अंदाज़ प्यार का Part - 2

                                     अंदाज़ प्यार का  Part - 2

  मेरे कॉलेज में मेरे साथ एक और लड़का है, जिसका नाम आयुष है, वह भी पढाई में top ही करता, हम दोनों कभी कभी साथ में  पढाई कर  लिया करते है, उसका घर मेरे घर से  होकर ही गुज़रता है, तो वह रोज़ मुझे छोड़ने घर आया करता है, मुझे उसके साथ अच्छा लगने लगा, मैंने आयुष के बारें में  प्रशांत को बता दिया, की कॉलेज में मेरा एक दोस्त है, और हम साथ में पढ़ते है, और वह मुझे घर भी छोड़ दिया करता है, प्रशांत को इससे कोई दिक्कत नहीं थी, उल्टा वो तो ये कहते, की चलो अच्छी बात है, कोई तो दोस्त होना ही चाहिए। 

          एक दिन अचानक पढ़ते - पढ़ते आयुषने  मुझे " I LOVE YOU " कहा, में एक पल हैरान हो गई, क्यूंँकि मेरे दिल में ऐसा कभी ख्याल भी नहीं आया था, मेरी समज में कुछ नहीं आया, की में इसका क्या जवाब दूँ, तब मेंने आयुष से कहा, की  तुम्हें तो पता है की मेरी शादी प्रशांत से हो चुकी है, फिर भी, तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ?  

        आयुष ने कहा, की मेरे दिल में जो था वो मैंने तुम्हें बता दिया,  मगर इतना याद रखना तुम, की तुम्हारी हांँ  हो या ना हो, हम दोस्त थे, दोस्त है,और दोस्त रहेंगे। मेंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया, और उस दिन में ऑटो में ही घर वापिस चली आई, घर जाकर मैंने बहोत सोचा, मेरी समज में कुछ नहीं आया, ये क्या हो रहा है, मेरे साथ ? ये में कौनसी ओर जा रही हूँ ? मेरी मंज़िल और मेरा हमसफ़र तो कोई और ही है,आजकल ये मुझे क्या होने लगा है ? तभी प्रशांत ऑफिस से वापिस आए और मुझे एक लाल गुलाब का फूल दिया, मैंने मुस्कुराकर वह गुलाब लिया, और वापिस उस flower pot में रख दिया, उस दिन उन्होंने शायद मेरा चेहरा पढ़ लिया था, मुझ से पूछा भी की क्या बात है ? कॉलेज में सब ठीक  तो  है ना ? तुम इतनी परेशान  क्यों लग रही हो आज ? मैंने उनसे झूठ कहा, कोई भी तो बात नहीं, मुझे क्या होगा भला? मुझे आज ही पता चला, की कुछ दिनों के बाद exam  शुरु होनेवाले है, इसलिए में यही सोच में थी , प्रशांत ने कहा की, ये बात है, उसमे क्या डरना, तुम तो हर साल top करती हो ना, इस साल भी देखना तुम ही top करोगी, कल से पढाई  शुरू कर दो, best of luck प्रियंका।  आज पहली बार उन्होंने मुझे नाम से पुकारा, ऐसा मुझे लगा। 

   एक तरफ़ आयुष और एक तरफ़ प्रशांत। उस दिन पूरी रात में सोचती रही, मेरी समज में कुछ ना आया, आयुष  वैसे तो बहोत अच्छा था,उसके साथ पढ़ना, घूमना, फिरना, मज़ाक - मस्ती, उसके साथ बातें करना, सब अच्छा लगता था, जैसे की एक सपना पूरा होता हुआ लग रहा हो, हर लड़की का एक सपना होता है, उसे भी कोई दिलोजान से प्यार करे, उसके लिए मरमिटने की कस्मे खाऐ, कुछ ऐसे ही ख्याल मेरे मन में भी आने लगे थे, ये कौन सी डोर थी जो मुझे उसकी और खींची जा रही थी ?

        हाथ में किताब लिए सुबह होते - होते मेरी आँख लग गई, थोड़ी देर बाद निचे से बर्तन गिरने की आवाज़ आई, में जपक के उठ के निच्चे गई, देखने की क्या हुआ ? 

