इम्तिहान PART - 12

                    इम्तिहान भाग - १२ 

            तो दोस्तों, अब तक आप सबने पढ़ा, कि रिया शीला भाभी की माँ से मिलने जाती है, शीला भाभी की मम्मी रिया से कुछ अपने बारे में बताने जा रही थी, तभी रितेश आ जाता है और उन्हें कुछ भी बताने से रोक लेता है, रितेश और उसकी मम्मी एक दूसरे को बहुत प्यार करते है, ये उन दोनों के बिच हुई बातों से रिया को पता चला, शीला भाभी की मम्मी जिसका नाम शारदा देवी है, उन्होंने रिया को आज रात को यही पर खाने को कहा, मगर रिया को कुछ ज़रूरी काम है, ऐसा कहते हुए रिया वहाँ से अपने कवाटर्स जाकर अपनी डायरी में रूद्र को याद करते हुए फ़िर से कुछ लिखने लगते है,

 " जब कभी किसी के साथ, घंटों बैठकर बातें

    करने का मन करता है, तब इस दिल को,

         सिर्फ़ तेरी ही, याद आती है।"

अब  आगे... 

         रिया अपनी डायरी को गले से लगाकर आँखों को बंद कर कुछ देर बस वही खिड़की के पास बैठी रही, तभी रितेश का मैसेज आया, " कल सुबह १० बजे। " रिया को मैसेज पढ़कर भी अजीब लगा, कल सुबह १० बजे ? मगर क्या ? इसका मतलब कोई क्या सोचे ? ऊफ्फ, यह लड़का भी ना ! शायद कल सुबह १० बजे ऑफिस जाना है, ऐसा कह रहा होगा, ठीक है तो, रिया ने भी सिर्फ़ ok लिख दिया, अभी रात के १० बजे होंगे, तभी रितेश के घर के बाहर एक कार आती है, रिया ने खिड़की में से बाहर देखा, कोई लगातार ज़ोर-ज़ोर से कार का हॉर्न बजा रहे है और रितेश-रितेश के नाम की आवाज़ लगाए जाते है, कुछ ही देर में रितेश अपने हाथों में टी-शर्ट और शूज लिए दौड़ता हुआ कार की तरफ़ आता है, कार का पीछे का दरवाज़ा खुलता है और रितेश ने अपने शूज कार के अंदर फैंक दिए और टी-शर्ट को पहनता हुआ जल्दी में कार में बैठ जाता है, उसके कार में बैठते ही उसकी कार बड़ी तेज़ी से म्यूजिक का वॉल्यूम तेज़ किए, चिल्लाते हुए चली गई, रिया देखती ही रह गई। अरे भगवान्, ये कैसा लड़का है ? ऊफ्फ... मेरा क्या होगा ? रिया मन ही मन अपने आप से कहती है, दिन भर मस्ती, रात को मस्ती, पता नहीं, ये काम क्या और कैसे करता होगा ? बड़बड़ाते हुए रिया सो जाती है और रिया को सुबह जल्दी उठने की आदत है, सुबह उठते ही रिया खिड़की में से बाहर देखती है, तो खिड़की में से  सुबह का मौसम भी बहुत अच्छा दिख रहा था, रोज की तरह रिया मॉर्निंग वॉक पर जाने के लिए तैयार हो जाती है और  रिया अपने बैडरूम में से नीचे आती है, नीचे ड्रॉइंग रूम में आते ही रिया सुबह-सुबह रितेश को अपने घर में सोफे पर सोया हुआ देख़ चौंक पड़ती है, रितेश सोफे पर उल्टा सोया हुआ था, उसके एक हाथ में घर की चाबी और दूसरे हाथ में बियर की आधी भरी हुई बोतल थी, उसका एक जूता भी ज़मीं पर गिरा हुआ था और दूसरा जूता उसके दूसरे पैर में ही था, उसका एक पाँव और एक हाथ ज़मीन को छू रहे थे, उसके बाल एकदम बिखरे हुए थे, उसे देख़ के लगा, जैसे वह पूरी रात शराब पीके आया हो, अभी वह बहुत गहरी नींद में था, लेकिन नींद में रितेश और भी मासूम लग रहा था, उसके काले घने बाल हवा के झोंको से उसके