DARR PART-9

                      डर भाग-9

         तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि अजय और बाई दोनों को लगता है, कि बाबा की जड़ीबूटी का असर माया पे हो रहा है और शायद माया पहले की तरह ठीक हो जाएँगी। दूसरी तरफ़ लक्ष्मी अपने पति बाबू को अजय की ऑफिस ले आती है, अजय को बताती है, कि आपकी ऑफिस के सामने ही बाबू चाय की लारी चलाता है, वो रोज़ आपको चाय पिलाएगा। अब बाबू सुधर गया है और लक्ष्मी को मारता भी नहीं, अब आगे... 

       

           ( अजय और बाई दोनों को ऐसा ही लग रहा था जैसे सच में बाबाजी की जड़ीबूटी माया पे असर कर रही हो। जो माया धीरे-धीरे ठीक हो रही थी। फ़िर दूसरे दिन सुबह माया जल्दी उठकर अपने कमरे की खुद सफ़ाई कर रही थी। सारी चीज़े अपनी-अपनी जग़ह पे ऱखना उसे पहले से ही पसंद था। सफाई करते-करते उसके हाथ से अलमारी में रखी एक किताब ज़मीन पे गिर गई। उसमें से कुछ उसके दोस्तों की भी तस्वीर थी और कुछ दोस्तों के नंबर भी लिखे हुए थे। माया बड़ी गौर से वो सब देख रही थी और अजय भी ये सब कमरे के बाहर से देख रहा था। रसोई में से कुछ गिरने की आवाज़ से मायाने गभराकर पलट कर दरवाज़े की ओर देखा, मगर वहाँ कोई नहीं था। अजय माया के कमरे के बाहर दरवाज़े के पीछे जल्दी से छुप गया था। ताकि माया को ऐसा ना लगे, कि वो उसे चुपके से देख रहा था। अजय चाहता था, उसके पूछे बिना ही माया उसे सब कुछ बताए, जो उसके साथ हुआ था। क्योंकि वो अब उसे ओर परेशान और दुःखी होते हुए नहीं देख सकता था। फ़िर अजय ने थोड़ी दूर जाकर माया को आवाज़ लगाई।) 

अजय : माया, तुम्हारा मनपसंद पास्ता तैयार है, तुम आ रही हो, या मैं अकेले ही इसे खा जाऊँ ? 

     ( अजय की आवाज़ सुन माया धीरे से खड़ी होकर अपने कमरे के दरवाज़े के पीछे खड़ी रहकर अपने भाई को जैसे चुपके से देख रही थी। मगर अब भी वह ना तो ज़्यादा कुछ बोल पाती थी और नाहीं पहले की तरह इधर- उधर भाग के मुझे सताती थी। वो अब भी थोड़ी डरी हुइ और सेहमी हुइ सी रहती थी। इसलिए अजय खुद पास्ता की डिश लेकर उसके करीब जाता है और उसका हाथ पकड़कर उसे दरवाज़े के पीछे से खींचते हुए आगे लाकर डाइनिंग टेबल पे बड़े प्यार से बैठाता है। दोनों बड़े आराम से नास्ता कर लेते है, मगर अब भी ख़ामोशी का वह सिलसिला जारी है।  मगर अजय को इस बात की ख़ुशी है, कि अब माया ठीक तो हो रही है। अजय नास्ता करके बाई को माया का ख्याल रखने को कहकर ऑफिस के लिए चला जाता है।         

          ऑफिस जाके वह सोचता है, की मैंने माया के सभी दोस्तों से पूछा था, की उसके साथ उस दिन क्या हुआ था ? मगर किसी को कुछ भी पता नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है ? किसी ने कुछ तो देखा होगा ? किसी ना किसी को कुछ तो पता होगा ? मगर कौन ? शबाना के साथ भी जो हुआ था, उस के बारे में भी किसी को कुछ पता नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है ? या तो सब किसी के डर से सच्चाई छुपा रहे है, या तो फ़िर ऐसा भी हो सकता है, कि सच में किसी को कुछ पता नहीं।  