          मेरी आँखों को तो यकींन  ही नहीं हो रहा था। प्रशांत ने चाय नास्ता और हम दोनों का टिफिन भी बना लिया था। बस एक डिब्बा निचे गिरा हुआ था, उसी की आवाज़ से शायद मेरी आँखे खुल गई,  में ये सब देखकर दंग रह गई, घडी में देखा तो ९ बज चुके थे, मैंने प्रशांत से उनका काम में हाथ बटाते हुए पूछा, की मुझे उठाया क्यों नहीं ? आपने ये सब क्यों किया ? में उढ़कर बना देती ना ? 

      प्रशांत ने कहा, अरे,  शांत हो जाओ, इसमें क्या हो गया, जो एक दिन मैंने टिफ़िन बनाया तो, तुम रोज़ मेरे लिए इतना सब करती हो ना, ये क्या कुछ कम है मेरे लिए, वैसे भी मुझे लगा की तुम देर रात तक पढाई कर रही थी, तो तुम्हारी आंँख लग गइ होगी, इसीलिए मैंने तुम को नहीं जगाया। चलो बैठो, आज ज़रा मेरे हाथ की चाय पीकर बताओ की चाय कैसी बनी है ?

              चाय वाकेहि में बहोत अच्छी बनी थी, हम दोनों ने रोज़ की तरह चाय - नास्ता किया और टिफ़िन लेकर घर से निकल गए, उसने मुझे पहले कॉलेज छोड़ा, स्कूटर पे से उतरकर कर मैंने प्रशांत से कहा, की आज घर जल्दी आ जाना, मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है। 

         प्रशांत ने कहा, अच्छा ठीक है, में ज़रूर कोशिश करूँगा जल्दी आने की, अब में चलता हूँ, मुझे देर हो रही है, तुम अपना ख्याल रखना। और किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझ से बेझिझक मांँग लेना, में ऑफिस से लौटते वक़्त लेता आऊँगा। 

         मैंने कहा, जी ज़रूर।  आज प्रशांत को जाते हुए मैं देखती रही तब तक,  जब तक वो मेरी आँखों से ओज़ल ना हुए, जैसे ही में कॉलेज की और चलने लगी, सामने से आयुष आ गया, मेरे दिल की धड़कन तेज़ी से बढ़ने लगी। 

      आयुष ने  कहा, hai प्रियंका, आज इतनी देर क्यूँ हो गई तुम को आने में ? कहीं कल की बात से तुम परेशान तो नहीं ? देखो, अगर तुम्हारी हांँ  है तो में खुश, वार्ना ये ज़हर की बोतल में अभी यही पे तुम्हारे सामने पीकर अपनी जान दे दूँगा। में डर गई, मैंने बिना देखे उसका हाथ पकड़ लिया।

       आयुषने हस्ते हुए कहा, अरे में मज़ाक कर रहा था, ये पानी की बोतल है, देखो ज़रा, पीके देखो। 

       मेरी जान में जैसे जान आई। देखो मैने तुमसे कितनी बार कहा है, ऐसा मज़ाक मुझे बिलकुल पसंद नहीं। में मुँह फेरकर दूसरी और चलने लगी, आयुष मेरे पीछे पीछे आ रहा था, 

      अरे सॉरी यार, तुम तो फिर से बुरा मान गई, ये लड़कियांँ  रूठती इतनी ज़्यादा क्यों है, ये आज तक हमें पता नहीं चला !

        आयुष पहले से ही बहोत बातूनी और मज़ाकियाँ है, पता नहीं उसकी  ये आदत कब जाएगी। ब्रेक टाइम में कैंटीन में आयुष फिर से मेरे पास आया , और मुझसे पूछने लगा की मेरे बारे में कुछ सोचा की नहीं ?

 हांँ या ना ? 

