BECHARA SUMEET - 2

                      बेचारा  सुमीत भाग- 2 

        तो दोस्तों, अब तक आप सबने पढ़ा, कि एक तरफ़ सुमीत अपने ऑफिस के बॉस से परेशान रहता है और दूसरी ओर सुमीत हर बार कोई ना कोई गलती किया करता है, इसलिए उसकी बीवी मोना सुमीत से बात-बात पे रूठ जाया करती है और सुमीत उसे बार-बार मनाया करता है, कहते हुआ, कि " अब की बार कोई गलती नहीं होगी। " मोना सुमीत को कहती है, कि मेरी मम्मीजी कल हमारे घर कुछ दिन रहने के लिए आनेवाली है, तब ये सुनकर सुमीत और परेशान हो जाता है, सुमीत अपनी सासुमा को मन ही मन " तूफान मेल " कहके बुलाता है। एक तरफ मानस ने अपने स्कूल प्रोजेक्ट के लिए सुमीत से कुछ मँगवाया था, वह भी सुमीत भूल जाता है।  अब आगे... 

    

   ( सुमीत घर से बाहर निकलकर थोड़ा relax हुआ )

       ice cream की दुकान पे जाके  सुमीत ने ice cream वाले से ice cream में थोड़ा स्ट्रॉबेरी ice cream भी डालने को कहा। फ़िर सुमीत मन ही मन सोचता है, " आज सासुमा को कोई ऐसी ice cream  खिलाता हूँ, कि वो हंमेशा याद रखेंगी, आज के बाद वो ice cream खाने का नाम ही ना ले।! " क्यों ना चलो आज सासुमा के साथ थोड़ी मस्ती हो जाए ! "

       सुमीत ने सासुमा के लिए ice cream और मानस के लिए project papers ले लिए। 

सुमीत : इस बार मानस खुश हो जाएगा, आज कोई गलती नहीं की मैंने... सोचते हुए वापस घर चला। 

 सुमीत : ( घर के अंदर जाते ही आवाज़ लगाता है।) मोना, मानस देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ ?

( सुमीत खुश होते हुए ) जल्दी आ जाओ, देखो तो ज़रा... 

 ( मानस खुश होते हुए बैडरूम में से पापा आ गए, पापा आ गए, चिल्लाता हुआ बाहर आया। मगर मानस  Project Papers  को देख कर ज़ोर से चिल्लाया। )

 मानस : मम्मी, पापा ने देखो फ़िर से गलती कर दी।  (सुमीत थोड़ा गभराया हुआ मानस का मुँह बंद करने की कोशिश करने लगा ) Project sheet के बदले project papers ले के चले आए, अब मैं आप से कभी भी कुछ भी नहीं मँगवाऊंँगा।

     ( कहते हुए झूठ-मूठ मम्मी-मम्मी करते हुए रोने लगा। मगर उस वक़्त मोना किसी से फ़ोन पे बातें कर रही थी, इसलिए उसने मानस के चिल्लाने की आवाज़ नहीं सुनी। )

सुमीत : अरे, चुप हो जा, मेरे प्यारे मुन्ना, तेरी माँ ने सुन लिया तो फ़िर से मुझे सुनाने लगेगी, कि हर बार मैं गलती करता रहता हूँ और मुझे कुछ भी नहीं आता और मुझे उसे फ़िर से मनाना पड़ेगा।

       ( है भगवान, सारी ज़िंदगी रूठने मनाने में ही बित जानी है, कुछ तो मेरे बारे में सोचो। तू जो बोलेगा, मैं  वो तुझे दूंँगा, भगवान् , Please Please  मेरी मदद करो। )  

मानस : ( अपने पापा को गभराया हुआ देख कुछ सोचते हुए बोला ) एक शर्त है मेरी, आज आपका लेपटॉप मुझे पुरे दिन use करना है, बहुत दिन हो गए नयेवाली गेम नहीं खेली with internet, बोलो है मंज़ूर ? 

 सुमीत : ( मानस को समझाते हुए ) सुन बेटा मेरे, अभी कल तो मुझे लैपटॉप ऑफिस लेके जाना है बेटा, शाम को दे दूंँगा तुझे। फ़िर तुझे उस में जितनी गेम खेलनी है, खेल लेना। मेरा राजा बेटा।

मानस : ( चिल्लाते हुए ) मम्मी मम्मी ये देखो पापा...