                     ( पास्ट में जाते हुए )

 अजय : ( मन ही मन ) वैसे शबाना का केस भी तो मेर  पास ही आया था। माया के घर आने के दूसरी सुबह ही मुझ पे शबाना के पापा का फ़ोन आया था, उन्होंने कहा, की 

शबाना के पापा : शबाना को अस्पताल ले जाया गया है। किसी लड़के ने फ़ोन कर के बताया था, की " एक लड़की फटे कपड़ो में, बेहोशी की हालत में वहाँ रास्ते में है। हमारी तो जान ही निकल गई बेटा। हम ने वहाँ जाकर देखा तो वो शबाना ही थी। हम सब बहुत परेशान है बेटा।  माया कहाँ है, वो तो ठीक है ना बेटा। तू शबाना को देखने अस्पताल आ रहा है ना ? 

        शबाना के पापा की बात सुन अजय के तो होश ही उड़ गए। एक तरफ़ माया की ऐसी हालत और एक तरफ़ उसकी दोस्त शबाना की भी ऐसी हालत। अजय की समज में कुछ नहीं आ रहा, " वो क्या करे ? कहाँ जाए ? ये सब क्या हो गया ? " 

       अजय पहले तो अपने आप से ही सवाल किए जा रहा था। थोड़ी देर बाद अपने आप को सँभालते हुए, पहले अजय ने एक नर्स को माया की देखभाल के लिए पुरे दिन के लिए रख लिया और बाई को भी माया का ख्याल रखने को कहा। फ़िर अजय सीधा शबाना के पास अस्पताल जाता है, जहाँ शबाना के पापा ने बुलाया था। 

     शबाना के कमरे के बाहर उसके मम्मी-पापा और बाकि सब लोग आ गए थे, सब लोग रोए जा रहे थे। 

शबाना की मम्मी अजय को देखकर दो हाथ जोड़े, रोते  हुए गिड़गिड़ाने लगती है, रोते हुए बोले जा रही थी, " ये  क्या हो गया मेरी भोली सी बेटी के साथ ? "

         ( अजय ने शबाना की मम्मी को हौसला देते हुए कहा,

अजय : आप गभराइए मत सब ठीक हो जाएगा।

जब्कि अजय खुद ऐसा माहौल देख अंदर ही अंदर डर रहा था। 

 शबाना के पापा : ( अजय से ) " डॉक्टर हमें अंदर शबाना को मिलने नहीं दे रहे। कहते है, कि वकील या पुलिस ही शबाना से सब से पहले बात कर सकते है, पुलिस अब तक आई नहीं। अब तुम ही देखो अब वो कैसी है ? उसे क्या हुआ ? वो ठीक तो हो जाएगी ना ? "

अजय : जी आप सब शांत हो जाइए। मैं आ गया हूँ, अब सब ठीक हो जाएगा।

       ( कहते हुए अजयने डॉक्टर से शबाना से मिलने की परवानगी ली, फ़िर अजय शबाना के कमरे में जाता है। शबाना को देख एक पल के लिए वो वहीं दरवाज़े पे रुक जाता है। शबाना के सिर से खूब लहू बह चूका था, उसकी आँखें काली और सूजी हुई थी, उसके होंठ भी सूजे हुए थे, बाल बिखरे हुए थे, ऑक्सीजन के सहारे वो थोड़ी साँस ले रही थी। डॉक्टर ने उसे चद्दर में लपेट रखा था। अभी भी जैसे उसका खून बह रहा था। सफ़ेद चद्दर भी उसके खून से अभी भी लाल हो रही थी, मतलब अभी भी उसका लहू बहना बंद नहीं हुआ। माया से भी बुरी हालत शबाना की थी। अजय अपने आप को सँभालते हुए उसके पास जाता है। उसके बिस्तर के पास एक कुर्सी पे बैठता है, धीरे से उसको आवाज़ लगाता है। "

अजय : शबाना, शबाना !!!