        मैं चिढ़कर अपनी किताबे लेकर वहाँ से खड़ी हो गई, और मेंने  कहा की कुछ भी नहीं, मेरा पीछा मत करो, मुझे अकेला छोड़ दो।  

         आयुषने कहा, अच्छा ठीक है, गुस्सा मत हो, मैंने तो ऐसे ही पूछा था, कल कॉलेज का फरेवेल पार्टी है, तुम आनेवाली हो ना ?

       मैंने फिर से मुँह बना कर कहा, मुझे पता नहीं, तुम जाओ यहाँ से। 

         आयुषने कहा, अच्छा ठीक है, जा रहा हूँ, गुस्सा मत हुआ करो,  

        मगर कल अगर तुम आ गई, तो में समज लूंँगा की तुम्हारी हांँ  है, और अगर तुम नहीं आई, तो में समज जाऊंँगा की तुम्हारी ना है, में जा रहा हूँ, कहकर आयुष  वहांँ  से चला गया, में उसे भी दूर तक जाता  देख रही। 

       मेरी समज में कुछ नहीं आ रहा था इसलिए सोचा  की शाम को घर जाकर प्रशांत को सब बता दूंँगी, में पूरा दिन बस उस हांँ और ना के चक्कर में ही थी, की क्या करू ? प्रशांत को आज आने में थोड़ी देर हो गई, उसके dorbell बजाते मैंने तुरंत दरवाजा खोला, मेरा चेहरा देखकर वो समज गया की आज फिर से में नाराज़ थी, उसने तुरंत गुलाब का फूल देते हुए मुझसे कहा, की सॉरी जी ऑफिस में मेरे एक दोस्त ने बातों में लगाए रखा था, मुझे वक़्त का पता ही नहीं चला। अगली बार ऐसा नहीं होगा, पक्का। में उसकी नादानी पे थोड़ा मन ही मन मुस्कुराई, और मैंने उनसे कहा की, की क्या मैंने आपसे कुछ कहा क्या ? आप भी ना खामखा डरते रहते हो मुझसे।( प्रशांत के हाथो से बैग और टिफ़िन लेते हुए, ) अच्छा आप fresh हो जाओ, तब तक में खाना लगा देती हूँ, आज मैंने पनीर की सब्जी बनाई है,

       प्रशांत fresh होकर आता है, (टेबल पे बैठते हुए,) आज तो बड़ी अच्छी खुशबु आ रही है, खाने की, क्या बात है।  मैंने खाना परोसते हुए कहा, आपकी मनपसंद पनीर की सब्जी, ये लीजिए, चख के बताइए, कैसी बनी है ? प्रशांत ने पनीर की सब्जी खाई, जिसमे नमक बिलकुल नहीं था, और मिर्ची थोड़ी ज़्यादा हो गइ थी, फिर भी उसने कहा की सब्जी बहोत अच्छी बनी है, और मेरे कहने पर दबा के खा भी ली, उसने मुझे पूछा की तुम क्यूँ नहीं खा रही हो ? तो मैंने कहा की आज मेरे पेट में शाम से दर्द हो रहा है, खाने को मन नहीं करता, कल खा लुंँगी। 

          प्रशांत ने कहा, अच्छा दवाई ज़रूर ले लेना, और कल टिफ़िन में मुझे यही सब्जी दे देना, अपने लिए तुम कुछ और बना लेना, सब्जी वाकेहि में बहोत अच्छी बनी है, और बताओ, आज तुम मुझसे कुछ बात करने वाली थी, वो क्या ?  

          में पल दो पल रुक गई, फिर सोचा की आयुष के बारे में बता ही देती हूँ, शायद कोई रास्ता निकल आए। पहले तो मेरी समज में नहीं आया की बात कहा से शुरू करू! फिर प्रशांत ने कहा, आप जो भी कहना चाहती हो, कहो में सुन रहा हूँ, उसने मुझे relax feel करवाया। 

