इम्तिहान
भाग - १
तक़रीबन रात को १ बजे रिया के घर का डोरबेल बजा। रिया अपने घर में अकेली ही रहती थी, इसलिए पहले तो रिया को ज़रा डर लगा, इतनी रात गए, कौन आया होगा ? थोड़ी देर तक तो उसने घबराकर दरवाज़ा नहीं खोला, थोड़ी देर बाद फ़िर से डोरबेल बजा, उसके बाद बाहर से आवाज़ सुनाई दी,
" रिया, रिया दरवाज़ा खोलो मैं हूँ। "
रिया को आवाज़ कुछ जानी पहचानी सी लगी, आवाज़ किसी लड़की की थी, इसलिए रिया का डर कुछ कम हुआ।
वैसे भी रिया को रात को जल्दी नींद नहीं आती, इसलिए उसे रात को किताब पढ़कर सोने की आदत थी, किताब पढ़ते-पढ़ते रिया को कब नींद आ जाती उसे पता ही नहीं चलता और हाँ, रिया को लिखने का भी शौक था, इसलिए कभी - कभी रिया अपने मन की बातें अपनी डायरी में लिख भी दिया करती थी।
दोस्तों, मेरे तजुर्बे के मुताबिक आप के पास जब कोई नहीं होता, तब कागज़ और कलम और किताब ही हैं, जो आपका अकेलापन दूर कर सकते हैं। उसे आप जो चाहे कह सकते हो, या अपने शब्दों में लिख भी सकते हो, इससे आपका मन बहुत हल्का हो जाता हैं। अब आगे...
रिया बेडरूम से बाहर की ओर आई और उसने दरवाज़ा खोला, सामने देखा तो रूही खड़ी थी, वो भी अकेली।
रियाने कहा, "अरे रूही, तुम हो, मैं तो डर ही गई थी, इतनी रात गए, ना जाने कौन आया होगा ? "
रूही थोड़ी नाराज़ और थोड़ी गुस्से में लग रही थी, उसके बाल भी बिख़रे हुए थे, उसके कपड़ों से लगता था, जैसे नाईट शूट ही पहन के आई हो, उसके हाथों में सिर्फ़ एक पर्स था, उसकी आँखें भी जैसे रो-रो के सूज गई हो, उसे देखकर ऐसा लगता था। रिया ने मन ही मन सोचा, घर पर ज़रूर फ़िर से कुछ हंगामा किया होगा, रूही को छोटी सी बात को बड़ा बनाने में ज़रा भी देर नहीं लगती, रूही अपने मुताबिक ही ज़िंदगी जीनेवालों में से थी, अपनी ज़िंदगी में किसी की दखलंदाज़ी उसे बिल्कुल पसंद नहीं और दूसरों की ज़िंदगी में ताकझाँक करना भी उसे पसंद नहीं।
( रियाने रूही को घर के अंदर बुलाया, फिर घर का दरवाज़ा अंदर से बंद करते हुए रूही से पूछने लगी ) " क्या हुआ ? मुझे फ़ोन कर दिया होता और इतनी रात गए, रूद्र साथ नहीं आया ? " रूही ने कहा, " रूद्र ? उसकी तो तुम बात ही जाने दो, उस से तो मुझे कभी बात ही नहीं करनी और नाहीं कभी उसका चेहरा देखना है। "
( रूही थोड़ी नहीं बल्कि बहुत ज़्यादा गुस्से में लग रही थी, ज़रूर फ़िर से घर पर झगड़ा करके आई होगी, रूही बहुत ज़िद्दी थी, उसे समझाना बहुत मुश्किल था, वह किसी की बात जल्दी सुननेवालों में से नहीं थी, मगर उसे समझाना तो पड़ेगा ही, इसलिए रिया ने बात शुरू की, आज जैसे रिया शायद टूट चुकी थी, ऐसा रूही को रिया के गुस्से से लगता था। )
( रिया ने रूही को सोफे पर आराम से बिठाया और पानी का गिलास उसके हाथों में देते हुए कहा ) " लो रिया, पहले थोड़ा पानी पी लो, शांत हो जाओ, बाद में बात करते हैं, तुमने कुछ खाया कि नहीं ? कुछ खाना हो तो बता दो, फ्रिज में बिरयानी रखी हुई है, तुम बोलो तो गरम करके दे दूँ ? तू तो जानती ही है, आज मुझे ऑफिस में बहुत काम था, इसलिए आते-आते मुझे थोड़ी देर हो गई, सो मैंने बाहर से ही पार्सल मंगवा लिया था। "
रूही ने कहा, " खाना खाया, मगर ना के बराबर ! रोज़ रूद्र और उसकी माँ किसी ना किसी बात पर खाने के वक़्त पे कुछ ना कुछ बात छेड देते हैं, फ़िर क्या ? फ़िर शुरू महाभारत। अब तो ये रोज़ का हो गया है कितना भी कर लो उनके लिए, मगर रोज़ कोई ना कोई गलती निकाल कर ही दम लेते हैं इस बार चाहे कुछ भी हो जाए, मैं घर नहीं जाऊँगी। "
रिया ने ( बात को सँभालते हुए ) " अच्छा ठीक है, मत जाना, मगर मैंने तुमसे सिर्फ़ इतना पूछा, कि तूने खाना खाया कि नहीं ? तू बोले तो बिरयानी ओवन में गरम करके ला दूँ ?"