चेहरे पर बार-बार आके उसे चुम रहे थे। रिया को पहले तो मन किया, कि अभी रितेश को उठाकर उस से सवाल करु, कि ऐसे आधी रात को घर आने का क्या मतलब ? इसे याद नहीं, कि अभी इस घर में एक जवान लड़की रहती है, लेकिन इस वक़्त रितेश बहुत गहरी नींद में था, तो रिया को उसे जगाना ठीक नहीं लगा, रिया ने उसके हाथों से बोतल ली और वॉश-बेसिन में बोतल खाली कर दी, दूसरे हाथ की चाबी उसने वही टेबल पर ऱख दी, उसके दूसरे पाँव में से भी जूता निकाला और रितेश को अच्छे से सुला दिया, पहले मैं थोड़ा वॉक कर के आती हूँ, बाद में सोचती हूँ, इसका क्या करना है ? बड़बड़ाते हुए रिया बाहर चली गई, एक घंटे के बाद रिया वॉक कर के घर वापस आती है, घर में देखा, तो रितेश गायब। टेबल पर रखी चाबी भी नहीं थी, वह समझ गई, नींद खुलते ही वह चला गया होगा, उसे याद आ गया होगा कि वह अपने घर नहीं बल्कि यहाँ आके सो गया,  रिया मन ही मन बड़बड़ाई, "ऊफ्फ... इस लड़के का कोई भरोसा नहीं, है भगवान्, मुझे ऐसे लड़के से बचाना प्लीज। " रिया ऊपर अपने कमरे में जाती है, तो उसके बगल वाले कमरें का ताला खुला हुआ था, शायद रितेश ने दरवाज़ा खोला होगा, मगर ऐसा कौन सा ख़जाना अंदर रखा हुआ है, कि किसी को अंदर जाने से मना है, होगा कुछ मुझे उस से क्या ? बड़बड़ाते हुए रिया अपने कमरे में चली जाती है। रियाने अपने कमरें के चारों और देखा, कहीं रितेश यहाँ कहीं छुपा तो नहीं ? अब इस रितेश पर भरोसा करना मुश्किल है, रिया ने घड़ी में देखा, ९ बजने वाले थे, उफ्फ्फ... इस रितेश के चक्कर में तो वक़्त कहाँ निकल जाता है, पता ही नहीं चलता। बड़बड़ाते हुए रिया नहाने चली जाती है, फ्रेश होकर रिया नीचे आती है, किचन में आकर मिल्क और कॉर्नफ़्लेक्स एक बाउल में लिया, जो वह सुबह बाहर से लेके ही आई थी। नास्ता कर के उसने घड़ी में देखा, तो १० बजने वाले थे, रिया ने सोचा, रात को रितेश सोया तो है नहीं, क्या वक़्त पर आएगा ? मुझे खुद ही ऑफिस जाना होगा, देखती हूँ, क्या करता है, ये छोरा। तभी उसके घर के बाहर एक कार आके खड़ी रही और कोई लगातार कार की हॉर्न बजाऐ जा रहा था और कौन होगा ? रितेश ही तो था। अरे ! इतनी जल्दी आ भी गया, मैंने तो सोचा था... चलो छोड़ो। बड़बड़ाते हुए रिया अपना पर्स, मोबाइल, घर की चाबी लेकर आ ही रही थी, फ़िर भी रितेश कार की हॉर्न बजाए ही जाता है, रिया ने अंदर से आवाज़ लगाई, आ ही रही हूँ। फ़िर भी हॉर्न बजता रहा, रिया दौड़ती हुई सैंडल को हाथ में लिए कार के पास आते हुए कहती है, "  कितने हॉर्न बजा रहे हो ? मैं आ ही रही हूँ ना ? "

       रितेश कुछ नहीं बोला, सिर्फ़ अपने गॉगल्स  को अपने हाथों से ज़रा अपने नाक की ओर नीचे करते हुए रिया की तरफ़ तिरछी नज़रों से देखा और कार की चाबी गुमाई, रिया फ़टाक से यह देख़ कार के अंदर बैठ गई, रितेश एकदम तेज़ी से कार चलाने लगा, कल से आज रितेश एकदम हटके था, उसने सफ़ेद शर्ट, काला फॉर्मल पैंट, उस पर शीट के पीछे रखा काला कोट और ताई, आँखों पर चश्में, दाढ़ी बनाए हुए, एकदम चिकना लग रहा था आज तो रितेश। 

