इम्तिहान PART -2

                 इम्तिहान भाग - २ 

           तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि रिया और रूही दोनों एक बहुत ही अच्छे दोस्त है, एक ही कॉलेज में पढ़े और इतफ़ाक से अब एक ही ऑफिस में काम करते है। रूही अपने पति से रुठ के रात को अपनी सहेली रिया के घर आती है, रिया अपने घर में अकेली ही रहती है, पहले तो रिया गुस्से में आई रूही को समझा-बुझाकर सुला देती है, फिर अगली सुबह ब्रेकफास्ट कर के दोनों साथ में ऑफिस के लिए घर से निकलते है, तभी रूद्र का फ़िर से फ़ोन आता है मगर रूही अब भी गुस्से में है और रूद्र का फ़ोन नहीं उठाती और बातों बातों में रूही कल रात को घर पर क्या हुआ था ? सब कुछ अपनी सहेली रिया को कह देती है, पहले तो रिया रूही की हर बात आराम से सुनती है, फ़िर रुही को अपना गुस्सा भूल कर रुद्र से बात कर लेने को समझाती है। अब आगे...

        रूही ने रूद्र को मैसेज किया, कि " रात को वह बात करेगी, इस वक्त वह ऑफिस के काम में बहुत buzy है। "  

        रूही के एक बार मैसेज करने के बाद रूद्र का बार-बार फ़ोन नहीं आता और रिया और रूही ने अपने पूरे दिन का काम आराम से ख़तम किया। उस तरफ रूद्र भी बेफ़िक्र होकर अपनी ऑफिस में अपना काम करता रहा। शाम को ऑफिस से घर जाते वक़्त रिया ने रूही को कहा, " मैं तुझे तेरे घर छोड़ दूँ ? या तू आज भी मेरे साथ, मेरे घर आनेवाली है ? "

      रूही ने कहा, " देखो, ना ! अब तक रूद्र का नाही कोई मैसेज आया और नाही कोई कॉल। मुझे लगा था, रूद्र मुझे मनाने के लिए आज ऑफिस से जल्दी छुट्टी ले लेगा और हम दोनों साथ में एक अच्छे से होटल में नास्ता करने जाएँगे, मगर उसे तो मेरी कोई परवाह ही नहीं है। " 

       ( कहते हुए रूही फिर से थोड़ा सा अपना मुंह फुलाकर झूठ मूठ रोने लगी। )

       रिया ने रूही को फिर से चुप कराते हुए कहा, "अरे, उससे क्या हो गया ? जो रूद्र ने फ़ोन नहीं किया, शायद सच में ऑफिस में वह कोई ज़रूरी काम में फँस गया हो, ऐसा भी तो हो सकता है ना ! तू बात-बात पर उस को जज मत किया कर, उसका फ़ोन नहीं आया तो, तू फ़ोन कर ले। "

        ( अभी रिया की बात ख़तम ही नहीं हुई, कि तुरंत ही रूही के मोबाइल पर रूद्र का फ़ोन आ गया, रूही के मोबाइल स्क्रीन पर रुद्र का नाम देखते ही )

       रिया ने कहा, " लो, देखो ! आ गया तुम्हारे रूद्र का फ़ोन। तू भी ना ख़ामख़ा उसे परेशान करती रहती है चल, अब अपना मूड ठीक कर और अच्छे से रूद्र के साथ बात कर ले। " 

       ( रिया के कहने पर रूही रूद्र का फ़ोन उठा लेती है )

       रूद्र ने सामने से कहा, " हेलो, रूही ! कैसा रहा तुम्हारा आज का दिन ? "

       रूही ने कहा, " बस कुछ खास नहीं, जैसे रोज़ दिन गुज़रता है तुम सुनाओ। "

      रूद्र ने कहा, " ओह्ह ! तो चलो आज मैं तुम्हारे दिन को खास बना देता हूँ। मैंने आज तुम्हारे लिए एक सरप्राइज प्लान किया है मैं तुम्हें wats up पर एक एड्रेस भेजता हूँ, तुम ठीक आधे घंटे बाद मेरे बताए एड्रेस पर पहुँच जाना।  ठीक है ? "

        ( सरप्राइज सुनते ही रूही मन ही मन खुश होने लगी, रूही अपने आप से बड़बड़ाते हुए, इतराते हुए बोली " चलो, इसी बहाने रूद्र ने कुछ सरप्राइज तो प्लान किया। ")

         रूही ने कहा : वह तो ठीक है मगर घर में माँ और छोटी का क्या ? 

