दीवार
एक पत्नी अपने पति की रोज़ - रोज़ की शिक़ायत से तंग आ चुकी थी, एक दिन उस से सहा नहीं गया, तो बातों बातों में उसने अपने पति से कह दिया, की
" शीशे से इमारतें
बनती नहीं,
ज़्यादा चिल्लाओ मत,
घर की बातें
घर में अच्छी,
दीवारों के भी
कान होते है।"
अगर आपको हमारा साथ पसंद नहीं तो साफ़ - साफ़ बता दीजिए, हम अभी आपको और आपके घर को छोड़ के चले जाएँगे। अगर तेरे मेरे बिच नहीं बनती तो नहीं सही।
Bela...
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