रूही ने ( मुँह फुलाते हुए कहा) " अभी तू इतना कह रही है, तो खा लेती हूँ, भूख भी लगी है, घर पे तो... "
( रिया ने इसबार रूही को बीच में ही टोकते हुए कहा ) " तू अब बैठ, मैं अभी बिरयानी लेकर आती हूँ, फिर आराम से बैठ कर बातें करते हैं। "
कहते हुए रिया किचन में जाती है और रूही के लिए ovan में बिरयानी गरम कर के लाती है।
रूही को सच में बहुत भूख लगी थी, इसलिए उसने फ़टाफ़ट बिरयानी खानी शुरू कर दी, तभी रूही के पति रूद्र का फ़ोन आता है।
रूही ने चिढ़ते हुए कहा, " अभी तो घर से निकले कुछ ही घंटे हुए हैं और मेरी याद आने लगी, फ़ोन उठाए मेरी जूती बजने दे मोबाइल की घंटी अब। "
रिया ने रुही को समझाते हुए कहा, कि " क्यों परेशान कर रही हो उसे ? एक बार फ़ोन उठा के बात तो कर लो उससे, कि तुम मेरे यहाँ हो, वरना रूद्र परेशान हो जाएगा। "
रूही ने कहा, " वो परेशान होने वालों में से नहीं, बल्कि परेशान करनेवालों में से हैं। उसे भी तो आज पता चलने दो, कि जब कोई परेशान होता है तब कैसा लगता है ? "
रियाने कहा, " अच्छा ठीक है रूही, अब शांत भी हो जाओ, चलो सो जाते हैं, कल सुबह मुझे ऑफिस भी जाना है मेरी एक ज़रूरी मीटिंग भी है तुम को भी तो ऑफिस जाना होगा ना ! या फ़िर छुट्टी ले रखी है ऑफिस से कुछ दिनों के लिए ? "
रुही अपनी आँखें ऊपर पंखे की तरफ़ करते हुए, सोचने लगी और थोड़ी देर बाद उसने रिया से कहा, कि " हाँ, कल ऑफिस तो मुझे भी जाना है। "
रुही के साथ बातों बातों में रिया ने चुपके से अपने मोबाइल से रूद्र को मैसेज कर दिया, कि " रुही मेरे घर पर है मगर अभी वो बहुत गुस्से में लग रही है, इसलिए वह तुम्हारा फ़ोन नहीं उठाएगी, तुम उसकी फ़िक्र मत करो, मैं उसे आज की रात सँभाल लूँगी , इसलिए तुम आराम से सो जाओ। "
रूद्र को रिया का मैसेज पढ़ के शांति हुई, कि रुही अपनी दोस्त रिया के घर पर ही है तो अब मुझे कोई टेंशन नहीं, एक रिया ही है जो रूही को अच्छे से समझा भी सकती है और मना भी सकती है, वरना आज तो रूही इतने गुस्से में घर से निकली थी, कि उसे अजीब-अजीब ख़याल आ रहे थे, कि रूही कहीं कुछ कर ना बैठे ?
