला वह सिर्फ एक अकेला ही है, उसकी मदद के लिए कोई नहीं, तो उसे कोई अपना और जिस पर वह पूरा भरोसा कर सके ऐसे किसी इंसान की ज़रूरत है, ऐसा बातों-बातों में उसने मुझे बताया था। तब मुझे सिर्फ़ तुम्हारे बारे में ख्याल आया, कि ऐसा भरोसेमंद इंसान तुम्हारे सिवा और कौन हो सकता है ? और वैसे भी तुम्हें काम की ज़रूरत है, तो मेरे ख्याल से तुम्हें यह ऑफर को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। " 

       रिया ने कहा, " आपकी बात सही है, भाभी मगर दुबई यहाँ से बहुत दूर है, एक बार जाने के बाद मेरा वहां से बार-बार यहाँ आना मुश्किल हो जाएगा और अब मुझे आप सब के साथ रहने की आदत सी हो गई है और सब से ज़्यादा लगाव मुझे आपके मुन्ना से हो गया है, मैं इसके बगैर अब कैसे रहूँगी ? और आप भी तो इस मुन्ने के साथ कैसे संभालेगी यहाँ सब कुछ ?। "

       शीला ने कहा, " तुम हमारी फ़िक्र मत करो, वह मैं देख लूँगी, मैंने मम्मी-पापा से भी बात कर ली है, उन्होंने भी हां कहा है, तुम जा सकती हो, वहाँ तक जाने का, रहना, खाना-पीना सब इंतज़ाम मेरा भाई रितेश कर लेगा, तुम्हें सिर्फ़ वहां पर उसका काम संँभालना है, अभी तक मैंने रितेश को तुम्हारे बारे में नहीं बताया, अगर तू हां कहे, तो मैं उसे फ़ोन कर के बता दूँगी, उसे मेरी बातों पर भरोसा है और मुझे तुम पर भरोसा है। "

      रिया ने कहा, " अच्छा बाबा, अच्छा, अगर आप इतना ही कह रही हो तो शाम तक सोच के बताती हूँ। " 

        रिया ने पूरे दिन बहुत सोचा, कुछ ना कुछ तो करना है, ऐसे तो घर में मैं पागल हो जाऊँगी। वो तो ठीक है, किसी से मैं अपने दिल की बात कहती नहीं, मगर मेरा दिल तो अब भी रूद्र को बहुत याद करता है, उसकी हंसी, उसकी बातें, उसकी नज़र, उसकी मुस्कान, उसका रूठना, उसका रूही से प्यार करना, उसका प्यार से रूही को मनाना, उसके परफ्यूम की खुशबु, वह आज भी मेरे आसपास ऐसे रहता है, जैसे मेरी पड़छाई, मूड के जब भी देखु मुझे वही नज़र आता है और कोई नहीं, जितना भुलाने की कोशिश करू, मेरे सामने वह आ ही जाता है, एक पल भी ऐसा नहीं, कि मैंने उसे याद किए बिना बिताया हो, रात को सपनो में वह, सुबह आँखें खुलते ही आँखों के सामने उसी का चेहरा, दिन भर उसी से बातें, रात को सोते वक़्त उसी का ख़याल, ओह्ह, रूद्र-रूद्र-रूद्र, तुम मेरी ज़िंदगी में क्यों आए ? मैं तुम्हें भूलना चाहती हूँ, अपने आप के साथ और अपने आप के लिए जीना चाहती हूँ। अब तो मेरा पीछा करना छोड़ दो, रूद्र। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है, कि मैं क्या करू ? अपने आप से बातें करते-करते रिया रोने लगी। 

       पहले रिया अपने मन की बात लिख दिया करती थी, तब उसे थोड़ा अच्छा महसूस होता था, मगर अपनी लिखी डायरी किसी के हाथ लग जाने के डर से अब रिया ने लिखना शायद छोड़ दिया। अगर मन बिलकुल भी ठीक न लगे, दर्द जब हद से बढ़ जाए, शायद तब वह थोड़ा बहुत लिख दिया करती, आज उसने लिखा 

"आँखों में सजाए है,

बहुत से सपने, 

बस उन्हीं सपनों के साथ 

चलो फिर से एक बार 
ज़िंदगी जी लेते है, 
बीते हुए उन लम्हों को
याद कर लेते है, 
जब किसी ज़माने में
बंद आँखों से सपने
देखा करते थे, 
आज उन सपनों को 
पूरा करने का
वक़्त आ गया है, 
फिर से ज़िंदगी
जीने का वक़्त आ गया है। "

