DARR PART- 12

                            डर भाग-12

         तो दोस्तों, अब तक आप सब ने पढ़ा, कि कैसे अजय ने माया को बड़ी सरलता से शबाना और उन लड़को की सारी सच्चाई बता दी, जो माया को आज तक नहीं पता था और साथ-साथ उसे अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने का हौसला  भी दिया। अजय माया के दोस्त रमेश से मिलने उसके ऑफिस जाता है और उसे अपने घर माया से मिलने आने के लिए मना भी लेता है, अब आगे... 

        ( अजय रमेश से मिलने के बाद ऑफिस जाकर अपने काम में लग जाता है। अजय सोच रहा था, कि कल रमेश माया से मिलने आनेवाला है। उस से मैं  कैसे कुछ बात पता कर सकता हूँ। अजय सोचते-सोचते पेन से फाइल में कुछ लिखने लगा। )

      ( उस तरफ़  माया घर में, फ़िर से कुछ अज़ीब सी हरकतें करने लगती है। कभी पंखे और लाइट की स्विच लगातार चालू-बंद किया करती, तो कभी खिड़की के बाहर एकनज़र देखा करती, कभी गुड़ियाँ के साथ खेलती, तो कभी डर के गुड़ियाँ फ़ेंक देती, कभी  बिस्तर के निचे छुप जाती, तो कभी बिस्तर पे अपने सारे कपड़े बिखेर देती, कभी आईने में देखती, तो कभी आइना तोड़ डालती। कभी अपने बाल बनाती, तो कभी बाल बिखेर देती। कभी कमरे में इधर से उधर भागति रहती, कभी किताब उलट-सुलट करके देखती। कभी एकदम अच्छे से बातें करती, तो कभी पागलों की तरह इधर-उधर भागती। अब माया को संभालना, बाई के लिए पहले से ज़्यादा मुश्किल हो गया था। 

          बाई अजय के आते ही उसे सब बताती, कि माया ने आज क्या क्या शैतानी की। क्योंकि अजय के घर में आते ही माया ठीक हो जाती थी, जैसे उसे कुछ हुआ ही ना हो। आराम से आगे जाके सोफे पे बैठ जाती। मतलब की उसे अकेले में डर लगता होगा, शायद उसी वजह से माया ऐसा करती होगी। अजय के पास होने से उसे डर नहीं लगता, इसलिए माया उस के सामने अच्छे से रहती है, मगर अब भी माया कुछ ज़्यादा बात नहीं करती। अजय उसकी ख़ामोशी को अच्छे से समझता है। इसलिए अजय को लगा, कि क्यों ना माया को आज कहीं बाहर ले जाऊँ, शायद बाहर जाने से उसे अच्छा लगे। ये सोच अजय ने माया को कहा, )

अजय : चलो माया, आज हम ice cream खाने बाहर जाते है, कई दिनों से मेरा भी मन कर रहा है, ice cream खाने का। तू आएगी मेरे साथ ?

        ( पहले तो माया ने अजय की बात सुनकर अपनी गर्दन को दोनों तरफ हिलाते हुए इशारे से आने को मना  किया। ) 

अजय : अच्छा, ठीक है, अगर किसी को मेरे साथ नहीं आना है, तो मैं अकेला ही चला जाता हूँ।

      ( कहते हुए अजय खड़ा होके बाहर की ओर जाने लगा। अजय को जाते हुए देख माया पीछे से तुरंत खड़ी होकर भैया कहते हुऐ अजय का हाथ पकड़ लेती है। )

माया : जी, मैंने कब मना किया ?

     ( अजय मन ही मन मुस्कुराया। अजय को पता था, माया को ice cream बेहद पसंद है। )

         ( दोनों साथ में कार में जाने लगे। एक बड़े ice cream parlour पे जाके अजय ने अपनी कार पार्क की। माया को कहा, तुम यहीं रुको, मैं अभी तुम्हारी मनपसंद ice cream लेके आता हूँ। माया ने इशारे से हाँ कहा। )

         अजय जैसे ही ice cream लेके अपनी कार तक पहुँचता है, तो उसने देखा, कि कार में माया नहीं है, अजय गभराया हुआ माया को आवाज़ देकर इधर-उधर ढूँढने लगता है, उस ने सामने की ओर देखा तो, माया एक नर्सरी स्कूल के पास खड़ी थी और बाहर से माया नर्सरी के बच्चों को खेलते हुए देख रही थी।  माया को छोटे बच्चे पहले से बहुत पसंद थे, ये बात भी अजय को मालूम थी।  और उसका यहीं तो सपना था, एक नर्सरी स्कूल खोलने का।  जिस में वह बच्चों को पढ़ाएगी भी और साथ में स्कूल चलाएगी। ये देख अजय को ख्याल आया की माया को अब क्यों ना ऐसा ही कुछ काम दिया जाए, जिस में उसका मन भी लगा रहे और बच्चों के साथ वह अपने बीतें हुए कल को भी भूल जाए। अजय ने थोड़ी देर बाद पीछे से माया को धीरे से आवाज़ दी। )