 सुमीत ने फ़िर से मानसका मुँह अपने हाथों से बंद किया। सुमीत : तू जैसा बोले वैसा, बस चुप हो जा, मेरे बाप... शैतान कहिका... बिलकुल अपनी माँ पे गया है। 

( और मानस खुश होके लैपटॉप लेके अपने bedroom में चला जाता है...) 

सुमीत : हाससस... जान छूती !!! 

( दूसरे दिन सुबह सुमीत ) 

मोना, मैं ऑफिस जा रहा हूँ...कुछ काम हो तो फ़ोन कर देना, और हाँ, मैंने ice cream फ्रीज में रख दी है, वो तुम देख लेना। byyy 

मोना : अरे, इतनी जल्दी क्यों जा रहे हो ! नास्ता तो करते जाओ, और सुनो तो ज़रा, शाम को मम्मीजी  घर आनेवाली है, आज ऑफिस से जल्दी घर आ जाना।  मम्मीजी को  स्टेशन पे आप को ही लेने जाना है, याद रखना, भूल मत जाना।   

सुमीत : ओके डार्लिंग, ( कहते हुए सुमीत घर से निकलता है ) अरे, मैं तो भूल ही गया, आज शाम को तो मम्मीजी  आनेवाली है, अच्छा, हुआ मोना ने याद करा दिया, तो.. तू तो गया काम से आज सुमीत, तेरी तो सामत आनेवाली है।        ( बचा लेना भगवान् आज तो तू ! )

     ( शाम को माँ की entry होती है, डोर बेल बजती है, मोना खुश होक माँ-माँ करती हुई दरवाज़ा खोलती है और अपनी माँ को गले लगा लेती है। )

माँ : ( चिढ़ती हुई ) अरे, मुझे अंदर तो आने दे पहले, ज़रा  साँस तो लेने दे मुझे, हाय रे मैं मर गई, कितनी गर्मी है यहाँ तो, a.c है या नहीं ?

मोना : ऐसा क्यूँ बोलती है मम्मी ? ( a.c चालू करते हुए ) लो अब खुश... पहले तू मुझे ये बता मम्मी, तुझे आने में इतनी देरी क्यों हो गई ?  तू तो ६ बजे आनेवाली थी ना ? तो फिर ८ क्यों बज गए ?  

मम्मीजी : ये सब मेहरबानी मेरे जमाई बाबू की है। 

मोना : क्यों, क्या किया उसने अब ?

मैंने उस नालायक को फ़ोन करके बोला था, तू ६  बजे मुझे स्टेशन लेने आ जाना। 

मोना : फ़िर ?

मम्मी : फ़िर क्या, वो तो आया ही नहीं। ६ बजे  फ़ोन किया तो उसने मुझे कहा, कि अभी ऑफिस से निकल ही रहा हूँ, आप इंतज़ार करे मेरा। लेकिन वो नहीं आया, फ़िर से फ़ोन किया मैंने, तो कहा, कि रास्ते में ही हूँ, आप वहीं रुकना, मैं आ रहा हूँ, फिर भी नहीं आया।  7 बजे  फ़िर से फ़ोन किया, तो उसने कहा, कि  बस मैं पहुँच ही गया, आप बस रुको। मैंने कितना इंतज़ार किया मगर  कम्बख़त आया ही नहीं। मुझे तो लगता है, कि उसे मेरा यहाँ आना पसंद ही नहीं।  फ़िर मैं auto से जैसे तैसे करके यहाँ तक पहुँची, मेरे पैर भी अब तो दर्द करने लगे है, गला भी सुख रहा है, अगर उस कम्बख़त को मुझे लेने नहीं आना था, तो हांँ कहके मुझे वहाँ इतनी देर क्यों रोके रखा ? आने दे घर, शाम को उसे, आज ख़बर लेती हूँ, उस कम्बख़त की। 

मोना : ओह्ह्ह ! ऐसी बात है तो ! तो मम्मी आपने मुझे फ़ोन क्यों नहीं किया ? मैं आ जाती ना स्टेशन तुमको लेने के लिए। ( पानी देते हुए )

मम्मी : मैंने सोचा, तू घर में पूरा दिन कितना काम करती है, तुझे क्यों परेशान करू ? इसीलिए मैंने तुमको नहीं बताया। 

मोना : अरे मम्मी, तुम भी ना ! उसमें क्या परेशानी ?

