बिखरें हुए रिश्तें
कुछ आधे-अधूरे से रिश्ते, जो टूटे कांँच के शीशे की तरह बिख़रे हुए से है ज़मीं पर, उसे आज चलो फ़िर से, सारे गीले-शिकवे मिटाकर, एक बार क्यूँ ना जोड़ने की कोशिश की जाए !
हम से जाने-अनजाने में आज तक जो भी भूल हुइ है, या तो फ़िर हमारी वजह से किसी का दिल दुःखा है, तो उन सब से हमें माफ़ी भी मांँगनी है।
Bela...
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