DARR PART-15

 

                              डर भाग-15

              तो दोस्तों, अब तक आप सबने पढ़ा, कि उस औरत पे हो रही ज़बरदस्ती को खिड़की में से देख माया को फ़िर से सब कुछ याद आने लगता है, जैसे की अब भी वो लड़के शबाना के साथ बदतमीज़ी कर रहे हो और वो डरने लगती है। अजय उस औरत को सामनेवाले घर में बचाने जाता है। रमेश माया को संँभालता है, थोड़ी देर बाद अजय के घर वापस आने पे वो रमेश की सब बाते कमरे के बाहर से सुन लेता है, अजय  के पूछने पर रमेश उसे सब सच-सच बता देता है। अब आगे... 


अजय : ( रमेश से ) मैं तुम्हारा ये एहसान कैसे चुकाऊँगा ? मेरी समज में नहीं आ रहा। अगर उस दिन तुमने माया को नहीं बचाया होता, तो शायद आज माया भी शबाना की तरह.... 

        ( रमेश उसकी बात बिच में ही काटता है, )

रमेश : ऐसा मत कहिए आप, अब माया सिर्फ़ आपकी ही नहीं मेरी भी ज़िम्मेदारी है, माया को ठीक करने और सँभालने के लिए अब आप अकेले नहीं है, मैं भी हूँ आप के साथ... 

      ( रमेश अजय का हाथ पकड़के जैसे उससे वादा करता है, माया को सँभालने का )

अजय : रात बहुत हो चुकी है, तुम सो जाओ, मैं माया के पास रहता हूँ। 

रमेश : आप भी तो बहुत ठक गए हो भैया, आप सो जाओ, मैं माया के पास रहता हूँ। 

      ( दूर खड़ी प्रिया ये सब सुन रही थी, प्रिया ने दोनों को कहा, )

प्रिया : आप दोनों सो जाओ, मैं माया के साथ सो जाती हूँ। अगर मुझे ऐसा कुछ लगा तो आपको आवाज़ दे दूंँगी। आप दोनों ही बहुत ठक चुके हो, वैसे भी माया को दवाई पीला दी है, तो अब वो जल्दी नहीं उठेगी। 

       (  अजय और रमेश दोनों कमरे में जाकर सो जाते है, प्रिया भी माया के पास सो जाती है। )

      ( रात को सोने में बहुत देर हो गई थी, तो सुबह किसी की आँख जल्दी नहीं खुली, सब देर तक सोए रहे। थोड़ी देर बाद दरवाज़े की घंटी बजती है। अजय की आँखें खुल जाती है, उसने सोचा, कौन आया होगा ? अजय ने दरवाज़ा खोला। सामने वो औरत खड़ी थी, जिसको कल रात अजय ने उसके पति से बचाया था। )

अजय : तुम यहाँ इतनी सुबह-सुबह ? अब क्या है ? 

औरत : मैं यहाँ काम करने आई हूँ, यहाँ की बाई थोड़ी बीमार है, तो कुछ दिन के लिए उसने मुझे यहाँ साफ-सफाई, बर्तन और आप सब के लिए नास्ता बनाने के लिए कहा है। 

 अजय : अच्छा ठीक है, आ जाओ। वैसे तुम्हारा नाम क्या है ?

 औरत : जी मेरा नाम शर्मीला। 

         ( कहते कहते शर्मीला घर में आकर साफ-सफाई करने लगती है, काम करते-करते  शर्मीला ने अजय से पूछा, कि आप सब चाय के साथ नास्ते में पोहा खाएँगे ? मैं अच्छा बनाती हूँ।

अजय : ठीक है, तुम्हारी जो समज में आऐ बना दो, मगर आवाज़ मत करना। 

शर्मीला : जी साहब !

          ( कहते हुए वह अपने काम में लग गई। अजय फ्रेश होने चला जाता है। थोड़ी देर में रमेश और प्रिया भी जग जाते है, सब नहा-धोके फ्रेश हो जाते है मगर अब भी माया की नींद खुली नहीं, अजय को लगा, शायद दवाई की असर कुछ ज़्यादा ही होगी, इसलिए। )

         अजय ने माया को धीरे से जगाया, 

अजय : माया, माया ! चलो उठो,  ( माया की चद्दर खींचते हुए ) शादी में जाना है की नहीं, की हम सब अकेले ही चले जाए, आज क्या तुम्हारा पूरा दिन सोने का इरादा है क्या ? 