              फिर मुझ में थोड़ी हिम्मत आई, मैंने एक ही साथ कह दिया, की वो आयुष  है ना, उसने मुझे कल कॉलेज में I LOVE YOU कहा, और उसने ये भी कहा की कल farewell की party में अगर तुम आओगी तो, में समज जाऊँगा, की तुम्हारी हाँ है, और अगर तुम नहीं आई ,तो में समज जाऊंँगा, की तुम्हारी ना है, मेंने आज तक उसे कभी ऐसी नज़र से नहीं देखा,और नाही कभी सोचा, पता नहीं उसने ऐसा क्यूँ कहा ? जब्की उसे पता है की मेरी शादी तुमसे हो गई है, पागल कहिका ! कभी लगता है की उसने मेरे साथ मज़ाक तो नहीं किया, क्यूँकि उसे बार - बार मज़ाक करने की आदत जो है !और अब मेरी समज में कुछ नहीं आ रहा, मैंने एक ही साँस में प्रशांत को सब बता दिया, 

           ये सुनकर भी प्रशांत के माथे पे कोई शिकन भी ना दिखी, उसने थोड़ी देर मन ही मन सोच के कहा की, अगर आप को लगता है, की आप  मेरे साथ नहीं उसके साथ खुश रह पाओगी, तो आप उसके साथ जा सकती हो, जो भी फैसला लो सोच समझकर लेना, आपका जो भी फैसला होगा मुझे मंज़ूर होगा,आप मेरी फ़िक्र मत करना।         

        इतना कहकर प्रशांत सोने के लिए चले गए, में किचन की सफाई करके कुछ पढ़ने लगी, मगर पढाई में मेरा मन नहीं लगा, में एक उलझन में थी, क्या करू समज में नहीं आ रहा था, मैंने शायद सोच लिया था की प्रशांत के साथ यूँ सारी ज़िंदगी नहीं रह सकती थी, वो अच्छे नहीं बल्कि बहोत अच्छे थे, मगर फिर भी मन आयुष की ओर  जा रहा था। 

       दूसरे दिन सुबह मैंने वो पनीर की सब्जी गरम करके चखी, तो पता चला की कितनी बेस्वाद बनी है, इसमें तो में नमक डालना ही भूल गई थी, मेरी समज में नहीं आया की वो आखिर ऐसा क्यों करते है  ? अगर सब्जी अच्छी नहीं थी, तो बताया क्यों नहीं ? इतनी बुरी सब्जी कोई कैसे खा सकता है भला ? 

      इस बात से में थोड़ा चिढ़ गई, मन ही मन बोली, की चाहे कुछ भी हो जाए आज तो में उनसे बात करके ही रहूँगी, तभी प्रशांत ऊपर से आते है, और मुझे पूछते है, की टिफिन ready है क्या ? प्रशांत ने मेरी आँखों में देख लिया था, की में आज फिर से उनसे नाराज़ हूँ, 

          मेंने  चिढ़ते हुआ कहा, आज आपको टिफ़िन नहीं मिलेगा, आज आप  पूरा दिन भूखा ही रहेगे, तब भी प्रशांत ने हसकर कहा की, कोई बात नहीं, जैसा तुम चाहो, और मुड  कर वो dining table की और जाने लगा,             प्रशांत की ऐसी बात सुनकर मुझे और भी  गुस्सा आ गया, और प्रशांत को घुमाते हुए  मैंने कहा की, क्या आप जानना भी नहीं चाहेंगे, की मैंने ऐसा क्यों कहा ? कभी कभी आप है ना, मेरी समज में बुल्कुल नहीं आते हो, शादी के दिन से आज तक आपने मुझसे कोई सवाल नहीं किया ? मेरे गुस्से होने पर, मेरे नाराज़ होने पर कभी गुस्सा नहीं किया ? पहले में घर का कोई काम नहीं करती थी, तब भी मुझ से कभी कुछ नहीं कहा, 