रियाने जैसे-तैसे करके रूही को समझा-बुझाकर सुला दिया क्योंकि रिया को पता था, कि इस वक़्त रूही से कुछ भी बात करेंगे, तो बात ओर भी बिगड़ जाएगी, क्योंकि रिया अच्छे से जानती थी कि गुस्से में कभी कोई बात बनती नहीं, बिगड़ती ही है।
रिया ने सोचा, कि " आज इस वक़्त रूही के घर क्या हुआ था ? " उसके बारे में कल बात करेंगे, वैसे भी गुस्से में कोई सही सोच नहीं सकता और सही decision भी ले नहीं सकता, इसलिए अभी जाने दो।
रूही के आने से, वैसे भी रिया की नींद उड गई थी, तो थोड़ी देर रिया अपनी डायरी और पेन लेकर कुछ लिखने लगती है।
" किसी के नसीब में
बेशुमार प्यार लिखा है,
तो किसी के नसीब में
इंतज़ार। "
तक़रीबन इन सब चक्कर में रात के २ बजने वाले होंगे। थोड़ी देर बाद लिखते-लिखते रिया डायरी और पेन को गले लगाकर वहीं सो जाती है इन सब बातों से रिया अपनी सहेली रूही से ज़्यादा समझदार और सुलझी हुई लग रही थी।
दूसरे दिन सुबह रिया अपनी आदत के मुताबिक़ अपने वक़्त पर उठ के जॉगिंग करने जाती है फ़िर घर आकर चाय-नास्ता बना कर फ्रेश हो जाती है। तक़रीबन सुबह के ८:३० बजने वाले होंगे, मगर रूही मेम'साहब अब भी गहरी नींद में सोई हुई थी, पंखे की हवा से रूही के रेशमी बाल बार बार उसके चेहरे पर आकर उसे जैसे छूने की कोशिश कर रहे थे, रूही को आराम से सोते देख़ एक बार तो रिया का मन नहीं किया, उसको जगाने का, रिया ने मन ही मन रूही को देखते हुए सोचा, कि रूही सोते हुए कितनी प्यारी लग रही है मन करता है ( रूही के बालों को सहलाते हुए ) रूही को ऐसे ही सोते हुए देखती रहूँ क्योंकि जब रूही आराम से सो रही होती है तभी इतनी प्यारी लगती है क्योंकि रूही नदी में बहता हुआ शांत पानी नहीं, बल्कि समंदर में आया हुआ एक तूफान है। सोचते सोचते मन ही मन रिया थोड़ी मुस्कुराई, मगर रूही को भी तो ऑफ़िस जाना ही था, इसलिए रिया रूही को आवाज़ लगा के जगाती हैं।
रिया अपना बिस्तर और कपड़े समेटते हुए रूही को आवाज़ लगाती हैं, " रूही, रूही, चलो उठो, मेम'साब, सुबह हो गई। "
बैडरूम का परदा खोलते हुए रिया ने कहा।
रूही ने नींद में ही अंगड़ाई लेते हुए, चद्दर को फिर से अपने चेहरे से ढकते हुए, चिढ़ते हुए कहा, " अभी सोने दो ना यार ! अभी-अभी तो अच्छी नींद आई थी, तुम भी ना ! "
रियाने कहा, " अच्छा, अभी नींद आई ! ठीक है, मैं तुम्हारे फ़ोन से बॉस को मैसेज कर देती हूँ, कि आज रूही को नींद आ रही है, इसलिए आज रूही ऑफिस नहीं आएगी, वह अपना सारा काम कल कर लेगी। "
रिया की बात सुनते ही रूही फटाक से खड़ी हो जाती है और रिया के हाथ से मोबाइल छीन लेते हुए रिया से कहती है, " मैं आ रही हूँ, ना ! "
रिया ज़ोर से हंसने लगती है, रूही रूठी हुई अपना मुँह बनाते हुए वॉशरूम में फ्रेश होने चली जाती हैं।
रिया मन ही मन मुस्कुराती हैं और फ़िर रूही अपने आप से ही कहती हैं, "जैसी भी हैं, रूही अब भी छोटी बच्ची जैसी नादान हैं और प्यारी भी मगर थोड़ी सी ज़िद्दी और थोड़ी सी गुस्से वाली। "
उतनी देर में रूही वॉशरूम से बाहर आती है और रिया से जल्दी-ज़ल्दी में कहती हैं, कि " यार, कितना लेट हो गया, पहले जगाया क्यों नहीं ? मुझे तो पता ही नहीं चला कब सुबह हो गई ? "
रिया ने कहा, " अरे, कोई बात नहीं, ब्रेकफास्ट ready ही है, चलो साथ मिल के ब्रेकफास्ट कर लेते है, फ़िर ऑफिस के लिए निकल जाते है। "