रूद्र ने कहा, " तुम उनकी फ़िक्र मत करो, मैंने उनके लिए सब इंतज़ाम कर लिया है अब तुम्हें उनकी वजह से परेशान होने की ज़रूरत नहीं है तुम बस मेरे बताए एड्रेस पर जल्दी से आ जाओ।          रूही ने कहा, " अच्छा बाबा ! ठीक है तुम फ़ोन रखो, मैं तैयार होकर  होटल पहुंच जाउंगी। अभी मैं रिया की कार में उसके घर जा रही हूँ। "            रूद्र ने कहा, " ठीक है तुम फटाफट ready होकर मुझे फ़ोन करो, मैं तुम्हारे लिए कैब बुक करा दूंगा। "

रूही ने कहा, " ओके, जाना ! "

     ( कहते हुए रूही मुस्कुराते हुए फ़ोन ऱख देती है रिया कार चलाते-चलाते सब सुन रही थी। )

      रिया ने रुही से कहा, "  देखो, मैंने कहा था ना, रूद्र का फ़ोन ज़रूर आएगा, वह कुछ काम में उलझा हुआ होगा, लेकिन तुझ में ज़रा सा भी सबर नहीं। 

       ( रूही रिया की बातें सुनती रहती है ऐसे में रिया का घर भी आ जाता है रिया अपनी कार पार्किंग में पार्क करके रूही के साथ अपने घर जाती है।)

          रिया ने रूही को कहा, कि " तुम जल्दी से मेरे वार्डरोप में से कोई भी अच्छी सी ड्रेस पहन कर ready हो जाओ, तब तक मैं भी फ्रेश हो जाती हूँ। " 

         रिया और रूही दिखने में भी एक जैसे ही है, इसलिए कभी-कभी दोनों एकदूसरे के कपड़े भी पहन लिया करते। रूही ने रिया के वार्डरोब में से एक बहुत ही अच्छा ब्लैक एंड वाइट कलर का मिडी निकाला और उसे पहन लिया। एक हाथ में मैचिंग ब्रेस्लेट और एक हाथ में वॉच पहन ली। रिया ने रूही के बालों को कर्ल कर दिया। आज तो रूही बहुत ही सुंदर दिख रही है रूही को ready करते-करते रिया ने रूही को समझाते हुए फ़िर से बात शुरू की 

       रिया ने कहा, " देखो रूही, रूद्र कितना अच्छा लड़का है अगर कोई और लड़का होता तो शायद तुम्हें इस तरह नहीं मनाता, सारे लड़के भी आजकल बहुत ईगो वाले होते है, वह सोचते है, कि घर छोड़कर अपनी मर्ज़ी से तुम गई हो, तो अब अपने आप जब मर्ज़ी करे आ जाओगी।  मगर रूद्र ने ऐसा नहीं सोचा, उसने अपनी माँ, बहन को भी समझाया होगा और अब तुम्हें भी मनाने के लिए यह सरप्राइज date प्लान किया होगा। तो अब तुम भी अपना गुस्सा और ईगो साइड पर रख कर उसकी बात गौर से सुनना और उसे समझने की कोशिश करना, अब तुम पहले वाली कॉलेज में पढ़ती रूही नहीं हो, जो बात-बात पर रूठ जाए और रूद्र तुम्हें मनाता रहे, वक़्त और इंसान बदल भी सकते हैं। इसलिए समझदारी इसी में है, अब जो भी फैसला लो, सोच समझकर लेना, ताकि रूद्र और उसकी माँ का दिल ना दुःखे। 

        ( रिया कहती गई और रूही उसकी बात चुप-चाप  सुनती रही, जैसे एक मां अपनी बेटी को समझाती है, तभी रूद्र का फ़िर से फ़ोन आता है।)

       रूद्र ने कहा, " अरे रूही, और कितनी देर लगेगी, तुम्हें आने में ? मैं तो कब का तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ,  तुम ready हुई की नहीं ?"