           " आपकी ये ख़ामोशी मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही है, उस दिन जब चाय में, मैं चीनी डालना भूल गई  थी, तब भी आपने हस्ते हुए, चाय बहोत अच्छी बनी  है, कहकर चाय पि ली थी, आप के जाने के बाद जब मैंने चाय पी तब मुझे पता चला की चाय में, चीनी डालना भूल गई थी, फिर एक दिन में टिफ़िन में रोटी देना भूल गई थी, तब भी आपने कुछ नहीं कहा, ये बात मुझे आप के दोस्त समीर ने बताइ थी, आप का रोज़ रोज़ मुझे एक गुलाब का फूल देना, मेरी समज से परे है, उस दिन आपके दोस्त की पार्टी में आप खाना खाके आए थे, ये बात मुझे आप के दोस्त समीर से पता चली,  फिर भी मेरी बनी बिरयानी आपने दबा के खाई,आपने मुझे क्यूँ नहीं कहा की, में दोस्त के वहाँ खाना खाकर आया हूँ, तो में आप को खाने के लिए ज़िद्द ना करती, उस दिन जब में बीमार थी, तब पुरे तीन दिन आपने मेरी देखरेख की, ऑफिस से भी छुट्टी ली, मेरी डॉक्टरी की पढाई के लिए आप को अपना घर गिरवी रखना पड़ा, ये बात भी मुझे आपके दोस्त समीर से पता चली। जिस  दिन आप घर देर से आए थे, उस दिन रास्ते में आपका accident  हुआ था, ये बात भी मुझे आपके दोस्त से पता चली, और आपने मुझ से कहा की में अपने दोस्तों के साथ था, और कल, कल पनीर की सब्जी में नमक़ डालना ही में भूल गई थी, फिर भी आपने कुछ ना कहा, आप मुझे हर बात सच क्यूँ नहीं बताते ? मेरी समज में आज तक नहीं आया, आप ऐसा क्यूँ करते हो ? आप मेरे साथ खुश हो भी या नहीं ? आज मुझे मेरे हर सवाल का जवाब चाहिए, वार्ना में आपको जाने नहीं दूँगी। " कहते हुए मैंने लम्बी साँस ली, और मुँह बना कर कुर्सी पे पलट कर बैठ गई। 

       प्रशांत ने अपनी आदत के मुताबिक बड़ी शांति से कहा, " में सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको खुश देखना चाहता हूँ, क्यूंँकि मुझे आप में मेरा कान्हा दीखता है जी, और अपने कान्हा पे में भला कैसे गुस्सा और नाराज़ हो सकता हूँ, अपने कान्हा को दुःख और परेशानी में नहीं देख सकता, रोज़ में आप को लाल गुलाब का फूल इसलिए देता हूंँ, की में आप को रोज़ रोज़ ये बताना चाहता हुँ की, में आप से बहोत, बहोत और बहोत प्यार करता हूँ, और करता रहूँगा, मगर शायद मेरी ये बात आपको पसंद आएगी भी या नहीं ये सोच में रोज़ चुप रहता था, आपकी  बनी चाय में भले ही चीनी कम थी, लेकिन आपके हाथो की मिठास ने उस को मीठा कर दिया था, इसलिए में चुप रहा, आपने उस दिन बिरयानी बड़े मन से बनाई थी, और में आपका दिल तोडना नहीं चाहता था, इसलिए में चुप रहा, जिस  दिन मेरा accident हुआ, तब शायद आप बहोत खुश थी, मैंने  ये सोचकर आप को accident  वाली बात नहीं बताई, इसलिए में चुप रहा, कल पनीर की सब्जी में नमक नहीं था, मगर आपकी नज़रो में वो नज़ाकत थी, तो उस से सब्जी पे मेरा ध्यान कम गया, और में चुप रहा, आपको अगर पता चलता की मैंने अपना घर गिरवी रखकर आपकी कॉलेज की फीस भरी है, तो आप शायद पढाई  के लिए कभी हांँ ना करती, और में आपका डॉक्टर बनने का सपना पूरा करना चाहता था, इसलिए में चुप रहा, कल आपने अपने दोस्त राज के बारे में बताया, तब भी मुझे लगा की आप मेरे साथ नहीं उसके साथ खुश रह पाओगी, तो मैंने उस बात के लिए भी हांँ कर दी, क्यूंँकि आप मेरे साथ रहो या किसी और के साथ, में सिर्फ और सिर्फ आपकी ख़ुशी चाहता हूँ, और हांँ, आप राज के साथ मिल के पढाई  करती हो, उसके साथ मोटरसाइकिल पे घूमने जाती हो, उसके साथ पानीपुरी भी ख़ाति हो, ये सब मुझे पता था, और ये बात मुझे आपकी  दोस्त रीना ने बातो बातो में बताई  थी, मगर तब भी में आप से नाराज़ नहीं था, क्यूंँकि उन दिनों आप बहोत खुश रहा करती थी, इसलिए में तब भी चुप रहा, मैंने आप पे कभी कोई हक़ नहीं जताया, ये सोचकर की शायद आपको में पसंद नहीं हूँ, आपके पापा ने आपकी शादी बिना आपकी मर्ज़ी के मेरे साथ करवा दी थी, इसलिए में चुप रहा, अगर अब भी आपको लगता है की में, गलत हूँ, तो हो सके तो मेरी हर गलती और हर चूपी के लिए मुझे माफ़ कर देना, आपको अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जीने का पूरा हक़ है,अब मेरे दिल में जो था, वो मैंने आपसे कह दिया, मेरे घर के दरवाज़े आप के लिए हमेशा खुले रहेंगे, अपने आप को कभी अकेला मत समजना, में आपके साथ कल भी था, आज भी हूँ, और कल भी रहूँगा।अब फैसला आपके हाथो में है, और आपका जो भी फैसला होगा मुझे मंज़ूर होगा, अब में चलता हूँ, मुझे ऑफ़िस के लिए देर हो रही है, आप अपना ख्याल रखना। 

