कम्बख़्त दोस्त
तक़रीबन रात के २ बजे होंगे, महेश ग़हरी नींद में सो रहा था, अचनाक से मोबाइल की घंटी बजी, महेशने सोचा, इतनी रात गए किस ने फ़ोन किया होगा ? उसने देखा तो उसके दोस्त रमेश का फ़ोन था, महेशने तुरंत ही फ़ोन उठाया।
रमेशने पूछा, की " यार, तू सो रहा है या जग रहा है ?"
महेशने चिढ़ते हुए रमेश से कहा, की " तो क्या तूने मुझे रात के २ बजे ये पूछने के लिए फ़ोन किया है क्या ? गहरी नींद में सो रहा था, तूने मुझे जगा दिया। रात के २ बजे कौन जगता है ? मगर पहले तू ये बता की तूने इतनी रात को मुझे फ़ोन किया क्यूँ ? कुछ हुआ क्या ? घर में सब ठीक तो है ना ? "
रमेश ने कहा, की " कुछ नहीं यार, सब ठीक है, बस ऐसे ही तेरी याद आ रही थी, तो सोचा फ़ोन करके पूछ लूँ, की तू सो रहा है या जग रहा है ? मगर अब तू सो जा यार, मुझे भी बड़ी नींद आ रही है। " कहकर रमेश ने फ़ोन रख दिया।
महेश को उस वक़्त रमेश पे इतना गुस्सा आया की मत पूछो बात !
फ़िर महेश मन ही मन बोला, की "साला रमेश तू तो चैन से सो गया और मेरी नींद उड गई।
कम्बख़्त दोस्त होते ही ऐसे है...
ना खुद सोते है और ना ही हमें सोने देते है, मगर दिल के सच्चे होते है, उस रात मैंने सोचा की अगर दोस्त ना होते तो ज़िंदगी कैसी होती ?"
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