इम्तिहान PART - 7

                     इम्तिहान भाग - ७ 

        तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि रूही अपने दोनों बच्चों के साथ अस्पताल से अपने घर आ गई,  घर पर पहले से रूद्र भी आ चूका था, जो रूही के लिए बहुत बड़ा सरप्राइज था। रिया और रूद्र ने मिल के एक बड़ी पार्टी दी थी, उस पार्टी में सभी दोस्त और रिश्तेदारों को बुलाया गया था, सब लोग बहुत खुश थे और सभी रूद्र और रूही को बधाइयाँ दे कर जा रहे थे। पार्टी के ख़तम होने के बाद रूही अपने बच्चों को लेकर अपने कमरे में आराम करने चली जाती हैं और रूद्र और रिया बाहर कुर्सी पर बैठ के कुछ देर बाते करते हैं, थोड़ी देर बाद रूही के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर रिया और रूद्र भागे-भागे रूही के कमरे की और जाते हैं, वहां दोनों बच्चे रूही को परेशांन कर रहे होते हैं, ये देख रूद्र और रिया दोनों मन ही मन मुस्कुराया करते हैं, फिर वह दोनों मिल के सब संभाल लेते हैं, अब कुछ महीनों के बाद बच्चे बड़े हो जाते हैं, तब रिया अपने घर चली जाती हैं और फिर से अपनी जॉब भी शुरू कर देती हैं। उस तरफ रूद्र का काम भी बहुत अच्छे से चल रहा हैं, तो उसने अपने लिए नई कार खरीदी और नया बंगलो भी ख़रीदा। वह भी अपने काम में बहुत व्यस्त रहता हैं, कभी-कभी रूही दोनों बच्चो को सँभालते हुए थक जाती हैं और चीड़ जाती हैं, तब रूद्र हर बार की तरह रूही को समझा देता हैं और बात संभाल लेता हैं। अब आगे... 

         कुछ महीनों के बाद रूद्र और रूही अपने बच्चों के साथ नए घर में शिफ़्ट हो गए। अब रूही के दोनों बच्चे तीन साल के हो चुके थे और अब दोनों का अच्छे स्कूल में एडमिशन करा दिया था। बच्चों के स्कूल जाने के बाद अब रूही को कुछ पल के लिए आराम भी मिल जाता था। मगर कुछ ही दिनों के बाद रूही अपने रोज़ के काम से बोर होने लगी, उसे भी रूद्र और रिया की तरह बाहर ऑफिस जाना था। उसने सोचा, कि अब तो बच्चे स्कूल जाने लगे हैं, तो अब तो मैं भी ऑफिस ज्वाइन कर सकती हूँ, थोड़ा वक़्त अपने लिए भी तो निकालना चाहिए, ये सोचकर रूही ने अपने मन की बात रूद्र से कही, रूद्र जानता था, कि एक दिन तो ऐसा फिर से आएगा ही, रूद्र रूही के मन को अच्छे से जानता था। रूही घर बैठ के बच्चे सँभालने वालो में से नहीं। उसे अपनी आज़ादी भी सब से ज़्यादा प्यारी थी। वह तो रूद्र था, जो उसे समझाया करता और रूही को मनाया भी करता। तब रूद्र ने थोड़ी देर सोचकर कहा, कि " तुम किसी और कंपनी में जॉब करो, इस से बेहतर हैं, कि तुम मेरी ही कंपनी में क्यों नहीं ज्वाइन कर लेती। वैसे भी मुझे एक हेल्पर की ज़रूरत हैं, वैसे तो रिया हैं, लेकिन वह भी पूरा दिन कितना काम करती हैं, थक जाती हैं बेचारी, ऊपर से आजकल काम बहुत ज़्यादा रहता हैं, इसीलिए तो मुझे आज कल घर आने में भी देर हो जाती हैं ,चाहने पर भी बच्चों के साथ ज़्यादा वक़्त नहीं बिता पाता। अगर तुम मेरे साथ रहोगी, तो थोड़ा काम तुम सँभाल लोगी, तो रिया और मुझे दोनों को मदद भी मिल जाएगी। वैसे भी तुम्हारा एकाउंट हम दोनों से ज़्यादा अच्छा हैं, तो तुम एकाउंट सँभाल लेना। तुम्हें वक़्त की भी कोई पाबन्दी नहीं होगी, तुम जब भी चाहो अपना काम ख़तम कर घर जा सकती हो और बच्चों को भी संभाल सकती हो।"             इस तरह रूद्र रूही को अपनी ही कंपनी में काम करने के लिए मना लेता हैं, जिसकी वजह से उस पर काम का ज़्यादा बोज न बना रहे और वह अपने हिसाब से अपने समय पर काम कर सकती हैं और साथ में बच्चों को भी संभाल सकती हैं। घर से बाहर ऑफिस में कुछ वक़्त बिताएगी, तो उसे भी थोड़ा अच्छा लगेगा। 