       रूही ने कहा, " हां बाबा, मैं समझो, बस ready ही हूँ। तुम कैब बुक करा दो। मैं आ रही हूँ। "

      रूद्र ने कहा, " ओके, मैं अभी कैब बुक करवा देता हूँ। तुम गेट पर आ जाओ। "

      रूही ने कहा, " o.k, मिलते है, by "

     रूद्र ने कहा, " o.k, Love you jaan."

      ( रूही शरमाते हुए फ़ोन रख देती है और अपने सैंडल पहनते हुए ) रिया से कहती है कि " रिया, तुम ने जो भी कहा, मैं तुम्हारी हर बात पर गौर करुँगी, मेरी तरफ से आज के बाद मैं किसी को शिकायत का मौका नहीं दूंगी, अच्छा, तो अब मैं चलती हूं और तुम मेरी फ़िक्र मत करना। "           ( कहते हुए रूही रिया के गले लग जाती है )

      रिया ने फिर रूही से कहा, कि " अच्छा, संभलकर जाना और वहां पहुंचते ही मुझे मैसेज कर देना। "

      रूहीने कहा, कि " अच्छा, अब चलती हूँ, लगता है कैब घर तक आ ही गई होगी,  by "

      ( रूही जब तक घर के गेट तक पहुँचती है तब तक कैब आ जाती है और रूही उस कैब में बैठकर होटल पहुंच जाती है जहाँ पर उसका पति रूद्र उसका इंतज़ार कर रहा होता है, रूही इस होटल में पहली बार आई थी। रूही के अंदर आते ही होटल का मैनेजर उसके पास आता है ) और रुही से कहता हैं " क्या आप ही हो रूही रूद्र मल्होत्रा ? "

            रूहीने कहा, " जी।"  

 ( थोड़ा अपने आप पे इतराते हुए। )

        मैनेजर ने रुही से कहा, " जी आपका टेबल ऊपर बुक किया हुआ है वहां मिस्टर रूद्र आपका इंतज़ार कर रहे है आइए, आप मेरे साथ आइए, मैं आपको ऊपर तक ले जाता हूँ। "

        ( कहते हुए मैनेजर रूही को होटल के ऊपर वाले टेरेस पर ले जाता है, जहाँ रूद्र आसमान की ओर देखे जा रहा था, मैनेजर रूही को वहां तक छोड़ के चला जाता है। )

       रूही अपने मोबाइल से रिया को मैसेज कर देती है, कि " वह होटल में रूद्र के पास पहुँच गई है।" 

       रूही वहां का डेकोरेशन देखके मन ही मन बहुत खुश होती है, पूरा टेरेस गार्डन की तरह सजाया हुआ था, उसकी राहो में फूल बिछाए हुए थे, चारो ओर रंगबिरंगी लाइट्स लगी हुई थी, जैसे आसमान भी आज जगमगा रहा हो, टेबल पर उसकी पसंद के फ्लावर रखे हुए थे, उसके पास एक बड़ी सैम्पैन की बोतल और दो गिलास भी थे, साथ में छोटा सा गिफ्ट बॉक्स भी रखा हुआ था। टेबल की चारों ओर पिंक कलर के बलून्स भी रखे हुए थे, बहुत ही अच्छा लग रहा था, तब रूद्र  ख्यालों में घूम आसमान की ओर नज़र किए जैसे कुछ सोच रहा था। रूद्र को जताने के लिए, कि वह यहाँ आ गई है, रूही ने अपने गले से ज़रा आवाज़ लगाई..उहू.. उहू.. रूही की आवाज़ सुनते ही रूद्र पीछे की ओर मुड़ा। सामने रूही को देख वह बहुत खुश हो गया। रूद्र के पैरो में जैसे जान आ गई हो, वैसे रूद्र अपने तेज़ कदमों से चलते हुए रूही की ओर आगे बढ़ता है, रूही के करीब जाते ही रूद्र ने रूही का हाथ पकड़ लिया।           रूद्रने रूही का हाथ पकड़ते हुए रुही से कहा, " तुम आ गई रूही, मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ, कितनी देर लगा दी तूने आने में, पता है रूही तुझे, कि तेरे बिना मेरा एक-एक पल एक साल की तरह गुज़र रहा था। तुम मुझे यूँ अकेला छोड़ कर मत जाया करो। तुम्हें पता है ना ! मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ ? तुम्हारे बिना मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। "