डाइनिंग टेबल की कुर्सी पे बैठते हुए रूही ने कहा, " यार रिया ! तू बहुत अच्छी है, अगर तू नहीं होती तो मेरा क्या होता ? "
रियाने हंसते हुए कहा, " वही होता, जो मंजूरे ख़ुदा होता, चल अब ज़ल्दी से, कहीं फ़िर से देर ना हो जाए। "
रूही ज़ल्दी में नास्ता करते हुए कहती हैं, " हाँ, चलो-चलो मैं ready हूँ। "
रिया डाइनिंग टेबल की ओर इशारा करते हुए कहती है, " ये सब कौन समेटेगा ? "
रूहीने चिढ़ते हुए कहा, " हाँ, हाँ मैं डाइनिंग टेबल क्लीन कर लेती हूँ, तब तक तुम भी ready हो जाओ। "
रियाने मुस्कुराते हुए कहा, " कोई बात नहीं, दोनों साथ मिल के कर लेंगे, मुझे पता हैं, तुझे ये सब करना पसंद नहीं। "
रूहीने कहा, " और मुझे पता हैं, तुम्हें सफाई पसंद हैं। "
रिया और रुही दोनों साथ में हस पड़ते हैं। डाइनिंग टेबल और किचन क्लीन कर के रिया फ़टाक से ऑफिस जाने के लिए रेडी हो जाती हैं, दोनों साथ में ऑफिस के लिए निकलते हैं, दोनों एक ही कॉलेज में पढ़े हैं और एक ही ऑफिस में काम करते हैं, तभी कुछ ही देर में रास्ते में ही रूही के मोबाइल पर रूद्र का फ़ोन आता हैं।
रूहीने मुंह बनाते हुए रिया से कहा, "देखो, सुबह हुई नहीं और फ़िर से शुरू हो गए, आज घर पर मैं नहीं हूं, तो नास्ते में ठेंगा मिला होगा, इसीलिए सुबह सुबह मेरी याद आ गई होगी, और तो क्या !"
रियाने रुही को समझाते हुए कहा, कि " एक बार फ़ोन उठाके बात तो कर लो, वो बेचारा परेशान हो रहा होगा, जो भी बात हो clear कर लो और तो क्या ? झगड़ा तो हर घर में होता ही हैं, इसका मतलब ये नहीं, कि आप घर ही छोड़ दो, रूही रिश्तें तोड़ने में बस दो मिनट लगते हैं और रिश्तें बनाने में सालों लग जाते हैं, तुम ख़ुद इतनी समझदार हो, बात को समझो ! एक बार सुन तो लो, कि रूद्र तुम से क्या कहना चाहता है ? "
रूहीने फिर से (अपना मुँह फुलाते हुए ) कहा, "यह सब कहना आसान हैं, लेकिन जब दो इंसान साथ में अपनी जिंदगी गुजारने लगते हैं, तब कभी कभी साथ रहना मुश्किल हो जाता हैं और अगर सच में तू जो भी कह रही हैं, अगर वह सच भी हैं, तो सच सच बता, तूने अब तक शादी क्यों नहीं की ?"
रियाने कहा, " मेरी बात ओर हैं, मैंने अपने लिए खुद ये ज़िंदगी चुनी हैं और यह तो तू जानती ही हैं, कि मुझे पहले से ही अकेले रहना अच्छा लगता हैं, इसलिए तो मैं अपने मम्मी-पापा के साथ भी नहीं रहती, रोज़ एक बार फ़ोन पर बात कर लेती हूँ और हर sunday मम्मी-पापा के साथ ही बिताती हूँ और तूने अपनी ये ज़िंदगी ख़ुद चुनी थी, मैंने तुमसे शादी से पहले ही कहा था, कि शादी के बाद अगर तुझे ख़ुद के लिए काम भी करना हैं, तो बहुत कुछ sacrifice करना होगा, तब तू रुद्र के प्यार में पागल थी, तूने कहा था, कि सब कुछ हो जाएगा, तो फ़िर अब ज़िम्मेदारियों से भाग क्यों रही हो ? "
रूहीने कहा, " मैं ज़िम्मेदारियों से भाग नहीं रही मगर मम्मीजी है, की हर बार मेरी गलती निकाल दिया करती है, क्या उनको ये समझना नहीं चाहिए, कि मैं घर और ऑफिस दोनों सँभालती हूँ, ऊपर से तू तो जानती ही हो, कि मुझे ऑफिस के काम से बार-बार sight पे भी जाना होता हैं, इन सब के बाद घर जाकर मैं थक जाती हूँ, फ़िर मैं घर जाकर शाम की रसोई और सुबह की रसोई की तैयारी भी कर लेती हूँ। कल मुझे घर लौटने में कुछ देर हो गई, इसलिए मैंने खाना बाहर से ऑर्डर कर लिया। मम्मीजी