     ( अजय की आवाज़ सुनकर माया अंगड़ाई लेते हुए, आती हूँ ना भैया !!! इतनी भी क्या जल्दी है, अभी अभी तो मैं सोइ थी। 

अजय :  ( मस्ती करते हुए ) अभी अभी !! सुबह के ११ बजने को है, मेम साहब, आप सो जाओ, हम तो चले, 

     ( कहते हुए अजय खड़ा होकर बाहर की और जाने लगता है, तभी माया फटाक से उठ जाती है। )

माया : आती हूँ ना भैया !!! आप चलो मैं अभी आई, 

         ( कहते हुए माया बिस्तर से खड़ी होके फ्रेश होने चली जाती   है। )

    ( अजय को लगा, कि उसे कल रात के बारे में कुछ याद नहीं, चलो अच्छा ही है !!! )

    ( सब साथ में टेबल पे नास्ता करने बैठ जाते है, शर्मीला ने पोहा और चाय के साथ कॉर्नफ़्लेक्स, दूध, ब्रेड, बटर भी रखे थे और पूछा )

शर्मीला : सब ठीक है ना ? और कुछ चाहिए क्या आपको ? 

अजय : जी नहीं, तुम अच्छा नास्ता बनती हो। 

शर्मीला : जी साहब, कल रात वो आप मेरे पति को ठीक करने के बारे में कुछ कह रहे थे, ऐसा क्या हो सकता है ? 

अजय : ह्ह्हम्म्म, ज़रूर। क्यों नहीं ? एक बार कोशिश करके तो देखो। सब कुछ हो सकता है, मैंने इस से भी अच्छे-अच्छे को सीधा किया है, तो ये क्या है ?

शर्मीला : अच्छा... 

माया : मेरे भैया जो बोले करके दिखाते है, बस ऐसे ही नहीं बाते  करते। ( हस्ते हुए )

         ( अजय चिढ़ते हुए उसकी ओर देखता है। )

अजय : ( शर्मीला से ) 

       तुम ऐसा करो, अपने गाँव के पुलिस ठाणे में जाकर पहले उसकी रपट लिखवा दो, कि तुम्हारा पति तुम्हें रोज़ मारता है, कुछ काम नहीं करता और पैसा माँगता रहता है, तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती भी करता है, मैं वहाँ के पुलिस से फ़ोन पे बात कर लूंँगा, कि उसके साथ क्या करना है। 

शर्मीला : क्या साहब, मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ, मुझे तो पुलिस को देखते ही डर लगता है, उन से बात कैसे करुँगी ? 

अजय : अपने पति से डर नहीं लगता, जो तुम्हें रोज़ मारता है, पुलिस भी आख़िर इंसान ही होते है, बस ऊपर से थोड़े सख्त दीखते है, ओर  तो क्या !!! और हाँ, अपनी लड़की के बारे में पहले सोचना, जो मैंने कहा था। 

         ( माया, रमेश और प्रिया अजय की बाते सुनते ही रह गए, आख़िर उनकी बात में सच्चाई भी उतनी ही होती है। )

शर्मीला : जी साहब, वैसा ही करुँगी, जैसा आपने कहाँ। अब मैं जाती हूँ।

      ( कहते हुए वह किचन में बर्तन रखने चली जाती है। )

 रमेश : चलो, अब शादी में जाना है की नहीं, वार्ना वक़्त यहीं ख़तम हो  जाएगा। 

माया : ( खुश होते हुए ) जी ज़रूर, क्यों नहीं। 

       ( सब शादी में जाने के लिए तैयार हो जाते है, और चाचा के वहांँ जाते है, जहाँ शादी होने वाली थी, दूर से देखने से ही पता चलता था, चाचा के घर की चारों  ओर बहुत रौशनी की हुई थी, सब लोग बहुत खुश दिखाई दे रहे थे, शहनाइयाँ बज रही थी, बारात भी आने ही वाली थी, सब लोग सज-धज के बारात का इंतज़ार कर रहे थे, बच्चे नाच रहे थे, ढ़ेर सारे पकवान और मिठाइयांँ बन रही थी। थोड़ी ही देर में बारात आ जाती है, लड़की वालों  ने बड़े सानो-सौकत से बारातियों का स्वागत किया। थोड़ी देर में दूल्हे को मंडप में ले जाके बैठाया गया। दूल्हे का चेहरा सेहरे से सजा हुआ था, इसलिए दिख नहीं रहा था, माया ने बार-बार दूल्हे के नज़दीक जाके उसका चेहरा देखने की कोशिश की, मगर बेकार। थोड़ी देर बाद अजय पानी पिने अंदर जाता है, तो उसने देखा की एक कमरे में लड़के के पिता, लड़की के पिता को एक थाल में बहुत सारा पैसा और गहने दे रहे थे और कहाँ, " आपकी बेटी आज से हमारी हुई, ऐसा सुन अजय को बड़ा ताजुब हुआ, क्योंकि उसे उतना तो पता था, की शादी में लड़की वाले  लड़केवालों को दहेज़ के तौर पे पैसा और गहने देते है, मगर यहाँ तो कुछ उल्टा ही हो रहा था। उसे दाल में कुछ काला ज़रूर लगा, मगर उस वक़्त वो चुप रहा। थोड़ी देर बाद पुजारी जी ने कहा, दुल्हन को मंडप में बुलाया जाए, विवाह का मुहरत निकलता जा रहा है। पुजारी जी के कहने पर दुल्हन को उसकी माँ लेके आती है,  वैसे तो दुल्हन का चेहरा भी घूंँघट से ढका हुआ था, फ़िर भी अजय, माया, रमेश, प्रिया सब उसे देख के चौंक गए, क्योंकि दुल्हन बहुत छोटी थी, अभी पता नहीं, की वो उम्र में या कद में छोटी थी, इसलिए अजय ने इशारे से प्रिया को दुल्हन का घूँघट उठाके चेहरा देखेने को कहा। प्रिया ने वैसा ही किया, जैसा अजय ने  कहा, प्रिया  ने बातो-बातो में दुल्हन का घूंँघट  उठाके थोड़ा चेहरा देखने की कोशिश की। वह देख के चौंक गई, दुल्हन सिर्फ १२ या १३ साल की छोटी लड़की ही थी, जिसकी उम्र शादी की नहीं बल्कि पढाई की थी, प्रिया ने अजय के करीब जाके बता दिया, जो उसने देखा, ये सुनते ही अजय वहांँ से उठ खड़ा हुआ और गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, 