       रिया ने कहा, "ज़रा धीरे, हम विमान में नहीं कार में बैठे है।"


       ये सुन रितेश ने कार की स्पीड ज़रा कम की, मगर ना के बराबर, वह तेज़ी से कार चलाता ही रहा, ऑफिस आते ही रितेश कार से बाहर निकलता है, रिया भी बाहर आई, रितेश ने कार की चाबी ड्राइवर को कार पार्क करने को दे दी, ड्राइवर ने कार पार्क की, रितेश अपने एक हाथ में कोट लिए ऑफिस के अंदर जाता है, रितेश को देखते ही, ऑफिस में सब खड़े हो जाते है, सब लोग उसे गुड मॉर्निंग बॉस कहते है और वह ठाठ से अपने केबिन में चला जाता है, उसके पीछे-पीछे रिया भी जैसे भागी जा रही थी, रिया को अपने केबिन में आता देख़, रितेश ने उसे वही रोक लिया, और कहा, " आपका केबिन मिस नैना आपको दिखा देगी "

        रितेश ने मिस नैना को घंटी बजा के बुलाया और कहा, कि " यह रिया है, इसे अपने केबिन में बिठाओ और सारा काम समझा दो, जो मैंने कल रात को तुम्हें कहा था और हां, दो घंटे बाद हमारी एक क्लायंट के साथ मीटिंग भी है, तो इन्हें वह भी समझा देना, आज का प्रेजेंटेशन यही देगी। "

       रिया ने कहा," मगर मुझे तो अभी कुछ पता भी नहीं है।"

      रितेश ने कहा, " तो पता कर लो, नैना आपको समझा देगी, आसान ही है, समझलो ये आपका इंटरव्यू ही है, इस में आपको पास होना ही है, इसी पर निर्भर करता है, कि मेरी इस कंपनी में आपको क्या काम दिया जाए ? "

     रिया ने कहा, " मगर मुझे थोड़ा वक़्त तो दो। "

      रितेश ने कहा, " आपको सब कुछ समझ ने के लिए दो घंटे काफी है, जो मैंने आपको दिए है। "

      रितेश ने अपने हाथों के इशारे से रिया को चुप रहने को और वहां से दूसरे केबिन में जाने का इशारा किया। रिया मुँह फुलाते हुए रितेश के केबिन से बाहर चली जाती है, मिस नैना उसे अपने केबिन में ले जाती है और उसे सब समझाने लगती है, मगर एक तरफ़ रिया को अंदर से बहुत गुस्सा आ रहा था, ऐसे कैसे कोई पहले ही दिन प्रेजेंटेशन दे देता है, वो भी सिर्फ़ दो घंटे में। अब आए है, तो कोशिश करनी होगी, यह सोच रिया ने नैना की बातों पर ध्यान दिया और सब अच्छे से समझ लिया, प्रेजेंटेशन की तैयारी में दो घंटे कहा चले गए, उसे पता ही नहीं चला। दो घंटे बाद नैना रिया को बुलाने आई, नैना ने कहा, "रितेश सर आपको बुला रहे है, प्रेजेंटेशन का वक़्त हो गया है।"

   रिया ने कहा, " हां, उनसे कहो, मैं आ रही हूँ। "

      नैना ने कहा, " नहीं, आपको अभी के अभी चलना है, मेरे साथ, रितेश सर ने ऐसा ही कहा है। "

      रिया यह सुनकर थोड़ी चिढ़ते हुए कहती है, "ऊफ्फ... आती हूँ। " 

      नैना ने कहा, " जल्दी चलिए, सर को इंतज़ार करना बिलकुल पसंद नहीं। "

       रिया ने कहा, " हा, मगर इंतज़ार करवाना बहुत पसंद है। "

        नैना ने कहा, " क्या कहा आपने ? "

        रिया ने कहा, " कुछ नहीं, चलो अब। "