      रूही को भी रूद्र का यह ख्याल बहुत अच्छा लगा, वैसे भी रूद्र की कंपनी आज बहुत अच्छे मुकाम पर थी। रिया ने भी रूद्र के साथ काम करना शुरू कर दिया था। तो अब सब साथ में फिर से काम करेंगे, ये सोच रूही बहुत ख़ुश हो गई। रूही और उसकी मम्मीजी मतलब उसकी सास सुबह दोनों मिलकर खाना बनाते और रूही अपना और रूद्र का टिफ़िन लेकर बच्चों के स्कूल जाने के बाद ऑफिस चली जाती। रूही का अगर किसी दिन काम जल्दी ख़तम हो जाता हैं, तब उस दिन वह जल्दी भी घर चली जाती हैं, रूद्र देर रात तक अपना काम करता रहता हैं, रूद्र की माँ घर में बच्चों को सँभाल लिया करती थी, साथ में एक बाई भी रखी थी, जो घर पर बच्चों को सँभालती और घर का सारा काम भी करने में  माँ की मदद करती, इस तरह सब हो जाता था।  मगर कुछ दिनों से रूद्र की माँ की तबियत कुछ ठीक नहीं रहती थी, उनकी उम्र के हिसाब से दो बच्चों को संभालना उनके लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता था। फ़िर भी वह रूही को कुछ नहीं बतलाती, चुपके से दवाई ले लेती, बच्चों के स्कूल जाने के बाद वह थोड़ा आराम कर लेती और साथ में बाई तो आती ही थी, तो वह भी सारा काम संभाल लेती। 

      रिया का घर पास में ही था तो वह भी बार-बार बच्चों के साथ खेलने आ जाया करती और कुछ घर का ज़रूरी काम हो तो उस में भी वह हेल्प कर देती। रूद्र के घर का ज़रूरी सामान कभी-कभी तो रिया ही मँगवा लेती। रूद्र की माँ रिया को सामान का लिस्ट बनाकर दे देती। रिया भी जैसे उसका अपना घर हो उसी तरह सब काम कर जाती, उसे कभी वहां अजनबी सा एहसास नहीं होता, बल्कि एक अपनापन सा उसे लगता। जैसे की वह उसकी ही फॅमिली हो। रिया के आने-जाने से कभी किसी को कोई तक़लीफ़ नहीं होती थी, क्योंकि रिया सब के साथ दूध में शक्कर की तरह गुल-मिल कर रहती थी। रिया को कभी कुछ बताने या समझाने की ज़रूरत नहीं थी, वह खुद ही बहुत समझदार लड़की थी और उस तरफ रूही को आज भी बार-बार हर बात के लिए समझाना और मनाना भी पड़ता। रिया उसे समझाया करती और वह रिया की बात आसानी से मान भी जाती।  

          एक दिन की बात हैं, जल्दी-जल्दी में सीढ़ियों से उतरते वक़्त रूही का पैर सीढ़ियों से फिसल जाता हैं और वह सीढ़ियों से गिर जाती हैं, उसके सिर पर चोट लग जाती हैं, उस वक़्त घर में सिर्फ रूद्र की माँ ही थी, बाई कुछ सामान लेने के लिए थोड़ी देर के लिए घर से बाहर गई हुई थी, रूद्र की माँ एकदम से घभरा जाती हैं, वह रूही को सोफ़े पे बैठाती हैं, फिर मम्मी जी रूद्र को फ़ोन लगाती हैं। उस तरफ रूही के पैर में भी शायद मोच थी, तो वह भी दर्द के मारे चिल्ला रही थी। लेकिन उस वक़्त रूद्र अपनी ऑफिस में एक ज़रूरी मीटिंग में बैठा हुआ था, तो रूद्र का फ़ोन तब साइलेंट था, बाद में उन्होंने रिया को फ़ोन लगाया, लेकिन वह भी रूद्र के साथ मीटिंग में ही थी, तो रिया ने भी फ़ोन नहीं उठाया, तब बार-बार फ़ोन आने पर रिया ने मम्मी जी को मैसेज कर के बात की, " क्या बात हैं ? " 

         तब मम्मीजी ने कहा, कि " रूही सीढ़ियों से गिर गई हैं और उसे अस्पताल ले जाना पड़ेगा, हो सके तो जल्दी से जल्दी घर आ जाओ, रूही दर्द से चिल्ला रही हैं और दोनों बच्चों का स्कूल से आने का वक़्त भी हो गया हैं। " 

      मम्मी का मैसेज पढ़ते ही रिया मीटिंग के बिच में ही बिना कुछ कहे तुरंत भागी-भागी अपनी कार लेके रूद्र के घर पहुँच जाती हैं, रूही को वह अस्पताल ले जाती हैं, वहां पर उसका  इलाज शुरू कर दिया जाता हैं, डॉक्टर ने दवाई भी लिख दी, जो रियाने  मंगवा ली, इसी भगदड़ में मम्मीजी का भी तभी बी.पि भी हाई हो चूका था, रिया ने मम्मीजी को भी दवाई पिलाकर आराम करने को समझाया और उनको घर भेज दिया। 