       बस यही सोचते सोचते आख़िर रिया ने शाम को अपनी भाभी से दुबई जाने के लिए हाँ कह दी, क्योंकि शायद रिया अब इन सब रिश्तों से दूर जाना चाहती थी और अपने आप के पास, अपने आप के साथ रहना चाहती थी। जो उसे एक मौका मिल जाता है, रिया की भाभी ने अपने भाई रितेश से रिया के बारे में बातें कर ली। रितेश ने कुछ ही दिनों में रिया के दुबई आने का इंतज़ाम कर दिया, उसके लिए अपने घर के नज़दीक एक कवाटर्स में उसके रहने का इंतेज़ाम कर लिया, रिया की फ्लाइट की टिकट भी बुक करवा दी, इस तरफ़ रिया ने भी दुबई जाने की सब तैयारी कर ली, रिया को उस दिन अपने घर से जाते हुए ऐसा क्यों लग रहा था, कि जैसे अब वह यहाँ कभी वापस आएगी भी या नहीं ? उसके जाने के वक़्त रिया के घर वालो की आँखें भी भर आती है, क्योंकि  साथ रहने से उनको रिया से लगाव कुछ ज़्यादा ही हो गया था, वैसे भी हर माँ-बाप को अपनी बेटी जान से भी प्यारी होती है, चाहे वह जहाँ भी हो और जैसी भी हो। 

        रिया ने ( रूढ़ते हुए ) कहा, " अच्छा चलो, मैं दुबई जाना कैंसल करती हूँ, मैं आप लोगों के साथ ही रहूँगी। "

सब लोग साथ में कहने लगे, " अरे, क्या हुआ ? "

        रिया ने कहा, " अगर आप को मेरा जाना पसंद नहीं, तो मैं क्यों जाऊ ? आप सब मेरे जाने पर इतना रो जो रहे हो। "

       शीला भाभी ने कहा, " अरे, पगली ! ऐसी बात नहीं, ये तो बस ख़ुशी के आँसू है, तू जो हम सब के साथ इतने दिन घुल-मिल के जो रही, एक अपनापन सा हो गया है तुझसे, वहां जाकर हमें भूल मत जाना, हमें पता है तु अपने काम में सब कुछ भूल जाती है।"

       रिया ने कहा, " अच्छा ठीक है, रोज़ रात को वीडियो कॉल करूंगी, मुन्ने को देखे बिना मुझे भला नींद कैसे आएगी ?" 

       कहते हुए रिया मुन्ने को गले लगा लेती है। 

     शीला ने कहा, " चलो अब फ्लाइट का वक़्त हो रहा है, कहीं देर ना हो जाए।" 

     रिया (मन ही मन बड़बड़ाती है) हां, कहीं देर ना हो जाए, कहीं इन रिश्तों की बेड़ियाँ फ़िर जकड़ ना ले, इस से पहले मुझे जाना होगा। रिया एक बार माँ-पापा को गले लगती है, उनका आशीर्वाद लेती है, इस घर में भी सब को ढ़ेर सारी खुशियाँ देकर यह रिया नाम की परी फ़िर से चली किसी और देश, किसी और दुनिया में, किसी और के सपने सच करने, किसी और की ज़िंदगी में खुशियाँ बाटने, किसी अनजान शहर, किसी अनजान नगरी, एक अनजाना सा रिश्ता, एक अनजाना, अनदेखा सपना, आँखों में लिए, आज फिर से बहुत दूर, सब से दूर, जा रही है रिया नाम की परी सब से दूर, बहुत दूर। अब आगे...

      रिया अब फ्लाइट में दुबई जा रही है, शायद दुबई पहुंच भी गई, रिया एयरपोर्ट के बाहर आधे घंटे से रितेश के इंतज़ार में थी, शीला भाभी ने कहा था, कि " वह खुद उसे लेने आएगा। " रिया ने रितेश को कॉल किया, मगर उसके किसी भी कॉल का नो रिप्लाई, अब वह चिढ़ने लगी, उसके साथ आए सब लोग भी अपने रिश्तेदार के साथ जा चुके थे, रिया मन ही मन बड़बड़ाती है, कम से कम मैसेज तो कर दो, address तो भेज दो, मैं कहा जाऊँगी, यहाँ तो वह भी नहीं और उसका कोई अटपटा भी नहीं, पता नहीं कौन सा बिज़नेस है और कैसे चलाता होगा ये रितेश ?ऊफ्फ.... 