अजय : रुक जाओ, ये शादी नहीं हो सकती, एक नाबालिक लड़की का विवाह कानून जुल्म है। 

         ( वहांँ पे आए सब लोग रुक गए, शहनाईयाँ बजनी बंद हुई, सब लोग खड़े हो गए। )

लड़की के पिता : ये क्या बोल रहे हो आप ? शादी में वीगन मत डालिए, आप कौन होते हो बिच में बोलने वाले ?

      ( रमेश आगे आके अजय को चुप रहने को और यहाँ से निकल जाने को समजाता है, क्योंकि उसे नहीं पता था, की शादी एक छोटी लड़की की हो रही है। रमेश को डर था, गांँव में ऐसा करने से हल्ला हो सकता है। उसे इन बातो से डर लगता था।  ) 

      मगर अजय कहाँ किसी की सुनने वालो में से था, उसकी नज़र से जो गलत है, सो गलत ही है। अजय गलत होते हुए बर्दाश्त कभी नहीं कर सकता था। 

       ( उस तरफ शर्मीला अपने पति की रपट लिखवाने ठाणे पहुँच जाती  है और रपट लिखवा देती है। अजय की बात पुलिस से पहले ही हो जाती है, इसलिए पुलिस उसकी रपट लिख के उसे जाने को कहता है। 

      पुलिस शर्मीला के पति को पकड़कर पुलिस ठाणे लाती है, पहले तो उसे लाठियों से थोड़ा मारा जाता है, फ़िर धमकाया,

पुलिस : अगर कभी अपनी पत्नी के साथ ऐसा किया, तो इस से भी ज़्यादा  मार पड़ेगी तुमको, समज गए ?

 आज से दोस्तों के साथ आवारगी करना बंद और काम भी करोगे और अपनी बेटी को पढाई के लिए स्कूल भी भेजोगे। तेरे घर हमारा एक आदमी  रोज़ आएगा,  ये देखने तू क्या कर रहा है, अपनी  बीवी को परेशान तो नहीं कर रहा ? 

        ( शर्मीला का पति पुलिस की मार के डर से पुलिस की बात मान जाता है, और कहता है, ) जैसा आप बोलोगे, वैसा ही करूँगा साहब, मुझे जाने दीजिए।

पुलिस : ऐसे कैसे जाने दे तुझे ? आज तक तूने जो किया अपनी पत्नी  के साथ उसकी सजा तो तुम्हें मिलनी ही चाहिए, इसलिए आज की रात तू इसी जेल में मच्छरों के साथ रहेगा समजे, तभी तेरी अक्कल ठिकाने आएगी, वार्ना मुझे पता है, घर जाकर तू फ़िर से अपनी पत्नी को मार-मार के तंग करेगा। अब पता चला ना की जब मार पड़ती है, तो कैसा लगता है ?

आदमी : जी सरकार, सब समज गया, अब गलती से भी उसकी मर्ज़ी के बिना उसे हाथ नहीं लगाऊँगा। मुझे माफ़ कर दीजिए और जाने दीजिए। 

पुलिस : आज रात तक तुझे यहीं रहना पड़ेगा, कल की सुबह तेरे जीवन की नई सुबह होनी चाहिए, वार्ना कभी तेरे माँ-बाप ने नहीं मारा होगा, उतनी मार यहाँ तुझे पड़ने वाली है, समज गए क्या ?

आदमी : जी सरकार। 

          तो दोस्तों,  शर्मीला का पति पुलिस की मार खाकर सुधर जाएगा या नहीं ? और दूसरी तरफ़ शादी में जो अजय ने हल्ला मचाया हुआ है उसका क्या ?

           अगला भाग क्रमशः  ।।

                                                                 Bela...

https://belablogs2021.blogspot.com/2021/11/blog-post_24.html

                      https://www.instagram.com/bela.puniwala/

                       https://www.facebook.com/bela.puniwala  

          


Comments