        फ़िर रूही का हाथ खींचते हुए रूद्र रूही को टेबल की ओर ले जाता हैं, पहले टेबल के पास रखी कुर्सी को ज़रा पीछे कर के रूही को वहां बिठा कर फ़िर से कहने लग जाता है, मगर उसी वक रूही ने रूद्र के होठों पर उँगली रखते हुए, अपनी आंखों के इशारों से ही कुछ देर रुद्र को चुप रहने को कहा, कि " अब बस, मैं अब आ गई हूँ, "  ( साथ साथ रूद्र का खुद पर इतना प्यार देख कर रूही मन ही मन थोड़ा इतराती भी हैं। )

         रुद्र ने फ़िर भी बड़ी मासूमियत से रुही से पूछा, कि " क्या तुम अब भी मुझ से नाराज़ हो ? "   ( रूही रूद्र का मासूम चेहरा अपने हाथ में लेते हुए कहती है, " अरे बुद्धू, अगर मैं अब भी तुझ से नाराज़ होती, तो क्या मैं यहाँ आती ? नहीं ना ! मुझे भी अच्छा नहीं लगता यूँ, रूढ़ कर चले जाना, मगर क्या करू ? उस वक़्त मुझे इतना गुस्सा आ जाता है, कि गुस्से में मैं क्या कर रही हूँ ? मुझे पता ही नहीं चलता ? वो तो रिया ने मुझे समझा दिया। वरना मैं तो अब भी..."

   ( कहते-कहते रूही की आँखें भर आती है। )

       रूद्र रूही को समझाते हुए कहता हैं, कि  " तुम्हें लगा होगा, कि माँ ही मुझे तुम्हारे ख़िलाफ़ ऐसी वैसी बातें सुनाती होगी, मगर ऐसी बात बिल्कुल नहीं है, माँ ने ही मुझे समझाया, कि " जैसी भी है, रूही बहुत अच्छी है, वह मेरा और छोटी का भी बहुत ख्याल रखती है, वह घर का सारा काम संभालती है और साथ में अपना ऑफिस भी, तो कभी-कभी काम के बोज की वज़ह से गुस्सा आ भी सकता है, मैं जानती हूँ, तुम दोनों एक दूसरे से कितना प्यार करते हो, छोटे-मोटे झगड़े तो सब के घर में होते रहते है, उसका मतलब ये थोड़े ना, कि घर छोड़ के चले जाओ। जो भी शिकवा गिला हो मिल-बैठ के बात कर लेंगे। घर से बाहर रहेगी, तो आस-पड़ोस वालेा को बातें करने का बहाना मिल जाएगा और भला हम क्यों किसी को अपने घर की बात करने दे ? तू ऐसा कर उसे मना कर ले आ, मैं भी उसे कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी। " 

        ( कहते-कहते रूद्र का भी गला भर आता है, रूही की आँखें भी भर आती है।)

        रूद्र रूही को मनाते हुए फिर से कहने लगा, कि " तू समझ रही है ना, मैं क्या कह रहा हूँ ? "