       ( उस तरफ़ सुमीत ने आज घर ना जाने की ठान ली थी, तो वो अपने दोस्त के घर चला गया। जिसकी बीवी उसके  मायके गई हुई थी। सुमीत दूसरे दिन सुबह ही घर लौटा। दरवाज़ा खोलते ही ) 

मोना : ( मोना ने आवाज़ लगाई ) अब आए हो घर, कहाँ  थे पूरी रात ? ( गुस्से से )

सुमीत : ( बेचारा और ठका हुआ  बोला ) बात ही जाने दो कल की तो तुम ! ( अब मोना को कुछ ना कुछ कहानी तो सुनानी पड़ेगी ना, पूरी रात घर से बाहर जो रहे !) वो कल जब मैं मम्मीजी को लेने जा रहा था, तब रास्तें में एक जग़ह बड़ी भीड़ लगी हुई थी, पास जाके देखा तो, मेरे एक पुराने दोस्त का accident हुआ था। उसे बहुत चोट लगी और उसका खून भी बहुत बह रहा था, वो गाड़ी वाला तो टक्कर लगा के चला गया था। तो मैं सब कुछ भूल उसे taxi में बिठाकर अस्पताल ले गया। वहाँ पे डॉक्टरने कहा, कि उसके घुटनों की हड्डी टूट चुकी है, तो तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा, वार्ना वो फ़िर कभी चल ना सके। ऐसे में मैं भला, कैसे उसे अकेला छोड़ आता ? मैंने उसके घर वालों को खबर कर दी, वो लोग भी जल्दी से अस्पताल आ पहुँचे। लेकिन मेरा मन नहीं माना,  मैं उनके साथ वहीं पे रुक गया। इन्हीं सब चक्कर में  मेरा फ़ोन भी कहीं घूम हो गया था, तुम को फ़ोन करके कैसे बताता ? वो तो भला हो उस taxi ड्राइवर का जो सुबह मुझे मेरा मोबाइल देने आया था, जो कल रात को शायद उसकी taxi में ही गिर गया था।  

मोना : तो ये बात है ! 

      ( अंदर से मम्मीजी की आवाज़ आती है। )

मम्मी : मोना, ज़रा मेरी चाय तो देना बेटा। 

मोना : आई मम्मी !

सुमीत : ( मम्मीजी आ गए क्या ? कहते हुए सुमीत जाके सीधा मम्मीजी  के पैरो में पड़ा। मम्मी ने ज़ोरो से उसके कान पकड़के मरोड़े और सुमीत को खड़ा करते हुए कहा, ) कल कहा रह गए थे, मेरे जमाई राजा ? मुझे कितना इंतज़ार करवाया।  देखो ना मेरे पैर अब भी दर्द कर रहे है। 

सुमीत : ( मम्मीजी के पैरो को पकड़ते हुए ) लाओ मम्मी मैं आपके पैर दबा देता हूँ... आप कहो तो मालिश भी कर दूँ। ( बोलते हुए पैर ज़ोरो से दबाने लगा ) अरे, रुक जा ये क्या कर रहा है, पगला कहिका, ऐसे नहीं धीरे से... ज़रा... हाय कितना अच्छा लग रहा है अब... ( खुश होते हुए )

सुमीत : मम्मीजी, मोना ने आपको कल रात वो  ice cream खिलाई की नहीं, मैं बड़े प्यार से लाया था आपके लिए।

मम्मी : हाँ, खाया था ना ! उसके बाद मुझे जो उल्टियाँ हुई, मत पूछो बात, क्या मिला के लाए थे उसमें ? 

       ( फ़िर से सुमीत का कान मरोड़ते हुए ) 

सुमीत : नहीं मम्मीजी, मैं ऐसा क्यों करता भला ? शायद आपका पेट ही कल ख़राब होगा, आपने ट्रैन में कुछ उल्टा-सुलटा तो नहीं खाया था ना...

