बेचारा सुमीत भाग- 1
( सुमीत ठका हारा ऑफिस से घर आता है, घर में आते ही सुमीत ने ज़ोर से आवाज़ लगाई, )
सुमीत : मोना डार्लिग कहाँ हो तुम ? मुझे बहुत ज़ोरो से भूख़ लगी है, खाने में कुछ बनाया है क्या आज ?आज ऑफिस में बहुत काम था। आज मेरे वो खड़ूस बॉसने तो मेरी वाट ही लगा दी। जी करता है, उसका गला ही दबा दूँ और उसकी बिरयानी बनाकर खा जाऊँ और...
( kitchen में से सुमीत की बीवी ने आवाज़ लगाते हुए कहा )
मोना : जी, आज घर में बिरयानी ही बनाई है, खा लो...
( एक पल सुमीत थम गया। भला इसे कैसे पता चला, अभी मैं बिरयानी के बारे में ही सोच रहा था ? खैर ! छोड़ो, बिरयानी पे consantrate करते है। )
सुमीत : वाह्ह, क्या बात है ! तुम खाना निकालो, मैं अभी fresh होके आता हूँ। ( सुमित बिरयानी की खुशबु लेते हुए कहता है )
( कहते हुए सुमीत फ्रेश होने के लिए bedroom में जाता है, उतनी देर में मोना टेबल पे खाना लगा देती है। )
( सुमीत fresh होके अंदर से आता है और टेबल पे खाना खाने बैठ जाता है। )
सुमीत : जल्दी करो मोना, बहुत भूख़ लगी है।
( सुमीत को बिरयानी देखते ही अपने बॉस का चेहरा याद आता है, थोड़ा वो चिढ़ता है, अभी तो पहला निवाला मुँह में ही रखा, की ऑफिस से बॉस का फ़ोन आता है। एक पल तो सुमीत मन ही मन बोला, )
सुमीत : " बजने दे घंटी चैन से खाने भी नहीं देता। अब देखना वो फिर से मेरी गलती ढूँढेगा।"
मोना : अरे, फ़ोन उढ़ा भी लो अब, कुछ ज़रूरी काम होगा, तभी तो कॉल किया होगा।
सुमीत : तुम नहीं जानती, कुछ ज़रूरी काम नहीं होता इनको, बस परेशान करके रखा है मुझे, तुम्हें पता नहीं आज ऑफिस में क्या हुआ था ?
मोना : तुम भी कुछ कम थोड़े ना हो, तुमने भी तो ज़रूर कुछ उल्टा-सुलटा किया होगा, तभी तो बॉस तुम पे चिल्लाते रहते है, वैसे भी एक भी काम तुम से ठीक होता है क्या ? अभी कल ही की बात है, मैंने तुम्हारे पास कल टमाटर और केले मँगवाए थे। तो क्या किया, टमाटर कच्चे और केले की जग़ह सेब लेकर चले आए, अब तुम ही बताओ, कच्चे टमाटर का मैं क्या करू ? अचार बनाऊ क्या ? सेब का मैं क्या करू ? मैं और बच्चे तो सेब खाते नहीं, अब तुम ही खाना सारे बिगड़े हुए सेब।
( मोना कहते हुए सेब की टोपली सुमीत के सामने पटक देती है। सुमीत देखता रह जाता है और मन ही मन बोला )
सुमीत :यहाँ तो घर में भी महाभारत शुरू होने को है। हे भगवान्, मुझे बचा ले, मैं कहाँ जाऊँ ? कौन सी वो जग़ह है जहाँ मैं दो पल चैन से जी सकूँ ? चैन से खाना खा सकूँ, please, बचा ले प्रभु मुझे !
सुमीत : ( ज़रा सा डरते और मुस्कुराते हुए मोना से ) अरे मोना डार्लिंग, उसमें इतना बिगड़ती क्यों हो, गलतियाँ सब से होती है, धीरे धीरे सिख जाऊँगा। अगली बार फ्रूट्स fresh लेकर ही आऊँगा, बस अब तो ख़ुश। अब मैं खाना खा लूँ या नहीं ?
( मोना मुँह बनाकर मुड के kitchen की ओर चलने लगी। )
मोना : हाँ, मैं अच्छी तरह से जानती हूँ तुमको। हहममम..
और हाँ, मैं तुमको बताना भूल गई, कि मेरी मम्मीजी कल कुछ दिनों के लिए हमारे घर रहने आ रही है।
सुमीत : ( हाथ सिर पे पटकते हुए ) लो एक और मुसीबत आ रही है। " तूफ़ान मेल "
है भगवान, मेरा क्या होगा ? अब तुम ही मुझे बचाना इन सब से...
