SHAYARI ( DIL KI BAAT )

                 शायरी 

       बात वो जो, मैं कहना चाहती हूँ तुमसे, और वो जो, सुनना चाहते हो तुम हम से, दिल की वो बात, जो आज तक छुपा के रखी थी, इस दिल में, तुम से ना कह पाए ! सब की नज़रों से छुपते-छुपाके, चुपके से देखा करते थे तुमको, पिछली बेंच पे बैठ के, तेरे वह रेशमी लहराते हुए काले घने लम्बे बाल, जैसे हर पल मुझे अपनी ओर बुला रही थी, तुम्हारे अध्-खुले होठों की वह मुस्कान, मुझे मदहोश कर जाती थी, कैसे करेगा कोई भला अपने दिल पे काबू, जब सामने ताज-महल हो और हम उसे पाने की सोचे भी नहीं।ताज-महल तो शाहजहाँ ने बनवाया था, अपनी मेहबूबा के लिए, हम शाहजहाँ तो नहीं, मगर तेरी याद में एक आशियाना ज़रूर बनाएँगे, लोग याद रखे ना रखे मगर, हम अपने दिल में तुम को, धड़कन की तरह संभाल कर ज़रूर रखेंगे। तुम कभी रूठो, मैं तुझे मनाऊँ, तुम कभी रोओ, मैं तुझे हँसाऊँ, तेरा साया बनकर, हर पल तेरे साथ रहूंँ, तुम्हारी ज़िंदगी प्यार के रंगो से भर दूँ, 

तुम्हारी ज़िंदगी में कांटो को निकालकर, फूलों सी महकाऊँ,  तुम सँभाल नहीं पाओ, उतना प्यार तुमसे, सारी उम्र करूँ, 

दिल की वह बात, जो आज तक छुपा के रखी थीं हम ने इस दिल में। 



                                                     Bela...

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