ज़िंदगी के दो पेहलु
हां, तो दोस्तों, आज मैं आप को एक कहानी सुनाती हूँ। एक लड़का और एक लड़की की कहानी के दो पेहलु। इस में से आपको कौनसा ठीक लगा। ज़रूर बताना।
लड़की का नाम रागिनी। जो दिखने में बेहद सुंदर। भूरी सी आंँखें, काळा घने लम्बे घुंघराले बाल, गोरा रंग, ऊँचा कद, पतली कमर, होठों पे मुस्कान, जिसके हाथों में माँ की दी हुई पुरानी घड़ी, आँखों में ज़िंदगी में कुछ कर जाने के ढेर सारे सपने, जिसको रहता था हर पल इंतज़ार, एक ऐसे लड़के का जो उसे बेपनाह महोब्बत करे, उसकी हर बात को माने, उसकी हर एक अदा का दीवाना हो, जो उसके लिए रोज़-रोज़ नए-नए गिफ्ट लाए, उसे सरप्राइज दे, उसके साथ कैंडल नाईट डिनर करे, उसे लॉन्ग ड्राइव पे ले जाए, उसके साथ पानी-पूरी और आइस क्रीम खाए, जो सब के सामने उसके प्यार का इज़हार और इक़रार करे, जो औरत का सम्मान करे, जो किसी से ना डरता हो, जो अपने आप से भी ज़्यादा उससे प्यार करे, जो उसके लिए कुछ भी कर जाने को हर पल तैयार रहे।
अब आप ही सोचो दोस्तों, एक लड़की का यही तो सपना होता है, कि कोई उसे बेपनाह महोब्बत करे। मगर ऐसा लड़का रागिनी को कब और कहाँ मिलेगा ? तो वो मैं सुनाती हूँ। अब आगे...
रागिनी और आकाश एक ही कंपनी में काम करते थे। साथ में काम करते-करते दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए थे। बॉस भी दोनों के काम से खुश थे। इसलिए कई बार दोनों पे भरोसा कर रागिनी और आकाश को साथ में प्रेज़न्टेशन के लिए भी कहते थे। रोज़ शाम को अपना काम निपटाके रागिनी और आकाश साथ में कॉफ़ी पिते थे और बहुत सी बातें करते थे। शायद आकाश मन ही मन रागिनी से प्यार करता था, मगर वो कभी उसे ये बात बता ना सका। इस तरफ़ इस बात से अनजान थी रागिनी, जो कहीं ना कहीं मन ही मन आकाश को चाहती थी क्योंकि आकाश बिलकुल वैसा लड़का था, जैसा रागिनी अपने लिए चाहती थी।
मगर अपने मन की बात भला एक लड़की कैसे कहे ? दोनों को साथ में काम करते-करते १ साल हो गया था, दोनों के बिच गहरी दोस्ती भी हो गई थी। दोनों का पूरा दिन साथ में हसी-मज़ाक में निकल जाता था। साथ में घूमना-फ़िरना, मूवी देखना, कहीं भी जाना हो, दोनों को साथ में जाने की आदत सी हो गई थी।
एक बार आकाश ने valentine day के दिन रागिनी को prapose कर ही दिया। रागिनी भी जैसा लड़का अपने लिए चाहती थी, आकाश बिलकुल वैसा ही था, इसलिए रागिनी ने आकाश का praposal स्वीकार कर लिया। उसके बाद दोनों और भी अपना वक़्त साथ में गुज़ारने लगे, दोनों एकदूसरे के और भी करीब आने लगे। दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। दोनोंने अपने परिवार के आशीर्वाद से शादी कर ली। मगर शादी से पहले ही रागिनी ने आकाश को साफ़-साफ़ बता दिया था, कि शादी के बाद वो अपनी जॉब नहीं छोड़ेगी। उसका सपना है ज़िंदगी में आगे बढ़ने का। जो वो पूरा करके ही रहेगी। उस वक़्त आकाश भी मॉर्डन ख़यालात वाला था, तो उसने भी हाँ कहा, कि तुम जब तक चाहो जॉब करते करना, मैं तुम्हारे सपनो के बिच कभी नहीं आऊँगा।