अजय : माया, ये लो तुम्हारी ice cream, 

     ( माया ने मूड के देखा, तो वह ज़ोर से हसने लगी, क्योंकि अब तक ice cream  अजय के हाथों में एकदम पिगल चुकी थी। जब अजय ने भी ये देखा, तो वह भी हसने लगा। हस्ते-हस्ते दोनों की आँखों में पानी भी आ गए।  माया अपने भाई अजय को लिपटकर हस्ते-हस्ते फ़िर से रोने लगी। अजयने बात को सँभालते हुए कहा )

अजय : चलो अब मुझे दूसरी ice crema लेने जाना पड़ेगा, अब की बार ice cream पिगले उस से पहले ही खा लेना, वार्ना दूसरी नहीं मिलेगी, कहते हुए दोनों हस पड़ते है।

       ( दोनोनें  ice cream खाई, मगर ice cream खाते-खाते माया की नज़र बार-बार उस नर्सरी स्कूल पे जाके रुक सी जाती थी, ये बात अजय ने गौर की। बाद में अजय कार में माया को long drive पे लेके चलता है, पूरा दिन दोनों घूमते रहे, शाम को घर लौट आए। घर जाके अजय और मायाने आज साथ मिलके खाना खाया, जो बाई पहले से बनाकर जा चुकी थी, फ़िर अजयने बातों-बातों में माया  को दवाई पिला के सुला दिया और वहीं माया के पास ही सो गया। आज कई दिनों के बाद शायद अजय को भी गहरी नींद आई। आज अपनी बहन को थोड़ा हस्ते देख उसे अच्छा लगा। 

          सुबह होते ही अजय को याद आया, कि आज तो रमेश माया से मिलने आनेवाला है। )

        थोड़ी देर में ही dore bell बजता है। अजय  जल्दी से खड़ा होके  दरवाज़ा खोलता है। सामने रमेश ही था। अजय ने उसे अंदर बुलाया। 

अजय : आओ रमेश, मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था। 

राजू : जी मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, इसलिए माफ़ी चाहता हूँ। 

अजय : अरे, कोई बात नहीं। वैसे भी आज मैंने ऑफिस से छुट्टी ले रखी है। 

    ( अजयने माया को आवाज़ लगाते हुए )   

       ये देखो कौन आया है ? ज़रा बताओ, तो क्या तुम इसे अब भी पहचानती हो ? 

   ( माया पहले तो गौर से देखती रही रमेश को, फ़िर  ज़रा याद करके हस्ते हुए बोली,)

 अरे चम्पू तू !!!

         ( कॉलेज में सब रमेश को चम्पू कह के चिढ़ाते थे, वह भी माया को याद आ गया और उसने बोल दिया। ये सुनते ही दोनों हस पड़ते है। अजयने बिच में रोकते हुए कहा, की दोनों अब हस्ते ही रहेंगे या कुछ बात भी करेंगे। ) 

रमेश : हां,हाँ, ज़रूर क्यों नहीं ? इतने दिनों बाद ये नाम सुना ना, तो हसी रुकी नहीं जाती।  तो बताइए। 

अजय : मैं चाहता हूँ, कि तुम और माया दोनों साथ मिलकर एक नर्सरी स्कूल खोलने का प्लान करो, ताकि माया को एक दोस्त भी मिल जाए और उसका मन भी लगा रहे। वैसे तो मैं भी उसके साथ मिलके ये कर सकता, मगर मुझे शायद इतना वक़्त ना मिले। इसलिए, अगर तुम्हें मंज़ूर हो तो... 

रमेश : जी, बहुत अच्छा ख्याल है आपका। मैं अपनी बहन से बात करता हूँ, उसने अभी-अभी एक नर्सरी स्कूल खोला है, और उसे helper की ज़रूरत भी है, मैं अपने काम में buzy रहता हूँ, तो मेरे पास उसकी मदद के लिए  इतना वक़्त बचता नहीं। अगर आप कहे तो मैं मेरी बहन प्रिया को अभी  पूछ लेता हूँ। 

अजय : हाँ, हाँ, ज़रूर, क्यों नहीं। मैं यहीं तो चाहता हूँ।

      ( रमेश तुरंत ही फ़ोन कर के अपनी बहन प्रिया से बात कर लेता है, सामने से प्रिया ने खुश होकर उसे स्कूल पे मिलने को बुला लिया और कहा, कि मुझे ऐसी ही किसी लड़की की तलाश थी, जो मेरा सारा काम सँभाल सके, आप माया को लेकर मेरे पास आ जाइए, मैं सब सँभाल लूँगी ।  मैं माया को सब समजा भी दूंँगी, कि उसे क्या करना है। अजय ने माया को रमेश के साथ जाने की इजाज़त देदी। अजय को इतनी देर में पता लग गया था, कि रमेश एक अच्छा लड़का है, उसके साथ वो माया को भेज सकता है। अजय इंसान को परखने में कभी गलत नहीं हो सकता। अजय आदमी की नज़र से ही उस के अच्छे या बुरे होने का अंदाज़ा लगा देता है। )

        तो दोस्तों, क्या अब माया को अपनी पुरानी सारी बात भूल के अपनी ज़िंदगी नए तरीके से शुरू करनी चाहिए या नहीं ? और क्या वो ऐसा कर पाएगी भी या नहीं ? या उसका डर हर पल उसके साथ ही रहेगा ?

              अगला भाग क्रमशः  ।।  

                                                                  Bela... 

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