MERI DAYRI

                      

                        मेरी डायरी

       मेरी डायरी के कुछ पन्ने जो, मेरे शब्दों के बिना मायूस और बेरंग से हो गए हैं, उसे फ़िर से अपने शब्दों के माया जाल में पिरो देना चाहती हूँ। 

     एक अधूरा सा सपना, जिसे सालों पहले हमने एक पोटली में बांध के अलमारी के अंदर सम्भाल के छुपा के ऱख दिया था, आज शायद वक़्त आ गया है, फिर से उन सपनो को पंख देने का। 

     एक अधूरी सी है कहानी, जिसे आज पूरी करनी ही है, बदलते मौसम के साथ-साथ बदल रही है मेरी कहानी,  वक़त की स्याही से लिखनी है, आज फिर से वही अधूरी कहानी, जिसे हम छोड़ आए थे बहुत पीछे। 

     मेरी इस आधी-अधूरी सी, मायूस और बेरंग ज़िंदगी में, कोई अपने खुशियों के रंग में, अपने साथ मुझे भी रंग दे, ऐसा कोई साथी मुझे भी तो ढूँढना है। 

 
                                         Bela... 

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