मोना : ( अंदर से )
क्या बोले तुमने कुछ कहा क्या ? नहीं नहीं मोना डार्लिंग, मैं कैसे कुछ बोल सकता हूँ, क्या मेरी इतनी जुरर्रत की मैं कुछ कहूँ... तुमने क्या कहा, तुम्हारी मम्मीजी आ रही है, बहुत अच्छी बात है, ( थोड़ा से चिढ़ते हुए ) ये तो बहुत अच्छी खबर सुनाई तुमने आज। कल मम्मीजी की पसंद का कुछ अच्छा सा बना देना। मम्मीजी खुश हो जाएगी।
( चलो इसी बहाने कुछ दिन अच्छा खाना तो मिल जाएगा और तो क्या ! मन ही मन सोचा। फ़िर सोचा अच्छा खाना तो ठीक है, अच्छी गालियाँ भी सुनने को मिलेगी। पिछली बार याद है क्या हुआ था, जब मम्मीजी आई थी, तौबा रे तौबा ! कुछ बहाना बनाकर भाग सुमीत ! )
मोना : तुम ने कुछ कहा क्या ? ये मन ही मन तुम रोज़ क्या बोले जा रहे हो ? मुझे सब पता है, (मोना रूढ़ते हुए) मेरी मम्मीजी यहाँ आए तुम्हें पसंद नहीं है और अगर तुम्हारी अपनी मम्मी दो दिन आए तो उसके आगे पीछे माँ-माँ चिल्लाते हुए घूमते रहते हो। ( थोड़ा रोती हुई )
( सुमीत अपने आप से, " बात को संभालना होगा। " )
सुमीत : नहीं नहीं डार्लिंग, ऐसी कोई बात नहीं है। तुम गलत सोच रही हो ( मोना को अपनी और खींचते हुए ) मैं भला क्या ऐसा सोच सकता हूँ ! थोड़ा ड़रते हुए, मैंने ऐसा बोला क्या कभी ? ( मोना को गले लगाते हुए ) चलो अभी हंस दो ज़रा। ( मोना थोड़ा मुस्कुराती है )
सुमीत : हम्म्म, ये हुई ना बात ! अच्छा चलो बताओ तुम्हारी मम्मीजी को ( मोना ने उसकी और देखा ) मेरा मतलब है, कि हमारी मम्मीजी को कौन सी ice cream पसंद है, मैं ऑफिस से आते वक़्त लेता आऊँगा।
मोना : तुम तो रहने ही दो, पिछली बार ice cream लाए थे ना, तब मैंने बोला था, कि चॉकलेट ice cream लाना, और तुम स्ट्रॉबेरी ice cream लेकर चले आए थे, तुम्हें पता है ना, कि स्ट्रॉबेरी से मम्मीजी को alergy है, पुरे बदन पे खुजली होने लगती है उनको, तुम तो रहने ही दो...
सुमीत : मैंने बोला ना गलती हो जाती है, कभी कभी, इस बार कोई गलती नहीं होगी, पक्का तेरी कसम।
मोना : मेरी झूठी कसम मत खाओ, हाँ-हाँ तुम तो यही चाहते होना, कि मैं मर जाऊ और तुम्हें मुझ से आज़ादी मिल जाए, हहममम !!
सुमीत : तुम भी क्या फ़िर से ऐसी बात लेकर बैठ गई हो, चलो अब हंस दो, वैसे सच कहूंँ तो आज गलती से बिरयानी बहुत अच्छी बनाई थी तुमने।
मोना : ( मुँह फ़ेरते हुए गुस्से से ) गलती से ! क्या अब मैं अच्छा खाना भी नहीं बनती ?
सुमीत : नहीं नहीं डार्लिंग, मैंने कब ऐसा बोला ?
( उतने में मानस दौड़ते हुए अंदर से आता है, और )
मानस : पापा पापा, मैंने आपके पास कुछ मँगवाया था, वो लाए क्या ?
सुमीत : ( भुला हुआ मुस्कुराता हुआ ) तुमने मँगवाया था, बेटा कुछ ?
मानस : हाँ, पापा मैसेज भी किया था। आप फ़िर से भूल गए, आपको कुछ भी याद नहीं रहता। मम्मी को आवाज़ लगाते हुए, मम्मी देखो ना, पापा फ़िर से भूल गए।
( सुमीत अपना मोबाइल चेक करता है। ऊफ्फ!! फ़िर से भूल गया मैं। )
सुमीत : ( मानस को समजाते हुए ) देखो बेटा, आज वो ऑफिस में काम बहुत ज़्यादा था, ना.. इसलिए शायद भूल गया। कल पक्का ले आऊँगा, तेरी कसम।
मानस : पापा, आप हर बार झूठी कसम खाते हो और फ़िर से भूल जाते हो।
सुमीत : ( मन ही मन अपने आप से, है भगवान, मैं भूल कैसे जाता हूँ ?)
अच्छा चलो, मैं लेकर आता हूँ। तुम चुप हो जाओ और रोना बंद कर दो, अब...ठीक है, ( प्यार करते हुए ) मेरा प्यारा सा राजा बेटा !
सुमीत : ( अपने आप से, ) ये तूफ़ान कम है क्या घर में, जो कल दूसरी आनेवाली है। है, भगवान, अब तू ही मेरी रक्षा करना इन सब से। कहते हुए सुमीत घर से बाहर मानस का सामान लेने चला जाता है और घर से बाहर निकलते ही वह बोला, हाससस जान छूटी... )
तो दोस्तों, क्या सुमीत ला पाएगा, वो चीज़ जो मोना और मानस ने उसके पास मँगवाई है, या सुमीत फ़िर से कोई गलती करेगा ?
आगे क्रमशः। Bela...
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