PYAR KA EZHAR

                     प्यार का इज़हार 

       दोस्तों मैं आपको उस दिन की बात सुनाती हूँ, जब    मैं अपनी सहेली के साथ लाइब्रेरी में बैठ के पढ़ रही थी, तभी हमारी ही क्लास का एक लड़का मेरे सामने आया और मुझे एक फूल देते हुए उसने मुझसे कहा, की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और तेरा साथ उम्र भर निभाऊँगा और तुझे बहुत-बहुत खुश रखूँगा, मेरे घर में सिर्फ मेरी माँ और पापा है, जो तुम्हें बेटी जैसा प्यार देंगे और मैं तूम्हें अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करूँगा।                  अगर तू हांँ कहे, तो कल मेरे मम्मी-पापा को लेकर चाय पे तेरे घर, तेरे मम्मी और पापा से, तेरा हाथ मांँगने आ जाऊँ ? क्यूंँकि मेरी ये ख्वाईश है, की बैंड बाजे के साथ, सफ़ेद घोड़े पे बैठ, तुझे लेने तेरे घर आऊँ और दुल्हन बनाकर, तुझे सब के सामने अपना बनाकर, अपने साथ ले जाऊँ। वहांँ, जहाँ नफ़रत की दीवारें ना हो। जहाँ, ग़म का अँधेरा ना हो। जहाँ बस प्यार ही प्यार हो। अगर तेरी हांँ हो, तो क्या तुम मेरे जैसे दीवाने के साथ शादी करोगी ? 


      
  फ़िर मैंने सोचा, कि वैसे तो लड़का अच्छा था, मैं  उसे मन ही मन पसंद करती थी, आज उसका सामने से ऐसा प्रस्ताव सुनकर मैं खुश हो गई और मैंने कहा, की " मेरे मम्मी-पापा भी मेरी शादी के लिए अच्छा सा लड़का देख़ ही रहे है, उनको कोई और लड़का पसंद आ जाए, इस से पहले तुम अपने मम्मी-पापा को लेकर मेरा हाथ ही नहीं बल्कि मुझे माँगने मेरे घर पे आ जाना। मैं चाय की ट्रे हाथो में लिए तेरा  इंतज़ार करुँगी। काश ! कि ऐसा हो जाए कि तेरे मम्मी-पापा को मैं और मेरे मम्मी -पापा को तुम पसंद आ जाओ और जब  तुम  सफ़ेद घोड़े पे सवार होके मुझे लेने आओगे, तब मैं लाल जोड़े में सज के दुल्हन बन तेरा इंतज़ार करुँगी, सब के सामने तेरा हाथ पकड़कर तेरे साथ चलूँगी। तब प्यार की दौर से बांध के मुझे तू ले जाना उस गली, जहाँ प्यार की नदियाँ बहती हो, जहाँ खिड़की में से देखे तो खुला आसमान दिखाई दे, जहाँ सितारों सा जगमगाता आँगन हो, जहाँ तक मेरी नज़र जाए मुझे बस तू ही तू नज़र आए, तू ले चल मुझे वहांँ, जहाँ चारों ओर रोशनी ही रोशनी और प्यार ही प्यार हो।  
      तब लड़के ने ख़ुश होते हुए कहा, कि तो फिर कल शाम को ठीक 5 बजे तुम हाथों में चाय की ट्रे लेकर मेरा इंतज़ार करना, मैं हमारी शादी की बात करने, मेरे मम्मी-पापा को लेकर तेरे घर वक़त पे आ जाऊँगा, तुम अपने मम्मी-पापा को भी ये बात बता देना। 
       इतना कहकर वो ख़ुश होते हुए चला जाता है और मैं थोड़ा शरमाते हुए, ख़ुश होकर अपनी ही सहेली के गले लग जाती हूँ। 
       तो दोस्तों, कॉलेज के इन दिनों मैं प्यार का इज़हार और इक़रार का एहसास कुछ अलग ही होता है, जिसे शायद हम सारी ज़िंदगी नहीं भूल पाते। 

                                                            स्वराचित

प्यार का इज़हार 

Bela...

                        

 




Comments

  1. नई उम्र का प्यार ही अजीव है,न सोचता है आगे ना पीछें, बस " नए सपनों की नई दुनियाँ ,नव-युवाओं की नई सोंचें " सब कुछ नया होता है।

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