        उस तरफ़ रिया के बिच मीटिंग से यूँ अचानक चले जाने से रूद्र भी थोड़ा परेशांन हो जाता हैं, मीटिंग पूरी करने के बाद रूद्र रिया को फ़ोन लगाता हैं, रिया रूद्र को सब बात कहती हैं, रूद्र रिया से कहता हैं, " अब रूही कैसी हैं ? डॉक्टर ने क्या कहा ? "

रिया ने कहा, " वैसे तो रूही ठीक हैं, मगर डॉक्टर ने उसे तीन महीने के लिए कम्प्लीटली बेड रेस्ट करने को कहा हैं, सीढ़ियों से गिरने की वजह से उसके पैर में फेकचर हो गया हैं। रूही अब जितना आराम करेगी, उतना ही उसके लिए अच्छा हैं और वह जल्दी से ठीक भी हो पाएगी। "

    रिया की बात सुनकर रूद्र  थोड़ा सा गभरा गया। 

रूद्र ने कहा, " ये क्या हो गया ? अभी-अभी तो उसने ऑफिस ज्वाइन किया था, रूही कितनी खुश लग रही थी, अब की बार उसे संभालना बहुत मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि उसके लिए एक जगह पर बैठे रहना नामुमकिन हैं, ये मैं और तुम दोनों अच्छे से जानते हैं, ये भगवान भी मेरी रूही की कितनी और परीक्षा लेंगे ? "

      रिया मन ही मन सोचती हैं, " कितना भोला हैं, मेरा रूद्र। कितना प्यार और कितनी परवाह करता हैं रूही से। काश ! कि रूही उसका ये प्यार समझ पाए। काश ! कि रूही की जगह रूद्र का प्यार मुझे मिलता, खैर ! कोई बात नहीं, तेरा प्यार ना सही, तेरी दोस्ती ही सही, मेरे लिए तेरा मेरे साथ होना ही बहुत हैं। "

        रूद्र का फ़ोन अब भी चालू ही हैं, रूद्र रिया को आवाज़ लगाता हैं। 

रूद्र ने कहा, " रिया, रिया।  क्या हुआ ? तुम चुप क्यों हो गई ? प्लीज मुझ से बात करो। "

रिया ने कहा, " अरे, कुछ नहीं, वो तो बस ऐसे ही ! लो एक बार रूही से भी बात कर लो, तुम्हें अच्छा लगेगा। "

      कहते हुए रिया अपना फ़ोन रूही को देती हैं, रूद्र और रूही दोनों फ़ोन पर बात करते हैं, रिया कमरे में से पीछे जाते हुए रूही को मुस्कुरा कर बात करते हुए देखे जा रही थी, उसका जी जलता था, आँखो में आँसू थे, दिल पर जैसे बड़ा सा पत्थर रखा हो, मगर रूही के लिए वह खुश थी। 

       रात को रूद्र रूही से मिलने अस्पताल आता हैं। 

रूही ने कहा, " देखो ना रूद्र, ये क्या हो गया ? कितनी अच्छी भली तो थी मैं। अभी-अभी तो मैंने ऑफिस आना शुरू किया था, मुझे लगा अब सब पहले जैसा हो जाएगा। मगर सीढ़ियों से गिरने की वजह से अब तो मैं ऑफिस तो क्या घर मैं भी बिना सहारे चल नहीं सकती। ( कहते हुए रोने लगी। ) हाय रे मेरा पैर, अभी तो बहुत दर्द  हैं। मैं कब ठीक हो पाऊँगी ? "

              रूद्र रूही को समझाते हुए 

रूद्र ने कहा, " अरे बाबा ! शांत हो जाओ, इतना भी क्या रोना, तुम भी ना, एकदम छोटे बच्चे की तरह रोने लगती हो। अब गलती भी तो तुम्हारी ही हैं ना, इतनी जल्दी में सीढ़ियों से उतरने को किस ने कहा था तुम्हें ? आराम से भी तो उतर सकती थी ना तुम। बस कुछ दिनों की ही तो बात हैं, कुछ दिन अच्छे से आराम करो, सब ठीक हो जाएगा। मैं और रिया तो है ही ना, तुम्हारा और सब का ख्याल रखने के लिए। तुम बच्चों की भी टेंशन मत लो, सब ठीक हो जाएगा, तुम बस और बस अपना ख्याल रखो, ठीक हैं, अब तुम दवाई पिलो और सो जाओ, मैंने डॉक्टर से बात कर ली हैं, दो दिन बाद तुम घर जा सकती हो। "

रिया ने कहा, " हां रूही, तुम्हें फिक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। ऑफिस थोड़ा कहीं भागे जा रहा हैं, ठीक होने के बाद फ़िर से ज्वाइन कर लेना, अब तो ऑफिस भी अपना ही हैं, जितनी चाहे छुट्टी ले लो, कोई कुछ नहीं कहेगा, हैं ना रूद्र ! "

 कहते हुए रिया के साथ रूद्र और रूही भी हंस पड़ते हैं।

       तो दोस्तों, अब रूही अपने ये दिन कैसे बिताएगी ? और रूद्र और रिया घर, ऑफिस, रूही और बच्चे सब को एक साथ कैसे सँभालेंगे ? 

                        अब आगे, क्रमश: 


                                                                                                                                                        Bela... 

                      

     

                   


                   

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