            तभी सामने से एक बड़ी कार आकर रुकी, कार में से एक नौजवान लड़का बाहर आता है, गोरा रंग, ऊँचा कद, बिखरे बाल, आँखों पर काला चश्मा, चेहरे पर सिकंज, व्हाइट टी-शर्ट पर ब्लू जैकेट और जीन्स, शूज भी रंगबिरंगी, हाथो में घड़ी और दूसरे हाथों में हैंडबैंड पहने हुआ था, रिया को जैसे चलता-फ़िरता फैशन की दुकान जैसा लगा, उस लड़के ने सामने से आकर कहा, " आप ही है ना, रिया ? "

      रिया ने कहा, " हां,  और आप रितेश ? "

     रितेश ने ( अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए ) कहा, "आप से मिल कर ख़ुशी हुई। "

     रिया ने ( मुँह फूलते हुए ) कहा, "मुझे बिलकुल भी नहीं। "

     रितेश ने कहा, " क्या ? "

     रिया ने कहा, " मेरा मतलब, अभी हम अच्छे से मिले ही कहाँ है ? "

     रितेश ने कहा, " ओह्ह, ( घड़ी देखते हुए ) मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, माफ़ी चाहता हूँ।"

       रिया ने ( अपनी आँखें बड़ी करते हुए )कहा, " थोड़ी देर ? "

       रितेश ने कहा, " हाआआ, मतलब ! ( चश्मा चेहरे से हटाते हुए ) सॉरी बोला ना बाबा, अब चलो भी। "

      रिया थोड़ी मुस्कुराई, रितेश ने रिया का सामान अपनी कार में रखा और कार की अगली सीट का दरवाज़ा भी रिया के लिए खोला और रिया से कहा, " अब चले ? " रिया मुंह बनाते हुए कार में बैठ गई, जैसे रितेश के देर से आने की बजह से वह उस पर नाराज हो। बीच रास्ते में शायद दोनों के बीच कोई बात न हुई, ऐसा लगा जैसे, रितेश और रिया की पहली मुलाकात इतनी खास न रही, दोनों कार में बैठकर घर की ओर जाते है, रितेश रिया को उसके घर के करीब कवाटर्स मेंं लेकर जाता है, कार में से रिया का सामान निकाल कर कवाटर्स में भी वह खुद रखता है, और ( सोफे पर अपने पाँव फैलाकर बैठते हुए ) रिया से कहता है, कि " आज से तुम यहीं रहोगी, किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो बता देना, घर आराम से देख लेना, आज के दिन आराम करो, कल ऑफिस जाएँगे, वैसे भी आज संडे है, तो छुट्टी है। "

     रिया ने सोफे पर अपने पाँव फैलाकर बैठे रितेश की ओर तिर्छी नज़र से देखा, ( रितेश उसकी आँखों को पहचान गया, रिया को यह बिलकुल पसंद नहीं आया, )

     रितेश  ( सोफे पर अच्छे से बैठते हुए ) कहता है, कि " ओह्ह... सॉरी, आपको बुरा लगा हो तो ! तो मैं चलू ? "

      रिया ने चिढ़ते हुए कहा, " महेरबानी होगी आपकी। "

    रितेश अपने चेहरे पर फ़िर से अपना काला चश्मा लगाते हुए, एक नज़र रिया पर डालते हुए, वहाँ से चला जाता है, रिया उसे जाते हुए देखती रही, और बड़बड़ाई, " है भगवान् ये कहाँ भेज दिया आपने मुझे, मेरा इस नौटंकी के साथ क्या होगा ? "  रिया भी अपना सामान साइड पर ऱख सोफे पर पाँव फैलाए आराम से बैठ गई, दूसरे ही पल रिया को लगा, मैं ये क्या कर रही हूँ ? अपने सिर पर हाथ ऱख मुस्कुराती है, बाहर जाते हुए रितेश ने रिया को अपनी तरह पाँव फैलाकर बैठते हुए देखा और चुपके से वहाँ से निकल गया।

       तो दोस्तों, अब रिया की दोस्ती रितेश से हो पाएगी ? क्या रिया रितेश जैसे लड़के के साथ काम कर पाएगी ? 

                        अब आगे क्रमशः 

                                                            

    




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