      रिया प्रेजेंटेशन के लिए केबिन में जाती है।  केबिन भी काफी बड़ा था, बिच में टेबल था, सामने रितेश अपनी कुर्सी के पास हाथ में फाइल लिए खड़ा था, जैसे मेरे इंतज़ार में हो, उसके पासवाली कुर्सी पर और भी ७-८ लोग बैठे हुए थे, पहले तो रिया को थोड़ा डर लगा, मगर उसने हिम्मत नहीं हारी, रितेश ने रिया का इंट्रोडक्शन देते हुए उसे इशारे से प्रेजेंटेशन देने को कहा। कान्हाजी का नाम लेकर रिया ने प्रेजेंटेशन शुरू किया। सब गौर से सुन रहे थे, प्रेजेंटेशन के ख़तम होने के बाद सब ने तालियाँ बजाकर रिया को बधाई दी, उसका प्रेजेंटेशन सब को पसंद आया, मगर रितेश ने नाही तालियांँ बजाई, नाही उसे बधाई दी, थोड़ी देर बाद रिया के करीब जाकर फाइल में कुछ देखते हुए रितेश ने सिर्फ़ उतना ही कहा, कि " इतना बुरा भी नहीं था, गुड, तुम इस से अच्छा भी कर सकती हो।" कहते हुए रितेश फ़िर से अपने केबिन में चला जाता है। रिया की समझ में ये नहीं आया, कि ये मुझ से इतना उखड़ा-उखड़ा सा क्यों रहता है ? ऊफ्फ... कहते हुए वहाँ रिया अपनी फाइल समेत के अपने केबिन में चली जाती है, प्रेजेंटेशन के बाद वह कुछ देर आराम से बैठना चाहती थी, उसने अपनी आँखें बंद की, तभी नैना फ़िर से कुछ फाइल्स लेके आई, उसने कहा, " शाम तक यह सब फाइल चेक कर के सर के पास sign करवानी है। "

       रिया ने कहा, " उपपसस.... इंसान है या मशीन, खुद तो चैन से बैठता नहीं और मुझे भी..." रिया को इन सब काम में पता भी नहीं चला, कि कब दोपहर हो गई, लंच का वक़्त हो गया था, नैना रिया के पास आती है, टिफ़िन देते हुए कहती है, लंच का वक़्त हो गया है, सर ने कहा है,  " आप लंच कर लो, " आपके लिए टिफ़िन भेजा है। 

         रिया ने कहा, "  दोपहर के २:३० बज गए ? पता ही नहीं चला, अच्छा ठीक है, रख दो, मैं खा लूँगी। "

        नैना ने कहा, " नहीं, सर ने कहा है, अभी खा लो। "

         रिया ने कहा, " क्या  ज़बरदस्ती है ? ठीक है ऱख दो। "

      नैना टिफ़िन रख कर चली जाती है , रिया बड़बड़ाते हुए लंच करती है, " यह नैना की बच्ची लड़की है या रोबर्ट ? जब देखो, सर ने ये कहा, सर ने वो कहा है। ऊफ्फ..."

       रिया लंच के बाद फ़िर से अपने काम में लग जाती है, शाम को थक के आराम से कुछ पल खिड़की से बाहर देखे जाती है।   

      रिया ने गौर किया, आज रितेश एक दम अलग लग रहा था, शर्ट-सूट उस पर ताई, बाल एकदम अच्छे से बनाए हुए, एकदम जेंटलमैन। लेकिन एक बात तो है, रितेश अपने घर में कुछ और है, दोस्तों के साथ कुछ और है और अपनी ऑफिस में कुछ और ही है, इसे समझ पाना, थोड़ा नहीं बल्कि काफी मुश्किल है, तभी नैना फ़िर से आती है और कहती है, रितेश सर अभी आपको फाइल्स लेके बुला रहे है।  

       रिया ने कहा, " आती हूँ। "

       नैना ने कहा, " जी..."

     रिया फाइल्स लेके रितेश के केबिन में जाकर अपनी फाइल दिखाती है, रितेश ने फाइल्स को अच्छे से देखा, फ़िर रिया की तारीफ़ करते हुए कहा, कि " बहुत अच्छे, एक ही दिन में आपने काफी अच्छा काम किया है, कल से आप मेरी असिस्टेंट है, आप कल से मेरे केबिन में यहाँ मेरे सामने ही बैठगी, समझ गई आप ? "


     रिया ने कहा, "जी... यहाँ, आपके सामने ? "

      रितेश ने कहा, " क्यों ? कोई तक़लीफ़ है आपको ? "

       रिया ने कहा, " जी नहीं, मुझे क्या तकलीफ़ होगी ? वो तो बस ऐसे ही...। "

        रितेश ने कहा, " तो ठीक। "

