इम्तिहान PART - 4

                      इम्तिहान भाग - ४ 

           तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि ऑफिस से घर जाते वक़त रूही का पाँव फिसल जाता हैं और वह गिर जाती हैं। रिया रूही को अस्पताल ले जाती हैं, वहां पर डॉक्टर ने रूही का चेक-अप करके रूही को आराम करने को कहा। तब रिया ने रूही को बच्चा रखने के लिए समझा ही दिया। अब रूही को ८ वा महीना चल रहा था, रूही की तबियत कुछ ठिक नहीं रहती थी। अब किसी भी चीज़ या किसी की मदद की ज़रूरत किसी भी वक़्त पड़ सकती थी, इसलिए रूद्र ने रिया को अपने घर रूही की मदद के लिए रोक लिया था, रिया ने अपने ऑफिस में २ महीने की छुट्टी भी ले ली और रूही के घर उसकी मदद के लिए रहने चली आती हैं,  अब आगे... 

          रिया रूही का खयाल रखने के लिए रूही के घर रहने के लिए चली तो आती हैं, मगर यह उसके लिए एक इम्तिहान से कम नहीं होगा, यह बात रिया अच्छे से जानती थी, मगर फिर भी रुद्र और रूही के लिए, उन दोनों की खुशी के लिए रिया ज़िंदगी का हर इम्तिहान देने से डरती नहीं थी।

           

           इस तरफ़ जैसे तैसे कर के रूही के दिन बीत रहे थे, अब तो रूही को ९ वा महीना भी चढ़ गया था और अब तो रूही की डिलीवरी की तारीख भी नज़दीक आ गई थी, रिया अपना सारा वक़्त रूही की देख-भाल में ही बिताती थी। रूही जब आराम से सो जाती, तभी रिया अपनी डायरी लेके उस में लिखने लगती या तो अपनी मन-पसंद नॉवेल पढ़ती रहती। रूद्र भी रूही का बहुत-बहुत ख्याल रखता था, घर में सब उसे खुश रखने की कोशिश में लगे हुए थे, ताकि रूही और उसके बच्चे को कोई तकलीफ ना हो और उसकी डिलीवर में भी कोई प्रॉब्लम ना हो।  

        कुछ दिनों बाद रूद्र के बॉस ने रूद्र को एक ज़रूरी प्रोजेक्ट के लिए एक हफ़्ते के लिए बैंगलोर जाने को कहा। मगर अब रूही का ९ वा महीना चल रहा था, तो किसी भी वक़्त कुछ भी हो सकता था, इसलिए रूद्र रूही को इस हालत में यूँ अकेला छोड़ के जाना नहीं चाहता था। मगर काम बहुत बड़ा था, उसे बहुत बड़ा प्रोजेक्ट मिलने वाला था और उसी की मीटिंग के लिए उसे जाना था, अगर ये प्रोजेक्ट रूद्र को मिल गया और उसने अच्छे से उस प्रॉजेक्ट पर काम किया, तो रूद्र को लाखों का फ़ायद हो सकता था, मगर रूद्र पैसो से ज़्यादा रूही को प्यार करता था, इसलिए रूद्रने उस प्रोजेक्ट के लिए भी मना कर दिया,  इस बात की खबर जब रूही को लगी, तब रूही रूद्र से बहुत नाराज़ हो गई, भला इतना बड़ा प्रोजेक्ट कोई अपने हाथों से कैसे जाना देता ? रूही ने रूद्र को समझाया, कि " देखो रूद्र, मेरी मदद के लिए रिया और माँ मेरे साथ हैं, तुम मेरी फिक्र मत करो, मुझे कुछ नहीं होगा, मैं अपना और हमारे बच्चें का अच्छे से खयाल रखूंगी, मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ और रहूंगी अगर तुम्हारी जगह मैं होती, तो मैं कभी इतना बड़ा प्रोजेक्ट हाथ से नहीं जाने दूंगी। "

       ( और अपनी कसम रूद्र को देकर रूही ने रूद्र को बैंगलोर जाने के लिए मना ही लिया। ) रिया ने भी रूद्र को दिलासा दिया, कि " देखो रूद्र, रूही की फ़िक्र मुझ पर छोड़ दो, तुम आराम से जाओ और अपना काम करो, इतने महीने में क्या मैंने उसका अच्छे से ख्याल नहीं रखा ? अगर इन दिनों में रूही की डिलीवरी होती भी हैं, तो मैं उसे एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोडूंगी, मैं अपने से भी ज़्यादा रूही का ख्याल रखूंगी, रूही की ज़िम्मेदारी मेरी हैं, तो अब इसकी फिक्र तुम अब, मुझ पर छोड़ दो, अब आगे भी जो होगा, अच्छा ही होगा। "