    ( मम्मीजी को background में याद आने लगे कल खाए हुए वड़ा-पाव, भेल, वेफर्स, सैंडविच, चाय, कुल्फी... )

मम्मी : नहीं रे कुछ भी तो नहीं खाया था।

      ( सुमीत मन ही मन मुस्कुराया, वो समझ गया, मम्मीजी ने ट्रैन में दबा के नास्ता किया लगता है, मगर झूठ बोल रही है। ) अरे, ये सब बात जाने दे, पहले मुझे तू ये बता, कल रात को तू कहा था ? मैंने और मोना ने तुम्हारा खाने पे भी कितना इंतज़ार किया ?

सुमीत : जी मम्मीजी, अभी मैंने मोना को बताया ना, कि कल रात को मेरे एक दोस्त का accident हुआ था, तो रात को उसी के पास अस्पताल में रुकना पड़ा और तो और मेरा मोबाइल भी खो गया था, इसलिए फ़ोन भी नहीं कर पाया। वो तो भला हो उस ऑटो वाले का जो सुबह-सुबह  उसके ऑटो में गिरा हुआ मेरा मोबाइल मिलने पे मुझे देने अस्पताल आया था। 

मम्मी : वैसे तो बड़ा दयावान बनके घूमता रहता है, सिर्फ़  हमारी ही चिंता नहीं तुझे, अच्छा चलो कोई तो अच्छा काम किया तुमने !

सुमीत : ऐसा क्यों कहते हो मम्मी जी ? बताइए ना, आपको क्या काम है, अभी हो जाएगा, आप बस हुकुम कीजिए। ( थोड़ा अपने आप पे इतराते हुए )

मम्मी : काम तो था, मगर अभी नहीं, फ़िर कभी। अभी मुझे आराम भी तो करना है। आज ना जाने क्यों सुबह से बहुत ठकान महसूस हो रही है। तू आज ऐसा करना, कि शाम को मोना को लेके अस्पताल अपने दोस्त को देखने चले जाना। कल हम सब साथ में पहले मंदिर जाएँगे, फ़िर वो जो नई फिल्म आई है, ना वो देखने जाएँगे, उसके बाद गार्डन में जाएँगे और फ़िर रात को बाहर ही खाना खाकर घर वापस लौट आएँगे। दूसरे दिन क्या करना है, वो तुम्हें मैं बाद में बता दूँगी। तू ऐसा कर ऑफिस से तीन-चार दिन की छुट्टी ले लेना, समज गए ?

सुमीत : ( मम्मी जी की इतनी बड़ी wish list सुन के सुमीत की आँखें खुली की खुली रह गई, फ़िर थोड़ी देर वह कुछ सोच के बोला ) मम्मी जी, आप मेरे दोस्त की फ़िक्र मत कीजिए, मैं अभी उसे मिलकर ही तो आया हूँ, अब वो बिलकुल ठीक है, दो तीन दिन में उसे छुट्टी भी मिल ही जाएँगी, आप बस आराम कीजिए, कल सुबह से हम सब को घूमने भी तो जाना है ना !

मम्मी : ( मोना को आवाज़ लगाते हुए ) मोना आज शाम को तुम सुमीत के साथ उसके दोस्त को देखने अस्पताल जा रही हो ना ?

मोना : ( kitchen  में से जवाब देती है ) हाँ मम्मी ज़रूर। 

      ( सुमीत अपने आप से सिर पे हाथ रख के, बात करता है, ये अब नई मुसीबत ! नया दोस्त और ऊपर से अस्पताल में, कहाँ से लाऊ मैं ? सुमीत तू कुछ बोलने से पहले सोचता क्यों नहीं है ? अब देख तेरे झूठ की वज़ह से नई मुसीबत गले पड़ गई ना ! जल्दी  सोच, वरना तू तो समज, गया आज 🤔🤔)

        तो दोस्तों, अब सुमीत मोना से क्या कहेगा ? और कैसे अपने आप को इन सब मुसीबत से बचाएगा ? 

             आगे क्रमशः। 

                                                                                                                                                      Bela... 

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