        रिया रितेश को थैंक्स कहते हुए अपने केबिन में चली जाती है, घर जाने का वक़्त वैसे भी हो ही गया था, रिया अपना पर्स लेकर घर जाने की तैयारी में थी, तभी रितेश का मैसेज आता है, पार्किंग में आ जाओ, रिया नीचे पार्किंग में जाती है, रितेश अपनी कार में ही बैठा था, रिया को आता देख़ रितेश ने कार की अगली सीट का दरवाज़ा रिया के लिए खोला। 

        रिया ने कहा, " कल से ऑफिस में खुद ही आ जाया करुँगी, आपको तक़लीफ़ लेने की कोई ज़रुरत नहीं। "

         रितेश ने कहा, " देखो, हम दोनों का रास्ता एक ही है, तो उस में तक़लीफ़ की कोई बात नहीं। "

        रिया ने कहा, " लेकिन फ़िर भी..."

        रितेश ने कहा, " शीला दीदी ने अच्छे से ख़याल ऱखने को कहा है, बस वही करने की कोशिश करता हूँ। " 

       रिया ने कहा, " ओह्ह्ह... तभी..."

      उसके बाद फ़िर से दोनों के बिच ख़ामोशी का सिलसिला चला, देखते ही देखते घर आ गया, रिया को अपने घर छोड़ रितेश अपने घर चला गया, रिया घर जाकर कुछ खाना खा के सो जाती है, तभी कल के जैसे रितेश के दोस्तों की कार हॉर्न बजाते हुए आती है और रितेश भागता हुआ उस कार में बैठ के चला जाता है, रिया ने खिड़की में से यह सब देखा, उसे बड़ा अजीब लगा, ये रितेश ऐसे क्यों और कहाँ को घूमता रहता है, सोता कब है ? छोड़ो, मुझे क्या लेना-देना इस से, रिया सोने की कोशिश करती है, मगर आज उसे अब नींद नहीं आती, रिया कुछ नॉवेल लेके पढ़ने लगती है। 

     " प्यार जब हद से गुज़र जाता है,

       दर्द जब हद से बढ़ जाता है, 

        तब ज़िंदगी जीने के कोई,

            मायने नहीं रहते, 

       आती-जाती साँस के साथ, 

     ज़िंदगी तो बस चलती ही जाती है, 

    नाही कोई खवाइश, नाही कोई उम्मीद। "

        थोड़ी देर के बाद रितेश के घर से बड़ी चहलपहल की आवाज़ें आने लगी, रिया अब तक जग रही थी, तो उस ने खिड़की से बाहर देखा, तो घर के नौकर इधर-उधर अपने ही घर में फ़ोन लिए भाग रहे थे, रिया का क्वाटर्स रितेश के घर से इतना नज़दीक था, कि खिड़की में से सामने वाले घर में क्या हो रहा है, वह भी दिखाई देता है, रिया को लगा, ज़रूर कुछ गड़बड़ हुई है, रिया फ़टाफ़ट उठ के रितेश के घर जाती है, नौकरों ने कहा, " माजी की तबियत अचानक से बहुत ख़राब हो गई है और रितेश बाबू फ़ोन नहीं उठा रहे है, वह रोज़ की तरह अपने दोस्तों के साथ पार्टी में गए है, अब वह सुबह ही आएँगे।"

         रिया ने कमरे में जाकर देखा, तो माजी की हालत सच में बहुत ख़राब थी, उन्हें साँस लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी, ऐसा उनको देखकर रिया को लगा, रियाने माजी को गहरी साँस लेने को कहा, उनकी दवाई की फाइल में से डॉक्टर का नंबर ढूँढ के फ़ौरन डॉक्टर को घर बुलाया। डॉक्टर ने कहा, " इनको माइनर हार्ट-अटैक आया लगता है, इन्हें जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना पड़ेगा, दूसरी बार ऐसा नहीं होना चाहिए और जल्द से जल्द ये कुछ और रिपोर्ट्स मैंने लिख दिए है, वह टेस्ट करवा लीजिए। " कहते हुए डॉक्टर चले गए। 

