एक दिन
दोस्तों, क्या कभी आप सबने ऐसा सोचा है कभी, की काश ! ऐसा " एक दिन " मेरी ज़िंदगी में हो की उस दिन मैं सिर्फ मेरे लिए ज़िंदगी जिलूँ, या कहुँ तो मुझे जो अच्छा लगता है वो मैं करु, ना किसी की रोकटोक हो और ना ही कोई ज़िम्मेदारी हो।
दोस्तों, आज में आप सब के लिए एक सवाल लेकर आई हूँ, वो ये की, " क्या आप में से किसी को कभी भी ऐसा लगा है, की अगर आपको अपने लिए " एक दिन " मिल जाए तो आप क्या करेंगे ? "
ऐसा नहीं की सिर्फ किताबें ही हो, कुछ भी हो सकता है, जैसे की, किसी को बातें करना, किसी को friends से मिलना, किसी को गाना बजाना, या गाना गाना, किसी को म्यूजिक सुनना, या किसी को घूमने जाना, किसी को सत्संग में रहना, किसी को मंदिर जाना, किसी को कुकिंग करना, किसी को मूवी देखना, किसी को गेम खेलना, किसी को लिखना, या किसी को डांस करना, किसी को वीडियो बनाना, किसी को क्रिकेट खेलना, किसी को फुटबॉल खेलना, दिन भर सोते रहना या तो किसी को गप्पे लड़ाना, कुछ भी अच्छा लगता हो, जो आप उस " एक दिन " में करना चाहते हो, अगर कही आपकी ज़िंदगी में भी आपको अपने लिए, अपने मुताबिक, बिना किसी की रोकटोक के अपनी मर्ज़ी से एक दिन अपने लिए जीने को मिल जाए, तो वो एक दिन में आप क्या करना चाहोगे? इसका जवाब आप मुझे ज़रूर दीजिएगा।
जैसे की, अगर उस एक दिन में सोचो, की नाहीं आपको ऑफिस जाना है, नाहीं अपने बॉस का गुस्सा सेहना है, नाहीं बीवी की डांट-फटकार या कोई नई फरमाईश सुननी पड़े, नाहीं उस दिन आपको कोई काम करना है, नाहीं आपको सुबह टिफिन बनाना है, नाहीं बच्चो को पढ़ाना है, नाहीं किसी की बाते सुननी है, नाहीं कपड़े, बर्तन धोने है, नाहीं खाना बनाना है, नाहीं स्कूल जाना है, नाहीं पढाई करनी है, नाहीं होमवर्क करना है, और नाहीं कहीं पे आना जाना है, नाहीं कोई ज़िम्मेदारी हो।
तो मैंने सोचा है की अगर " एक दिन " मुझे ऐसा मिल जाऐ तो में उस " एक दिन " अपना वक़्त किताबो के साथ बिताना चाहूँगी, कुछ सवाल जिसके जवाब मुझे किताबो से मिल जाते है, क्या ऐसा " एक दिन " हमारी ज़िंदगी में आएगा ?
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Bela...
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