         रूही ने कहा, " हाँ, मैं समझती हूँ रूद्र,  मुझे इतना गुस्सा नहीं करना चाहिए, मगर मैं क्या करू ? अब से मैं भी तुम सभी को शिकायत का मौका नहीं दूंगी।"

       रूद्र ने कहा, " और अगर फ़िर से तुम्हें गुस्सा आए ना, तो मुझे दो-चार थप्पड़ मार देना, मैं तुम्हारे लिए थप्पड़ भी खा लूँगा, इससे शायद  तुम्हारा गुस्सा तो शांत हो जाएगा।"

       ( रूद्र की बात सुनते ही रूही ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगती है, रूद्र भी उसके साथ हंसने लगता है।)

       रुहीने कहा, " चलो अब बातों से ही पेट भरना है या फ़िर कुछ ख़िलाओगे भी, यहाँ आने के चक्कर में मैंने कब से कुछ नहीं खाया, अब तो बड़ी जोरों की भूख लगी है।"

       रूद्र ने रूही से कहा, कि " ओह्ह.. सॉरी dear, मैं भी कितना बुद्धू हूँ, बातों से सिर्फ़ मन भरता है, पेट नहीं, और हाँ, मैं तुम्हारे लिए गिफ़्ट भी लाया हूँ। ये देखो..."

         कहते हुए रूद्र टेबल पर रखे फूल और गिफ़्ट बॉक्स अपने हाथों से रूही को देते हुए रुद्र रुही के कदमों के पास बैठ जाता है, फिर रुद्र रुही का एक हाथ पकड़कर रुही से कहता है,    

 " ये वादा रहा, 

ना छोड़ेंगे तेरा साथ,

रब से मैंने माँग लिया,

 हर जन्म तेरा साथ,

 इस जन्म के बाद,

 अगले जन्म भी,

 ना छोड़ेंगे तेरा साथ,

 चाहे हो मर्जी तेरी या ना,

 हम ना छोड़ेंगे तेरा साथ,

      ये वादा रहा।"

 रूही खुश होते हुए रुद्र के हाथ से फूल और गिफ्ट लेती है, वैसे भी रूही को ऐसे surprise aur gifts अच्छे लगते है, यह बात रुद्र को अच्छे से पता थी। 


       रूही ने रुद्र को खुश होते हुए कहा, कि " Thank you रूद्र, तुम सच में बहुत अच्छे हो, रिया सच ही कहती थी, रूद्र बहुत अच्छा लड़का है, बस उसे थोड़ा सा वक़्त दो। "

       रूद्र ने कहा, कि " हम्म... तो रिया के कहने पर आज तुम यहाँ आई हो ? "

  रूद्र सैम्पैन की बोतल खोलते हुए  कहता है।

      रूही ने कहा, " हाँ, मगर... नहीं, मतलब उसने मुझे समझाया। "

       रूद्र हस्ते हुए कहता हैं, कि  ".Oohh..... very good. चलो, अच्छा है, किसी की बात तो तुझे समझ में आई ! "

       रूद्र अपना और रूही का सैम्पैन का गिलास भरते हुए रूही से कहता हैं, कि " चलो, आज से हमारी ज़िंदगी की नई शुरुआत हो रही है, ये जाम इसी ख़ुशी के नाम। "

       ( रूद्र और रूही हँसते हुए अपना-अपना गिलास एकदूसरे से टकराते है, रूद्र एक सिप पीते हुए, अपनी नज़र फ़िर से रूही की ओर देखते हुए कहता है) कि " you look very beautiful. सच में तुम पर यह ड्रेस बहुत ही अच्छी लग रही है।

       ( रूही अपनी तारीफ़ सुनकर थोड़ा मुस्कुराती है और अपने आप पर इतराते हुए रुद्र को  " Thank You " कहती है।)

       तो दोस्तों, क्या अब रूही अपना गुस्सा छोड़कर रूद्र के साथ अच्छे से रहने लगेगी ? क्या अब सब कुछ ठीक हो जाएगा उनकी ज़िंदगी में ?


                    अब, आगे क्रमश :



                                           

         


 

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