MERA PARICHAY

                                      मेरा परिचय 

मेरा नाम बेला पूनीवाला है। मैं मुंबई में अपने परिवार के साथ रहती हूँ और मैं एक गृहिणी हूँ। मुझे बचपन से कहानी पढ़ने का बहुत शौक था। बचपन में मैं news paper और magazine की हर कहानी पढ़ा करती थी, पढाई के साथ-साथ मुझे आदत थी, सब से छुपते-छुपाते अपनी डायरी में अपने पुरे दिन और अपने मन की बात लिखने की। जो बात हम किसी से कहने में हिचकिचाते रहते, वह बात मैं अपनी डायरी में लिखा करती थी। मुझे मेरी इस लिखने की आदत ने कब एक लेखक बना दिया ? मुझे पता ही नहीं चला। 

    पहले मैं अपने मन की बात सब से छिपाती थी, मगर आज मैं अपने मन की बात कहानी के तौर पे लिख के सब को share करती हूँ। मेरे कल और आज में इतना फर्क है।  इसलिए आज वक़्त निकाल कर अपने शौक़ को पूरा करने के लिए मैं कहानियाँ और शायरी लिख़ती रहती हूँ । 

मेरा अपने नाम का ब्लॉग है, जिसमें मैं अपनी रचनाओं को पोस्ट करती हूँ, साथ ही अपनी रचनाओं को प्रतिलिपि और फ़ेसबुक पर भी पोस्ट करती हूँ, वहां पे सब ने मेरी हर कहानी की बड़ी प्रशंसा की और उस से भी मुझे ओर  लिख़ने की प्रेरणा मिलती रही। अब मेरे busy sidual में से मुझे अपने लिए जब भी वक़्त मिले, तब मैं ज़्यादातर अपना फ्री टाइम कहानियाँ लिखने और नॉवेल पढ़ने में ही बिताती हूँ और मुझे अच्छा भी लगता है और अब मैं पहले से ज़्यादा खुश भी रहती हूँ। वह कहते है, ना कि " अपने लिए वक़्त निकालके कुछ करने का मज़ा कुछ ओर ही होता है। सब कुछ मैनेज हो ही जाता है। " बस उसी तरह। 

मेरी एक कहानी " सीख " और दूसरी कहानी " भूख " भी शब्दों की आत्मा नाम की पत्रिका में छपी हुई है।  दूसरी एक " माँ का सफ़र " नाम की कविता " माँ की याद " नाम की पुस्तक में छपी हुई है। और एक " बचपन की यादें " नाम की कविता भी  " humruh publication " की पुस्तक में छपने वाली है। 

                                                            Bela...


                    

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