शबाना : ( आवाज़ सुनकर आँखों में आँसु के साथ धीरे से शबाना सिर्फ़ अपना चेहरा उस आवाज़ की ओर घुमाती है, जहाँ से उसे किसी ने पुकारा था। अजय को देख वो भी रोने लगती है और पूछ रही थी ) 

शबाना : अजय भैया, " माया कहा है ? वह कैसी है ? "

अजय : ( अजय ने सोचा, अभी शबाना की ऐसी हालत नहीं की उसे माया के बारे में कुछ बताए, इसलिए वह शबाना से झूठ बोलता है ) माया ठीक है, घर पे है, वो बाद में आएगी तुम से मिलने। मैंने अब तक उसे बताया नहीं, की तुम अस्पताल में हो, वो सो रही है घर पे, मैं अभी उसे फ़ोन कर के बुला लेता हूँ। मगर तुम्हारे साथ ये सब किसने किया ? और क्यों ?

      " शबाना की आँखों के सामने वो सारे पल आने लगे, वो ये महसूस करने लगी, जो कल रात को उसने महसूस किया था, ये उसकी आँखों से और उसके काँपते हुए  शरीर से पता चलता था। अजयने उसे फ़िर से आवाज़ लगाई। "

अजय : शबाना, शबाना, कुछ तो बताओ कल रात क्या हुआ था ?

शबाना : कांँपते हुए होठों से सिर्फ़ इतना ही बता पाई, कि  कॉलेज के 5 लड़के !!!

       ( इतना बताते-बताते उसकी साँसे और तेज होने लगी, अजय ने तुरंत डॉक्टर को आवाज़ दी, मगर डॉक्टर उसे आके देखे इस से पहले कुछ ही पल में शबाना अपनी साँसे छोड़ चुकी थी। )

       ( अजय के लिए अब उसके मम्मी और पापा को संँभालना और भी मुश्किल हो गया था, सब रोए जा रहे थे, पूरा अस्पताल मानो सेहम गया था। थोड़ी देर में पुलिस  भी आ गई, पुलिस ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी। )

डॉक्टर : " शबाना का बहुत बुरी तरह से बलात्कार हुआ है, वो भी एक नहीं कई लड़को ने मिल के ये सब किया होगा, ऐसा लगता है और उसे belt से मारा भी गया, ऐसा उसके घाव से पता चलता है। उसकी हालत बहुत ख़राब थी, इसलिए वो बच नहीं पाई, आख़िर कोई लड़की इतना दर्द कैसे और कब तक सेह पाती ? " 

        ये सब सुनना अजय के लिए, कुछ ख़ास नहीं था, क्योंकि जब से अजय ने वकालत शुरू की, तब से आऐ  दिन उसे ऐसा सुनने में आता ही था और उसने ऐसे कई केस भी solve किए थे, मगर इस बार बात अपनों की थी, इसलिए अजय ख़ुद सेहम गया था, उसके चेहरे से लगता था, जैसे उसने ये सब पहली बार देखा और सुना हो। अजय को अंदर से बहुत गुस्सा भी आ रहा था, जैसे " कैसे लड़के है ? कितनी हवस है लड़को में, की वो किसी का दर्द और चीख़ भी सुन या महसूस नहीं कर सकते ? क़ानून क्या सजा देंगे इन्हें ? क़ानून का ना सही भगवान का भी इन्हें डर नहीं ? ऊपर जाके भी तो एक ना एक दिन जवाब देना ही होगा।" 

      इन्हीं सब कसमकस में अजय शबाना के पापा को " अभी आता हूँ " कहते हुए  अस्पताल से दिल पर एक बड़ा सा बोज लिए, अपने घर माया के पास चला जाता है। 

        तो दोस्तों, क्या अजय उस 5 लड़कों को ढूँढ पाएगा, जिस ने शबाना और माया की इतनी बुरी हालत की और क्या अजय उन सब लड़को को सजा दिला पाएगा ?

       अगला भाग क्रमशः  ।।

                                                                Bela... 

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