को बाहर का खाना पसंद नहीं आया, बस महाभारत शुरू हो गई, एक दिन एडजस्ट नहीं कर सकते वो लोग ? या फ़िर अपने लिए कुछ अलग से बना नहीं सकते थे ? मेरी अकेली का घर थोड़े ना है ? उनका भी तो घर हैं ! मगर इसी बहाने मुझे परेशान भी तो करना था ! और उस पे रूद्र ने भी मुझे ही सुना दिया, कि " तुम्हें पता हैं, मम्मी बाहर का खाना digest नहीं कर पाती, अगर तुमने फ़ोन कर के पहले से कह दिया होता, तो मम्मी अपने लिए कुछ बना देती ना ! " अब तुम ही बताओ, मैं किस किस का ख़याल रखु ? ऊपर से रूद्र की बहन किंजल, वो भी कुछ कम नहीं हैं, उसने कहा, " भाभी, कल ही मैंने दोस्तों के साथ पिज़्ज़ा खाया था, अगर मुझे पूछ के ऑर्डर किया होता तो कुछ chinese मँगवा सकते थे ना ? " बस इतना कहते हुए किंजल मुँह फुलाते हुए टेबल से उठ कर चली गई, अपने कमरे में। मैंने सोचा था, कि किंजल को पिज़्ज़ा पसंद हैं, तो मैंने ऑर्डर कर दिया। अब तुम ही बताओ, ऐसे लोगों से कैसे deal किया जाए। "
रूही ने एक ही साँस में सब कह दिया। तभी दोनों का ऑफिस भी आ गया।
रियाने कहा, " अच्छा ठीक है, तू सही वो सब गलत। ऑफिस आ गया है, इसके बारे में हम अब शाम को बात करेंगे। इस वक़्त थोड़ा काम पे ध्यान देते है, ठीक हैं ?"
रूहीने कहा, " हाँ, तूने सही कहा, मैं भी न... वो तो रूद्र का फ़ोन आया था, इसलिए थोड़ा गुस्सा आ गया और तो कुछ नहीं।"
रिया पार्किंग में अपनी कार पार्क करती है और फ़िर दोनों साथ में ऑफिस के अंदर जाते है, तभी रूही के मोबाइल पर फ़िर से रूद्र का फ़ोन आता है, रिया ने रूही के मोबाइल स्क्रीन पर रुद्र का नाम देख लिया और उसे कहने लगी, कि " अरे, रूही ! एक बार उसे कह दे, कि अभी तू ऑफिस में है, शाम को बात करेंगे, वर्ना रूद्र बेचारा पूरा दिन तुझे फ़ोन करता रहेगा, ना वो अपने काम पर ध्यान दे सकेगा और नाही तुम अपने काम पर ध्यान दे सकोगी, इस से अच्छा है एक बार बता दो।
रूही को भी इस बार रिया की बात ठीक लगी, इसलिए रूही ने रूद्र को मैसेज कर दिया, कि " वह अभी ऑफिस में buzy है शाम को बात करेंगे। " तब जाके रूद्र का फ़ोन आना बंद हुआ और रुद्रने भी सामने से तुरंत मैसेज किया, " ठीक है लेकिन अपना ख्याल ऱखना और ज़्यादा गुस्सा मत करना, I LOVE YOU SO MUCH." उसके साथ एक शायरी भी लिखी हुई थी, उस में लिखा था,
रूद्र का मैसेज पढ़ कर रूही मन ही मन थोड़ा मुस्कराती है।
रिया और रूही का टेबल भी आमने-सामने ही था, तो रिया ने रूही के चेहरे की मुस्कान देखकर सोचा, कि " मुझे पता है, रुद्र जैसे तैसे कर के रूही को मना ही लेगा, आख़िर वह दोनों एक दूसरे से प्यार जो इतना करते हैं, कभी कभी ज़िंदगी में प्यार भरी टकरार भी जरूरी होती है अच्छा चलो, जो होगा, अच्छा ही होगा, अब शायद शाम तक रूही रुद्र के साथ जाने के लिए मान भी जाएगी, लड़कियों को मनाना कितना आसान है बस थोड़ा सा प्यार जता दो, वो आप पर अपना दिल तो क्या अपनी जान भी न्योछावर कर देती हैं। "
उसके दूसरे ही पल फ़िर रिया और रूही दोनों अपने-अपने काम में लग जाते हैं।
तो दोस्तों, अब सवाल यह है कि क्या रूही शाम तक रुद्र के घर जाने के लिए मान जाएगी या नहीं ? क्या रूही को मनाना रुद्र के लिए आसान होगा ? आगे जानने के लिए मेरी यह कहानी पढ़ते रहिए।
अब आगे क्रमशः।
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