       कहते हुए एक पल तो रूही और रिया दोनों की आँखें भर आती हैं, मगर अब की बार रूही और रिया के समझाने पर रूद्र बैंगलोर जाने के लिए तैयार हो जाता हैं, दो दिन में रिया और रूही ने मिलके रूद्र के जाने की तैयारी कर दी। सुबह ५ बजे की फ्लाइट थी, तब रूही गहरी नींद में सो रही थी, क्योंकि उसे कल रात नींद नहीं आई थी, तो रिया उसे अपनी नॉवेल पढ़के सुना रही थी, तब नॉवेल सुनते-सुनते ही रूही की आँख लग जाती है और वह आराम से सो जाती हैं, मगर रिया की नींद अब खो चुकी थी, वह ऐसे ही करवटे बदल रही थी, तभी रूद्र उसके करीब आता हैं और धीरे से रिया के कानो में कहता हैं,  " मेरे फ्लाइट का टाइम हो गया हैं, तो मैं जा रहा हूँ, रूही शायद अभी-अभी ही सोइ हैं, तो मैं उसे परेशान नहीं करना चाहता, लेकिन तुम मेरी रूही का अच्छे से ख्याल रखना, मेरा काम अगर जल्दी ख़तम हो गया, तो मैं जल्दी ही लौट आऊंगा और इन दिनों में अगर कुछ भी परेशानी की बात हो तो, प्लीज मुझे कॉल ज़रूर करना, रूही का ख्याल रखना और अपना भी, मैं अब चलता हूँ, by. "

       कहते हुए रूद्र रिया के सिर को एक बार चुम लेता हैं और उसके बालों को सराहते हुए वहां से निकल जाता हैं। रिया रूद्र को जाते हुए एक तक देखती ही रही। रूही के साथ-साथ रूद्र की भी रिया पक्की दोस्त बन चुकी थी, जैसे ये तीनों एक जान थे, एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते,  रिया सब लोगों से बहुत अलग थी, रिया ने जैसे अपने लिए ज़िंदगी जी ही नहीं, हर पल जैसे वह दूसरों की ही परवाह करती, ख़ासतौर पर रूही और रिया की, यह बात रूद्र जानता था। अब आगे... 

           रूद्र की कहीं बाते रिया के कानो में बार-बार गूँज रही थी, रूही की प्रेग्नन्सी के बाद से रूद्र बहुत खुश रहता था, इसलिए रूही भी रूद्र की ख़ुशी में शामिल होकर बहुत खुश थी। रूद्र के जाने के बाद रिया रूही का और भी अच्छे से ख्याल रखने लगी, उस तरफ रूद्र को एक पल के लिए भी चैन नहीं था, रूद्र हर एक घंटे के बाद लगातार रूही और रिया को वीडियो कॉल करके बात किया करता, ताकि दोनों को अकेलापन महसूस ही ना हो और इसी बहाने रूद्र खुद तसल्ली कर लेता, कि घर में रूही ठीक हैं। 

        रूद्र के जाने के ३ दिन बाद आधी रात को रूही को अचानक से कमर का दर्द शुरू होने लगा, रूही दर्द के मारे ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी, रिया उसके करीब ही सो रही थी, वह भी डर के मारे जग गई, रूही की चीख़ सुनकर रूद्र की माँ की भी नींद खुल गई और वह भी रूही के कमरे में आ गई। रूद्र की माँ ने कहा, रूही को इसी वक़्त अस्पताल ले जाना होगा, रिया को भी उनकी बात सही लगी। रिया फ़टाफ़ट कपडे समेट के रेडी हो गई, अस्पताल ले जाने के लिए उन्होंने वैसे भी पहले से ही तैयारी कर ली थी, ताकि वहां जाने में ज़्यादा वक़्त ना लगे। रिया ने तुरंत ही अपनी कार में रूही को सँभालते हुए बिठाया, रिया ने रूद्र की माँ को भी साथ आने को कहा। रूद्र की माँ ने घर में कान्हा जी को दिया करके प्रार्थना, कि " रूही और उसका बच्चा दोनों सलामत रहे, उसकी डिलीवरी में कोई प्रॉब्लम नहीं आए। इस के आलावा उसे और कुछ नहीं चाहिए। सब अच्छे से हो जाए।"