         मुझे लगा की जैसे, आज तक हम दोनों के बीच  जितने भी गीले शिकवे थे, वो आज दूर हो गए, मेरी नज़रो में आज प्रशांत और भी ऊपर उठ गए, उनकी बातें सुन कुछ देर तक में सुन्न हो गई, ऐसा " अंदाज़ प्यार का " किसी ने नाही कही देखा और सुना होगा। 

            फिर मुझे ख़्याल आया की प्रशांत को इन सब   चक्कर मे मैंने  टिफ़िन भी नहीं दिया, कही पूरा दिन वह भूखा ना रह जाए, ये सोच मैंने पनीर की सब्जी में नमक वगैरह डाला और फिर से बनाया, और टिफ़िन लेकर में उनकी ऑफिस चली गई।                   

      और वहाँ जाकर मैंने उनसे कहा की आप जल्दी में टिफ़िन लाना ही भूल गए, तो सोचा खुद जाकर दे आती हूँ, और हांँ आज  हमारे कॉलेज में farewell party है, तो में चाहती हूँ की आप भी मेरे साथ वहांँ आए, 

        प्रशांत हिचकिचाते हुए, में भला वहाँ कैसे आ सकता हूँ ? आप तो जानती हो ना ऐसी party में जाना मुझे पसंद नहीं, आप अपनी सहेली के साथ चली जाना, इतना कहकर प्रशांत अपने काम में लग गया, 

         मैंने प्रशांत के हाथो से पेन छीनते  हुए कहा, की आज तक मैंने आप से कुछ नहीं माँगा, सिर्फ एक बार चलो ना मेरे साथ Please, मुझे खुद पता नहीं था की में ऐसा क्यों कर रही थी ? प्रशांत ने कहा की अगर तुम्हारी यही ज़िद्द है, तो में आऊँगा तुम्हारे साथ, लेकिन जल्दी वापिस आ जाऐगे, ठीक है ? जी अच्छा। 