        रिया ने डॉक्टर के बताए अस्पताल फ़ोन कर के एम्बुलेंस बुला लिया और माजी को अस्पताल ले जाती है, वहाँ जाकर रिया ने माजी के सारे रिपोर्ट करवा लिए, जैसा डॉक्टर ने कहा था और माजी की ट्रीटमेंट भी शुरू करवा दी, रिया पूरी रात माजी के पास बैठी रही, अब तो सुबह भी होने को है, रिया ने रितेश को बहुत फ़ोन किए, मगर उसका कोई अता-पता नहीं, रिया को उस वक़्त रितेश पर बड़ा गुस्सा आया, कैसा है ये लड़का ? रिया नर्स को माजी का ध्यान रखने के लिए कहकर घर जाकर रितेश का इंतज़ार करने लगी। 


          तभी घर के बाहर एक कार आके रुकी, उस कार में से रितेश शराब के नशे में बाहर आता है, घर में आकर सीधे अपने कमरे में जाकर अपने बिस्तर पर उल्टा गिर जाता है। वह शराब के नशे में ही सो जाता है, रिया रितेश के पीछे उसके कमरे तक जाती है, पूरे कमरे में कपड़े, किताबें और जुटे इधर-उधर बिख़रे हुए थे, बिस्तर भी पूरा बिखरा हुआ था, अलमारी आधी खुली हुई थी, उस में भी सारे कपडे बिख़रे पड़े हुए थे, एक भी चीज़ अपनी जगह पर नहीं थी, यह सब देखकर रिया को ख्याल आया, ऑफिस में एकदम रफ एंड टफ रहने वाला घर में अपने कमरे का क्या हाल बना के रखा है इसने ? बड़ी अजीब बात है, पहले तो उसकी समझ में कुछ नहीं आया, मगर कुछ देर बाद रिया को लगा, आज इसे जगाना ही पड़ेगा, अपनी माँ को ऐसे छोड़ के रातो को कौन जाता है ? अगर आज उन्हें कुछ हो जाता तो ? ज़िम्मेदार कौन ? रितेश को उसकी ज़िम्मेदारी का एहसास कराना होगा, चाहे कुछ भी हो जाए, ऐसा सोच रिया ने रितेश को जगाने के लिए आवाज़ दी, मगर वह हिला तक नहीं, फ़िर रिया ने उसे आवाज़ देते हुए हिलाया, फ़िर भी वह नहीं जगा, फ़िर बिस्तर के करीब पानी का बड़ा जग रखा हुआ रिया ने देखा, रिया ने पानी का जग उठाया, रितेश के चेहरे पर सारा पानी दाल दिया, उसका पूरा बिस्तर और वह ख़ुद गिला हो गया, तब जाके झपक के रितेश बिस्तर से खड़ा हुआ। 

       रितेश ने चिल्लाते हुए कहा, " कौन है ? क्या बदतमीज़ी है ये ? और आपने मेरे कमरे में आने की जुर्रत कैसे की ? " 

      रिया ने भी इस बार चिल्लाते हुए कहा, " अपनी आँखें खोलो रितेश ! जरा होश में आओ, पूरी रात कहाँ थे तुम ? तुम्हें पता भी है, कल रात क्या हुआ था ? तुम्हारी ममा कहा है ? तुम्हें कुछ पता भी है ? 


      रितेश अपनी ममा के बारे में सुनते ही कमरे के बाहर उसकी ममा के कमरे की और बिना सोचे समझे, भागते  हुए नीचे जाने लगता है, तभी पीछे से रिया उसे आवाज़ देते हुए कहती है, " रुको, तुम्हारी ममा घर में नहीं है, अब ढूँढो अपनी माँ को। "

        रितेश गुस्से में रिया की ओर आता है, रिया के हाथ मरोड़ते हुए, चिल्लाते हुए, रितेश रिया से पूछता है, " कहाँ है मेरी ममा ? बताओ ? " ( रितेश ज़ोर से  चिल्लाता है। )

        रिया ने कहा, "कल रात को आंटी को हार्ट-अटैक आया था, वह अभी अस्पताल में है।"

        रिया की बात सुनते ही रितेश डर जाता है, रिया का हाथ छोड़ रितेश ज़मीन पर अपने घुटनों के बल गिर जाता है, उसकी आँखें लाल हो जाती है, रितेश रिया से पूछता है, " ममा अब कैसी है ?"

     तो दोस्तों, आप को क्या लगता है, रितेश की ममा ठीक हो जाएगी ? 

                       अब आगे क्रमशः। 

                        

                                                                                                                                

                       

     




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