         इतना कहकर तीनों घर से निकलते हैं, रिया ने रास्ते में से ही डॉक्टर को फ़ोन कर के बता दिया, कि " वह लोग रूही को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं, रूही को इस वक्त बहुत ही pain हो रहा हैं, आप भी जितना जल्दी हो सके अस्पताल पहुंच जाइए। "

       डॉक्टर ने कहा, " जी आप अस्पताल पहुंचिए, मैं अस्पताल में नर्स को बता देती हूँ, वह उसे देख लेगी, उतनी देर में मैं भी वहां पहुंच जाउंगी। "

         रूही का दर्द बढ़ता ही जा रहा था, रूही अपने आप को सँभाल नहीं पा रही थी, तब रिया उसे हौंसला देते हुए, उस से लगातार बातें कर रही थी, ताकि उसका ध्यान दूसरी ओर जाने से उसका दर्द कुछ कम हो, देखते ही देखते अस्पताल आ जाता हैं, रिया ने कार में से रूही को सीधा बाकि नर्स और वॉर्ड बॉय की मदद से स्ट्रैचर पर लेटा दिया और रिया को सीधा ऑपरेशन थिएटर में ले गए, रूही अब भी दर्द के मारे चिल्ला रही थी, रूही की ऐसी हालत देखकर रिया के दिल की धड़कने भी बढ़ रही थी, उसके लिए भी यह सब पहली बार था, वह कमरें के बाहर इधर से उधर लगातार चक्कर लगाए जा रही थी,  रूद्र की माँ ने तभी रिया के कंधे पर हाथ रख कर उसे बैठने को इशारा किया और कहा, " सब ठीक ही होगा, कान्हाजी हमारे साथ ही हैं, तुम इतनी फ़िक्र मत करो।" 

        रिया रुद्र की मां गले लग गई, माँ की बात सुनकर रिया को थोड़ा अच्छा लगा, मगर माँ भी मन ही मन थोड़ा सा डर रही थी, कि सब अच्छे से हो जाए। वह हाथ जोड़कर अपने कान्हा जी से मन ही मन लगातार प्रार्थना कर रही थी, तभी कमरें में से बच्चे के रोने की आवाज़ सुनाई देती हैं, बच्चें के रोने की आवाज़ सुनते ही रिया और रूद्र की मां के आँखो में ख़ुशी के आंसू आ जाते हैं, वह दोनों एकदूसरे के गले मिल के रो पड़ते हैं। रिया खड़ी होकर कमरें के अंदर देखने की कोशिश करती हैं, तभी रूही के फ़िर से ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ आती हैं, रिया फ़िर से डर जाती हैं, तभी दूसरी बार फ़िर से एक बच्चें के रोने की आवाज़ आती हैं। कुछ ही देर में डॉक्टर बाहर आकर खबर सुनाते हैं, कि " रूही और उसका पहला बच्चा एकदम सही सलामत हैं, लेकिन रूही का दूसरा बच्चा थोड़ा कमज़ोर हैं, उसे काँच की पेटी में रखना पड़ेगा। उसे साँस लेने में शायद तकलीफ हो रही हैं, इसलिए उसे ऑक्सीजन पर कुछ वक़्त रखना पड़ेगा, कुछ घंटों बाद वह भी ठीक हो जाएगा।"

        रिया ने कहा, " क्या हम रूही से और उसके बच्चें से मिल सकते हैं ?"

       डॉक्टर ने कहा, " हाँ ज़रूर, क्यों नहीं ? मगर अभी तो रूही को आराम की और नींद की बहुत जरूरत हैं, क्योंकि रूही बहुत थक गई हैं, दो बच्चों को डिलीवरी का दर्द बहुत ही ज़्यादा होता हैं, तो आज अभी रूही से ज़्यादा बात मत कीजिएगा, अभी नर्स बाहर आ जाए उसके बाद आप अंदर जा सकते हैं।"

         हां तो दोस्तों, आप ठीक समझ रहे हैं, रूही को जुड़वाँ बच्चे हुए थे, वह भी एक लड़का और एक लड़की, जो बहुत ही गोलमटोल और बहुत ही सुंदर, बहुत ही प्यारे थे। तभी रिया के फ़ोन पर रूद्र का वीडियो कॉल आता हैं। 

                     अब आगे क्रमश: 

                                                           


 

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