           में उनके ऑफिस से खुश होते हुए पहले तो सीधे मॉल में गई और वहांँ से मैंने प्रशांत और मेरे लिए अपनी पसंद के नए कपड़े ख़रीदे। फ़िर घर जाकर party में जाने की तैयारी में लग गई, में पगली ! इतना भी नहीं सोचा, प्रशांत पे क्या बित रही होगी ? में तैयार होकर प्रशांत का इंतज़ार कर रही थी, वह डोरबेल  बजाने ही वाला था की मैंने दरवाजा खोल दिया, और सामने वही थे, घर के अंदर आकर आज भी प्रशांत ने रोज़ की तरह मुझे एक लाल गुलाब का फूल दिया, मैंने हस्ते हुए फूल को  flower pot में रख दिया, और कहा की, चलो जल्दी से अब तैयार हो जाओ, party में जाने को देरी हो रही है, प्रशांत ने कहा, सच में मेरा  मन नहीं है आने का, आप कहो तो में आप को छोड़ने आता हूँ,  मैंने कहा, आज में आप की एक भी बात नहीं सुननेवाली, आप को मेरे साथ आना ही होगा, और में जो आपके लिए कपडे लाई हूँ, वही पहनने होंगे,  प्रशांत ने कहा की, मगर आप जानती हो, में ऐसे कपडे नहीं पहनता, प्रशांत को वाशरूम की और धक्का देते हुए, मैंने कहा ना बस, अब और नहीं, शैम्पू भी करना, और Please बालो में तेल मत लगाना, और नए कपडे पहनके  जल्दी से निचे आओ, में आप का निचे इंतज़ार कर रही हूँ।  में निचे उनका इंतज़ार करने लगी, कुछ देर बाद प्रशांत मेरे दिऐ  हुए, red t - shirt और black jeans पहनकर निचे आए, सच में उनके रेशमी बाल उड रहे थे, उन्हें पहली बार ऐसे देख मेरे मुँह से सिटी बज गई, और कहा की बड़े handsome दिख रहे हो आज आप, बिलकुल इस प्रियंका के प्रशांत। चलो अब चले, कहते हुए अपने हाथ में उनका हाथ रखा और घर से निकले, प्रशांत की समज में नहीं आ रहा था की प्रियंका आख़िर चाहती क्या है ? वो आज ऐसा क्यों कर रही है ? 

          प्रशांत शायद पहली बार ऐसी Party में आया होगा, उसे बहोत अजीब लग रहा था, लेकिन प्रियंका ऐसी party में कई बार जा चुकी है, वहाँ एक बड़ा सा hall था, जिसमें जगमगाती रोशनियाँ थी, बड़ी ज़ोरो से music बज रहा था, कुछ लड़के लड़कियाँ साथ में dance कर रहे थे, प्रशांत को ऐसे माहौल में थोड़ी गभराहट of  हुई, लेकिन प्रियंका  ने प्रशांत का हाथ ज़ोरो से पकड़ रखा था, वो भी इतने सालो में शायद पहली बार, में प्रशांत को खुश होकर अपने सारे दोस्तों से मिला रही थी, प्रशांत को थोड़ी देर बाद सब से मिल के थोड़ा अच्छा feel हुआ, वह मेरे दोस्तों से बात कर रहा था, मगर अब तक कही पे राज दिखाई नहीं दे रहा था, और अचानक से stage पे लाइट होने लगी, और कोई लड़का माइक में  बोल के announce कर रहा था की, आज के हमारे couple of the day है, Mr. and Mrs. प्रशांत एंड प्रियंका शर्मा। Please friends clap for them. प्रियंका और  प्रशांत ये सुनकर चौंक गए, और ये सब stage पे से आयुष  ही कह रहा था, प्रियंका  भागति हुई  stage के पास गई और आयुष को खींचते हुए कहा की ये सब क्या मज़ाक कर रहे हो, 

        आयुष ने कहा की ये मज़ाक नहीं है, सच में तुम दोनों को जज ने select किया है,  इसलिए की आज तुम दोनों की dressing बहोत अच्छी है, ये एक surpize था सब के लिए, आयुष की बात प्रियंका को सही लगी, और वह फिर से भागति हुई, प्रशांत के पास गई और खुश होते हुए उसे सब बताया, जो राज ने कहा था। प्रशांत के चेहरे पे भी ये सुनकर ख़ुशी छा गई, उसके लिए ये सब पहली बार था, ऐसे में आयुष दोनों के करीब आकर उनको congratulations करता है, फिर प्रियंका  की ओर देखकर हस्ते हुए पूछता है की अब में तुम्हारी हाँ समजु  या ना !