शादी के कुछ दिन तो बड़े अच्छे से बीते। रागिनी और आकाश दोनों साथ में ही घर का और बाहर का काम करते थे। ७ दिन के लिए ऑफिस से छुट्टी लेकर हनीमून पे शिमला मनाली भी घूम के आ गए। दोनों एक दूसरे पे जान छिड़कते थे। ऐसे ही दिन बीतते गए।
कुछ वक़्त के बाद रागिनी पे ऑफिस की ज़िम्मेदारी ओर बढ़ने लगी। उसके पास अब आकाश के लिए या घर के कामो के लिए भी वक़्त नहीं रहता था। पहले आकाश रागिनी को घर के कामो में हाथ बताया करता था, मगर धीरे-धीरे उसे ये सब करना अच्छा नहीं लगता। रसोई के लिए और घर के बाकि सब कामो के लिए रागिनी ने बाई का इंतेज़ाम कर दिया था। मगर आकाश के माँ और पापा जो उसके साथ ही रहते थे, उनको बाई के हाथ का खाना पसंद नहीं था, आकाश की माँ उम्र में थोड़ी बड़ी थी, इसलिए उम्र के हिसाब से उनसे काम नहीं हो पाता था। धीरे-धीरे काम के बोझ की बजह से रागिनी चिड़चिड़ी रहने लगी। छोटी-छोटी बात पे आकाश से झगड़ा होने लगा। आकाश का भी ईगो हर्ट होने लगा। रागिनी आगे बढ़ती जा रही थी और आकाश वहीं का वहीं जॉब करता रह गया। दोनों के बिच अब प्यार कम झगड़ा ज़्यादा होने लगा। एक दिन गुस्से में आकर आकश ने कह दिया, कि अगर घर और ऑफिस साथ में नहीं संभाल सकती तो ऑफिस जाना छोड़ दो।
रागिनीने कहा, कि मैंने तुम से पहले ही कहा था, कि मैं जॉब नहीं छोडूँगी। तुम को जो ठीक लगे वो करो। दूसरे ही दिन आकाश डिवोर्स के पेपर्स लाके रागिनी के हाथ में थमा देता है। रागिनी को उस वक़्त बहुत बड़ा झटका लगा, मगर रागिनी ने बिना कुछ सोचे समजे ही डिवोर्स पेपर्स पे sign कर दिए। अपना सामन लेके रागिनी अपने घर रहने को चली गई। रागिनी के पापा ने रागिनी को बहुत समजाया, कि जल्दबाज़ी में शादी तोड़ने की क्या ज़रूरत थी ? तुम्हें अपने काम के साथ-साथ अपने घर को भी संभालना चाहिए। आगे जाके तुम्हें बहुत पछतावा होगा, आकाश अच्छा लड़का है, अभी भी वक़्त है, वापिस लौट जाव। आकाश से माफ़ी मांग लो और घर पे भी ध्यान दो। लेकिन रागिनी ने अपने पापा की बातों को भी अनदेखा किया। रागिनी अपनी ज़िद्द पे अदि रही। रागिनी अपना काम करती रही और अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ती रही। उस तरफ़ आकाश को भी ऊँची पोस्ट पे अब दूसरी कंपनी में जॉब मिल गई। मगर अकेले में रागिनी और आकाश दोनों एक दूसरे को अब भी बहुत याद करते थे, मगर दोनों का ईगो एकदूसरे से मिलने को रोकता था।
वक़्त बीतता चला गया। दोनों अपने काम में व्यस्त रहने लगे। मगर दिल का एक कोना अब भी खाली ही था। सब कुछ पाकर सबकुछ खोने का एहसास दोनों को आज भी सताता था, इसलिए दोनों ने दूसरी शादी भी नहीं की। बस ज़िंदगी चल रही थी, कामियाबी मिल रही थी, मगर अब भी मन ख़ाली सा था।
तो दोस्तों, मेरी कहानी के इस पहलु में क्या आकाश ने जल्दबाजी में डिवोर्स पेपर्स देके अच्छा किया ? और क्या रागिनी को अपनी शादी को बचाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी ? क्या रागिनी और आकाश को एक बार सब कुछ भूल के साथ नहीं हो जाना चाहिए ?
आगे क्रमशः
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Fir se sath ho jana chaye
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