             प्रियंका भी मुस्कुराते हुए आयुष से हाँ कहती है, की में तुमसे बहोत प्यार करती हूँ, क्यूंँकि तुमने मुझे ज़िंदगी जीना और हसना सिखाया, मगर में प्रशांत  (हाथ थामते हुए ) से भी बहोत प्यार करती हूँ, क्यूंँकि इन्होने मुझे प्यार का सही मतलब और प्यार को निभाना सिखाया, इसलिए में तुम्हारी दोस्त हमेशा रहूँगी, मगर में प्रशांत का साथ इस जन्म में कभी नहीं छोडूँगी। ( प्रशांत से नज़रे मिलाते हुए ) और ये मेरा फैसला है। प्रशांत के लिए आज ये surprise का दिन था, भले ही प्रशांत बोले कुछ नहीं, मगर ये सुनकर वह बहोत खुश हुए होंगे, ये मैंने उनकी आँखों में  पढ़ लिया। 

          फिर धीरे से आयुष बोला, अगर तुम दोनों खुश तो में भी खुश, (आयुष थोड़ा मुस्कुराते हुए ) वैसे भी में तो मज़ाक कर रहा था। में सिर्फ ये देखना चाहता था की तुम मेरे और प्रशांत के बीच में से किस के साथ रहना पसंद करती हो, प्रशांत से ज़्यादा खुश तुम्हें ओर कोई नहीं रख सकता, शायद में भी नहीं,और तुमने बहोत ही सही फैसला किया, मेरी और से तुम दोनों को 

" Best of luck for your new begining of life "

कहते हुए आयुष चला गया, मैं और प्रशांत भी थोड़ी देर बाद वहाँ से निकल गए, और रास्ते में long drive को चल दिए, में प्रशांत के पीछे उनको दोनों हाथो से पकड़के बैठी रही, और सोचती रही,

      " ये शाम कभी ख़त्म ना हो, ये रास्ता कभी खत्म ना हो, जिस रास्ते पे हम दोनों साथ चल रहे हो। "

         और हाँ, जितना में समजति थी, प्रशांत के साथ  ज़िंदगी उतनी मुश्किल नहीं है, उल्टा हर पल प्रशांत मुझे relex feel करवाता था, मेरे हर सवाल का जवाब और मेरी हर problem का solution प्रशांत है, ना बदली तो वो एक चीज़, प्रशांत आज भी मुझे  रोज़ एक लाल गुलाब का फूल दिया करते है, 

          देखते देखते मेरे कॉलेज के 5 साल पुरे हो गए, और जिसका मुझे इंतज़ार था, वह दिन आ ही गया, आज डॉक्टर की डिग्री मेरे हाथों में थी, और दूसरे हाथ में प्रशांत का हाथ, उस दिन प्रशांत शायद मुझसे भी ज़्यादा खुश था, उन्होंने उस दिन घर पे सरप्राइज पार्टी भी रखी, जिसमे उन्होंने मेरे माँ - पापा, दीदी, उनके दोस्त, आयुष को भी सबको बुलाया, मेरे साथ साथ आयुष भी डॉक्टर बन गया, 

      प्रशांत की  मदद से ही, मैंने और आयुष ने मिलके एक छोटा सा अस्पताल खोला, जिसमे लोगो का इलाज कम से कम पैसो में होता है और में अपनी कमाई में से कुछ पैसे हर महीने अपने बाबा को भेजती हूँ,  धीरे धीरे करके प्रशांत का घर जो गिरवी रखा था, वह भी छुड़ा लिया, 

        और हाँ ख़ुशी की बात ये है की, की इन दिनों के बीच ही आयुष ने भी शादी कर ली, और अब हम सब साथ में ही हर sunday को मूवी देखने और खाना खाने जाया करते है। 

        तो दोस्तों, इस दुनिया में " अंदाज़ प्यार का " ऐसा भी  होता है, जो हम को बहोत पसंद आया। मेरा ये  "अंदाज़ प्यार का " आपको कैसा लगा ये ज़रूर बताना। 

     Please give your valuable feedback.    

                                                               Bela... 

            

 https://www.instagram.com/bela.puniwala/

           https://www.facebook.com/bela.puniwala



 




Comments